शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010

नीतीश स्‍पीक्‍स- लफत्‍तू रीड्स

लफत्‍तू हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत के लिए नए नहीं हैं नीतीश जरूर हैं इसलिए लपूझन्‍ना के लफत्‍तू के सामने नीतीश जो बेचारे पहली पहली हिन्दी ब्लॉग पोस्ट लिख रहे हैं (दरअसल इतिहास की पहली मुख्‍यमंत्रीय हिन्‍दी पोस्‍ट) को इतने जमे हुए पात्र लफत्‍तू के सामने खड़ा कर देना, है तो नीतीश के साथ अन्‍याय ही पर सारा अन्‍याय जनता के ही खिलाफ क्‍यों हो थोड़ा बहुत नेता के साथ भी तो होना चाहिए :)। अपनी पोस्ट में नीतीश ने अपराध नियंत्रण पर अपने कामों को गिनाया है ठीक है एक सीएम टाईप बातचीत है (या कहें सीएम के पीआरओ टाईप) दूसरी ओर लपूझन्‍ना की अगली किस्त में 'नागड़ादंगल और दली को आग कैते ऐ'  इस कड़ी में वैदजी के भाषण पर अपने हीरो लफत्‍तू की कमेंटरी है अब इसे आप हमारी ब्‍लॉगरी खुराफात ही कहें कि हमें नीतीश के भाषण में वैदजी दिखे और लफत्‍तू में तो लफत्‍तू ही दिख सकता है। तो लीजिए नीतीश स्‍पीक्‍स और लफत्‍तू रीड्स हाजिर है ये केवल दो टेक्‍स्‍ट का एक साथ ब्‍लॉग पाठ है इसमें उतना ही पढें :)  -

नीतीश स्‍पीक्‍स

लफत्‍तू रीड्स

          ये कतई आसान न था । मुझे इस प्रयास में उस मिथक को तोड़ना था कि बिहार में अपराध नियंत्रण किसी के वश में नहीं है । मैं इसके लिये कृतसंकल्‍प था किन्‍तु मुझे इस बात का ख्‍याल रखना था‍ कि हमें इस उद्देश्‍य की प्रा‍प्ति कानून के दायरे में ही करनी थी । विगत में देश के विभिन्‍न भागों से आयी खबरों के कारण मुझे इस बात का इल्‍म था कि कानून-व्‍यवस्‍था के नियंत्रण के नाम पर अक्‍सर मानवाधिकारों का उल्‍लंघन होता है । इसी लिये मुझे यह सुनिश्चित करना था कि हमारी लक्ष्‍य प्राप्‍ति की दिशा में इस प्रकार की चूक न हो ऐते बोल्लिया जैते आप छमल्लें हम कोई दंगलात से आए हैं. थब को पता ए

          सन 2006 में मैंने लंबित मामलों के त्‍वरित निष्‍पादन हेतु एक मींटिग आहूत की ....मेरी जानकारी में भारत में ये अपने प्रकार की पहली पहल थी । ....हमने एक 'एक्‍शन प्‍लान' के तहत हजारों लंबित मामलों की सुनवाई हेतु 'स्‍पीडी ट्रायल' की व्‍यवस्‍‍था की, ...... हमारी सरकार अपराध नियंत्रण की दिशा में किसी तरह की कोताही बर्दाश्‍त नहीं करेगी । .....हमारे शासन काल में एक भी संप्रदायिक दंगे या जातीय संघर्ष की घटना नही हुई है । ..... हमारी सरकार ने थानों के रख-रखाब के लिये एक विशेष वार्षिक कोष का गठन किया ।

बली बली योजनाएं बन रई ऐं बच्चो देश के बिकास के लिए ... हमाले पैले पलधानमन्त्री नेरू जी ने दिश के बिकास के लिए बली बली योजनाएं बनाईं ... बली बली मशीनें बिदेस से मंगवाईं ... रेलगाड़ियां और मोटरें मंगवाईं ... पानी के औल हवा के जआज मंगवाए ... तब जा के हमाला बिकास हो रा ए ...
           वर्षों बाद लोग देर रात तक अपने परिवार के सदस्‍यों के साथ सड़क पर पु:न दिखने लगे । एक वक्‍त था जब समाज में भय इस कदर व्‍याप्‍त था कि पटना के रेस्‍त्ररां में बमुश्किल एक या दो ग्राहक रात्रि में देखे जाते थे । अब आलम यह है कि लोंगों को होटलों में प्रवेश के लिये कतार में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है । यहॉं तक कि लोग परिवार सहित नाईट शो में भी सिनेमा हॉल में फिर से दिखने लगे हैं । मुझे यह कहने में लेशमात्र झिझक नहीं है कि यह परिवर्त्तन मूलत: अपराध पर नियंत्रण होने के कारण संभव हो पाया । इसका प्रभाव अन्‍य क्षेत्रों पर भी हुआ बली बली योदनाएं बन लई ऐं ... बले आए नेलू जी ... बले बले दाम बन लए ऐं ... तूतिया थाले नेलू जी ... जाज खलीद लए ऐं ... कूला खलीद लए ऐं ... मेले कद्दू में गए छाले बैदजी और नेलू जी ... तल तैलने तलते ऐं याल
       बिहार में यह अब संभव नही है कि कोई व्‍यक्ति जुर्म करके सजा से बचा रह सके ।---उन्‍हें अब इस बात का पता है कि कोई है जो उन पर नजर बनाये हुये है दली को आग कैते ऐं औल बेते बुदी को लाक ... और उछ आग से निकले बारूद को विछ्छनात कैते हैं
        अपनी काले शीशे चढ़े वाहनों की खिड़कियों से बंदूके दिखाने का शौक था या फिर उन्‍हें जिन्‍हें शादी-विवाह के अवसर पर शामियाने में अपनी गैर-लाईसेंसी हथियार से गोली दागकर शक्ति प्रदर्शन की अभिरूचि थी बन गया बेते थब का नागलादन्गल. तूतिया ऐं थब छाले.
आप छमल्लें काला तत्मा पैनने वाला आदमी कबी सई नईं हो सकता.

 

अन्‍य पोस्‍टों में रवीश की महानगर के कार्नर उद्यमों पर पोस्‍ट बेहद अहम है-

ऐसी दुकानें हर शहर की खासियत होती हैं। एक ऐसी जगह होती हैं जहां आपकी पहचान सबसे ज्यादा सुरक्षित होती है। कोई नहीं देख सकता और वहां कोई नहीं आ सकता। ये वो जगह होती हैं जहां आप वर्जनाओं को तोड़ने जाते हैं। सिगरेट पी लेते हैं। पान खा लेते हैं और कहीं कोने में निवृत्त भी हो लेते हैं।

जब अहम को खोजने की प्रक्रिया शुरू हो ही चुकी है तो गिरिजेशराव की पोस्‍ट पढ़े और अपने हिस्‍से के कुरूक्षेत्र को पहचानें-

पिछ्ले सप्ताह से निकलना प्रारम्भ किया तो देखा कि कुरुक्षेत्र फिर से तैयार है। गाजर घास के सफेद फूल अपने चरम पर हैं। यही समय है कि उन्हें नष्ट किया जाय। श्रीमती जी कहती रहती हैं - एक अकेला क्या कर लेगा? कोई पुरुष मेरी बैचैनी देखता तो कहता - अकेले क्या उखाड़ लोगे ?

 

इसी क्रम में दो खोजपूर्ण पोस्‍ट विनीत तथा सुरेश चिपलूनकर की हैं विनीत ने मीडिया हाउस में यौन शोषण तथा सुरेशजी ने बैरकपुर की खिलाड़ी छात्राओं के साथ दुर्व्‍यवहार को सामने लाने का काम किया है।

नाउ मसिजीवी लीव्‍स।।

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14 टिप्‍पणियां:

  1. मोदी हिन्दी सहित कई भाषाओं में अनुवादित ब्लॉग लिख रहे है. अतः नीतिश पहले नहीं. शायद शिवराज का भी ब्लॉग है. पक्का नहीं.

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  2. नीतीश कुमार के ब्लॉग की चर्चा होनी जरूरी थी, पर देर से हुई... सब सभी ने जान लिया... एक राज्य का मुख्य मंत्री जब इस तरह से जनता से जुड़े तो अभी यह प्रशंशनीय कदम माना जायेगा... मुझे सबसे पहले इसकी जानकारी टूटी की आवाज़ वाले संतोष कुमार सिंह ने दी थी जो नीतीश जी पर अक्सर तीर साधते रहते हैं.... फिर रविवार को रविश जी की ब्लॉग वार्ता में पढ़ी.
    अच्छी बात यह रही की नीतीश जी अमर सिंह की तरह नहीं आये....

    लपूझन्ना का वापस आना गर्मी में ठंढक दे रहा है इसकी अगली कड़ी की प्रतीक्षा लगी रहती है... बरबस होंठों पर मुस्कराहट आ जाती है... और आप भी ऐसे ही बोलने लगते हैं या इसकी कोशिश करते हैं... शुक्रिया

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  3. @ सागर नहीं जी हमने तो लफत्‍तू के संवाद लपूझन्‍ना से उठाकर जस के तस यहॉं रख दिए हैं... हम इतने प्रातिभ कहॉं कि वैसा रच सकें :)

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  4. ऊपर 'तूती की आवाज़' पढ़ा जाये जिसका लिंक यह है

    http://tutikiawaz.blogspot.com/2010/04/blog-post_17.html

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  5. बहुत बढ़िया लफत्तूमयी चर्चा रही।
    घुघूती बासूती

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  6. हमें तो ये चर्चा बायस्ड लगती है.. हमारे ब्लॉग का जिक्र ही नहीं..

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  7. नीतिश दू दिन से चर्चा में हैं,
    बकिया ब्लॉगर अफ़लातून न सही, पर डटे हुये हैं मैदान में ।
    ऊ भी इन्टरनेटी मसि कागद पर कीबोर्ड घिस रहे हैं, के नहीं ?
    बकिया लिखना कम, समझना ज़्यादा.... हो, मास्टर साहेब !

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  8. ऍप्रूवल ? यहाँ भी.. ?
    भाई, बताय दिहा जाय कि अब यह जन जन का मँच नहीं,
    बस ऍप्रूव्ड वालों का मँच है, काहे अपना टाइम वेस्ट करें, बिजली की वईसही किल्लत है !

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  9. @ कुश, हमें भी लगता है कि आप सही कह रहे हैं... दो महीने बाद कल हमने इतनी लंबी पोस्‍ट लिखी थी कोई जिक्र तक नहीं... बायस्‍ड वेरी बायस्‍ड

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  10. ha jee nitish jee,keep it up aur yuvao ko bhagidar banayiye development me....we are with u

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  11. bahute viased hai charcha.. dekhiye tanik, hum likhvehu na kare tabahun dr Amar kumar hamre blog ka naam le liye rahe bhai...

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  12. मजेदार है! नितीशजी पर लफ़त्तूजी जबर पड़े! आखिर सीनियरिटी भी तो कोई चीज होती है!

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  13. SIR CONGRATULATION ON YOUR BIG VICTORY

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