शुक्रवार, दिसंबर 12, 2008

एक शुद्ध टिपण्णी चर्चा

कल की चर्चा को एक सार्थक बहस की और ले जाने वाली धीरू सिंह जी की टिप्पणी से शुरू करते है..

धीरू जी का कहना था..

"चिटठा चर्चा का नाम कुछ चिट्ठो की नियमित चर्चा कर दे तो ठीक रहेगा"


उनका ये मानना है की चिट्ठा चर्चा में कुछ चिट्ठो की ही बात की जाती है.. हो सकता है उनका कहना सही हो..

अब आँकड़ो की बात की जाए..

दिसंबर 1 से 12 तक.. यानी आज तक.. कुल 288 ब्लॉग्स की चर्चा की गयी.. 12 दिनो में 288 ब्लॉग्स की चर्चा को क्या कुछ चिट्ठो की नियमित चर्चा कहा जाएगा..?? धीरू जी आप ही जवाब दे.. कृपया ये भी बताए कि किस आधार पर आपको ऐसा लगा ?? हम इसे सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे..

अगली टिप्पणी निशा जी की

"मै भी धीरू जी की बात का समर्थन करती हूँ.
सिर्फ़ कुछ चिट्ठों और चिट्ठाकारों का समूह हमेशा छाया रहता है
मै ख़ुद इतना नही लिखती कि मै अपेक्षा करूँ पर और बहुत से लोग काफ़ी अच्छा लिखते रहते हैं
मुझे लगा था कि चिटठा चर्चा एक रेफरेंस की तरह होगा पर ऐसा नही है."


क्या 288 ब्लॉग्स को आप 'कुछ चिट्ठों' कहेंगी ?? वैसे आपको चर्चा की कितनी फ़िक्र हैं.. इसका अंदाज़ा तो मुझे आज पहली बार आपकी टिप्पणी देखकर ही लगा... पहली बार इसलिए कह रहा हू क्योंकि पिछली 200 चर्चा में आपकी टिप्पणी मुझे नही मिली.. अगर आपको मिले तो कृपया लिंक दीजिएगा..


बहुत सी बातो का जवाब अजीत जी भी देते है...

धीरूसिंह जैसे और लोग भी होंगे जो उनकी जैसी धारणा रखते होंग। मेरे जैसे भी कई होंगे जो उनके मत से नाइत्तेफाकी रखते होंगे। मैं शिवकुमारजी से सहमत हूं। सबकि अपनी अपनी शैली है। मुझे याद है कि एक अर्से तक चिट्ठाचर्चा पर कोई भी सहयोग देने नहीं आता था। हफ्ते भर भी इस पर कोई समीक्षा नहीं लिखी जाती थी। अकेले अनूपजी ने इसे सक्रिय किया । ढूंढ-ढूंढ कर चिट्ठों के बारे में लोगों को बताया। ये उनका अंदाज ही था कि लोग इससे जुड़ते चले गए। आज तो सहयोगी भी कई हैं तो जाहिर है सबकी अलग शैली भी होगी। अपनी कहूं तो मुझे कई चिट्ठों की जानकारी तो सिर्फ चिट्ठाचर्चा के जरिये ही हुई है। कुश, पल्लवी , ताऊ, रख्शंदा जैसे नामों और उनके ब्लागों से मेरा परिचय चिट्ठाचर्चा की मार्फत ही हुआ। यहां अगर सिर्फ कुछ ही चिट्ठों की चर्चा होती तो मैं इतनें लोगों से कैसे मिल पाता ? यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
मुझे लगता है किन्हीं चिट्ठों की लगातार सक्रियता से वे अक्सर चिट्ठाचर्चा में स्थान पाते हैं तो इसमें क्या खराबी है ? देखनेवाली बात ये है कि सभी चर्चाकारों की चर्चाओं में ऐसे प्रमुख नाम कॉमन हैं।



रचना जी ने अपनी टिप्पणी में कहा...

मै निरंतर इस बात को कह रही हूँ की चिट्ठा चर्चा मे बार बार बात घूम कर कुछ ही ब्लॉग पर सिमिट जाती हैं . ये बात मैने अनूप जी की पोस्ट पर भी दो दिन पहले कहीं और उससे पहले भी कहा हैं . ये ठीक हैं की ये मंच हम से पहले आए ब्लोग्गेर्स की महनत का परिणाम हैं पर अगर आप ने मंच को सार्वजनिक कर दिया हैं तो फिर चर्चा को विस्तार दे . हर दिन नये ब्लॉग { 10 या १२ } लिये जाए और उनके बारे मे विस्तार से बात हो और कम से कम जब तक 100 ब्लॉग पूरे ना हो जाए जिन ब्लोग्स की चर्चा हो चुकी हैं उन पर दुबारा ना बात हो .



इसका जवाब अनुराग जी द्वारा की गयी टिप्पणी में मिल जाता है...

और जैसा की मैंने दो दिन पहले अपनी टिप्पणी में लिखा था अपनी पसंद से उबरने की कोशिश चिटठा चर्चा ने की है .धीरे से ही सही .पर वो जारी है......उम्मीद है ये बहस इस चर्चा को और सार्थक मोड़ पे ले जायेगी........



डा. अमर कुमार जी ने कुछ यू फरमाया..

नहीं, धीरू सिंह को माफ़ी नहीं मिलनी चाहिये..
जागरूक और बेबाक होना कोई अपराध नहीं है !
विगत कई दिनों से चल रही विभिन्न मुद्दों पर बहस एक बहुत ही स्वस्थ संकेत है !
आंशिक रूप से रचना जी से सहमति और असहमति के बीच डोलते हुये भी..हम, कम से कम मैं तो यही चाहता हूँ, कि इनसब मुसाहबे से निचुड़ कर चिट्ठाचर्चा ' नन दैन एनदर ' का स्वरूप निखर कर आये !
चर्चाकार-मंडली की भैंस को डंडा मारना, सायास ही कोई क्यों चाहेगा ?
चिट्ठाचर्चा पर इतनी चिल्ल-पों और पाठकों द्वारा इसपर इतना अधिकार जताना, इस मंच की जीवंतता का प्रतिमान है, न कि निकृष्टता का..


अरविन्द जी ने अपनी बात कुछ यु कही

यदि किसी की चिट्ठा चर्चा में अन्यान्य कारणों से चर्चा नही होती तो इसका मतलब यह नही की जीवन ख़त्म हो गया ! अन्य संभावनाओं को खंगालिए ! चिट्ठा चर्चा कोई श्रेष्ठता का मानक नही है ! यहाँ भी विषयनिष्ठता है ,अपने स्नेह सम्बन्ध हैं -ओब्लिगिसंस हैं ! इसे लेकर हो हल्ला करने की तो कोई जरूरत है और ही इसे कोई हल ही निकलेगा ! या निकलेगा अनूप जी ?



विवेक सिंह जी ने अपनी टिपण्णी में कहा
ये जो चिट्ठा चर्चा है वह सार्वजनिक है और इसमें सभी चर्चाकार हैं पाठकों समेत . बल्कि यह कहें कि असली मजा तो नीचे यानी टिप्पणियों में ही है . ऊपर वाला सामान तो एग्रीगेटर से भी लोग पढ लेते हैं और जैसा कि कुछ अन्वेषी लोगों ने बताया था कि यहाँ से पढने कम ही लोग जाते हैं . चर्चाकार का उद्देश्य तो यहाँ सिर्फ एक ऐसा मुद्दा मुहैया कराना होता है जिस पर अधिक से अधिक लोग अपने विचार व्यक्त कर सकें . और उसी में नई चीजें निकलती हैं . यदि चर्चाकार से कोई जरूरी बात छूट जाती है तो पाठकों से विनम्र निवेदन है कि वे टिप्पणियों में उठाएं उन्हें . बाकी हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग यहाँ आएं और खूब बहस हो


अनूप जी ने लिखा
यह देखना बड़ा सुकूनदेह अनुभव है कि लोगों को हम चर्चाकारों से कुछ अपेक्षायें हैं। हम उनको कितना पूरा कर पाते हैं इसे समय बतायेगा।

अगर इसे बहानेबाजी न माना जाये तो हम कहना चाहते हैं कि जो दोस्त/साथी हमारे चर्चाकार हैं वे अपने निजी समय से कुछ समय चुराकर चर्चा करते हैं। एक चर्चा में कम से कम तीन घंटे लगते हैं।
इतने समय में अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार जिससे जो बन पड़ता है , करता है।

हरेक की पसंद-नापसंद अपनी है। उस पर किसी तरह का कोई अंकुश/बंधन लगाना अपनी साथी की समझ पर शक करने की नासमझी करना है।

चिट्ठाचर्चा को लेकर मुझमें और हमारे चर्चाकार साथियों में कोई पक्षपात या जानबूझकर उपेक्षा करने का कोई भाव नहीं है। अब अपने पसंद के चिट्ठे चुनने का हक तो होना ही चाहिये एक चर्चाकार को। आपकी प्रतिक्रिया अपने आप उसका आगे का रास्ता तय करेगी।



आगे अनूप जी लिखते है

सभी साथियों के सुझाव हम ध्यान में रखते हुये उन पर अमल का प्रयास करते रहने का मन है लेकिन सुझाव देने वाले साथी जो सुझाव दे रहे हैं उन पर अमल करने का तरीका बतायें तो उनके मनमाफ़िक चीजें कर पाना और सुविधाजनक रहेगा। तब शायद उनको भी अच्छा लगेगा।





अंत में रचना जी ने मुझसे जो सवाल किए उनके बारे में कुछ कहना चाहूँगा..

भाई कुश आप के कमेन्ट से मे इतना ही समझी की आप और समीर जब भी लिखेगे तो चर्चा मे आना एक दम जरुरी हैं और जैसा की आपने ख़ुद कहा की पाण्डेय जी रोज लिखते हैं सो रोज चर्चा होगी ही .कुछ विरोधाभास हैं भाई कुश क्युकी अब या तो आप रोज की सक्रियता को बताते हैं चर्चा मे होने की वजह या आप कुछ चर्चित { भाई आप तो सबसे चर्चित हैं कहीं भी कमेन्ट दे दे पोस्ट बन जाती हैं !!!!!!!!!!! } ब्लॉगर की पोस्ट होने की वजह से चर्चा मे होना निरंतर जरुरी हैं !!!!!!!!
ज़रा विस्तार से बता दे ताकि सुझाव दिये जा सके { वैस सुझाव देना इतना आसन नहीं हैं जितना आप सोचते !!! हैं } बड़ा दिमाग लगान पड़ता हैं और टाइम { इसकी कीमत हैं क्या कुछ ? } भी देना पड़ता हैं . जबकि हेमी पता हैं की सुझाव पर ध्यान दिया नहीं जाएगा !!!! कुश जवाब जरुर दे ताकि सबका विरोधाभास दूर हो



@रचना जी

आपने लिखा "भाई कुश आप के कमेन्ट से मे इतना ही समझी की आप और समीर जब भी लिखेगे तो चर्चा मे आना एक दम जरुरी हैं "

मेरे कितने लेख चर्चा में शामिल हुए है इसका पता मेरी हर पोस्ट के नीचे लिंक विद दिस में चर्चा के लिंक के साथ देख कर लगाया जा सकता है .. फिर यदि मेरे ब्लॉग की चर्चा हो भी तो इसके लिए कोई भी चर्चाकार बाध्य नही है.. या मैने किसी से कहा भी नही की मेरी चर्चा की जाए. परंतु यदि की जाती है तो मुझे खुशी है..

आगे आप लिखती है की "आप कुछ चर्चित { भाई आप तो सबसे चर्चित हैं कहीं भी कमेन्ट दे दे पोस्ट बन जाती हैं !!!!!!!!!!! } ब्लॉगर की पोस्ट होने की वजह से चर्चा मे होना निरंतर जरुरी हैं"

अब मेरे कमेंट पर पोस्ट बनती है इस बात की मुझे खुशी भी है.. लेकिन फिर भी मैं किसी से कहता नही की आप मेरे कमेंट पर पोस्ट लिखिए..

रही बात मेरे चर्चित होने या लोकप्रिय होने की तो मैं कोई बड़ा स्टार नही हू.. ना ही मुझे यहा आने से पहले ब्लोगर्स जानते थे..

अब कुछ आंकडो की बात

13 मार्च 2008 - से मैं हिन्दी ब्लॉगजगत में आया.. और तब से अब तक मैने 91 पोस्ट लिखी है.. इसमे से 22 बार मेरी पोस्ट की चर्चा हुई है.. यानी की 69 बार जब मैने लिखा तो उसे चर्चा में जगह नही मिली.. इसका मतलब ऐसा बिल्कुल नही है की मैं लिखूंगा तो चर्चा में जगह मिलेगी..

मैने अपनी पोस्ट की चर्चा का आँकड़ा सिर्फ़ इसलिए दिया था क्योंकि धीरू सिंह जी ने लिखा था की इसे कुछ ब्लॉग्स की नियमित चर्चा कहा जाए..

और 13 मार्च 08 से लेकर अब तक 340 चर्चा हुई है.. यदि इसमे से 22 चर्चा को निकल दिया जाए तो 318 चर्चा में मैं था ही नही..


तो ये कहना भी मुनासिब नही की दूसरे ब्लॉग्स शामिल नही किए जाते..


आगे आप को ये भी लगा (शायद मेरी टिप्पणी से) की चर्चित होने से चर्चा में स्थान मिल जाता है.. तो आप ही के ब्लॉग 'नारी' के आँकड़े देखिए..

ज़्यादा नही सिर्फ़ 3 महीने के आँकड़े.. सितंबर, अक्टूबर,नवंबर और दिसंबर के 12 दिन..

इन तीन महीनो में 118 चर्चा की गयी है.. जिसमे से 28 बार आपके ब्लॉग की पोस्ट, चर्चा में शामिल की गयी है... तो आप स्वयं देख लीजिए की कौन ज़्यादा चर्चित है? आप या मैं :)

आगे आपने लिखा है.. "जबकि हमे पता हैं की सुझाव पर ध्यान दिया नहीं जाएगा !!!! "

ये आपको कैसे पता है? ये भी स्पष्ट कीजिए.. पर यदि सुझाव दिया जाए तो उस पर ज़रूर अमल होगा.. मैं विश्वास दिलाता हूँ ..


चिटठा चर्चा हमारा अपना मंच है.. सबका अपना.. इसके लिए किसी चर्चाकार को पैसा नही दिया जाता.. वो किसी के लिए नौकरी भी नही कर रहा.. रोज़ कुछ लोग अपने ब्लॉग पर लिखते है.. बस उनकी पोस्ट को आप तक पहुचना ही चर्चा करने का मकसद है.. इसमे ऐसा हो भी जाता है की कोई ब्लॉग चर्चा में शामिल ना हो पाए..


और शिकायत करने वाले कितने लोगो ने चिटठा चर्चा के मुख्य पृष्ठ के पास वाला लिंक (चिट्ठा चर्चा क्यो) देखा है.. जिसमे स्पष्ट रूप से लिखा है..




"अनुरोध है कि आप जिस पोस्ट की चर्चा चाहते हैं उसका लिंक कमेंट में दे दें.हम यथासंभव दोस्ताना अंदाज में चर्चा करने का प्रयास करेंगे."


कितने लोग ऐसा करते है?
कितने लोगो ने कभी अपने ब्लॉग का लिंक दिया है या कोई ब्लॉग सुझाया है?


मैं फिर एक बार यही कहना चाहूँगा की चर्चाकारो को उलाहना देने से अच्छा है आप सुझाव दे.. आपके सुझाव ही चर्चाकारो को सकारत्मक रूप से आगे बढ़ने में सहायता करेंगे..

धन्यवाद..


एक और बात

नारी ब्लॉग पर डॉ कुसुम लता जो दिल्ली विश्वविद्यालय के एकेडमिक कौंसिल के चुनाव मे खड़ी हो रही है, उनके लिए वोट की अपील की गई है.. कुसुम और उनके पति दोनों नेत्रहीन है पर ये अपील इस लिये नहीं की कुसुम नेत्रहीन हैं बल्कि इसलिये क्योंकि वो जिन्दगी मै आगे बढ़ना चाहती हैं!

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे

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29 टिप्‍पणियां:

  1. कुश जी,

    अपनी इस शुद्ध टिप्पणी चर्चा में आपने मेरी टिप्पणी शामिल नहीं की. मेरी टिप्पणी में मात्राओं की अशुद्धियाँ क्या बहुत ज्यादा थीं? .....:-)

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरा उद्देश्य किसी भेदभाव के आरोप का नही था मै अपने जैसे उन लोगों की अपेक्षाओं की बात कर रही थी जो चिट्ठाचर्चा के जरिये एक जगह पर दिन की कुछ अच्छी रचनाएँ पाना चाहते हैं.
    हो सकता है इन बारह दिनों में २८८ चिट्ठों की चर्चा की ही गई हो (एक लाइना जोड़ कर या घटा कर जैसे भी हो ) पर क्या ऐसा नही है की चिटठा चर्चा में कंटेंट के हिसाब से घूम फ़िर कर कुछ लोग छाये रह रहे हैं?
    जिन पर चर्चाकारों की नजर ज्यादा रहती है उनके अलावा बहुत से लोग एक या आधी लाइनों में सिमट जाते हो क्या ऐसा नही लगता?
    मै फ़िर कह रही हूँ की मैंने भेदभाव का आरोप नही लगाया . मै अपने ब्लॉग पर लिखना अरसे पहले ही बंद कर चुकी हूँ और एक और ब्लॉग जिस पर लिखती हूँ उसपर भी कोई ज्यादा नही लिखा है इसलिए मेरी चिंता ये नही है की मेरा ब्लॉग शामिल हो या नही मै पढने वालों के समूह से ख़ुद को मानती हूँ जो चिटठा चर्चा को एक ऐसी जगह के रूप में देखना चाहते हैं जहाँ उन्हें एक रेफरेंस मिल सके.
    हाँ मैंने अज के पहले नेविगेशन टैब में नही देखा था की आप क्या लिंक भी मांगते हैं अगर देखा भी होता तो भी वो मेरे किसी काम का नही था क्योंकि अगर मुझे इतने चिट्ठों की जानकारी ही होती तो मै चिट्ठाचर्चा से अपेक्षा क्यों करती. ख़ुद ही देख लेती.
    मै यहाँ जानकारी के लिए आती हूँ जो मेरे पास नही है. ब्लॉग एग्रीगेटर पर यह समझ में नही आता की कम समय में ज्यादा से ज्यादा अच्छे चिट्ठे कैसे देखे जाएँ सोचती थी की यहाँ कुछ पढने वाले मिल कर चर्चा कर रहे हैं यहीं से रेफरेंस ले लूँ
    मैंने जब पिछली टिप्पणी की थी तो उसके तुरंत बाद मुझे लगा की कहीं इसे आरोप न समझ लिया जाय. क्यों की मै आरोप नही लगा रही थी.
    पर उसके बाद शिव जी की टिप्पणी पढ़ के रहत महसूस हुई की कम से कम ये चर्चा करने वाले ने मुझे ग़लत नही समझा
    अंत में कुश जी से
    शायद आपने इस विरोध को अपने ख़ुद के ऊपर ले लिया मैंने कभी चिटठा चर्चा पढ़ते समय ये नही देखा की इसमे आज चर्चा कौन कर रहा है कौन नही आज मै शब्द कुछ ज्यादा ही देखने को मिला तो देखा की इसे अपने लिखा है और जिस पर मैंने अपनी चिट्ठाचर्चा की एक मात्र टिप्पणी की थी वो शिव कुमार जी ने लिखा था.
    चलिए आपने मेरे बारे में ये लिखा है
    "वैसे आपको चर्चा की कितनी फ़िक्र हैं.. इसका अंदाज़ा तो मुझे आज पहली बार आपकी टिप्पणी देखकर ही लगा... पहली बार इसलिए कह रहा हू क्योंकि पिछली 200 चर्चा में आपकी टिप्पणी मुझे नही मिली.. अगर आपको मिले तो कृपया लिंक दीजिएगा.."

    मै मान लेती हूँ की ये मेरी गलती थी की आज तक कोई भी टिप्पणी न करने के बाद आज मैंने जो समझ में आया उसे लिख दिया. आप सही कह रहे हैं की जो टिप्पणी नही करते हैं वो अगंभीर किस्म के होते हैं और उन्हें इस तरह की बात नही करनी चाहिए .
    जो रोज टिप्पणी करते हैं उन्हें ही चिंता होती है वही चिट्ठाचर्चा परिवार के सदस्य हैं उन्हें ही बातें कहने का हक़ है.
    कुछ लोग गिफ्टेड होते हैं उन्हें बात करना आता है वो पोस्ट पढ़ के ही जान जाते हैं की अब यहाँ टिप्पणी में क्या लिखना है
    मुझे भी अच्छा लगेगा अगर मै भी ढेर सारी टिप्पणी के लिए सोच ले आ सकूँ
    मैंने जान बूझ कर इग्नोर किया हो ऐसा नही है बात बस इतनी है की मुझमे उतनी प्रतिभा ही नही है शायद इसीलिए मै ब्लोग्स पर ज्यादा नही लिख पाती

    मै मानती हूँ मैंने अपेक्षा कर के या पहली बार टिप्पणी करके या फ़िर अनाधिकार चेष्टा कर के गलती की है
    एक बात की और ध्यान दिल दूँ चिटठा चर्चा का विचार सिर्फ़ लिखने वालों के लिए अच्छा नही है. क्योंकि एक ब्लॉग की चर्चा दुसरे ब्लॉग पर हो गई इसमें कोई बड़ी बात नही है. यह पढने वालों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्यों की उन्हें यहाँ से संकेत मिलते हैं की क्या पढ़ा जाय.

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  3. kush thanks for putting Dr Kusum Lata On this forum , I appreciate it from the bottom of my heart and I request all Delhi University teachers to please vote for her

    जवाब देंहटाएं
  4. @निशा जी

    आपकी त्वरित प्रतिक्रिया देखकर अच्छा लगा.. और जानकार खुशी हुई की चिट्ठा चर्चा को स्वतंत्र पाठक भी पढ़ते है ना की सिर्फ़ ब्लॉगर..

    आपने लिखा है

    "आप सही कह रहे हैं की जो टिप्पणी नही करते हैं वो अगंभीर किस्म के होते हैं और उन्हें इस तरह की बात नही करनी चाहिए ."

    मैना ऐसा कही भी नही लिखा.. ये आपको लगा है.. अगर इसे आप ऐसे लिखे की मुझे लगा तो ज़्यादा बढ़िया रहेगा..

    आपने लिखा "अगर मुझे इतने चिट्ठों की जानकारी ही होती तो मै चिट्ठाचर्चा से अपेक्षा क्यों करती. ख़ुद ही देख लेती. "

    अगर आपको इतने चिट्ठों की जानकारी ही नही है.. तो फिर आपने कैसे लिखा की चर्चा में अच्छे ब्लॉग्स शामिल नही किए जाते.. आप प्लीज़ उन ब्लॉग्स के लिंक दीजिए जो अच्छे है और उनकी चर्चा नही होती..


    आपने लिखा - आज 'मै' शब्द कुछ ज्यादा ही देखने को मिला

    सही कहा आपने... और ये शब्द आपकी टिप्पणी में मिला.. 20 बार और मेरे पूरे लेख में मिला 12 बार..

    आगे आपने लिखा "कुछ लोग गिफ्टेड होते हैं उन्हें बात करना आता है वो पोस्ट पढ़ के ही जान जाते हैं की
    अब यहाँ टिप्पणी में क्या लिखना है "

    आपने भी आज की टिप्पणी में इसका उदाहरण दिया है..

    वैसे इन सारी बातो से मैं ये नही कह रहा हू की आपने टिप्पणी क्यो नही की.. या फिर आपको सुझाव देने का अधिकार नही है.. टिप्पणी के रूप में आपको एक ही जगह पर आपकी पसंद के अनुरूप ब्लॉग्स उपलब्ध कराने वाले मंच पर धन्यवाद तो लिखा जा सकता है.. उसके लिए तो सोचना भी नही पड़ता है..

    "आपने लिखा की मैने बातो को व्यक्तिगत ले लिया है "

    आपकी बातो में व्यक्तिगत लेने जैसा कुछ था ही नही.. मैने एक चर्चाकार होने के नाते अपने विचार रखे है.. परंतु शायद आपने मेरे विचार व्यक्तिगत रूप से ले लिए है..

    यदि मेरी किसी बात से आप आहत हुई तो मैं क्षमा चाहता हू... यदि कोई भी ब्लॉगर मेरी किसी बात से आहत हुआ हो तो भी मैं क्षमा माँगता हू..

    अंतत: चाहते तो हम सभी इस मंच की बेहतरी ही है..

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरा एक सुझाव है जिस किसी को भी चिट्ठा चर्चा से शिकायत है वह खुद कम से कम एक बार चिट्ठा चर्चा लिखे और उसे चिट्ठा चर्चा में स्थान दिया जाए। दिन में एक या एकाधिक अतिरिक्त चिट्ठा चर्चा होगी तो बहुत से चिट्ठों को स्थान मिल सकेगा। हाँ यह शर्त जरूर लगाएं कि एक ही ब्लाग पोस्ट का उल्लेख दूसरी, तीसरी चर्चा में नहीं हो।

    जवाब देंहटाएं
  6. रवि रतलामी से क्षमा मानते हुए:-
    अरे ओ साम्बा,एक साल के ३४० में से २२ पर चर्चा- बहुत अन्याय है रे..
    >सरकार ३ महीने में ११८ में से २८ की चर्चा हुई
    > बहुत अच्छा-- बहुत अच्छा, पर किसकी थी रे...
    >सरदार वो....
    >अच्छा जाने दे रे... वो तो चर्चा है कोई डाका तो नहीं। चर्चा को चर्चा ही रहने दे रे॥
    ..............
    भाई कुशजी, आपने तो टिप्पणियों पर रिसर्च कर दिया। अरे भई, अगर अधिक चर्चा हो गई तो यह चिट्ठाचर्चा की उपलब्धि है। इसे तो बधाई के तौर पर लेना चाहिए। बधाई.....

    जवाब देंहटाएं
  7. धन्य धन्य भाग्य हमारे एक लाइन ने चर्चित कर दिया . कोई वैधानिक कारण नहीं था मेरे पास जो मेने यह टिप्पणी कर दी लेकिन चर्चा चिटठा मे भी एक चर्चा हुई और आपके आकडो और जबाब ने मुझे लाजबाब कर दिया .धन्यबाद .

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह वाह, चिठ्ठाचर्चक सफाई देने के मोड में आ लिये हैं! अनूफ शुक्ल जी ने तो बित्ते भर की सफाईछाप टिप्पणी ठेली है लिंकित चर्चा पर। बस चर्चा करने वाले ऐसे ही ऑन-द-टोज रहें। बहुत मौज लेते हैं शरीफों से वन लाइनर में! :-)

    जवाब देंहटाएं
  9. रचना जी से एक प्रश्न ?.....
    आप ने कभी ध्यान दिया है की 'समीर जी ' हर नवागंतुक ' ब्लॉग पर कम से कम एक लईना उत्साह वर्धक टिप्पणी देने अवश्य पहुँच जाते ही है ,आप ? ...?...? कभी आशीष खंडेलवाल को शिकायत करते देखा है [एक बार को चिटठा जगत पर छोड़ कर :सक्रियता क्रम की कोई गड़बडी का मामला था ] मैं भी घूमता रहता हूँ हिन्दी ब्लोगिंग में ब्लोगरों की संख्या अमिताभ बच्चन ,लालू ,आमिर खान आदि द्वारा ब्लोगिंग की ख़बर के बाद से बहुत तेजी से बढ़ी है ,सब का उल्लेख तो सम्भव नही है ,] जोलोग उससे स्थायी रूप से जुड़े है उनमे से कईयों चिट्ठों की चर्चा बार बार होना लाज़मी है ,कम लिखने का अपना मजा है ] कोई पसंद आने पर जब भी मैं यहाँ आउंगा उसे अवश्य ढून्ढूगा ,लगातार ना मलने पर उलाहना भी दूंगा] दस पोस्ट लिखने पर जब दो का उल्लेख होगा तो बीस प्रतिशत होगा परन्तु चार में से दो का उल्लेख होने पर यही पचास फीसदी कहलायेगा ] वैसे मुझे भी शिकायत है की डा० अभिषेक ओझा ने ब्लोगिंग छुडाने के नुसखे के बाद कोई दोसरा कोई नुस्खा अभी तक नही बताया ] दूसरी ओर चिटठा चर्चा की बदौलत समय की बचत ही होती है क्योंकि एग्रीग्रेटरो पर मैंने पाया की एक ही आलेख पाँच अलग अलग जगहों पर छापा होने पर पाँचों स्थान से उठाने के करारण बड़ा समय व्यर्थ जाता है पढ़ने योग्य ढूँढने में ]चिटठा चर्चा कारों से सुझाव है की एक लाईना बढ़ा दें ,परन्तु विषय वर समूहीकृत करदें जिससे राजनीती ढूंढ रहा कविताओं का और कविताएँ ढूँढने वाला लोकेश की अदालत में ना पहुच जाए ]

    जवाब देंहटाएं
  10. भाई कुश , मु्झे लगता है कि अब चिट्ठा चर्चा अपने शुरुर पर आता जा रहा है ! बहुत शुभ लगा कि बहस शुरु हो गई हैं ! और ये ही तो इसका असली मकसद होना चाहिये !

    पर भाई मैने क्या टिपणि ही नही की थी या हजम हो गई ? :)

    राम राम !

    जवाब देंहटाएं
  11. इस तरियों अपनी पैरवी की ज़रूरत ही क्यों आन पड़ी, भाई कुश ?
    चर्चा एक स्वस्थ मंच है, इस प्रकार टिप्पणियों को आक्षेप के रूप में न लिया जाय, भाई !
    व्हिप का कोई रोल लोकतंत्र में होता होगा, न बंधु ?


    सो, वही यहाँ है ! और देखो तो कि इत्ती किसिम किसिम की शिकायतों के बावज़ूद चर्चाकारमंडली कितना सुरक्षित है..
    कोई कुर्सी मेज़ आपकी ओर फ़ेंकना भी चाहे, तो अपने ही कंम्प्यूटर से तो हाथ धोयेगा.. यह क्या कम है ?

    चर्चा बोले तो रिव्यू.. नाट एन मैन्डेटरी इन्क्लूज़न !!
    बहस तो रिव्यू के लिये गये चिट्ठों के चुनाव को लेकर है !
    यह कई प्रकार से हो सकता है..
    औचक ( Random Basis ) - मसलन पिछले 48 घंटे में प्रकाशित किसी एक वर्णाक्षर से शुरु होने वाले शीर्षकों के चिट्ठे
    समयबद्ध - एक निर्धारित समयसीमा में दिखे चिट्ठे
    व्यक्तिनिष्ठ- चर्चाकार की नितांत पसंद और रुचि पर आधारित चिट्ठे
    विषयनिष्ठ- एक विषय-विशेष पर गत सप्ताह आये चिट्ठे
    सामयिकी- सामयिक मुद्दों पर ब्लागरीय सरोकार से ओतप्रोत चिट्ठे
    काव्यात्मक - जैसे विवेक कर रहे हैं, या केवल कविता ( वाचक्नवी, नहीं.. ) को ही समर्पित
    तकनीकपरक - यह चिट्ठे गिनती के हैं, सो यदाकदा किसी भी चर्चा में समायोजित किये जा सकते हैं
    टिप्पणीपरक - अधिकतम अथवा बेहतरीन टिप्पणी पाये हुये चिट्ठे
    और इन टिप्पणियों के संभावित कारण एवं गुण दोषों की विवेचना
    स्मरण रहे कि, केवल वाह-वाह चर्चा से कई चिट्ठाकार मुग़ालते में फँस कर रह जाते हैं, और बेमौत मारे जाते हैं
    वरिष्ठ चर्चाकार यदि उसमें सुधार की ग़ुंज़ाइश भी सुझायें, तो मैं नहीं समझता कि किसीको इसे नाक का प्रश्न बनाना चाहिये

    एकलाइना गुदगुदाती तो हैं, मुझे ही क्या सभी को पसंद हैं, पर अनूप जी या शिवभाई के मेहनत की सार्थकता इसमें होगी, कि एक लाइना का विन्यास ऎसा बने कि पाठक हठात उत्सुक हो उसके लिख पर जाने को बाध्य हो जाये, मसलन शीर्षक की पैरोडी ही हो, मूल शीर्षक या लेखक का अता पता जानने को लिंक पर क्लिक करना अपरिहार्य हो.. इससे रोचकता में इज़ाफ़ा ही होगा

    ध्यान दें कि यह सुझाव मात्र है , इनकी व्यवहारिकता पर मेरा कुछ अधिक कहना उचित न होगा
    न ही कोई चर्चाकार इसे मानने को बाध्य है

    जवाब देंहटाएं
  12. एक शुद्ध टिपण्णी चर्चा
    के शीर्षक पर टिपिया रहा हूँ इस में एक शब्द लिखा "टिपण्णी"
    वास्तव में "TIPPANI" लिख कर स्पेस दबाओगे भाई "टिपण्णी"
    ही पाओगे स्पेस दबाओगे और दिमाग भी तो टिप्पणी ही पाओगे ?
    चर्चा मंथन सी लगी नहीं २०-२० का मैच था

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह भाई वाह! अब तो इस चिच का एक भी अंक मिस करना खतरे से खाली नहीं है। बात कहाँ से कहाँ पहुँच जा रही है। लेकिन कुल मिलाकर हमें तो मजा ही आ रहा है। वैसे धीरू सिंह ने यह टिप्पणी किस बात पर की थी? :)

    जवाब देंहटाएं
  14. "रचना जी से एक प्रश्न ?.....
    आप ने कभी ध्यान दिया है की 'समीर जी ' हर नवागंतुक ' ब्लॉग पर कम से कम एक लईना उत्साह वर्धक टिप्पणी देने अवश्य पहुँच जाते ही है ,आप ? ...?...?"''ANYONAASTI '' said

    समीर , हवा के झोके हैं जहाँ चाहे जाए मै रचना हूँ सो क्रिएटिव हूँ . फुर्सत से मेरे ब्लॉग पर भी झाँक लिया करे तो ??? की जरुरत नहीं होगी .


    "मैं भी घूमता रहता हूँ हिन्दी ब्लोगिंग में"''ANYONAASTI '' said

    मै ये भी दिढोरा नहीं पीटना चाहती की कितने लोगो को मेने ब्लॉग लेखन मै साहयता की हैं या कमेन्ट दे देकर कितने लोगो का उत्साहवर्धन किया क्युकी मै इसे obnoxious मानती हूँ

    कुश statistical aproch अच्छी हैं पर अगर कम्युनिटी ब्लॉग का मिलान निज ब्लॉग से करेगे तो मुश्किल हैं . नारी मेरा ब्लॉग नहीं हैं हिन्दी ब्लोगिंग का पहल कम्युनिटी ब्लॉग हैं जहाँ महिलाए ही लिखती हैं . और मेने अपने किसी भी कमेन्ट मै शायद ये नहीं कह हैं की मेरा ब्लॉग क्यों नहीं हैं .

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  15. kush

    aap ne hindi bloging ki parmparaa ko todaa haen .

    aap nae psot likh kar chacha sae vishraam liyaa tha

    wo hindi bloging ki parmparaa thee
    " ja rahe haen post banaa do ",

    25 kament lo kyu jaa rahe ho , 25 kament lo jaldi aana 45 kament lo asea mat karo kyaa hua bato aur baaki paanch kament log man mae daetey haen chalo jaan jhutii "

    phir ek psot daalo
    "sabkae kehane sae laut aaye , galti pataa lag gayee , tanki chad gaye they uttar aaye , aur phit kament shuru

    to bahi tumarii is post sae pehlae wo post aani chahiyae thee

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  16. अरे ये कचरिया बेचना बन्द भी करो यारो :)

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  17. ईमानदारी से कहूं तो मुझे आज कि चर्चा अच्छी नहीं लगी.. कम से कम यह पढ़ने तो यहां नहीं आता हूं..(कुश से क्षमा के साथ, बुरा ना मानना भाई.. जो दिल में था वही कहा है मैंने..)

    जवाब देंहटाएं
  18. kush
    aap ne hindi bloging ki parmparaa ko todaa haen .
    aap nae psot likh kar chacha sae vishraam liyaa tha
    wo hindi bloging ki parmparaa thee
    " ja rahe haen post banaa do ",
    25 kament lo kyu jaa rahe ho , 25 kament lo jaldi aana 45 kament lo asea mat karo kyaa hua bato aur baaki paanch kament log man mae daetey haen chalo jaan jhutii "
    phir ek psot daalo
    "sabkae kehane sae laut aaye , galti pataa lag gayee , tanki chad gaye they uttar aaye , aur phit kament shuru
    to bahi tumarii is post sae pehlae wo post aani chahiyae thee


    ? ? ? ? ? ? ? ? ?

    इसका संदर्भ... छिः या कुछ और..? जो, मैं नहीं पकड़ पा रहा हूँ !

    No joking, I am unable or say yet to catch its context with the creativity or whatsoever, you call it !

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  19. मजेदार! कुश मैं,मैं भी गिन लिये यह मजेदार है। चर्चा के सुझावों से सार ग्रहण करने का प्रयास हो रहा है।

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  20. OK -- जो चर्चा करते हैँ
    उनकी मेहनत को देख
    हम तो शुक्रिया कहते हैँ आज
    - लावण्या

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  21. dr amar
    i have observed in hindi bloging that if a bloger wants to stop posting in future he will right so and then theier will be 100 people commenting to tell him/her please dont go , please contiue to blog
    and then after this the blogge will again write a post and say he is back and he was wrong in quitting

    its a parmaparaa of hindi bloging !!!!!
    i can give links as well from sagar nahar , kannu singh , lovely kumari , kush on charcha , sunita shanu and many more who did this and they are still "happily " bloging

    i thought people will catch the pun in this comment but it seems either wise

    जवाब देंहटाएं
  22. @Rachna Ji
    pranam!

    sukshm objarvation ke liye badhai.. aapse sahmat hu aisa hota hi hai.. jo naam aapne likhe unke baare mein jyada nahi pata... apni baat karte hai..

    u wrote - the blogger will again write a post and say he is back

    i never said - i m back

    u wrote - he was wrong in quitting

    i never said i m quitting. there is a big difference between rest and quitting. as i wrote i m taking 'viraam' from bloging. with this line.. jald hi wapas aaunga.. par kah nahi sakta kab..

    taking rest from charcha is not like 'tanki pe chadhna'

    u wrote i've done it for comments!!!!

    i dont need these kind of cheap publicity to get comments on my blog.. i am quite enough to get comments with my writing.

    i hope i cleared your doubts.if u have any. we can discuss it somewhere else, not here.

    regards
    Kush

    जवाब देंहटाएं
  23. मै को देख रहा था तो मेरे मन में भी कुछ बाते थी पर मै कुछ बोल नही रहा था आखिर मै भी मूक पाठक ही हूँ.
    पहले तो मै बता दूँ कि मै नही मानता कि बस कुछ ही लोगों को जगह मिलती है पर परेशां करने वाली बात कुश का रवैय्या रहा . मै उनका प्रशंसक हूँ पर अक्सर वो बिगड़ खड़े होते हैं.
    रचना जी और कुश की बात चल रही थी टिप्पणियों में और फ़िर उन्हें चिट्ठाचर्चा में चर्चाकार के रूप में इस विवाद को जगह देने की आवश्यकता नही थी., वो अपने ब्लॉग में या टिप्पणियों में ही जवाब देते रह सकते थे या फ़िर कोई और चर्चाकार इसे व्यक्त कर देता तो वो सर्वोत्तम होता. कुश चर्चाकार के रूप में बहुत अच्छा लिखते हैं पर उनके व्यक्तित्व को अभी बहुत कुछ सीखना है.
    आंकडे तो शिवराज पाटिल ने भी दिए थे कि वो आडवाणी से बेहतर गृहमंत्री थे पर आंकडे ही सब कुछ नही कहते लोगों की भावनाओं का सम्मान करना भी अच्छा होता है
    कुश ने निशा जी के जवाब में उनकी फ़िक्र को लेकर जो संदेह किया वह अनावश्यक था यह सही रूप में व्यक्तिगत हमला ही था तो निशा जी इसे व्यक्तिगत रूप में क्यों न लेतीं कुश? क्या तुम ले पाये रचना जी की सीधी टिप्पणी को निर्वैयेक्तिक भावः से?
    फ़िर निशा जी की इस टिप्पणी कि मै का प्रयोग अधिक था पर कुश ने जवाब दिया कि आपकी टिप्पणी में मै का प्रयोग बीस बार था मेरी में १२ ...
    कुश ! तुम चर्चाकार के रूप में टिप्पणी कर रहे थे और निशा जी व्यक्तिगत हैसियत में जवाब दे रही थीं. क्या दोनों रूपों मेंं मै का समान अर्थ होता है?
    तुमने तो ख़ुद ही लिखा है कि तुम व्यक्तिगत रूप में नही चर्चाकार के रूप में लिख रहे थे.
    प्रिय कुश तुमने अंत में रचना जी को लिखा है कि हम इस पर कहीं और बात कर सकते हैं. ये अगर पहले ही कर देते तो क्या उचित न होता?
    मै और ढेर सारे ब्लॉग पढने वाले लोग जानते हैं कि तुम्हे अपने ब्लॉग के लिए किसी विवाद की जरुरत नही है हम सब तुम्हारी प्रतिभा के कायल हैं और जानते हैं कि अगर यहाँ तुम्हारी चर्चा होती है तो वो इसलिए क्योंकि तुम ख़ुद अच्छा लिखे होते हो पर तुम्हे ख़ुद स्पष्टीकरण देने की चिट्ठाचर्चा के माध्यम से चर्चाकार के रूप में जरुरत नही थी. मै जनता हूँ कि कई बार तुम आक्रामक हो जाते हो पर अपने स्वभाव में गंभीरता लाने का प्रयास करो . हम सभी तुम्हे पसंद करते हैं और करते रहना चाहते हैं.
    अब ये मत लिख देना मेरे भाई कि आप अपनी सलाह अपने पास रखिये मै जानता हूँ कि मुझे किसकी फ़िक्र करनी है.
    अंत में एक बात सभी को
    जो अपनी पहली प्रतिक्रियां दें उन्हें उत्साहित करना भी अच्छा हो सकता है हो सकता है आपकों लगे कि आपको पाठकों की सोच की जरुरत नही है पर क्या जरूरी है कि उनका स्वागत ऐसे हो जैसे कुश ने निशा जी का किया?
    "वैसे आपको चर्चा की कितनी फ़िक्र हैं.. इसका अंदाज़ा तो मुझे आज पहली बार आपकी टिप्पणी देखकर ही लगा." कुश यार ये ग़लत तरीका है इसे बेहतर तरीके से कहा जा सकता था.

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  24. इन विवादों से पता नहीं क्या हासिल हुआ है...लेकिन चिट्ठा-चर्चा की बदौलत कम से कम इतना तो होता ही है कि हम जैसे नये ब्लौगर तमाम नये पोस्टों से आसानी से परिचित होते रहते हैं...
    और दुसरा ये कि इन कथित शिकायतों से पहले लोग चिट्ठा-चर्चा में जुड़ी मेहनत और चर्चाकारों के बेमिसाल धैर्य को तो देखें-संभव हो तो शिकायत बजाने से पहले एक चर्चाखुद लिख कर देख लें

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  25. @Rachna Ji
    pranam!

    kush may god bless you

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  26. मजा आगया , धीरू सिंह जी ने अच्छी फुलझरी छोड़ी ! लग रहा है हम सभी जवाबी कीर्तन/ कव्वाली जो रचना जी और कुश पहलवान के बीच होरही है ,के श्रोता [पाठक है ;जो बीच बीच में विवेक सिंह द्वारा आपूर्तित 'कचारियाँ चबा रहे हैं ] वैसे डा o अमर कुमार की चिटठा चर्चा को विषय वार तथा दिन वार वर्गीकरण कर दे मैंने भी ऐसी ही संक्षिप्त सी सलाहदी थी ] खैर चिटठा चर्चा का धन्यवाद बहुत से लोगों से मुलाक़ात करादी[] एक सलाह और ब्लोगर .कम से अनुरोध सहित ,टिप्पणी शब्द को हटा कर इसे " टिपियाना ''करदें तो उचित होगा ] कमेन्ट बॉक्स के ऊपर लिखा होगा ' आप भी एक टीप दें [ इच्छा तोहै लिखा हो " कृपया एक बार एक टीप अवश्य लगावें "] वैसे कुशजी ब्लॉग की टीपों को व्यक्तिगत न लें ,रचना जी हर ब्लागेर चाहता ही है किउसे ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ें ,क्रियेटिव राईटिंग की बात अपनी समझ में हर ब्लागेर वाही कर रहा है , इसका निर्णय पाठको पर छोड़ दें तो उचित होगा ] टीप के साथ -साथ टिप भीं दें की की सुधारें कैसे सुधारें [

    जवाब देंहटाएं
  27. @''ANYONAASTI ''
    maene kewal itna kehaa thaa
    समीर , हवा के झोके हैं जहाँ चाहे जाए मै रचना हूँ सो क्रिएटिव हूँ .'

    aapne interpret kiya
    रचना जी हर ब्लागेर चाहता ही है किउसे ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ें ,क्रियेटिव राईटिंग की बात अपनी समझ में हर ब्लागेर वाही कर रहा है

    jabki mae kewal dono naamo kaa matalb bataa rahee thee

    sameer yani hawaa
    aur rachna yani creation

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  28. भाई!!! अब बंद भी करो यह चर्चा और शुरू करो नई चिट्ठा चर्चा!!!

    आप अपना कम करते रहें और नए प्राप्त सुझावों पर अमल करने का प्रयास करते रहें !!!

    हाँ!!! अमर जी के सुझाव अच्छे हैं , उन पर विचार होना चाहिए!!!!!


    वैसे हो सके तो अपने आकडें मेरे बारे में बता दें!! भाई कुश!!!

    कितनी बार चर्चा , और कितनी बार टिप्पणी?????

    जवाब देंहटाएं

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