हूँ, हूँ, हूँ, करते करते यही लगा कि चिट्ठा खिचड़ी ही इस जंजाल से बचने का सर्वोत्तम उपाय है।
इस दुबले पतले भारतीय सन्यासी को देखकर अमरीकन युवक मुस्कुराने लगे। संयासी नहीं, सन्यासी। कितने दशकों से आर्यावर्त के आर्य पाताल लोक के राक्षसों का बीड़ा उठाए हुए हैं। फिर भी वह खुद को ताक़तवर और बेहतर अक्लमंद समझता है। जब हमें वजूद का मतलब ही नहीं पता तो जो चाहे समझे। मौसम की इस बदमिजाजी के कारण गिनाए जा रहे हैं कई भविष्यवाणियाँ की जा रही है, लेकिन कहीं कुछ गड़बड़ तो है यह जरूर लगता है मौसम हम। इसके बाद क्या बत्ती गुल हो गई थी। कारन नहीं कारण। शहर, इलाका भी बता देते तो अच्छा रहता। तंदूर में डली चपाती सा जलता - मतदाता की उपमाएँ यहाँ और भी है। यह पहला अवसर है जब बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा एक साथ विधान सभा और संसद तक उछाला गया। और चिट्ठा मंत्री आपको ही बनाएँगे नए राज्य में। हर गली का अपना एक मिजाज है - माना कि हमारा शहर लक्ष्मणपुर बहुत धाँसू है, उसपर शतरंज के खिलाड़ी भी बनी थी पर आप बिंदियाँ बहुत चेंप देते हैं अपने लेख में। इसलिए कबीर हास्पिटल जो शहर के विभिन्न भागों में पहले से ही कार्यरत है। लगता है पूर्णविराम गलत जगह लग गया, ९८८९०१०८६८ पर सूचित करें। आये कोई फ़रिश्ता बन के, आए और आये में से आपकी पसंद क्या है? हमारी पसंद तो आय है। मेरी हड्डी वहाँ टूटी, जहाँ मैं इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट सेक्स्पर्ट बनी। इससे करीब कोई इस ज़माने में न हुआ, दो अर्धविराम चेंपने से एक पूर्णविराम नहीं बनता, और मैं को में कर डालें। टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत की ओर से ओपनिंग पर वही पुराने जोड़ी आई जिस से भारत को एक लम्बी साझेदारी की उम्मीद थी मगर वीरेन्द्र सहवाग पिछली पारी की तरह इस बार कोई कमाल नहीं दिखा सके और बिना खाता खोले शून्य पर ही पविलिअन वापस लौट गए। शून्य हो या सुन्न बात तो एक ही है न। यह उपलब्धि भा ज पा के खाते में जाएगी। पविलिअन लौटने की नहीं, बीना के जिला बनने की। उन्होंने आगे कहा कि कसाब के घर को चारो तरफ़ से सुरक्षाकर्मियों ने घेर रखा है। कि और की में फ़र्क करने की आवश्यकता है।
इस प्रकार आर्यपुत्र ने अपनी चिट्ठा खिचड़ी पूर्ण की और यह निष्कर्ष निकाला कि यदि लिख्खाड़ लोग अपने लिखे को एक बार पढ़ भर लेवें और फिर ही "पोस्ट प्रकाशित करें" वाले नारंगी झुंझुने को हिलाएँ तो उनके लेखन में चार चाँद लग जावें। यही सोचते सोचते आर्यपुत्र ने गरम पानी पैदा करने के लिए एक झंझुना दबाया और अपनी चिट्ठा खिचड़ी को शुरू से पढ़ने लगे ताकि "पोस्ट प्रकाशित करें" वाला झुंझुना दबाने के ठीक बाद हमाम में घुस के अपने शरीर पर साबुन मल सकें।
चिट्ठा खिचड़ी को पढ़ने के उपरांत फुरसतिया देव ने सोचा, "कहीं हमने भूल तो नहीं की", लेकिन वह यह भी जानते थे कि चिड़िया खेत चुग चुकी है। वे अपनी गलतियों और सफलताओं दोनों में समभाव रहने का महत्व समझते थे और उनके मुखारविंद पर लेशमात्र भी दुःख, विषाद, या रौद्र का चिह्न न था।
आर्यपुत्र हमाम में हमाम के साथ तल्लीन थे।
" अरे यार ! कल रात मैं छत पर भला गया .
जवाब देंहटाएंफिसली से ऐसा सीढा कि सीढता ही चला गया " :)
यह अंदाज भी बहुत भाया .हिन्दी सही लिखने का ज्ञान पाया :)
जवाब देंहटाएंआमतौर पर जो खिचडी के बारे मे जो राय होती है वही राय है इस खिचडी के लिए . ........... स्वास्थ्य के लिए लाभ दायक होती है चाहे स्वाद कैसा भी हो
जवाब देंहटाएंजुग-जुग जियो आर्यपुत्र! स्वामी रामतीर्थ के दर्शन भी हो गए।
जवाब देंहटाएं>भाई रंजन ज़ैदी, दीवार के उस पार दूसरे के घर में झांकना सभ्यता के विरुद्ध है और हमारे नेता तो संस्कृति के प्रतिमान ठहरे ना!
>पता नहीं, संजयजी को अलग बुंदेलखंड बनाकर क्या मिलेगा क्योंकि इसी विकेंद्रकरण से फिर हम ६०० राज्यों की पुनरावृत्ति की ओर तो नहीं दौड रहे है। वैसे तो सभी जानते है कि राजनीति के हमाम मे सभी नंगे हौ परंतु हमारे आर्यपुत्र हमाम के पास हमाम की टिकिया लिए खडे हैं -:)
बहुत अच्छा ! ऐसे लग रहा है कि आज की चिट्ठाचर्चा 'नवसिखुआ विशेषांक' है।
जवाब देंहटाएंपहले यह बताया जाए कि फुरसतिया ने आपको आर्यपुत्र कैसे व क्यों कहा>>>?
जवाब देंहटाएंआर्यपुत्र केवल केवल पत्नी द्वारा पति के लिए प्रयोग किया जाने वाला सम्बोधन रहा है.
तो क्या ...?
अब हम क्या समझें?
चिट्ठाचर्चा बढ़िया रही...कविता जी का प्रश्न.......
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जवाब देंहटाएंख़ुश-आमदीद आर्यपुत्र, चर्चा पर ज़नाब की वापसी का ख़ैर-मक़दम है !
छिः, लगता है मलेच्छ भाषा का प्रयोग होने जारहा था,,
हाँ तो, पुराने चावल में अभी ख़ुशबू शेष है..
चर्चा का गठन ऎसा कि यदि पढ़ना आरंभ कर दें तो आख़िर तक जाना ही पड़ेगा...
सही है, इस अनपढ़ चर्चा ( यानि कि बिना पढ़े ) पर टिप्पणी हनक देने में परेशानी हो रही है ..
सो, मेरे पढ़ते पढ़ते ही टिप्पणियों की संख्या चार से बढ़ कर सात पर दिख रही है,
और मेरा टिप्पणी देने का इरादा ही क्षीण हो गया लगता है !
ख़ैर, आते जाते रहिये, टिप्पणी के अभी बहुत मौके आयेंगे !
कविता जी, ज़नाब-ए-आली को आर्यपुत्र कहे जाने से आपको फ़ुरसतिया देव से डाह क्यों ?
कैसे और क्यों.. तो नाचीज़ आपसे पूछ रहा है !
सीधे सीधे भाषा के प्रश्न का ऐसा अनर्थ( यह भी भाषायी घसरघुंडी से खेला पूरा होने का ही परिणाम लगता है)तो देखा नहीं.सही विट में किए सार्थक(अर्थान्विति) प्रश्न का यह उत्तर(प्रतिप्रश्न) भले ही हास्य की पुट देकर लिखा किन्तु कृपया ऐसे सन्दर्भ में स्त्री-पुरुष का भान बना रहे तो सम्मानदायक होगा(सभी पक्षों के लिए)
जवाब देंहटाएं१. अब कविता जी के प्रश्न का उत्तर मिलना चाहिये!
जवाब देंहटाएं२. चिठ्ठाचर्चा में चार चांद लग गये आपके हस्ताक्षर से!
मै जानना चाहता था कि हिन्दी का सबसे पुराना ब्लॉगर कौन है और हिन्दी में सक्रिय सबसे पुराना ब्लॉगर कौन है , हिन्दी का सबसे पुराना ब्लॉग कौन सा है और चिटठा नाम किसने और कब सबसे पहले इस्तेमाल किया
जवाब देंहटाएंभाइ हमको तो ये बाजरे की खिचडी सर्दी के मौसम मे पसंद आई पर थोडा घी और डल जाता तो स्वाद द्विगुणित हो जाता ! :)
जवाब देंहटाएंरामराम !
'आर्या' पुत्तर,
जवाब देंहटाएंखिचड़ी के चार यार होते हैं। पापड़, घी, दही, अचार।
उनको ना भूल भाई।
ये खिचडी भी अच्छी रही !
जवाब देंहटाएंलेखन से व्यक्ति के आत्मविश्वास का भी परिचय मिलता है. इस दृष्टि से भी यह चर्चा पसन्द आयी, बाकी अनूठापन तो है ही इसमें.
जवाब देंहटाएंखिचडी अच्छी रही!!!!!!!
जवाब देंहटाएंacchi rahi kichdi...maza aa gaya...
जवाब देंहटाएंसर्व सज्जनों और सज्जनियों को सूचित किया जाता है फुरसतिया ने मुझे अपना प्रवक्ता नियुक्त कर दिया है और हर फटे में टाँग अडाने का हुक्म दिया है . अभी अभी उनका बयान आया है कि जैसे एक पुरुष द्वारा नारी की टाँग खिंचाई हो सकती है वैसे ही एक पुरुष द्वारा दूसरे पुरुष को आर्यपुत्र कहा जा सकता है बशर्ते वह वास्तव में आर्यपुत्र ही हो .
जवाब देंहटाएंएक अन्य महत्वपूर्ण सूचना : मानसिक हालचल पर शारीरिक हलचल की बातें होते होते गरमा गरमी में शारीरिक हलचन होने के हालात बनते नज़र आने लगे हैं .
चन्द्रमौलेश्वर जी से हमारा विशेष आग्रह है कि वे अपना ब्लॉग लिखें तो हमें अति प्रसन्नता होगी .
:) पहली टिप्पणी में ये लगाना भूल गया था :)
जवाब देंहटाएंखिचडी में आचार का आभाव खटका वरना बढिया है
जवाब देंहटाएंहिन्दी चिट्ठाजगत के आदि चिट्ठाकार को चर्चा करते देखना अत्यंत सुखद अनुभव है। जहां तक मेरी जानकारी है palaas जी के सभी सवालों का जवाब 'आलोक' शब्द में ही निहित है।
जवाब देंहटाएंकृपया ब्लॉगर श्रीमान जी एक बार मेरे ब्लॉग पर भी निगाह डाले
जवाब देंहटाएंमैं भी आपकी बिरादरी में शामिल हो गया हूं। आपके अनुभव हमारे काम आएंगे। उम्मीद है आप मेरे लिखें पर प्रतिक्रयाएं देकर मुझे प्रोत्साहित करेंगे।
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