मोनिका
मोनिका को व्यवस्था के भाई-भतीजावाद , नाकारापन और हरामीपन ने बेचारी बना के छोड़ दिया। अपने लोगों से मिलकर वह अपने को संभाल न पायी और जो हुआ सो बगल की तस्वीर में है। तस्वीर साभार सलाम सिंह
डा. अमरकुमार जब भी मौज में होते हैं तो उनको पढ़ते रहना ही सबसे उचित विकल्प होता है। आज उनके रंग देखिये। अपनी मां से अरे भारत मां से मुखातिब हैं। मां कराह रही है और पूछ रही है- और बता-लड्डू-वड्डू खाये कि नहीं?
देखिये और बांचिये:शास्त्रीजी के ब्लाग पर विश्व का प्रथम उत्कीर्ण प्रेम लेख।
मुलाकात: सिंह इज किंग के प्रोडक्शन डिजाइनर जयंत के साथ
देखिये: अपने ब्लाग पर देखें दूसरों के लास्ट पोस्ट
एक लाइना
जब बॉस की खिंचाई का मौका मिल जाए!: खींच लेना चाहिये इसी में भलाई है।
ये कोई ब्लौगर मीट नहीं, बस यारों की महफ़िल थी : क्या रतजगा भी हुआ?
आक्रोष को आवाज देती एक कविता: दूसरी भी पढ़ देते आज ही।
राष्ट्र की एकताजी : बबाल काटे हैं।
मुझे इतना भी जलील न करो बेटों : 62 में मेरी बची-खुची इज्जत के साथ रिटायर करवा दो।
मेरा भारत महान: कब संभलेगा? कभी संभलेगा भी?
नदिया किनारे हे राई आई कंगना : गोरी और जाओ न मानो कहना!
ये जो कुर्सी न होती... तो कुछ भी न होता।
मैं कुत्ता हूं पूंछ सीधी करके नाक नहीं कटानी : नाक काटनी है तो पहले पूंछ काटो।
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा :सारे काम का ठेका समीरलाल को दे दिया है।
धड़कनें आज विद्रोह करने लगीं : विद्रोह कुचलने के लिये सेना को बुलाया जाये क्या?
चरित्र ऐसे बनता है : समझ गये न! चलिये बनाइये आप लोग भी!
काव्य गोष्ठी सम्पन्न : रिपोर्ट पेश।
मन्ने पहले त शक था, इब्ब त पक्का यकीन होग्या : कि भैंस बड़ी अकल से फ़ाइनलhttp://www.blogger.com/post-create.g?blogID=16767459 हो गया केस।
क्या आत्म ह्त्या ही एकमात्र उपाय है ? प्रतियोगिता : आत्महत्या की भी प्रतियोगिता करवाओगे भैये?
ब्लॉगरों में क्या सुर्खाब के पर लगे होते हैं ?: लग तो ऐसा ही रहा है! बहुत कुछ सुर्ख सा है।
ई मेल ठेलने के तरीके: पोस्ट ठेलने के काम आये।
भाषा, संस्कृति और गांव का दामाद :बनना हो तो अंग्रेजी दां बनिये।
भगवन नीचे झांककर तो देखिये :पूरा इलाका ससुरा जलडमरूमध्य बना है।
शिखंडी सरकार के मुंह पर तमाचा?आखिर कब तक?
प्रचंड को कांटों भरा ताज : फ़ूल अपने आप खिला लेंगे वे जी।
एक फूल, मल्टीपल माली (फुलकारी) : बगीचा लहलहायेगा अब तो।
अब जाग रहा है केंद्रीय करवट बदल के सो जायेगा।
सच वही जो सत्ता मन भाये: बाकी सब भाड़ में जाये।
मुहब्बत न होती तो कुछ भी न होता : भला हो मुहब्बत का वो परवान चढे़ और बहुत कुछ हो।
मेरी पसन्द
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
अब तक तो चिट्ठाकारी की परिपाटी है खूब निभाई
हर मनभावन रचना पर जा, मैने इक टिप्पणी टिकाई
लेकिन इसका अर्थ भयंकर हो सकता है ये न जाना
भर जायेगी सन्देशों से आगत बक्से की अंगनाई
अब तक तो कर लिया सहन है अब आगे से नहीं करूंगा
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
कभी कभी तो टिप्पणियों के दरवाज़े पर था रखवाला
शब्द पुष्टि का अलीगढ़ी इक लगा हुआ था मोटा तला
जैसे तैसे उससे आगे नजर बचाकर पांव बढ़ाया
मुश्किल आई जब टिप्पणियां निगल शान से वो मुस्काया
अब निश्चित है उस द्वारे से मैं तो कभी नहीं गुजरूंगा
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
और बाद में टिप्पणियों के बदले जो सन्देशे आये
राम दुहाई इनसे आकर अब मुझको बस खुदा बचाये
एक टिप्पणी के बदले में छह दर्ज़न सुझाव पाये हैं
आयें पढ़ें देखिये क्या क्या चिट्ठे पर हम ले आये हैं
मेरा निर्णय, मैं सुझाव वाला अब कुछ भी नहीं पढ़ूंगा
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
कुछ् सन्देशे मित्रमंडली में उनकी शामिल हो जाऊँ
वोजो लिखते हैं उसको ही पढ़ूँ साथ में मिलकर गाऊँ
मेरा अपना नहीं नियंत्रण रहे समय पर बिल्कुल अपने
चिट्ठों की उनकी दुनिया में अपना पूरा समय बिताऊँ
उनका लेखन वॄथा बात यह अब कहने से नहीं डरूँगा
मैं टिप्पणियां नहीं करूंगा
राकेश खंडेलवाल
मेरा वन लाइनर..
जवाब देंहटाएंआपका क्या कहना है? - अजी हम क्या कहें, जो कहना था आप ही कह गए..
कहा तो है टिप्पणी नहीं करूंगा।
जवाब देंहटाएंmain bhi tippani nahi karunga..
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंअहोऽ.. तो आज टिप्पणिये बंद है !
वाह वाह वाह, कउआ कान ही ले गया...
हा हा हा
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही और मज़ेदार.
चलिए डॉ अमर जी ने आपकी बात मानकर कुछ कहना शुरू तो किया .....अब अक्सर मिलेगा ऐसी उम्मीद है.....आपकी लाइने मजेदार सदा की तरह.....
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह पुनः एक उम्दा चर्चा के लिए साधुवाद एवं बधाई. आराम से बैठे पढते हुए हम अच्छे नहीं लग रहे क्या?? जो नया टिप्पणी ठेका दिलवाये दिये दे रहे हैं..हा हा!! नियमितता न टूटने पाये चर्चा में, इसका विशेष ध्यान रखें. शुभकामनाऐं.
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