तिरंगा झंडा
पत्थिंग के नये टारगेट: आलोक पुराणिक
आओ सेन्टियाप मचायें : रोयें-गायें भावुक हो जायें।
एक कस्बे में १५ अगस्त सन १९४७ : मनाया गया था।
समय की यही पुकार बसन्ती चोला रंग डालो..... : चोला रंगाओ, मौज उड़ाओ।
भस्मासुर को मिला वरदान है धर्मनिरपेक्षता: तभी भस्मासुर ऐश कर रहा है बना निठल्ला।
छूने तक को न मिला असल झण्डा : छुआ-छुऔव्वल का मजा ही कुछ और है।
तिरंगा उल्टा है या सीधा ये तक नहीं जानते, दुर्भाग्य है : किसका? तिरंगे का या .....?
ब्लॉग की नई पोस्ट के ईमेल प्रचारकों से आज़ादी चाहिए?: का करेंगे आजाद होकर दोस्तों से।
‘ब्रिटिश संसद में एक बार फिर गूंजी हिन्दी’ : और नासिरा शर्मा सम्मानित हुयीं।
किसे पडी है समाज सुधारने की !! : बताओ भाई, शास्त्रीजी पूछ रहे हैं! -सीरियली और सीरियसली।
सठिया गया है देश चलो जश्न मनायें : गिरेबाँ के बटन खोल के।
बारिशों का मौसम है: मौसम विभाग की सूचना।
क्या करेंगे 15 अगस्त की पैदाइशी विकलांगता का?: करेंगे क्या अचार डालेंगे पन्द्रह अगस्त को।
सर फ़रोशी की तमन्ना: अपने दिल में लाओ और निपट जाओ!ऐसा मौका फ़िर न मिलेगा।
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जवाब देंहटाएंलिख दिया जी
प. ह. ली. टि. प्पा. णी.
यही आदेश था न..पहली टिप्पणी आप लिखें,
सो,लिख दिया जी
आज क्या राखी बंधवाने की इतनी जल्दी थी।
जवाब देंहटाएंती.स.री. टि.प्प.णी.। :)
जवाब देंहटाएंजमाये रहियेजी।
जवाब देंहटाएंमेरा कहना यह है कि पांचवी टिप्पणी मेरी भी जोड ली जाये!!
जवाब देंहटाएंसाथ में यह भी कहना है कि मैं आपके उत्साह का कायल हूँ!!
chhati tippani..
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