एक और ब्लॉग दिखा, शायद आप देख चुके हों। इलाहाबाद के ज्ञानदत्त पाण्डेय "रेल गाड़ी हांकते हैं" (उत्तर मध्य रेलवे में मुख्य यात्री यातायात प्रबंधक हैं)। पाण्डेय जी मानते हैं कि हिन्दी चिट्ठाजगत रूखा सूखा सा है,
"हिन्दी के चिठेरों में वह जज्बा देखने को नही मिलता. अभी तो सब भूख, गांव की मड़ई, कवितायें, हिन्दुस्तान की बदहाली जैसे नान-कन्ट्रोवर्शियल मुद्दों पर की-बोर्ड चला रहे हैं. कैसे वो तकनीकें जानें जिससे उनका चिठ्ठा चमक सके और उस पर ढेरों क्लिक हों"नये हस्ताक्षर में हम आपको नये चिट्ठों के बारे में बताते रहेंगे। चिट्ठाकार मंडली आप का भी साथ चाहिये।
दोनों नये चिठ्ठे बढिया हैं।
जवाब देंहटाएंनार्थ साउथ डिवाईड और भाषाई विवादों के फेर में न पड़ कर तिरुवनन्तपुरम के निवासी चन्द्रशेखरन नायर ने अपना हिन्दी चिट्ठा शुरु किया है। ये पूर्व सैनिक हैं और अच्छी खासी हिन्दी लिख लेते हैं। अगर उनका चिट्ठा न पढ़ा हो तो ज़रूर पढ़ें और उनका उत्साहवर्धन करें।
जवाब देंहटाएंजति(Cast), मत (relegion) और भाषा (language)आपस में लडने केलिये नहीम। हमें आपस में लडानेवालों को यह् बताना हम एक हैं।
http://chandrasekharannair.side.to
स्वागत चर्चा का यह स्वरुप भी बढ़िया है.
जवाब देंहटाएं