सोमवार, जून 15, 2009

गोलू पांडे और राम प्यारी का रिश्ता तय हो गया है


गोलू

राम प्यारी

अजय कुमार झा के हवाले से खबर मिली है कि गोलू पांडे और राम प्यारी का रिश्ता तय हो गया है। विस्तार से खबर इस प्रकार है:
गोलू पांडे(लीजिये गोलू पाण्डे को नहीं जानते ,,ये श्वान कुमार ज्ञान जी के यहाँ के निवासी हैं ) ने अभी हाल ही में साहित्य चबाया था और साहित्य का स्वाद उनके मन को काफी भाया ..इसे बीच खबर मिली थी की राम प्यारी (अरे वही ताऊ की प्यारी और कुंवारी बिल्लन ) ने भी रामायण महाभारत पढना शुरू कर दिया है ...कमबख्त उनमें से ही पहेलियाँ भी पूछ रही है , सो यही पढ़ कर सोया ..देखा की मुझे उन दोनों का पवित्र रिश्ता करवाने की जिम्मेदारी दी जा रही है ताकि उसके भी सात फेरे हो सकें..


रामप्यारी के अकड़े-अकड़े से चमकते अंदाज और गोलू के बेचारे सहमे-सिकुड़े से पोज से अजय की बात प्रथम दृष्टया सही लगती है। रिश्ते के बाद शायद गोलू भी लेफ़्ट-राइट के चक्कर में फ़ंस जायेगा जैसे कि विश्वनाथजी फ़ंसे हुये हैं और कहते हैं:
अगर कोई सबके सामने बायें हाथ से खाता है तो आस-पास के लोग घूरती निगाह से देखते हैं। एक पेटू सूअर की तरह ठूंस-ठूंस कर खाये, वह स्वीकार्य है पर एक सभ्य आदमी का साफ बायें हाथ से खाना जायज नहीं! क्यों नहीं? आपने शिशुओं को देखा है। वे अपनी फीड बोतल दोनो हाथ से पकड़ते हैं। केवल दायें हाथ से नहीं। मां के बायें स्तन से भी उतना और वैसा ही दूध निकलता है, जैसा दायें स्तन से।


कल भारत बीस-बीस ओवर के विश्वकप से बाहर हो लिया। टीवी पर विज्ञापन आ रहा था- आने दे, आने दे। शायद अब वह न दिखे। विक्रम प्रताप सिंह कहते हैं कि हार गये तो हार गये कौन नयी बात है लेकिन मनोबल नहीं गिरने देना चाहिये
कुछ दिन बाद भारत को वेस्टइण्डीज जाना है चार वनडे की सीरीज खेलने। सितंबर में चैम्पियंस ट्रॉफी भी होगी। अक्टूबर में आस्ट्रेलियाई टीम भारत आ रही है सात वनडे खेलने। और भी कई मैच हैं। हमें टीम का मनोबल सिर्फ इस हार की वजह से गिरने नहीं देना चाहिए।


स्कूलों/कालेजों में रैगिंग की बड़ी बुरी बीमारी फ़ैल गयी है आजकल। आलोक पुराणिक अगड़म-बगड़म लिखने के अलावा मास्टरी भी करते हैं। मास्टर होने के नाते उन्होंने रैंगिग रोकने के कुछ उपाय भी सुझायें हैं। वास्तव में ये रैगिंग रोकने के उपाय नहीं हैं रैगिंग करते हुये पकड़े जाने पर सजा के सुझाव हैं। इससे एक बार फ़िर साबित होता मास्टर सुधार में कम सजा देने में ज्यादा रुचि रखता है। आलोक जी सुझाते हैं:
रैगिंग करने वालों को घेर बांधकर आस्ट्रेलिया भेजा जाये, ऊंची पढ़ाई करने के लिए। सरकार की तरफ से वजीफा वगैरह दिया जाये इस शर्त पर कि बेटा कम से कम पाँच साल तो वापस ना आना। रैगिंग करने वालों को आस्ट्रेलिया में जाकर पता लगेगा कि रैगिंग क्या होती है, जहां रैगिंग में पुलिस भी शामिल होती है।
समीरलाल को ये सजायें कुछ ज्यादा लगती हैं सो वे कहते पाये गये:
जरुरत से ज्यादा सख्त सजायें हैं एक छोटी सी रैगिंग के लिए..लगता है कालेज में कुछ ज्यादा खिंचाई हुई थी उस जमाने में कि सारे बदले आज निकाल रहे हो.


ताऊ पहेली पूछते ही रहते हैं अब तो। अब जब पूछताछ होगी तो कुछ तो सामने आयेगा ही। वही हुआ जी। कल ताऊ की २६ वीं पहेली में योगेश समदर्शी प्रथम आ गये अब झेलें सवाल-जबाब और बधाइयां।

अजित वडनेरकरजी ने आज मस्जिद के बारे में जानकारी दी है। कल उन्होंने पुस्तक चर्चा के अन्तर्गत जेएन टाटा की जीवनी फॉर द लव ऑफ इंडिया का हिन्दी अनुवाद भारत से प्यार के बारे में जेएन टाटा की जीवनी फॉर द लव ऑफ इंडिया का हिन्दी अनुवाद भारत से प्यार ">बताया। जाने-माने लेखक और पत्रकार रूसी एम. लाला द्वारा लिखित और कामताप्रसाद द्वारा हिन्दी में अनुदित इस पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुये अजितजी लिखते हैं:
भारत के भविष्य के लिए राजनीति और शिक्षा में भी उनकी गहन रुचि रही। बैंगलूर का इंडियन इन्स्टीट्यूट आफ साइंस उनके महान सपनों में एक रहा जिसकी स्थापना के लिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन से खटपट चलती रही पर आखिरकार उसे मंजूरी देनी ही पड़ी। जहां से कई प्रतिभाशाली वैज्ञानिक निकले। मुंबई का विश्वप्रसिद्ध ताजमहल होटल, जमशेदपुर का स्टील कारखाना उनके समय में ही बन चुके थे हालांकि इनकी शुरुआत और जबर्दस्त कामयाबी देखने के लिए उनकी उम्र के खाते में और वक्त नहीं बचा था। आरएएम लाला की लिखी यह किताब टाटा घराने के पुरोधा के जीवन का महत्वपूर्ण लेखा-जोखा है। महान लोग अपने समय से कितना आगे की सोचते हैं, इस दस्तावेज के जरिए उनकी मृत्यु की एक सदी बाद यह जानना बहुत दिलचस्प और आश्चर्यजनक लगता है। मौका मिले तो जरूर पढ़ें।


पुरानी यादें सहेजते हुये कल अशोक पाण्डेय टामी बाबू के किस्से सुनाने लगे:
गोश्तखोरी में विश्वरेकॉर्ड कायम कर चुके टॉमी बाबू अच्छे कुक थे. तीनेक दोस्त इकठ्ठा हुए और बन गया मीट-भात का प्रोग्राम. यह तय होता था कि मीट टॉमी बाबू ही पकाएंगे. यह दीगर है कि यारों को टॉमी बाबू की यह हरकत कतई पसन्द नहीं थी कि पकते पकते दो किलो मीट सवा किलो रह जाता था. कलेजी के टुकड़े तो टॉमी बाबू कच्चे खा जाया करते थे. हांडी चढ़ते ही मिनट-मिनट पर एक टुकड़ा निकाल कर चखने और "ऐल नि पक" (कुमाऊंनी में "अभी नहीं पका") एनाउन्स करने का सिलसिला बंध जाता. टॉमी बाबू चूंकि बढ़िया कुक थे सो दोस्त बरदाश्त कर लेते.

लेकिन टामी बाबू की ख्याति उनके खाने की वजह से नहीं बल्कि मुक्के की वजह से थी:
टॉमी बाबू हैन्डसम आदमी थे. लम्बा कद. एथलीट सरीखी देह. और बदन में ताकत इतनी कि किसी के गालों पर घूंसा मारें तो समझ लीजिए दो-चार दांत गए और छः-सात लगे टांके. दरअसल खाली समय में टॉमी बाबू एक अन्य मित्र की राशन की दुकान पर दीवार से सटा कर रखी डली वाले नमक की बोरियों पर बॉक्सिंग प्रैक्टिस करते थे.


कविवर योगेन्द्र मोद्गिल की पीड़ा है:
नवशिक्षा का दौर नर्सरी मस्ट हुई श्रीमान
इंगलिश प्रेयर को सुन कर खुश होते हैं भगवान
हैट, बैट, इस्कर्ट, टाई से भी बढ़ती है शान
दिनों-दोगुना पुख्ता होता अंग्रेजी का ग्यान
अमरीका को जानते बच्चे भूले हिन्दुस्तान
मंदिर, पूजा-पाठ छोड़ कर है टीवी का ध्यान
और विदेशी चैनल लेकर आये ऐसा ग्यान
वन्देमातरम् भूल गयी रे इस युग की सन्तान


श्यामल सुमन की पीड़ा है:
अब तो बगिया में बाज़ार लगने लगा।
वह सुमन जो था कोमल वो चुभने लगा।।

आये ऋतुराज कैसे इजाज़त बिना।
राज दरबार पतझड़ का सजने लगा।।


अनिल कान्त तो वैसे भी रूमानियत भरी बातें करते रहते हैं। कल अनिल पुसदकर ने भी इसमें हाथ आजमाये और बल भर आजमाये। लोगों को खूब भाये भी। वे लिखते हैं:
भट्ठी से तप रहा शहर दोपहर को अचानक मीठी सी ठंडी लहर से झूमने लगा था।ऐसा लगा कि भगवान ने आसमान मे अपना एसी चालू कर दिया है।तभी दोपहर की चमकदार धूप पता नही क्यों शर्मा कर देहात की नई-नवेली दुल्हन की तरह अपने आप मे सिकुड़ने लगी और जनरल बोगी मे चिरौरी कर सीट के कोने मे बैठे बादल ने पसरना शुरू किया।


अजित वडनेरकर इस पर कहते भये:
क्या कहने!!! सुपर्ब...बहुत अच्छी पोस्ट।
सारी शब्द शक्तियों का आपने इस्तेमाल कर डाला! अभिधा, लक्षणा, व्यंजना...क्या बात है अनिल भाई...
इस बारिश ने तो कलम में रस घोल दिया...गद्य हो तो ऐसा।
पकौड़े बहुत अच्छे लगते हैं, ईश्वर करे ये सुख आपको मिलता रहे...जितने दिन ईश्वर दे सके। आई को प्रणाम।
जैजै

लेकिन नयी गाड़ी की बधाई केवल सैयद की तरफ़ से आई। तो हम भी दे देते हैं बधाई! अब खिलाओ मिठाई!

सुरेश चिपलूनकर का दर्द है- काश मैं एस.एसटी. होता। इस माइक्रो पोस्ट में कई मैक्रो टिप्पणियां हैं। पढ़ डालिये।

आदमी चाहे तो क्या नहीं कर सकता। एक व्यक्ति ने अकेले कुंआ खोद डाला पानी के लिये। कुंआ २५ फ़ीट गहरा।

गर्मी में हालत ऐसे हो गये कि प्रशान्त सस्ती शायरी पर उतर आये:
एक इन्कलाब आयी, पूरी दुनिया सुधर गई..
हजार और आये, हम न सुधरे हैं औ ना सुधरेंगे..


हिमांशु प्रेमपत्र की केमिस्ट्री समझाते हुये कहते हैं:
जीवन के रोयें रोयें को
मिलन के राग से कम्पित होने दो,
विरह के अतिशय ज्वार को
ठहरा दो कहीं अपने होठों पर


प्रिया ने ये कविता पोस्ट की है इस अनुरोध के साथ कि इसे पूरा पढ़कर ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।

रवीश कुमार नाजिया हसन से बतिया रहे हैं खतो-किताबत कर रहे हैं। देखिये तो सही।

उन्मुक्तजी की आज की पोस्ट का सार उनके ही शब्दों में:
हिन्दू मज़हब की शुरूआत एकदम अलग है। यह इन सबसे पुराना भी है। हिन्दुओं की सभ्यता में सृष्टि और प्राणि जगत के जन्म की कई धारणायें हैं। इसकी एक धारणा इसके अनन्त होने का वर्णन करती है। इसी की चर्चा इस कड़ी में हैं।
इस पोस्ट को पढ भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं उन्मुक्तजी की आवाज में।

देवनागरी पर गायब होने के खतरे मंडरा रहे हैं। कुछ कारण बताये चंदन शर्मा ने। इस लेख पर अनुनाद जी की टिप्पणी है:
आपकी बात कुछ ही सीमा तक सही है। कुछ हद तक इसमें बासीपन है।

पहली बात तो यह कि यूनिकोड के पदार्पण ने हिन्दी एवं विश्व की तमाम भाषाओं को अंग्रेजी के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। आज हिन्दी में कम्प्यूटर पर लिखना उतना ही सरल है जितना अंग्रेजी में।

फाण्ट आदि का चक्कर धीरे-धीरे समाप्त हो जायेगा (एक-दो वर्ष में)।

इन्टरनेट पर अंग्रेजी का विस्तार हुआ है किन्तु यह जानना और याद रखना जरूरी है कि अंग्रेजी का इन्टरनेट पर हिस्सा निरन्तर कम हुआ है जो गिरकर आज ३५% रह गया है। स्थिति यह है कि चीनी आदि भाषाओं से नेट पर पिछड़ने का डर अंग्रेजी को सताने लगा है। शायद आपको पता होगा कि चीनी, जापानी आदि को कम्प्यूटर पर लिखना देवनागरी की तुलना में बहुत कठिन है।

मेरा खयाल यह है कि हिन्दी या देवनागरी इस कारण बिलकुल नहीं पिछड़ेंगी कि इनका कम्प्यूटर पर लिखना कठिन है बल्कि इस कारण पिछड़ने का डर है कि हिन्दीभाषियों में अपनी भाषा और लिपि में काम करने का वह आग्रह नहीं है जो दूसरे भाषा-भाषियों में सहजता से पाया जाता है। हमारे यहाँ पाँचवीं-पास आदमी भी अपना आरक्षण का पर्चा हिन्दी के बजाय अंग्रेजी में भरना पसन्द करता है क्योंकि उसे विश्वास नहीं है कि इस काम के लिये हिन्दी भी उतनी ही कारगर होगी जितनी अंग्रेजी। कभी-कभी वह यह सोचता है कि कोई मुझे कम पढ़ा-लिखा न समझ ले।


दूरदर्शन के दिन याद करते हुये वन्दना अवस्थी लिखती हैं अब क्या लिखती हैं यह उनसे ही सुनें काहे से कि उनका ब्लाग कापी प्रोटेक्टेड है।

गाडिया लोहारन के प्रेम गीत का आनंद लेने के लिये भी आपको इधर जाना पड़ेगा।

मोहल्ले का बायकाट करो। यह कहना है खुद मोहल्ले वालों।

और अंत में

आज कविताजी के चर्चा करने का दिन था। लेकिन कुछ जरूरी व्यस्तताओं के चलते वे कुछ दिन नियमित चर्चा नहीं कर पायेंगी। अनियमित चर्चा देखिये कितनी हो पाती है। इसलिये आपको कुछ दिन उनकी सारगर्भित चर्चा से वंचित रहना पड़ेगा।

इस ब्लाग का हालिया कलेवर रविरतलामीजी के किये-धरे से बदला है। अगर आपको भी अच्छा लग रहा हो तो उनको कहिये जो कहना हो-हमको दोष मत दीजियेगा।

फ़िलहाल तो आप चर्चा बांच ही चुके। समय हो तो और ब्लाग पोस्ट का आनंद लीजिये।

सप्ताह की शुरुआत है इसलिये सप्ताह चौकस, झकास बीते इसके लिये मंगलकामनायें।

Post Comment

Post Comment

20 टिप्‍पणियां:

  1. फ़ुरसत से की गई चर्चा को फ़ुरसत से पढने मे मज़ा भी भरपुर आया।मस्त-मस्त चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी और सुंदर चर्चा, बहुत कुछ समेटे हुए।

    जवाब देंहटाएं
  3. गोलु पाडे और राम प्यारी के विवाह का सुत्रधार कौन है

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे वाह शुकल जी..ब्लॉग जगत का ऐतिहासिक विवाह संपन्न होने जा रहा है....भाई जलसे का इंतजाम किया जाए..और हाँ का चर्चियाये हैं आप..आनंद आ गया...

    जवाब देंहटाएं
  5. बेनामीजून 15, 2009 10:24 am

    हिंदी ब्लॉगर जो कराये सो थोडा , सब मुद्दे गए भाड मे अब कुते और बिल्ली की शादी के लड्डू बांटे जा रहे हैं चर्चा मे . धन्य हैं ये चर्चा
    कलेवर की तारीफ़ करने का मन हैं पर लेख से ऊँची दूकान और फीका पकवान का एहसास होता हैं .

    जवाब देंहटाएं
  6. गोलू पांडे और राम प्यारी का रिश्ता तय होता पढ़ कर ऐसा लगा, मानो इस्राइल और फिलिस्तीन में शादी तय हो गयी हो.

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा सुन्दर है, और लगभग प्रत्येक क्षेत्र को कमोबेश टच करती है, सिवाय कार्टून्स के । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  8. "सुरेश चिपलूनकर का दर्द है कि काश मैं एससी/एसटी होता…" बिलकुल गलत बात। पूरी पोस्ट पढ़िये फ़िर चर्चा कीजिये… मुझे कोई दर्द नहीं है… मेरे समय में आरक्षण जैसा कुछ नहीं था, फ़िर भी मैंने बिजनेस ही चुना… और मैंने किसके दर्द की बात की है, यह भी देखियेगा।

    जवाब देंहटाएं
  9. चर्चा बहुत जबरदस्त थी.... मज़ा आ गया ....और चाहूँगा की "सुरेश चिपलूनकर" जी उनकी पोस्ट पर आई हुई टिप्पणियों का जवाब दें

    जवाब देंहटाएं
  10. ye huye hafte ki chakachak shuruaat. mast charcha hai, raampyaari abhi kam umr hai, school me padhti hai, aap aisi baaton se uska dimag mat kharab kijiye...vida ho ke chali gayi to hamien hint kaun dega paheli ki.

    जवाब देंहटाएं
  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  12. यह ख़बर अच्छी तो है,
    पर इससे भी अच्छी ख़बर तो आप दबा ही गये ।
    आप स्वयँ बतायेंगे कि मैं ही बता दूँ, कि
    कुत्तों-बिल्ली में सुलह वास्ते " कन्यादान " का भार आपने अपने कनपुरिये कँधों पर लिया है ।
    जो भी हो, पुण्य का कार्य है , लगे रहिये !



    बुरा मानों या भला, यह तो मेरी टिप्पणी है !

    जवाब देंहटाएं
  13. ताऊ ने रामप्यारी वाली खबर भेजी नहीं.. :)

    जवाब देंहटाएं
  14. गोलू पांडे और राम प्यारी का रिश्ता तय हो गया है
    naheeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee

    सुन्दर चर्चा रही
    नए टेम्पलेट ने दिल खुश कर दिया पुराने से कुछ शिकायत थी जो अब करने का मौका निकल गया :(
    वीनस केसरी

    जवाब देंहटाएं
  15. बेनामीजून 16, 2009 10:02 am

    कलेवर में परिवर्तन मन को भा रहा

    जवाब देंहटाएं
  16. 'गोलू पांडे और राम प्यारी का रिश्ता तय हो गया है-'अभी यह शीर्षक देखा..बेहद घटिया ख्याल है.


    आज की चिट्ठा चर्चा सुलझी हुई लगी.

    जवाब देंहटाएं
  17. नया कलेवर तो वाकई खूब फ़ब रहा है, देव!

    जवाब देंहटाएं
  18. विवाह से पहले कुंडली मिलाय लयी।

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative