मंगलवार, फ़रवरी 27, 2007

होली पर चर्चा करी आज उड़ा कर रंग

होली का उड़ने लगा है गलियों में रंग
रतलामी जी घोलते ठंडाई में भंग
नंदगांव जीतू गये, बरसाने श्री शुक्ल
चिट्ठा चर्चा कीजिये आप हमारे संग

लोकमंच पर देखिये, जाकर नौ दस पोस्ट
ये न समझिये पी रखी हमने भी है पोस्त
कुछ जो मेरी कलम से गया लिखा है आज
आधे जीवल की कथा है वह, मेरे दोस्त

एक क्लिक तरकश हुआ, नारद भी बस एक
चले आज दिव्याभ हैं रथ को ले सविवेक
ई पंडित बतला रहे आडम्बर का धर्म
ऐसे गुरुओं को उठा अब दरिया में फ़ेंक


यक्ष प्रश्न को हल करें हिन्दी वाली बात
क्यों ? मंथन करती रही बचपन की सौगात
प्रभासाक्षी संकलन में करते गिरिराज
दुनिया मेरी नजर में, है सरगम दिन रात

मेरे पन्ने पर पढ़ें ज़ेड गुडी के भेद
कैसे रेटिंग की हुई उनके साथ परेड
लिखते चिट्ठा मैथिली आज यहां अविनाश
महाशक्ति बोले कि अब मेरे उत्तर देख

चिट्ठाकारी पर करें पुन: नीलिमा शोध
और कहें उन्मुक्त जी, वर्षगांठ है सोच
एक नजरिया और का भी है पूरा वर्ष
वर्षगांठ शुभ आपको,बोले दिल के बोल

देखें या सीतामढ़ी या कि सिनेमा आप
जोगलिखी संजय मगर, देंगे नये जवाब
धारावाहिक अमित का देश योद्धा वीर
स्ट्रिन्ग्स को जानें यहाँ आकर आप जनाब

जन्म दिवस भुवनेश का, नमन करें कविराज
कथा सत्यनारायणी नहीं हो सकी आज
पर होकर रामायणी अभिलाषित हम लोग
शुभ दिन हो, शुभ वर्ष हो, पूरे हों सब काज

कविवर श्री ज्ञानेन्द्र का करे पहल सम्मान
गंगातट के वे कवि,किया शब्द संधान
पढ़ें आप्संशयात्मा, औ, पढिये भिनसार
शीश स्वयं झुक जायेगा करते हुए प्रणाम

कल परसों कुछ रह गये चिट्ठे चर्चाहीन
उड़न तश्तरी एक था, गिनता था दो-तीन
बाकी खुद ही ढूँढ़िये नारद के संग आप
इतने ज्यादा हो नहीं पाये वे प्राचीन

और यहां पर बर्फ़ अभी भी गिरी कल तलक शाम को
यही चित्र में लगा रहा हूँ. अब इस पूर्ण विराम को

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6 टिप्‍पणियां:

  1. कवि द्वारा कवि का सम्मान :"कविवर श्री ज्ञानेन्द्र का करे पहल सम्मान
    गंगातट के वे कवि,किया शब्द संधान
    पढ़ें आप्संशयात्मा, औ, पढिये भिनसार
    शीश स्वयं झुक जायेगा करते हुए प्रणाम"

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  2. शब्दों के ऊँचे तालमेल से हुआ प्रयास सुंदर है
    एक-एक को लपेट उसमें किया चासनी है तैयार!!!

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  3. बहुत उमदा काव्यात्मक चर्चा. नमन और भी ज्यादा इसलिये कि आपने पुराने पृष्ठों से हमें उबारा. :)

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  4. वाह जी खूब रही चर्चा। पहले मैं आपकी कवितामयी चर्चा देखकर बिना पढ़े चला जाता था कि मुझे समझ नहीं आएगी लेकिन अब पढ़नी शुरु की तो मजा आने लगा।

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