“अचानक पाबंदियों के टूटने से भी दम घुटने लगता है,अनंत आजादी कई बार अराजक स्थिति पैदा करते हैं। इसलिए चिट्ठाकारी पर जब भी हम बात करते हैं तो स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के बीच के फर्क को समझना होगा। चिट्ठाकारी में जो कुछ भी कर रहे हैं उसके साथ हर हाल में जिम्मेदारी का एहसास भी होना चाहिए। आदमी जब बोलता है तो कुछ भी बक देता है लेकिन लिखते वक्त हम ऐसा नहीं कर सकते। बोलने से जीभ नहीं कटती लेकिन लिखने से हाथ कट जाता है। हमें ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि आजाद अभिव्यक्ति के नाम पर जो कुछ भी चिट्ठाकारी की दुनिया में लिखा जा रहा है,इसके बीच एक स्टेट मशीनरी भी है। आनेवाले समय में ये राज्य लिखने के मामले में दखल करे इससे पहले ही चिठ्ठाकारों को चाहिए की वो अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए स्वयं अनुशासित हों। इलाहाबाद में चिठ्ठाकारी की दुनिया विषय पर आयोजित दो दिनों की राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए नामवर सिंह ने ब्लॉगिंग को आजादी की अनंत दुनिया मानकर सिलेब्रेट करनेवाले ब्लॉगर समाज को इस पक्ष से भी सोचना जरुरी बताया। नामवर ने इस मौके पर इस शहर को ऐतिहासिक करार दिया कि कभी इसी शहर से हिन्दी के आंदोलन की शुरुआत हुई थी और आज फिर इसी शहर ने हिन्दी के नए रुप चिठ्ठाकारिता पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी आयोजित की है। नामवर सिंह की ही बात को आगे बढ़ाते हुए महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि-हमें पता है कि जब स्टेट इस तरह के किसी भी मामले में दखल करती है तो उसका रवैया किस तरह का होता है? ऐसे मसले में ब्यूरोक्रेसी नियंत्रण के नाम पर किस तरह का व्यवहार करती है,ये सब हमें समझना होगा। …”
आगे पूरी रपट पढ़ें विनीत कुमार के ब्लॉग गाहे बगाहे पर.
HAM PAHLE HI PADH CHUKE HAI:)
जवाब देंहटाएंAUR KASMENT BHEE KAR AAYE HAI EK SANDESHA HAI AAP BHEE PADH LEEJIYE :)
VENUS KESARI
आज दिन भर से इस ओर ही निगाहें लगी रहीं । सक्रिय ब्लॉगर साथी चित्र और विवरण विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रस्तुत करते रहे । बोधि भाई अजित जी गिरिजेश राव से फोन पर बातें भी हुई । इसका अर्थ यही है कि भौतिक रूप से न सही लोगो की उपस्थिति तो दर्ज होती रही। यदि अधिक लोगो को आमंत्रण मिलता तो कार्यक्रम मे भी उपस्थिति अच्छी होती । 33 लोगो की सूची किस आधार पर बनाई गई यह सनझ मे नही है आया । खैर यह अच्छी बात कि शुरुआत तो हुई ।
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जवाब देंहटाएंक्या यह सब एक नये ध्रुवतारे का उदय तो नहीं है ?
जो भी है, भविष्य में इन क्रियाकलापों से ब्लागिंग को लाभ मिलना तो निश्चित ही है !
छठ पर्व की वज़ह से मेरा आगमन बाधित होने की सँभावनायें बन बिगड़ रही हैं ।
बिहारी की नायिका की तरह मेरा मन वहीं डोल रहा है ।
इन्तजार तो लगा था इसी का... अब विनीत के यहाँ जाते हैं...
जवाब देंहटाएंएक ब्लॉगर के रूप में मैं नामवर सिंह जी से पूर्ण सहमति नहीं रखता। पर यह जरूर है कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता अपने साथ जिम्मेदारी भी ले कर आती है। जो उसे नहीं लेते वे अपने रिस्क पर नहीं लेते।
जवाब देंहटाएंविनीतजी से बराबर रिपोर्टिंग मिल रही है काफ़ी सुखद लग रहा है।
जवाब देंहटाएंहाँ, एक तरह की जिम्मेदारी से हम नहीं भाग सकते..पर ब्लोगिंग में पहले से ही एक तरह की सेंसरशिप टिप्पणियों के रूप में काम करती है. हर लिखने वाले को पता है कि पाठक उनसे सवाल-जवाब कर सकता है और स्वीकार्यता के लिए उनका जवाब देना ही है...
जवाब देंहटाएंनामवर सिंह जी जैसे लोग ही हमेशा से व्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर रहे हैं, जब भी कोई लेखक अनर्गल प्रलाप करता है तब इन्हीं की लोबी कहती है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। फिर आज ब्लाग लेखन में अनुशासन की बात क्यों उठने लगी है? कारण शायद यह रहा होगा कि अब लोग इन लोगों के खिलाफ भी लिखने लगे हैं।
जवाब देंहटाएंThis blog conference is designed to mould Hindi Blogging on the lines of Hindi literature and to bring it under the purview of now redundant CRITIC. It is a desperate attempt to 'institutionalise' the free flow so that a handful of people can dictate terms and become self styled watchdogs . The solace lies in the fact that this 'day dream ' is not going to turn into reality . Simply pathetic, ridiculous choice of subjects for discussion and an out dated venue to hold the conference . Today many non -Hindi speaking bloggers are writing in Hindi so this conference could have been held at Ahmadabaad or Hyderabaad or even Najeebabaad ,but no...Allahabaad 'cos some vested interests want to make blogging as helpless and feudalistic as Hindi literature.I out rightly condemn this attempt.
जवाब देंहटाएंहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नही होना चाहिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रवि जी,
जवाब देंहटाएंआपके वहां होने से हमें यह आशा बंधी थी कि सम्मलेन का एक वेबकास्ट जैसा कुछ तो मिलेगा. क्या ऐसा होने वाला है?
रवि जी आपकी इस पोस्ट में उल्लिखित, विनीत जी के ब्लॉग पर सेमिनार की चर्चा पढी.यहाँ मेरे नाम के सम्मुख किसी और की प्रस्तुति की चर्चा है.
जवाब देंहटाएंविनीत द्वारा उल्लेखित विषय "अभिव्यक्ति के नए माध्यम" तो मेरा टॉपिक ही नही था . मेरा टॉपिक था "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निहित खतरे" जिसमें मैने कानूनी प्रावधानों की चर्चा की.
इस तथ्यहीन रिपोर्टिंग पर आश्चर्य ही व्यक्त कर सकती हूँ.