ये वाली फोटो जो आप देख रहे हैं वो इलाहाबाद की राष्ट्रीय संगोष्ठी की नहीं बल्कि संजीव तिवारी के घर की है। इलाहाबाद में साथी ब्लागरों को खाना पकाने की सुविधा नहीं प्रदान की गयी थी। शायद इसीलिये संजीव तिवारी ने संगोष्ठी का प्रतीकात्मक विरोध करते हुये अंगीठी के पास सुलगते हुये ब्लागिंग की।
शायद बटलोई में चाय उबलने की बात आये। तो आप देख लीजिये कि अल्पना जी ने चाय के बारे में कितनी जानकारी एक साथ पेश की हैं। उनकी पोस्ट का शीर्षक है- गरम चाय की प्याली हो। एक लाईना लिखते तो इसके साथ पुछल्ला शायद लगाते- साथ में एक पीने वाली हो। यदि कोई महिला इसे पढ़े तो तदनुसार शीर्षक और एक लाईना हो सकता है। अरे हम क्या बतायें- आप खुद ही समझ जाइये। हां तो अल्पनाजी डा.प्रदीप का लेख पोस्ट करते हुये बताती हैं:
तो,अब समय आ गया है कि हम चाय के स्वास्थ्यवर्धक गुणों को जाने-समझें। चाय में कई गुणकारी रसायनों की पहचान की गई है। इन में से प्रमुख हैं तरह-तरह के 'पॉलीफेनॉल्स' यथा टैनिन्स, लिग्निन्स, फ्लैवेन्वाएड्स आदि। कैटैकिन्स, कैफीन, फेरूलिक एसिड, इपीगैलोकैटेकिन गैलेट आदि रसायन इन के उदाहरण हैं। इन पॉलीफेनाल्स में से कई 'एंटी ऑक्सीडेंट' का काम करते हैं। ये एंटी ऑक्सीडेंट्स हमारी कोशिकाओं को ऑक्सिडेशन के हानिकारक प्रभावों से बचाए रखने में सहायक होते हैं। इसे अच्छी तरह समझने के लिए आइए, पहले हम ऑक्सिडेशन की प्रक्रिया तथा इन से होने वाली हानि को तो समझ लें। |
दूरदर्शन के पचास साल होने के मौके पर विनीत कुमार दूरदर्शन की खूबियों –खामियों का जायजा लिया : दूसरे चैनलों के मुकाबले दूरदर्शन के पास सबसे पहले ओबी वैन आयी,संचार क्रांति के साधन आए लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर कोई स्टिंग ऑपरेशन नहीं। बहुत कम ही ऐसे मौके रहे जब वो मौजूदा सरकार के प्रति क्रिटिक हो पाया हो। खबरों की तटस्थता के नाम पर कई मसलों पर चुप्पी,दूरदर्शन के प्रति दर्शकों की विश्वसनीयता को कम करती गयी। नतीजा हमारे सामने है कि एक स्वायत्त इकाई के तहत संचालित होने पर भी इस दूरदर्शन को ‘सरकारी भोंपू’ के तौर पर देखा जाने लगा है। दूरदर्शन के साथ एक बड़ी सुविधा है कि इसके पास सबसे बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर रहा है,सबसे पुरानी अर्काइव और नेटवर्किंग,ऐसे में वो देश का सबसे आजाद माध्यम बन सकता था लेकिन जब-तब के प्रयासों के वाबजूद ऐसा नहीं हो पाया। |
समीरलाल ने इलाहाबाद संगोष्ठी के कुछ किस्से अपने सूत्रों से समाचार जुटाये हैं। संगोष्ठी में कुछ लोगों को समस्या जैसी हुई उसका समाधान बताते हुये उन्होंने कहीं जाने के पहले तैयारी के सामान की लिस्ट थमा दी:
तीन शर्ट, तीन फुल पेण्ट, एक हॉफ पैण्ट (नदी स्नान के लिए), एक तौलिया, एक गमझा (नदी पर ले जाने), एक जोड़ी जूता, एक जोड़ी चप्पल, तीन बनियान, तीन अण्डरवियर, दो पजामा, दो कुर्ता, मंजन, बुरुश, दाढ़ी बनाने का सामान, साबुन, तेल, दो कंघी ( एक गुम जाये तो), शाम के लिए कछुआ छाप अगरबत्ती, रात के लिए ओडोमॉस, क्रीम, इत्र, जूता पॉलिस, जूते का ब्रश, चार रुमाल, धूप का चश्मा, नजर का चश्मा, नहाने का मग्गा, बेड टी का इन्तजाम (एक छोटी सी केतली बिजली वाली, १० डिप डिप चाय, थोड़ी शाक्कर, पावडर मिल्क, दो कप, एक चम्मच), एक मोमबत्ती, माचिस, एक चेन, एक ताला, दो चादर, एक हवा वाला तकिया. इसके बाद समीरलाल जी ने कविता भी लिखी जिसमें वे हाशिये पर खड़े होकर मुस्कराने की बात कर रहे हैं:मैं इसलिये हाशिये पर हूँ क्यूँकि मैं बस मौन रहा और उनके कृत्यों पर मंद मंद मुस्कराता रहा!! |
इलाहाबाद समागम में इस बात पर काफ़ी हल्ला मचा कि उद्घाट्न के लिये नामवर जी क्यों बुलाये गये। अन्य कोई क्यों नहीं? नामवरजी के बारे में जानकारी देते हुये बोधिसत्व ने लिखा:
नामवर जी के बारे में जानकारी के लिये जिसमें उनकी खूबियों के साथ कुछ खामियों का भी जिक्र है यह लेख बांचिये। |
स्वर चित्र दीर्घा में सुनिये गीत- सखि वे मुझसे कहकर जाते।
ललित डाट काम की पचासवीं पोस्ट पर बधाई।
एक लाईना
१.रामप्यारी का सवाल 96 : शतक से बस चार सवाल दूर२. इलाहाबाद से ‘इ’ गायब – अंतिम भाग: ले १०० किमी प्रति घंटा की दर से ३. अब ये कहना की शादी को सेक्स से जोड़ कर ना देखा जाए अपने आप मे एक बड़ी बहस का मुद्दा है : और बहस के लिये अभी इलाहाबाद ब्लागर संगोष्ठी ही नहीं निपटी ४. पुल के उस पार से: इलाहाबाद दर्शन: करके फ़ूट लिये हाशिये पर५. कौन सा ब्लौग? कौन सा चिट्ठा? कौन से मठाधीष? : किसी एक सवाल का जबाब दो। सबके लिये समान टिप्पणियां निर्धारित हैं। ६. मेरा धर्म महान....तुम्हारा धर्म बकवास!!! : नास्तिक लोगों के लिये धर्म के पहले ’अ’ लगाने की छूट इसी माह के अंत तक। ७.लाक -आउट के चर्चे हैं बाज़ार में .: केवल बेनामी टिपिया रहे हैं यहां८. कुछ दीप कुछ ऎसे भी जगमागतए है : जिससे हर तरफ़ रोशनी ही रोशनी फ़ैल जाती है। ९. चूल्हा पर हम तो फ़िदा .....: लेकिन चूल्हा पलट फ़िदा नहीं हो रहा।१०. पुरानी डायरी से - 5 : धूप बहुत तेज है। : चलो कविता ही कर के डाल दी जाये ११. अच्छा हुआ मेरा कोई दोस्त ब्लागर नही है वर्ना…………………………: सुबह-सुबह जगाता कहने के लिये-भाऊ टिपिया दो जरा। एक पोस्ट चढ़ाये हैं। १२. वो पढ़ा तो इसे भी पढ़ लीजिए... पढने के बाद ....: सर पीटियेगा कि वो क्यों पढ़ा! १३. विश्व ब्लॉग सर्वे : ब्लॉगिंग से स्तब्ध हैं सत्ताधारी: कि ये लोग ब्लागर संगोष्ठी भी करने लगे १४. एक भाषा के भग्नावशेष : बीन बटोर कर ब्लाग पर डाल दिये। १५. चाय का समय : हो गया। अभी तक आई नहीं। थोड़ी देर और हुई तो इसको पोस्ट में डाल दूंगा। १६. मेरा वो सामान लौटा दो : सब सामान लपेटकर मुझे एक कविता लिखनी है। १७. नेता जी के लिए नया ऍप्लिकेशन फॉर्म : ब्लागर भरने की कोशिश न करें। १८. जलेबियां खत्म हो गई आते आते : सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम: ताऊ ने गधे पर बैठकर अध्यक्षता की। १९. वे मुझ से कह कर जाते.... : हम उनको आने-जाने का खर्चा दिलवाते २०. सिगरेट सुलगाने का मतलब ही सेहत से खिलवाड़ है ....: सही है सुलगने थोड़ी देर बाद ही सिगरेट की मौत हो जाती है। २१. आ अब तो सामने आकर मिल : अब तो इलाहाबाद की संगोष्ठी निपट गयी। |
मेरी पसंद लोग किनारे की रेत पे | आज की टिप्पणी "शादी की बेसिक बुनियाद पति पत्नी के दैहिक सम्बन्ध ही हैं" |
और अंत में:
आज की चर्चा जरा देर से हो पाई। मिसिरजी की तबियत कुछ गड़बड़ा गई। सो हम हाजिर हुये।
आज फ़िर चर्चा का टेम्पलेट नया है। इसको बनाने वाले हैं डा.अमर कुमार। इसको नकल करने वालों से अनुरोध है कि वे अपने गरियाने वाले साफ़्टवेयर में नाम संसोधन कर लें। कश अब इस बदलाव के पीछे नहीं हैं। वैसे कुछ दिन बिना कोसे/गरियाये पोस्ट करके देखें। शायद ज्यादा मजा आये। इस टेम्पलेट में कापी –पेस्ट की सुविधा नहीं है। डा.अमर कुमार को हमारा शुक्रिया। आप को कैसा लगा यह टेम्पलेट बताइयेगा।
मजा करिये।
नया टेम्पलेट अच्छा लगा। डाक्टर साहब को बधाई!
जवाब देंहटाएंचर्चा संक्षिप्त और अच्छी है।
डा० अमर को शुक्रिया एक नये और मन-मोहक टेम्पलेट के लिये और चर्चा का बेसिक थीम शायद तमाम आरोप-प्रत्यारोप के अब तो लगाम दे ही देगा...!!!
जवाब देंहटाएंबढिया है ।
जवाब देंहटाएंएक लाइना की संख्या बढाकर अच्छा किया ।
डॉ. साहब ने बढिया टेंम्प्लेट बनाई है । पर कापी-पेस्ट तो हो ही रहा है ।
"इस टेम्पलेट में कापी –पेस्ट की सुविधा नहीं है" ?
" और अंत में:
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा जरा देर से हो पाई। मिसिरजी की तबियत कुछ गड़बड़ा गई। सो हम हाजिर हुये।
आज फ़िर चर्चा का टेम्पलेट नया है। इसको बनाने वाले हैं डा.अमर कुमार। इसको नकल करने वालों से अनुरोध है कि वे अपने गरियाने वाले साफ़्टवेयर में नाम संसोधन कर लें। कश अब इस बदलाव के पीछे नहीं हैं। वैसे कुछ दिन बिना कोसे/गरियाये पोस्ट करके देखें। शायद ज्यादा मजा आये। इस टेम्पलेट में कापी –पेस्ट की सुविधा नहीं है। डा.अमर कुमार को हमारा शुक्रिया। आप को कैसा लगा यह टेम्पलेट बताइयेगा।
मजा करिये। "
डॉ. अमर कुमार जी, ज़रा तगड़ा ताला लगाइए !!
फिर से एक सटीक और टु-द-पॉइंट चिट्ठा-चर्चा..इलाहाबाद सम्मेलन के विविध पक्षों से अवगत कराने के लिये आभार..जान कर क्षोभ और पीड़ा हुई कि नामवर साहब का नाम भी ले उडे हमारे विघ्नसंतोषी ब्लॉगर बंधु..बोधिसत्व सर की बात से शत-प्रतिशत सहमत....एक-लाइना तो आपका ट्रेडमार्क हुई जाती हैं..कॉपी-राइट करा कर रखिये :-)
जवाब देंहटाएंआपका चिठठा और अजित जी का सम्मेलन की पूरी कुंडली का विवेचन हो गया ।
जवाब देंहटाएंसमंदर बहुत अपना लगा ।
जवाब देंहटाएंहाँ यह टेम्प्लेट तो सुन्दर लग रहा है और चर्चा तो है ही ।
जवाब देंहटाएंचर्चा बेहतरीन रही, महाराज और हमारी कवरेज तो क्या कहना!! :) बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंटेम्पलेट बेहतरीन बनाये हैं डॉक्टर साहेब. उनकी विशॆषज्ञता के हम यूँ भी मुरीद हैं हर फील्ड में. जय हो उनकी.
एक लाईना भी मस्त रही. इसका इन्तजार रहता है, भाई.
ये सबसे आखिर में ज्ञानदत्त जी ही हैं न!! :)
अरे, लगता है हमारे डॉक्टर साहब हैं, आजकल बिना चश्मे के कन्फ्यूजन बना रहता है.
जवाब देंहटाएंअमर जी को हम भी पहचान नहीं पाए .....चर्चा बहुत बढ़िया रही ...
जवाब देंहटाएंशैफाली जी ने मुझे बचा लिया...उन्हें आभार!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब चर्चा, लाजवाब टेंपलेट और अंत मे हमारे गुरुजी की लाजवाब तस्वीर देने के लिये धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
डॉक्टर साहेब के कोप भाजन से बचना यूँ इतना सरल नहीं..जब तक कोई मेरे जैसा करीबी न हो... :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर टेम्प्लेट है .. चर्चा भी अच्छी !!
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जवाब देंहटाएंका बात करते हैं सुकुलजी आप भी एइसन भी कोई टैंपलेट होत हैं जिसमें कापी पेस्ट की सुविधा न हो... जे लीजिए कापी पेस्ट दु दु बार...
जवाब देंहटाएंआज फ़िर चर्चा का टेम्पलेट नया है। इसको बनाने वाले हैं डा.अमर कुमार। इसको नकल करने वालों से अनुरोध है कि वे अपने गरियाने वाले साफ़्टवेयर में नाम संसोधन कर लें। कश अब इस बदलाव के पीछे नहीं हैं। वैसे कुछ दिन बिना कोसे/गरियाये पोस्ट करके देखें। शायद ज्यादा मजा आये। इस टेम्पलेट में कापी –पेस्ट की सुविधा नहीं है। डा.अमर कुमार को हमारा शुक्रिया। आप को कैसा लगा यह टेम्पलेट बताइयेगा।
आज फ़िर चर्चा का टेम्पलेट नया है। इसको बनाने वाले हैं डा.अमर कुमार। इसको नकल करने वालों से अनुरोध है कि वे अपने गरियाने वाले साफ़्टवेयर में नाम संसोधन कर लें। कश अब इस बदलाव के पीछे नहीं हैं। वैसे कुछ दिन बिना कोसे/गरियाये पोस्ट करके देखें। शायद ज्यादा मजा आये। इस टेम्पलेट में कापी –पेस्ट की सुविधा नहीं है। डा.अमर कुमार को हमारा शुक्रिया। आप को कैसा लगा यह टेम्पलेट बताइयेगा।
सुन्दर चर्चा.. सुन्दर टेम्पलेट..
जवाब देंहटाएंहर ताले की ताली है- ताले की जरुरत इसलिए है कि किसी की नियत ना डोल जाए खु्ला ताला देखकर-एक बार हमरी भी इच्छा हुइ थी कापी पेस्ट करने की-फ़िर मसिजीवी जी ने कर दिया तो.....नही तो हर ताले की ताली है- चि्ट्ठा चर्चा बढिया रही बधाई
जवाब देंहटाएंटेम्पलेट सुन्दर है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर टेम्पलेट...बढ़िया चर्चा ...
जवाब देंहटाएंएक लाईना तो रोचक होती ही हैं ...!!
अरे मसिजीवी, आप बातै नहीं समझते हैं। आप कैसे मास्टरजी हैं हिंदी के? इससे अच्छा तो आप संचालक ही हैं। कहने का मतलब ई था कि इसमें टेम्पलेट का कॉपी करने में मेहनत करनी पड़ेगी। आप लिखा-पढ़ा कॉपी करने लगे। जय हो!
जवाब देंहटाएंऔर मालिक कोई टेम्पलेट कॉपी कर लेगा , मैटर कॉपी कर लेगा तो कर लेगा। कहलाया तो ऊ कॉपी किया ही न जायेगा।
विवेक का बात है तुम टिप्पणी लिखकर मिटाने बहुत लगे हो आजकल!
आप को कैसा लगा यह टेम्पलेट बताइयेगा।
जवाब देंहटाएंham to pichchli post mae hi bataa chukae par jwaab nahin payaa
aur drag kar liya haen vaakya paste nahin liya !!!
अरे हां रचना जी, मैंने देखा था कि आपने पिछली पोस्ट में ही तारीफ़ कर दी थी! शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंआपको जबाब क्या दें? डरते हैं। अदब करते हैं। आपको ऐसे भी तमाम लोग जबाब देते रहते हैं। सही-गलत। हम और जबाब देकर परेशान नहीं करना चाहते।
लेकिन आपकी तारीफ़ का शुक्रिया तो कहना चाहिये था। देरी हुई इसके लिये दुबारा शुक्रिया।
टेंपलेट और चर्चा दोनों धांसू
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसंजीव तिवारी जी फोटो झकास है .....ओर गुरुदेव की जे हो...इधर सोचे है ...के ब्लोग के रिपेयेरिंग के वास्ते अब उन्ही के चरणों में हाजिरी देगे ....
जवाब देंहटाएंफराज साहब का एक शेर जाने क्यों याद आ रहा है .
"हम दुहरी अजीयत के गिरफ्तार मुसाफिर
पांवो भी है शल शौंके सफ़र भी नहीं जाता "
बढिया टेम्प्लेट- ई टेम्पु तो अमर है:)
जवाब देंहटाएं>", दो कंघी ( एक गुम जाये तो),.." यह गंजों के लिए लागू नहीं:)
टेम्पलेट और चर्चा दोनो ही रोचक है !बधाई स्वीकारे!
जवाब देंहटाएंRochak charcha.....
जवाब देंहटाएंबधाई इतना अच्छा टेम्पलेट लगाने की और चर्चा तो रोचक है ही, बधाई ।
जवाब देंहटाएंडॉ. अमर कुमार जी से दरख्वास्त है कि मेरे ब्लॉग को फोल्लो कर रहे हैं तो कभी कमेन्ट या कोम्प्लिमेंट भी किया करें :)
जवाब देंहटाएंबाकी तो चर्चा बेमिसाल है ही आज सरे लिंक काम के हैं... पिछले कुछ दिनों से मैं इसमें शामिल हुआ हूँ पर आज हर शब्द वाजिब और नाप-तौल कर लिखा गया है... अनूप जी और डॉ. अमर को शुभकामनाएं...
डॉ. अमर कुमार जी जिनका लेवल इतना ऊँचा है की कुछ सीखने को मिलेगा... और मैं कई बार उनके ब्लॉग पर गया... वे शब्द के धनी हैं... निखारने और लताड़ने में माहिर... हम दोनों के लायक हुए तो खुद को धन्य बुझेंगे...
जवाब देंहटाएंहाँ अपने मित्र ओम् साहब की तारीफ करना भूल गया... अभी तो बस विनिंग शोट खेला है उन्होंने... उनके ब्लॉग पर भी लेक्चर दे आया हूँ... अब मंच का आर्शीवाद चाहूँगा...
अमर हो यह टेम्प्लेट!
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जवाब देंहटाएंभई यह चर्चा मँच है, आप सब उसकी तारीफ़ करो, मेरा क्या ?
तारीफ़ तो चढ़ने वाली शराब और शबाब की की जाती है, मुआ बोतल का लेबुल और नाज़नीन की पोशाक क्या अहमियत रखती है ।
आजकल आगरे में हूँ, कल यह चर्चा मोबाइल पर देख तो ली थी, आई. एम. ई. टूल आज उपलब्ध करवा पाया सो सनद रखे जाने को टीप रहा हूँ ।
@ मसिजीवी भईय्या, ललित शरमा जी और हिन्दीभारत
टेक्स्ट की कापी-पेस्ट कुछ असँभव तो नहीं, यह तो किसी भी फीडरीडर से किया ही जा सकता है ।
ताला जानबूझ कर कमज़ोर लगाया है, ताकि तोड़ने वाले पर निगाह रखी जा सके । मन तो कर रहा है बोलूँ कि चोर बन गये ब्लॉग ज़ेन्टलमैन.. लेकिन छोड़िये भी, इसके कोड ब्लॉक में आई.पी. ट्रैकर रूटकिट लगा हुआ है, जी ।
बोलो सियाराम चन्द्र की जै !
इलाहाबाद में उसको मिले महत्व से कैमरे जी का मूड अच्छा रहा होगा, मेरी भी एक्ठो अच्छी फोटू हँईच दी, बताओ हम का करें ।
काश मेरे ब्लॉग का टेम्प्लेट भी कुछ इसी तरह झक्कास होता..
जवाब देंहटाएंडाक्टर साहब का क्या कहना ? दो लिंक्स गड़बड़ दिख रहे है |
जवाब देंहटाएंपोस्ट फीड सदस्यता
और
आज के चर्चाकार हैं : अनूप शुक्ल |
और सब चकाचक!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंसबकुछ, सुन्दर, रोचक, मुदित करने वाला......
जवाब देंहटाएंचलो अच्छा है...शायद कापी करने वाले बाज आएं
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