सोमवार, फ़रवरी 19, 2007

हिन्दी चिट्ठाकारी की रनिंग कमेंटरी...

आज सुबह सुबह एनसीटीबी पर हिन्दी चिट्ठाकारिता के लिए एंकर जी लाइन पर आए और कुछ यूं चालू हो गए-

मसिजीवी के अनुसार लोग दो तरह के होते हैं - एक तो वे जो मनुष्य होते हैं और दूसरे वे जो मनुष्य नहीं होते. उन्मुक्त चिट्ठाकारों को तोहफ़ा दे रहे हैं - उन्होंने पाँच लोगों को और तोहफ़े बांटने के लिये फ़ांस लिया है. उधर हिन्दी-ब्लॉगर चीनी सूअर वर्ष के बारे में बता रहे हैं. महाशक्ति ने लिखा पाँच दिन पहले है, छापा आज है और फिर भी शीर्षक आपके लिए छोड़ दिया है. घुघूती बासूती आज सूर्यमुखी बन गई हैं, और कुछ विचार में 1992 के विचार याद आ गए हैं. निठल्ला चिंतन व्यावसायिक चिट्ठाकारिता पर टिप्पणीनुमा पोस्ट पर चिंतन-मनन में मगन दिखाई दे रहे हैं. हिन्द-युग्म में आलोक शंकर की ईनामी कविताएँ हैं. सिलेमा में प्यास ही प्यास देखी गई. मानसी के यहाँ शाम के नजारे बड़े भले हैं. राग अताउल्लाह खान के साथ राग भैरवी गा रहे हैं. मोहल्ले में पुराने फ़िल्मी गानों को याद किया जा रहा है और इधर मेरा पन्ना में भारत सरकार के राष्ट्रीय पोर्टल पर भरपूर दृष्टि डाली जा रही है....

अचानक लिंक फेल हो गया और स्क्रीन पर नीचे दिया चित्र फ्रीज हो गया -

अब ये बात दीगर है कि तमाम लोग जांच में लगे हुए हैं कि घटिया प्रस्तुतीकरण के कारण लिंक जानबूझकर फेल किया गया या वास्तव में तकनीकी गड़बड़ी थी...

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2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! रवि जी आपने तो एक ही पैराग्राफ में पूरी चर्चा निपटा दी। कहना ही पड़ेगा कि बड़ा ही तेज़ है आपका चैनल।

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  2. रवि जी हमारा तो कहना है बहुत अच्छे ! काश आप भी यह कह देते!
    घुघूती बासूती
    ghughutibasuti.blogspot.com
    miredmiragemusings.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

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