सोमवार, मार्च 26, 2007

नए बावर्ची का चिट्ठाचर्चा कोरमा

लीजिए हाजिर है कैफे चिट्ठा-चर्चा के इस नए बावर्ची की यह पाक विधि जिसमें मैं आपको बताउंगा कि चिट्ठा चर्चा कोरमा कैसे तैयार किया जाता है। लेकिन उससे पहले आज की सारी पोस्‍टों के पकवानों की सूची यहाँ देंखें।

हाँ तो पेश है - चिट्ठाचर्चा कोरमा

सबसे पहले बीस साल तक पराठें में भिंडी लपेट कर रखें इससे आम आदमी तैयार हो जाएगा। 100 ग्राम चुटकले लें और उन्‍हें सपनों में भिगोकर एक ओर रख दें। इससे कोई पंगा न लें नहीं तो परांठें में रोटी सा स्‍वाद आएगा और आपको कहना होगा-


रोटी समस्या नही

रोटी तो बँट जाएगी


इसके बाद के.एफ.सी. का चिकेन मेरे यहॉं से मँगा लें, पर सावधानी बरतें, क्‍यों- ये तो देबाशीष बता ही रहे हैं
(अरे भई ध्‍यान से रेसिपी सुनिए ओर भूलने का डर हो तो स्‍याही में लिख लें जिसका इस्‍तेमाल अब इंक ब्‍लॉंगिंग में होता है सागर साहब कर चुके हैं जहाँ श्रीष ने बताया कि वे चूक गए)
हाँ तो जब तक पाक सामग्री तैयार हो आप या तो सपने ले सकते हैं या फिर सुहाने सफर पर निकल सकते हैं जहॉं स्‍पगेटी टॉप और नाभि के काफी नीचे की स्‍कर्ट सब कुछ है। या आप कविताएं पढ़ लीजिए, रंजना की-


ज़िंदगी भर जो होता साथ हमारा तो मेरा दिल यूँ ना होता बंजारा

या राज गौरव की (पोस्‍ट स्‍लग किया करो मित्र)

जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम तो जिये तेरे बिन..

आजा अब तो आजा, तू कहीं से..




आपका सारा ज्ञान बेकार है, आपका अखंड ब्रह्मचर्य व्यर्थ है

आपकी वीरता बेमानी है, आपकी पितृभक्ति अनुकरणीय नहीं है

आप किसी काम के नहीं हैं




यह सब करने का मन ना हो तो जो मन हो वह करें मसलन बकरी की लेंड से उत्‍सर्जित जुगुप्‍सा का आनंद लें। अन्‍यथा यदि आप पत्रकार हैं तो जाहिर है सोचना छोड़ चुके होंगे इसलिए जरा सोचें। लेकिन समय ना भी कट रहा हो तो भी ताव में आकर गड़बड़ ना करें वरना आपकी भी कहानी भंड हो जाएगी जैसे कि पीयुष की हो गई थी।

हाँ तो तैयार स्‍वप्‍न सिक्‍त चुटकले व भिंडी लिप्‍त आम आदमी को लेकर तल लें, मुर्ग भून लें इस तैयार चिठ्ठाचर्चा कोरमा को लें और ज्ञानदत्‍त पांडेय जी की बैटरी वाली साईकल पर बैठकर हमारे यहाँ आ जाएं। इस साईकल के लिए पैसे का एप्रोवल उन्‍हें मिल गया है क्‍योंकि धन के लिए गुरू अरविंद ने कहा ही कि

धन एक विश्वजनीन शक्ति का स्थूल चिन्ह है. यह शक्ति भूलोक में प्रकट हो कर प्राण और जड़ के क्षेत्रों में काम करती है. बाह्य जीवन की परिपूर्णता के लिये इसका होना अनिवार्य है. इसके मूल और इसके वास्तविक कर्म को देखते हुये, यह शक्ति भगवान की है. परंतु भगवान की अन्यान्य शक्तियों के समान यह शक्ति भी यहां दूसरों को सौप दी गयी है।



हमारे यहाँ हम आपके साथ इस नौसिखिए बावर्ची के सिखाए चिठ्ठाचर्चा कोरमा को खाएंगें और सृजनजी की संगत में चर्चा के साथ समीक्षा करेंगे। इस बात को भी सराहेंगे कि सार्वजनिक संसाधनों की सार्वजनिकता के लिए गीतकारजी ने मुक्‍तक समारोह फिलहाल रोक दिया है-


इन्हीं सब बातों पर चिंतन करते हुये हम ने निर्णय लिया कि यह महोत्सव, जो कि पाठकों की फरमाईश पर मनाया जा रहा था, उसका स्वरुप उन्हीं पाठकों की सहूलियत और संसाधनों की सीमितता को देखते हुये बदल दिया जाये ताकि सभी को नारद के इस्तेमाल का बराबरी का मौका मिले.

इस कोरमा को डकारते हुए हम इराकी फिल्‍मों और भगत सिंह नास्तिक होने और राजकिशोर की भगत सिंह पर राय पर भी दिमाग लगाएंगे।

इस पाकविधि से बने चिट्ठाचर्चा कोरमा को खाने के बाद यदि बावर्ची से खुश हों तो डकार लें और आगे बढ़ें लेकिन स्‍वाद पसंद ना हो तो नीचे टिप्‍पणी में उगल दें। :)

चित्र उन्‍मुक्‍त के चिट्ठे से

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9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छे। नए बावर्ची का काम तो बढिया है, व्यंजन भी स्वादिष्ट बने है। मजा आ गया।

    चिट्ठा चर्चा मे विविधता ही चर्चा का मूलमंत्र है। भविष्य को आपसे बहुत उम्मीदें है।

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  2. वाकई बहुत स्वादिष्ट और मजेदार व्यंजन।

    कृपया चिट्ठों पर आई टिप्पणियों पर भी एक नजर मार लिया कीजिए। कई बार टिप्पणियाँ पोस्ट के महत्व को और बढ़ाने वाली होती हैं जिनको चर्चा में शामिल कर लेने से इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।

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  3. बहुत ही स्वादिष्ट लगा आपका कोरमा.

    चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, रोजाना इसी प्रकार अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाकर खिलाते रहें :)

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  4. इस पाकविधि से बने चिट्ठाचर्चा कोरमा को खाने के बाद यदि बावर्ची से खुश हों तो डकार लें और आगे बढ़ें लेकिन स्‍वाद पसंद ना हो तो नीचे टिप्‍पणी में उगल दें। :)

    भाई हमें तो यह नई डिश बहुत पसन्द आई और खाकर डकार भी ले ली पर यूं ही आगे कैसे बढ़ जायें, टिप्पणी दिये बिना? सो टिप्पणी दे रहे हैं।

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  5. चिट्ठाचर्चा की नई पारी शुरु करने हेतु बधाई। उम्मीद है आगे भी आपकी चर्चा का आनंद लेते रहेंगे।

    ऊपर सृजन शिल्पी जी की राय से सहमत हूँ।

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  6. स्वादिष्ट चर्चा रही।
    घुघूती बासूती

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  7. वाह, सही है। अच्छा लगा आपका चर्चा कोरमा!
    अब हर रविवार चर्चा कोरमा चखने आते रहेंगे आपके यहां!

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  8. हमारी टीप गुम गई, बहुत लंबी किये थे..अब तो यही समझ कर चलो कि बहुते तारिफ कर डाले थे तो गुम हो गये..किसी की साजिश लगती है.. :)

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  9. उत्‍साहवर्द्धन के लिए सबका शुक्रिया।

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