रामचन्द्र कह गये सिया से , ऐसा कलयुग आयेगा,
हंस चुनेगा दाना जूठा, कौवा मोती खायेगा।
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अब ई त ढेर बहस-उहस का बात है कि हंस को मोती खाने का अधिकार किस नियम के तहत मिला और कौवे के पल्ले जूठा दाना ही काहे पड़ा लेकिन सब तरफ़ चोरी-फ़ोरी बढ़ती देखकर कहने का मन करता है-घोर कलयुग आ गया है। कब लोगे प्रभु कलंकी अवतार! (दूसरा वाक्य रागदरबारी से साभार)
कलयुग का नमूना आज सुबह टीवी पर देखा। शाहरुख खान का नवा सिनेमा जो आया है का नाम है उसका रब ने बना दी जोड़ी पता लगा उसका एक गाना हौले-हौले .... को फ़िलिम वालों के हौले-हौले किसी से चुरा लिया है। खबर त एक और था। उसमें बताया गया था कि एक मंत्री ने एक करोड़ रुपये के चक्कर में साल भर पहले हुई सगाई तोड़कर दूसरे के साथ शादी कर ली। सगाई वाली लड़की कह रही है- हममें क्या कमी थी/है। मंत्रीजी बता रहे हैं- हमने कोई धोखा नहीं दिया। भगवान सब जानता है। भगवान का हिसाब भी सब स्विस बैंक सा है। जानता सब है लेकिन करता-धरता कुछ नहीं है। वैसे इस घटना से यह भी पता चलता है कि दुनिया में मंदी के इस जमाने में भी भारत में दूल्हों के दाम बढ़ रहे हैं। क्या आइटम है ससुरा। इसके दाम कभी कम नहीं होते।
कल की कविताजी कुंवर बेचैन की गजल चोरी की कथा सुना रहीं थी। चतुरानन चोरों की हर तरफ़ चांदी है। चांदी क्या चोर ही चतुरानन हो गये हैं।
अब विवेक सिंह अगर इस पर कहते हैं कि लाख ताला लगाएं पर चोर हैं कि उनके भी ताऊ हैं . वो चुनौती से चोरी करते हैं तो क्या गलत कहते हैं।
लेकिन विवेक चोरी की बात तो ऐसे ही कहते हैं दरअसल वे ऐसे साफ़्टवेयर के बारे में बताना चाहते हैं जो आपकी मर्जी के हिसाब से काम करेगा।
सोचिए अगर कोई सेल्समैन आपके दरवाजे पर आकर आपसे कहे कि हमारी कम्पनी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है जो आपकी तमाम मुश्किलें आसान कर देगा । बस इसे अपने कम्प्यूटर में इंस्टॉल कर लें फिर कमाल देखें . यह ब्लॉग एग्रीगेटर से ब्लॉग पढेगा और यथायोग्य टिप्पणियाँ आपकी सेटिंगानुसार आपके नाम से भेजता रहेगा
आगे वे कुछ बताने से इंकार कर देते हैं। एक आम लल्लू की तरह कहते हुये इतने लल्लू हम नहीं हैं।
आप किसी लल्लूपने में पड़कर कोई निर्णय लें इसके पहले आप बाजार का एजेंडा समझ लें:
बाजार का एजेंडा बहुत साफ है कि वह चाहता है कि लोग ज्यादा से ज्यादा खरीदें। पुराना मोबाइल काम कर रहा हो, तो भी नया खऱीद लें। नये की खरीद की इच्छा पैदा करने के बहुत तरीके हैं। फ्री स्कीम, एक्सचेंज आफर, विज्ञापन। लोग खरीद रहे हैं, बाजार खऱीदवा रहा है। ज्यादा माल बेचना कंपनियों का कारोबार है। पर सतर्क रहना तो खऱीदार की जिम्मेदारी है।
बाजार अपने सामान बेचने के लिये गिफ़्ट वगैरह भी देता है। सो देखिये ताऊ भी दे रहे हैं। पहेली बूझिये इनाम पाइये।
नवनीत शर्मा नये ब्लागर हैं। वे कहते हैं:
घर
भेजते रहना
पिछवाडे वाले हरसिंगार जितनी हंसी
घराल के साथ वाले अमरूद की चमक
दुनिया चाहती है तरह-तरह के सवाल रखना
शरारतों के बाद
मेरे छुपने के ठिकानों
अपना ख्याल रखना
और कुछ पढ़ने से पहले महिला सशक्तिकरण के समाचार वाली यह पोस्ट पढ़ लें।
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मेरी पसंद
बुजुर्ग की बेतरतीब दाढ़ी बहुत उदास करती है
जैसे मिला न हो कोई हज्जाम बरसों से
लोग इसे छूटा हुआ घर कहते हैं
जब छोटे-छोटे उबाल
बन जाते हैं बड़े ज्वालामुखी
ये फोटो स्वाति के ब्लाग से
जवाब देंहटाएंइतवार की चर्चा खलती तो होगी..
पर यह भी तो है कि, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार..
किसी की पोस्ट मिल सके तो ले उठा.... जीना उसीका नाम है..
वोह आप बख़ूबी जी रहे हो..
चिट्ठाचर्चा पर अपने को निसार करके !
पण आज कुछ कंज़ूसी हो गयी है..
चलो.. ठीक भी है.. इतना ही सही !
यह तो बसंती का पेटेन्ट हुआ ना..
जब तक है, ज़ाँऽऽ.. मैं ( अब जो भी करो )... !
अपना भी ध्यान रखें,
सादर सलाह वह भी मुफ़्त !
-'यह नेट और ब्लागिंग का सम्मिलित असर है कि बीस साल से लेकर साठ साल के लोगों को एक से ही प्लेटफ़ार्म पर खड़ा देता है'
जवाब देंहटाएं'अंत' में जो कुछ भी लिखा है एक दम १००% सही और दमदार लिखा है .
-बहुत ही बढ़िया चर्चा की है.ऐसा नही लगता कि जल्दी में लिखा गया है.
रविवार का दिन आप के यहाँ अवकाश है लेकिन यहाँ यू.ऐ .ई. में तो सप्ताह का पहला दिन मतलब सप्ताह की शुरुआत ही रविवार से है.
सर्दियों के मौसम में सुबह सुबह इतनी विस्तृत चर्चा करना सच में आसान नहीं वो भी अवकाश के दिन.
क्योंकि दस्ताने पहन कर टाइपिंग नहीं की जाती होगी.इस लिए इस बेहद रोचक के लिए चर्चा ब्लोग्गेर्स आप के आभारी रहेंगे.
-धन्यवाद
आप दारुवाला को सही सिद्ध कीजिए, उसे गलत नहीं प्रमाणित होना चाहिए, उनकी भविष्यवाणी में भला नाज़ायज़ क्या है, पूरी बात जायज़ है। बस हमारी टिप्पणी खलल न डाल दे। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंचर्चा तो आप की परफ़ेक्ट होती ही है। इस बात को दुहराने-तिहराने से हमें परहेज़ नहीं।
जब घणी पटती है तो लेखन बन्द नहीं होता। घराळी का लेखन टाइप करना पड़ता है! :-)
जवाब देंहटाएंनवागत चिठ्ठों की चाशनी में पगी-पगी, चर्चाए रविवार मजेदार रही।
जवाब देंहटाएंनए चिट्ठाकारो के चिट्ठो की चर्चा उनके लिए ओक्सिजन का काम करती है . मैंने तो यही महसूस किया था जब पहली बार चिटठा चर्चा मे मेने अपना नाम देखा था वह भी अनूप जी की चर्चा मे
जवाब देंहटाएंउफ्फ..उफ्फ..उफ्फ..
जवाब देंहटाएंमैं अभी क्यों नहीं नया चिट्ठाकार बना? क्यों दो साल पहले इंट्री मारी? अगर अभी मारा होता तो शायद मेरी तस्वीर भी यहां लगायी जाती..
उफ्फ..उफ्फ..उफ्फ.. :)
बहुत सुन्दर चर्चा. नये चिट्ठाकारों का प्रतिनिधित्व भी इसे खास बनाता है, चर्चा की शैली तो लाजवाब है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
ढिंचन लेखन वाले इस ब्लाग को ढिंचन चर्चा के लिये झन्नाटेदार बधाई
जवाब देंहटाएंफुरसतिया ने ये क्या नई परम्परा शुरू की! कमेन्ट देने वालों की भी चर्चा- चलो , धन्यवाद तो देना ही है।
जवाब देंहटाएं>आलोक पुराणिकजी का बाज़ार गरम है- बस शर्त ये है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना आना चाहिए!! अब तो ताऊ जी एक और जनावर के पीठ पर पहेली लादे घूम रहे है। क्या अपने ब्लाग को जंगली म्यूज़ियम बनाने जा रहे हैं?
>हिंदी ब्लागर लोगों की फरमाइश पर पुनः लेखन शुरू कर देते हैं!!- गोया ब्लागर न हुए लता मंगेश्कर हो गए- लोगों की इच्छा का मान रखने गायन पुनः शुरू कर दिया।
> हम भी कविताजी की आवाज़ में आवाज़ मिलाते हैं और आपकी ‘परफेक्टनेस’ पर बधाई देते हैं॥
रविवार को लिखना सचमुच में मुश्किल काम है । आपने किया । शुक्रिया । आपका मुश्किल झेलना हमारे रविवार को सार्थक करता है ।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा.
जवाब देंहटाएं"रविवार को लिखना सचमुच में मुश्किल काम है !!!"
जवाब देंहटाएंक्या सचमुच मुश्किल काम है???? आपकी इतवारी पोस्टें तो ज्यादा मारक होती हैं!!!
बढ़िया चर्चा!!
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
rochak bhee.
जवाब देंहटाएंjaankaareepoorn bhee.
badhaaee!
ढिंचक ढिंचक :)
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ढिन्चक चि्ठ्ठा चर्चा ..ढिन्चक को लाजवाब का पर्याय माना जाये ! :)
जवाब देंहटाएंराम राम !
अनूप जी को सलाम...इस अनूठे स्टाइल का कायल मैं
जवाब देंहटाएंचरचे का चरचा
अव्व्ल दर्जा
चिठ्ठा चर्चा बहुत अच्छी रही। अनूप जी बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं"इतवार के दिन इत्ता बहुत है। अब ज्यादा क्या लिखें?"
जवाब देंहटाएंमैं तो बार बार याद दिला चुका हूँ कि आपकी चर्चा तो हरेके के लिये एक आदर्श है कि किस तरह से यह व्यक्ति सुबह उठकर पचास से सौ चिट्ठों पर भ्रमण कर आता है एवं मधुमख्खी के समान हर जगह से पराग बटोर कर लाता है, जुगाली करके उसे शहद में परिवर्तित करता है (जी हां मधुमख्खियां वाकई कुछ ऐसा ही करती हैं) और फिर बहुत ही मधुर अंदाज में उसे स्वादिष्ठ भोजन के समान परोसता है.
17 नये चिट्ठाकारों को इस बीच आप ने प्रोत्साहित भी कर दिया.
आपकी मेहनत का फल सारे हिन्दी चिट्ठाजगत में हो रहा है. लगे रहिये.
सस्नेह -- शास्त्री
(टांग खिचाई -- उम्मीद है कि यह टिप्पणी मेरे आलेखों एवं शीर्षकों के समान सनसनीखेज नहीं है, बल्कि सिर्फ एक आनंदमयी सनसनी देगी)
और, यह एक शुभरात्रि टिप्पणी
जवाब देंहटाएंनया क्या जुड़ा... वह तो दिख नहीं रहा,
पर, मुझे तो कुछ और ही दीख रहा है
...हमारी आज जीवन साथी से बहुत पटेगी
तो क्या अब तक बहुत नहीं पटा पाये थे ?
इतवार को सोचे हुए काम नहीं हो पाते। मैं पूरे सप्ताह यही सोचता रहता हूँ कि ब्लॉगरी में छूटे हुए आइटम इसी दिन निपटाउंगा। लेकिन इस दिन सबसे कम काम हो पाता है। लेकिन अनूप जी, आप तो काम के नसेड़ी (workoholic) जान पड़ते हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंअरे भाई!!!! अगली चर्चा कब????
जवाब देंहटाएंप्राइमरी के मास्टर का पीछा करें !!!!!!
लगता है !!!!
जवाब देंहटाएंआज एक ही चर्चा होगी!!!!
कोई चर्चाकार जाग रहा है ?????
जवाब देंहटाएंतो सुने और देखे!!!!
चिट्ठा-चर्चा क्यों?
के अनुससार बता रहा हूँ!!!
क्या अमर उजाला की साईट खतरनाक है????
मिड डे मील कैसे हुई शुरू ?
प्राइमरी के मास्टर का पीछा करें !!!!!!
अगर इतना रतजगा करने के बाद भी मेरी चर्चा न हुई तो कल प्राइमरी का मास्टर हड़ताल पर रहेगा !!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच्ची!!!!!!!!
और हाँ !!! शुक्ल जी!!!
जवाब देंहटाएंअरे वही फुरसतिया वाले!!!!
इसको सही करें!!!
"रामचन्द्र कह गये सिया से , ऐसा कलयुग आयेगा,
रावण भी झट सीना तान के पहलवान बन जायेगा ।"
क्या बच्चे की जान ले के ही मानोगे ? इतनी खतरनाक चर्चा करने से पूर्व कमसे कम 'वैधानिक चेतावनी 'तो शुरू में ही चेप सकते थे [ इतने रोचक ढंग से चिट्ठा चर्चा न ही करें कि पढ़ने वाला हर चर्चित पर जाने को बाध्य ही हो जाए [ मुझे तो लग रहा यह 'फुरसतिया ' का सुबह -सुबह वाला बदला हम पाठकों से लिया गया है कि हमने ज ज जाड़े कि इतवारी सुबह सफ़ेद कि लो करो अपनी रात काली [लगातार बिजली उसी समय मिलती है ][ उल्लेख का धन्यवाद आभारी हूँ [ अभी तो मै अपरेंटिस हूँ हार्ट केस हूँ टिप्पणी से ज्यादा कि सामर्थ्य नही है [
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