संजय : महाराज हिन्दी चिट्ठा दंगल में बहुत से नए यौद्धा आ जुटे है. नए-नए पैंतरे देखने को मिल रहे है. कोई उकसा रहा है, कोई ताल ठोक रहा है.
धृतराष्ट्र : (मुस्कुराते हुए) तुम तो बस मौज लो, अब देखो कौन क्या लिख रहा है?
संजय : जी महाराज. यहाँ खुशी छाई हुई है, उत्साही हिन्दी-युग्म वालो ने पुरस्कार राशि बढ़ा दी है. कवि खुश नजर आ रहे है.
धृतराष्ट्र : और यह दूकनदारी किसने शुरू कर दी है?
संजय : महाराज, लोकी के रस के ईंधन से उड़ती उडनतश्तरी है, जो चिल्ला रही है, “बाई वन गेट वन फ्री के साथ एक साल पूरे!! “ मगर मामला खरीदने-बेचने का बिल्कुल नहीं है.
धृतराष्ट्र : ठीक है भाई, फीर पाठशाला में क्या हो रहा है, देखो.
संजय : महाराज, पंडितजी वर्डप्रेस तथा वर्डप्रेस.कॉम का अंतर समझा रहें है. वहीं विद्यार्थी रमण इधर-उधर से देख कर अपना पर्जा लिख रहे है. शायद पास हो जाए..तो खेल-खेल में अफ्लातुनजी अपनी उत्तर-पुस्तिकाएं बदल रहे है.अंतर्मन शिकायत लिए पहूँचे हैं की अमुक-अमुक लोगो ने वादा किया मगर लिखा नहीं, यह रही सूची. अब देखते हैं मास्साब क्या सजा देते हैं.
साथ ही चौपाल पर हो रही है 1857 के 150 वर्ष पूरे होने पर सार्थक चर्चा.
धृतराष्ट्र : कवियों का जमावड़ा भी दिख रहा है. देखो जरा कौन क्या लाया है.
संजय : जी महाराज, गुरनामजी कहते हैं की उन्हे लिखना नहीं आता, बस गा कर सुना सकता हूँ वरना ..कोई ना कोई हमारा भी होगा. अभय तिवारी पूछते है, इश्क क्या?अनहद-नाद है प्रियंकरजी की. गा रहे हैं जगन्नाथ आज़ाद की नज़म.
धृतराष्ट्र : बहुत खुब. ज्ञान-विज्ञान भी देख लो.
संजय : यहाँ कुछ खास नहीं, मगर आशीषजी का अपोलो अभियान 14वें चरण में पहूँच गया है.
महाराज, अब आप सुनीये सात बड़ी खबरें. मैं होता हूँ लोग-आउट.
अब बहुत दिन बाद आये हो, तो भागना मत!! :)
जवाब देंहटाएंवैसे, मध्यान्ह चर्चा की टीम बन चाहिये सातों दिन के लिये ताकि निरंतर होती रहे.
यह आपकी तसल्ली को कहा गया है, ताकि तब तक आप रोज लिखते रहें. :)
अरे वैलकम बैक जी, मजा आ गया वापस आ गई संजय धृतराष्ट्र की चौकड़ी। अब आते रहिएगा हाँ, फिर से गायब मत हो जाना।
जवाब देंहटाएंचर्चा वापसी अच्छी लगी! पंकज से कहा जाये कि वो भी शुरू करे गुजराती /राजस्थानी चर्चा!
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