आप लोग सोच रहे होंगे की एक ही दिन में ये दूसरी चर्चा क्यो?? दरअसल मैने शिव कुमार मिश्रा जी को सुबह उनके मोबाइल पर एस एम एस भेज दिया था की आज चर्चा मैं करूँगा.. परंतु वे अपना मोबाइल आज घर पर ही भूल गये... और उन्होने चर्चा कर दी.. यहा हमने भी अपनी चर्चा तैयार कर दी थी.. इसलिए आज दूसरी बार चर्चा हो गयी..
आशा है दूसरी चर्चा में भी आप सभी का साथ बना रहेगा..
आइए अब चलते है..... आज की चर्चा की तरफ...
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
नमस्कार.. चिट्ठा चर्चा में आपका स्वागत है.. मैं हु कुश, और आज फिर एक बार हाज़िर हू मैं अपनी चर्चा लेकर..
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"आज के दो ब्लोगर"
आज के दो ब्लोगर में हम आपको मिलवा रहे है.. रंजना जी से..
इनके ब्लॉग का नाम ही है संवेदना संसार है.. और वाकई इनके ब्लॉग पर संवेदनायो से ओत प्रोत पोस्ट मिल सकती है आपको.. हालाँकि इनकी पोस्ट हमे काफ़ी अंतराल के बाद पढ़ने को मिलती है.. मगर जब भी आप इनके ब्लॉग पर जाएँगे.. निराश नही लौटेंगे.. ये मेरा वादा है... इनकी पिछली पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
व्यंग्य लेखो में एक नाम मुझे बहुत आकर्षित करता है.. नीरज भदावर , दैनिक हिन्दुस्तान में इनके व्यंग्य प्रकाशित किए है.. फिलहाल ब्लॉग पर निरंतर लिखना होता नही है इनका, पर पिछले दो दिनो में इन्होने दो लेख प्रकशित होते रहते है.. फ़ुर्सत में यदि इनके ब्लॉग की सारी पोस्ट पढ़ी जाए.. तो यक़ीनन आपको बहुत मज़ा आएगा..इनकी पिछली पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
तो दोस्तो ये थे आज के दो ब्लॉगर.. अब आगे बढाते है आज की चिट्ठा चर्चा..
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
चिट्ठो की पहेलिया...
राज भाटिया जी अपने ब्लॉग पर हमेशा पहेलिया लेकर आते है.. इससे अपने ब्लॉग के पाठको के साथ सीधे ही इंटरेक्शन हो जाता है...
इस बार वो लाए थे... एक और पहेली..
जिसका जवाब उन्होने कल की पोस्ट में दिया है...
ब्लॉग भारतीय भुजंग पर अरविन्द मिश्रा जी जवाब देते नज़र आए ... क्या कहा सवाल ?.. अजी सवाल यहा पर है..
मोहन बाबू भी अपना सवाल लेकर आए थे.. और यहा पर जवाब मिल जाएँगे आपको..
रवि रतलामी जी लेकर आए है ऑनलाइन वर्ग पहेली.. क्या कहा आपने अभी तक देखी नही.. तो ये लीजिएलिंक..
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"इधर उधर से"
एक सवाल कविता जी का भी था... पुरु, गोडसे और कसाब - समान हैं ?
संजय जी भी कुछ ऐसा ही पूछते पाए गये...
द्विवेदी जी का कहना है.. " आमिर कसाब और अभियुक्त का प्रतिरक्षा कराने का अधिकार "
प्रणय का भी एक सवाल है.. वे पूछते है आखिरकार इस सब का दोषी कौन है ?
विष्णु जी भारतीय जीवन बीमा निगम की नयी पॉलिसी के बारे में बता रहे है..
अपना छोटू आदित्य क्या कर रहा है देखिये
चलता फिरता ब्लॉग पर बच्चो को रचनात्मक तरीके से भोजन देने के बारे में बताया गया है.. और वो भी तस्वीरो में... ज़रूर देखे.
अरुण अरोरा जी बता रहे है की हिन्दुस्तान में शरणार्थी बांग्लादेशियो के लिए तो जगह है पर हिन्दुओ के लिए नही...
ऐसा ही कुछ अनुभव नटराज भी कर रहे है..
माइकल चंदन जी ने भी अपने ब्लॉग पर कुछ लिखा..
महेंद्र मिश्रा जी फिर ले आए है हँसी की फुलझड़ी
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
अब बात करते है गजलो की
डॉ. चन्द्रकुमार जैन दो गजल लेकर आए है.. "दुःख भी दुखी हुआ करता है...!" और "इतना बोझ न रखनामन पर...!"
अक्षय अपने मन से लाये है एक ग़ज़ल "इतना प्यार ना दे कि..."
मीता भी रोमांटिक ग़ज़ल सुना रही है..
"ख्वाब ही है, मुझे ख्वाब से जगाया ना करो
आती है शर्म मुझे, ऐसे सताया ना करो
कहे दो जो भी है कहेना, ऐसे ना कहो..
अपनी आँखोसे यूँ बाते बताया ना करो"
प्रकाश बादल जी भी लाये है एक ग़ज़ल..
समीर लाल जी भी ग़ज़ल पढ़वा रहे है ...... ऐसे बनी गज़ल कि मेरे होश उड़ गये!!!
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
चलिए अब ले चलते है आपको गीतों की दुनिया में
चलना है चलना है , चलना मगर ,
उपालंभ
शाश्वत जी कुछ यु फरमा रहे है
"फिर से वादे हज़ार करते हैं, तेरा गम हम खुशी से सहते हैं।
रोज दिन की तलाश होती है, रात ही आसपास होती है।
रात को दिन में अब उतरने दो, रात की बात राज रहने दो।"
अब तो बस...
चित्र मावस का था, रंग भरते रहे
संध्या की पुस्तक के पन्ने तब सिन्दूरी हो जाते हैं
उषस् (एक)
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
पिछले दो दिनों में प्रकशित हुए कार्टून
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
कविता पाठ करना हो तो इन ब्लोग्स पर नज़र डालिए
"चाहना पाना देना मांगना"
आदतें
कैसे कहे ?
लास्ट सपर
लिबास
आज अपना हो न हो पर ,कल हमारा आएगा
प्रेम के बारे में
आस्था
खुदा
दृष्टि
बेजी कविता सुना रही है
मुझे यकीन है
मेरे मन में खिला
हर भाव
तुम तक पहुँच जाता है
मैने देखा है
इम्हे तुम्हारी आँखों में
अंकुरित होते हुए....
तुम्हारी चुप्पी
हाय रे पानी
फिर भी तुम्हें, नहीं करूंगी अशक्त!
माँ का पत्र
"तेरा ना होना"
अवनीश तिवारी का कविता पाठ
तुम्हारे बिना
रिश्ते
निःसारता
गीत को तुम्हारे
कु संग की कविताये
कल रात चांद को देखकर मैं बहुत रोया....
रश्मि प्रभा जी की कविता
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हास्य व्यंग्य से सम्बंधित पोस्ट पढ़ना चाहे तो इन ब्लोग्स पर जाइये
जूता पड़ा रे बुश जी पे ईराक में
बुढ़ापे की ग़ज़ल!!
जूता ऑन बुश, दुनिया खुश - एक जूतात्मक लेख
अमित कुछ मांग रहे है प्रभु से...
"प्रभु नया नया ब्लाग लिखना शुरु किया है..लेकिन कोई पढ्ता नहीं ..कुछ करो ना...प्रभु फिर भी चुप हैं...
अगर पढ्ते भी हैं तो कोई टिप्प्णी नहीं करता....कुछ करो ना...प्रभु फिर भी चुप हैं...
प्रभु सब धाखड लेखक हैं.....बहुत अच्छा लिखते हैं..मुझे भी उन जैसा बना दो ना..."
उम्मीदवार की योग्यता!
जूता खाने के बाद बुश का एक्सक्लूजिव इंटरव्यू
मैं कुत्ताः चमचागीरी कोई हमसे सीखे
हमको जो कोई बूढ़ा समझे बूढ़ा उसका बाप
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
संगीत की दुनिया
गंदे गाने: एक श्रृंखला...:आग लागे अइसन ओझाई...
तेरे बिना आग ये चांदनी तू आजा...
पिया बाज प्याला, पीया जाये ना
वो जाते जाते मेरे इख्तियार ले गए
दिल सख़्त क़यामत पत्थर सा और बातें नर्म रसीली सी
राधिका जी लायी है संगीत प्रेमियों के लिए एक और नई पोस्ट.."श्री पुर्वायन चटर्जी ने सितार वाद्य में ही आमूलचूल परिवर्तन कर अपनी उन्नत वादन शैली को कानसेनो के समक्ष प्रस्तुत किया तो बिहाग की स्वर संध्या में कानसेन झूम उठे,इनके आलावा भी कई कलाकारों ने अपने गायन वादन से सुर और साजो का अनूठा समां बांधा । इस तरह कुछ कमियों के बावजूद ही सही इस बार भी कानसेनो की कृपा से ही तानसेन संगीत समारोह सफलता के साथ संपन्न हुआ"
खो गई है
खुद नीरज से सुनिए: कारवां गुज़र गया
तुझे बुत कहूँ की खुदा कहूँ
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
विज्ञान की बातें
अम्लीय वर्षा (Acid rain)
विज्ञान क्या बीमारी है?
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
" आज के पाँच पठनीय ब्लॉग पोस्ट"
१) ब्लास्ट से ब्लास्ट के बीच...
२) मेरा बचपन
३) मीडिया के बाल मजदूर
४) दही बड़ा तो खाकर देख, खीर ले खीर ले बहुत टेस्टी बनी है।
५) एक लड़का क्या चाहता है?
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
२) मेरा बचपन
३) मीडिया के बाल मजदूर
४) दही बड़ा तो खाकर देख, खीर ले खीर ले बहुत टेस्टी बनी है।
५) एक लड़का क्या चाहता है?
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"आज के पाँच अधिक टिपण्णी प्राप्त ब्लॉग"
१) वह मर कर परिवार का भला कर गया
२) ताऊ ने बटेऊ को इंगलिश मे पछाडा
३) ऐसे बनी गज़ल कि मेरे होश उड़ गये!!!
४) चिंता नही, इरेजर है न.......
५) अठारह की महिमा
२) ताऊ ने बटेऊ को इंगलिश मे पछाडा
३) ऐसे बनी गज़ल कि मेरे होश उड़ गये!!!
४) चिंता नही, इरेजर है न.......
५) अठारह की महिमा
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
तक्नीकी ब्लोग्स
डाउनलोड कीजिए फ़ायरफ़ॉक्स हिन्दी - फ़ूली ऑफ़िशयल
Top 30 Blogger बच्चे
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
आज की पाँच टिप्पणिया
>रंजना सिंह- चूंकि पैसा अब एक शराबी के हाथ नहीं, एक कुशल गृहणी के हाथ आता है, तो उसके घर पर लक्ष्मी और सरस्वती की कृपा साथ-साथ नजर आती है।
बिल्कुल सही कहा आपने....... और सही ही है,ऐसे लोगों के होने से न होना बेहतर है.
सुंदर प्रेरणादायक पोस्ट के लिए आभार.
ताऊ रामपुरिया बेहद सुन्दरता से आपने मद्रास का यात्रा विवरण लिखा जिसे पढने का आनन्द हमने भी लिया बल्कि बीच बीच मे तो ऐसा लगा कि हम भी आपके साथ ही यात्रा मे हैं !
मद्रासी सज्जन ने सही किया आपके पांव छूकर ! आपकी भावना पवित्र है तो आप पांव छूने के काबिल हैं और भावना अच्छी नही तो किसी काम के नही !
हम भी पास होते तो पांव छूते पर अब आप प्रणाम स्वीकार किजिये और आपकी इस शैली मे लिखी अगली पोस्ट पढवाईये !
प्रसून- बिल्कुल सही कहा मुन्ना, असली आतंकवादी आडवानी है, मासू कसाब और अफज़ल को तो बेकार में ही पकड़ लिया है, चलो अपने एनजीओ के लोगों को इकट्ठा करो और इंडिया गेट पर मानवश्रंखला बनायेंगे, मानवाधिकार के नारे लगायेंगे
मुझे मालूम था कि आतंकनिरोधी कानून बनने से पहले ही मानवाधिकार और एनजीओ वाले अपने बिलों से निकल आयेंगे और तालियां पीट पीट कर हाय हाय करेंगे, आखिर विदेशी पैसे के टुकड़े इसीलिये तो फैंके जाते हैं
जननी और जन्मभूमि दोनों को इतना मत थुकाओ, दोनों को तुम्हारे उपर शर्म आती है
विवेक सिंह- जिन लोगों को इनीशियल एडवाण्टेज नहीं मिला उन्हें अब कुछ क्षतिपूर्ति की जा रही हो तो उनमें हमारा भी नाम लिखा जाय . भई हमने भी तो छटी कक्षा में जाकर A B C D सीखी थी :)
रचना जी ने मेरे मुँह की बात छीन ली . दरअसल मैं भी इसी विचार वाला हूँ कि यहाँ पर वाह वाह से आगे बढा जाय . जैसे कल की चर्चा में मुझे अनुराग जी का सकारात्मक रुख विशेष प्रशंसनीय लगा . हालाँकि रचना जी का कल यह कहना कि टिप्पणी की जरूरत नहीं थी मेरी सोच के विपरीत था .
हिमांशु- काफ़ी परिश्रम से लिखा है आपने इस प्रविष्टि को . धन्यवाद. वैसे आपकी इस पोस्ट पर समीर जी फ़ौरी टिप्पणी नहीं दे पायेंगे क्योंकि, जैसा ताऊ ने बताया, वो अपने चिरंजीव की शादी में व्यस्त हैं.
समीर जी तो डेविड धवन हैं, पर यह भी तो बताओ कि इस ब्लोग जगत का 'प्रकाश झा','श्याम बेनेगल', और जरा हट के 'राम गोपाल वर्मा' कौन है ?
क्या किसी उभरते हुए कलाकार के बारे में बातें नहीं करेंगे ये ब्लोग जगत के लोग?
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
तो दोस्तों ये थी आज की चिटठा चर्चा.. अच्छी लगी या बुरी बताईएगा ज़रूर..
और अंत में
मेरी पिछली चर्चा पर निशा जी, रचना जी, पलास जी तथा डा. अमर कुमार जी के सुझावों को सकारात्मक रूप से लेते हुए आज की चर्चा की है.. आप सभी का आभार की आपने मेरी चर्चा पर अपने अमूल्य सुझाव दिए..
साथ ही सभी पाठको का हार्दिक आभार.. आप सभी के सहयोग और स्नेह से ही चिट्ठा चर्चा एक सार्थक दिशा में आगे बढ़ रहा है.. कृपया भविष्य में भी इसी प्रकार अपना सहयोग बनाए रखिएगा..
अभी चलता हू... दसविदानिया
बहुत इन्द्रधनुषी है यह चिठ्ठाचर्चा! बधाई!
जवाब देंहटाएं" बहुत मजेदार रही ये चर्चा एक अनोखे अंदाज मे "
जवाब देंहटाएंRegards
कुश जी ,आपने तो ऐसे टांग दी मेरी फोटो और पोस्ट कि एकदम से मन संकोच से भर गया.क्या कहूँ ???स्वप्रशंशा सुन धन्यवाद कहने की आदत ही नही पडी है आज तक और उसमे भी कोई ऐसी तोपमार बात हो तो प्रशंशा कुबूल कर भी ली जाए.. लेकिन अब आजकल यह एटिकेट का हिस्सा है कि धन्यवाद कहा ही जाए......सो बहुत बहुत आभार,जो आपने हमें इतनी ईज्ज़त बख्सी.
जवाब देंहटाएंअब मेरी बारी....... चर्चा स्पष्ट दिखाती है कि आपने कितनी मेहनत की है.. इतने सरे चिठ्ठों को पढ़ना और इस तरह विषय के हिसाब से विभाग कर इतने सुंदर ढंग से उन्हें इन्द्रधनुषी रंग में सजाकर प्रस्तुत करना कतई आसान नही.आपका प्रयास अत्यन्त सराहनीय है और इसके लिए हम आपके आभारी हैं.यूँ भी अपने काम में से इतना सारा समय निकलकर चिठ्ठों की विवेचना करने के लिए आप सभी चिठ्ठाकार धन्यवाद के पात्र हैं.
अन्यथा न लें (कि मेरे मेरे ब्लॉग की चर्चा की है इसलिए कह रही हूँ),आज तक के चर्चाओं में मुझे यह सर्वश्रेष्ट चर्चा लगी और एक पाठक के रूप में चाहूंगी कि इसी तरह से विषयों के आधार पर विभाग कर चर्चा आगे भी की जाए,ताकि लोग अपने रूचि के हिसाब से चिठ्ठों का चुनाव कर पायें.
सदार
रंजना.
आपके नए नए आइडिया के तो हम दिल से तारीफ करते हैं ....पेंटेट करवा लेने चाहिए यह तो :) बहुत बहुत आनोखी और मजेदार चर्चा ...मेरी हमनाम रंजना सच में बहुत ही बढ़िया लिखती है बधाई ..
जवाब देंहटाएंएक दम नया पन है इस चर्चा में, आप ने मेहनत भी बहुत की है। सूचनात्मक है। लेकिन नया रूप होने से हज्म होने में समय तो लगेगा।
जवाब देंहटाएं"blogger of the day" , the idea is great and you are the idea king of the hindi bloging , keep the good work going
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दोस्त .....इसे एक नई परिपाटी में ढालने के लिए ओर सुझावों को खुले दिल से लेने के लिए ......जिस तरह से तुमने सयोजित किया है उससे लगता है चर्चा करना वाकई कठिन होने वाला है भविष्य में ....
जवाब देंहटाएंएक बात ओर असहमतिया होना भी जरूरी है ..क्यूंकि ये उस डोर को खींचे रखती है ...जिसके जरा सा ढीले होते ही ..कभी कभी हम किसी ओर झुक जाते है....यूँ तो मई कभी बधाई नही देता .....पर आज तुम्हे देता हूँ.....ओर निशा ,धीरू जी ,रचना जी ओर हिमांशु के साथ डॉ अमर को भी बधाई देता हूँ की उस बहस को एक एक स्वस्थ मोड़ मिला.......
अंत में मेरे पसंदीदा दो ब्लोग्स जो आज रह गए ....
प्रत्यक्षा जी की पोस्ट
harkirat haqeer
यह कहना एकदम सही है कि इतने चिट्ठे पढ़कर एक साथ उनका संयोजन, वह भी इतनी कुशलता व चातुरी से, करना मुश्किल काम है.
जवाब देंहटाएंबात बड़ी है कि आपने इस चर्चा में अपनी रुचि का पता नही चलने दिया है . इतनी बहुआयामी चर्चा कि उसमें चर्चाकार गौण हो गया है, बस चिट्ठों की चर्चा ही शेष रह गयी है. इसे पढ़ने वाला जब पढ़कर खतम करता है तो उसे खयाल आता है कि इसे लिखा किसने ? तब नाम आता है - कुश.
मुख्य धारा से हटकर भी जो उल्लेखनीय है, इस चर्चा में सिमटा है. कार्टून से लेकर टिप्पणियों तक का हिसाब रखा है आपने. अच्छा लगा.
इस अभिनव चिट्टा चर्चा के लिये धन्यवाद.
भाई कुश, इतने आईडिया’ज आखिर कहां उगाते हो ? कौन से खेत मे ? कौन सा खाद डालते हो ? युरिया की पकी फ़सल तो नही दिखती ये ! हमको भी तो बताओ ! भाई हमको भी सही मे कुछ बताओ ! आश्चर्य चकित हूं ये स्वरुप देख कर !
जवाब देंहटाएंवाकई... वाकई विलक्षण चर्चा है ! घणी बधाई !
राम राम !
चर्चा दिखाती है कि आपने मेहनत की है.....चिठ्ठों को पढ़ना और विषय के हिसाब से ढंग से उन्हें प्रस्तुत करना कतई आसान नही!!!!
जवाब देंहटाएंआपका प्रयास सराहनीय है!!!!!!!!
कार्टून से लेकर टिप्पणियों तक का हिसाब!!!!
वाह भाई वाह!!!!
बहुत अच्छी चर्चा रही .एक दम नए रंग में.लय बद्ध!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सजी संवरी ..रोचक भी.
बधाई !
आप की मेहनत का रंग दिखायी दे रही है.
कुश भाई टेकनीकलर और सिनेमास्कोप चर्चा ने एक नया आयाम तो स्थापित कर ही दिया है . ब्लोगर ऑफ़ द डे भी ब्लाकबस्टर आइटम है .
जवाब देंहटाएंअरे वाह बड़ी चित्रमय चर्चा है -चित्रलिखित सा हो गया मैं !
जवाब देंहटाएंचलिए अच्छा हुआ , कुश की कलम जाग गई :)
जवाब देंहटाएंअरे, अभी अचानक इस पर नजर गई, कुश तो खुश है आज सदा की तरह।
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं ब्लागरी में जादुगरी!!!!
जवाब देंहटाएं‘ब्लागर आफ द डे- अच्छी पहल है।
आपने लिंक के साथ ब्लागर का नाम देकर पाठकों को अच्छी सुविधा पहुंचाई है। वे अपने पसंदीदा ब्लागर के लिंक पार सीधे जा सकते हैं।
लगता है बुश के जूते से ब्लागरों में भी जूते की मांग बढते जा रही है!!:)
कार्टून, गज़ल, गीत, संगीत, विज्ञान, तकनीक....सभी को तो समॆट लिया है आपने। बधाई।
जानकारियों से भरी हुई चर्चा.
जवाब देंहटाएंkush, aapne bahut acchi charcha ki hai, bahut sara parishram laga hai, saaf nazar aa raha hai.hardik badhai aur dhanyavaad
जवाब देंहटाएंये है भरी पूरी चिट्ठा चर्चा। बहुत अच्छा लगा कुश आपकी ये चर्चा पढ़ कर। निरंतर रहें मैं भी कोशिश करूंगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपूरी मेहनत से की गई चर्चा ।
जवाब देंहटाएंएक बहुत ही मेहनत भरी और विविधता पूर्ण चरचा के लिये बधाई कुश...ढ़ेरों नये ब्लौग से परिचय मिला.धन्यवाद
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंI am on way to an excursion..
hence, longed to see today's charcha.
It's a pleasant surprise, Kush.. to see you in
a long cherished form.
Excellent..its simply excellent !
Please bear with this comment in 'Firagi Zuban',since,
Baraha is not available here at this NetCafe ,
and I don't have Fursatiya Spirit to get it
installed at a public computer.. a meek RaeBarelian !
Carry along.. its a nice change !
निस्सन्देह अत्यन्त रोचक । किन्तु मुझे तो पढने में ही थकान आने लगी । आपने तो हम सबको पढा, फिर लिखा और वह भी नए फार्मेट में इतनी कल्पनाशीलता के साथ । अद्भुत ।
जवाब देंहटाएंआपने मुझे भी शामिल कर मेरा उत्साह बढाया । आभार ।
कुश भाई,
जवाब देंहटाएंवाकई बेहतरीन चर्चा रही!! ऐसी चर्चा मैनें आजतक नहीं पढ़ी.. आपने बहुत खुबी से, रोचक और innovative तरीके से ये चर्चा की है.. बहुत बधाई!!
ये चर्चा भविष्य के लिये एक मील का पत्थर साबित होगी!
रंजन
सुन्दर, शानदार। मैं तो इतना सब करने में लगे समय की सोच रहा हूं और यह भी कि नियमित इस तरह करना संभव हो सकेगा क्या? मुझे तुम्हारी नियमित चर्चा का इंतजार है जी!
जवाब देंहटाएंकमाल है भाई
जवाब देंहटाएंआप सचमुच बड़ा काम कर रहे है.
===========================
शुभ कामनाएँ
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बहुत बढ़िया चिटठा चर्चा.
जवाब देंहटाएंभाई कुश (कुश जी के मेल एड्रेस में उनका ये नाम हमें पसंद आया ) आपने शानदार चर्चा की है. अलग अलग तरह से ब्लॉग का बंटवारा बहुत अच्छा लगा और टिप्पणी का अलग सेक्शन भी बहुत पसंद आया .
जवाब देंहटाएंआपको आलोचनाओं से सर्वश्रेष्ठ निकालने के लिए बधाई.
अनुराग जी के सुझाव की ओर आप सबका ध्यान आकर्षित कराना चाहेंगे.
उन्होंने प्रत्यक्षा जी के ब्लॉग की चर्चा की है. दरअसल प्रत्यक्षा जी का ब्लॉग हमारा भी पसंदीदा है पर इधर हाल के दिनों में शायद उसे यहाँ स्थान नही मिल पाया है.(हो सकता है हमारा ध्यान न पड़ा हो अगर चर्चा हुयी हो तो ) क्या उसका कारण उनके ब्लॉग पर कॉपी से बचाने वाली युक्ति का होना है?(ये सिर्फ़ हमारा अनुमान है ) वस्तुतः कई ब्लॉगर ये मानते हैं और सही मानते हैं कि लोग उनके ब्लॉग से कॉपी न कर पायें
क्या चिट्ठाचर्चा में ऐसे ब्लोगर्स की भावनाओं का सम्मान करते हुए कोई और तरीका नही अपनाया जा सकता है?
वैसे कॉपी तो फ़िर भी की जा सकती है अगर हम उनके ब्लॉग से कॉपी कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है
@रौशन
जवाब देंहटाएंसुझाव के लिए धन्यवाद, प्रत्यक्षा जी का ब्लॉग मैं अपनी चर्चा में इसलिए शामिल नही कर पाया क्योंकि जब तक उनकी पोस्ट प्रक्षित हुई मैने चर्चा संपन्न कर दी थी.. हालाँकि इस से पहले भी मैं अपनी चर्चा में उनकी ब्लॉग पोस्ट का ज़िक्र कर चुका हू..
उपेर जो चर्चा हुई है उनमे कई ब्लॉग्स ऐसे थे जिनमे टेक्स्ट कॉपी के लिए प्रोटेक्शन लगा रखा है.. पर मैने खुद ने उनके ब्लॉग से पढ़कर यहा लिखा है.. इसलिए ये वजह नही रही.. फिर भी मेरी कोशिश रहेगी अधिक से अधिक ब्लॉग्स समेटने की..
एक और बार आपका धन्यवाद आपके सुझाव और सहयोग के लिए..
ये तरीका पसंद आया। मेहनत शानदार है
जवाब देंहटाएंहमारा भ्रम दूर हुआ :-)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई कुश
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही यह है, शानदार और जानदार चर्चा !
भाई कुश, तुम अपने लक्ष्य में कामयाब रहे ..
प्रसंगवश बता दूँ कि, यहाँ महोबा गाँधीनगर चौराहा पर एक और अनूप शुक्ला मिल गये,
जिन्होंनें हिन्दी में टाइप करने की सहर्ष सेवा प्रस्तावित की है,
और इसी ज़रिये हिन्दी-ब्लाग नामी सुनहरी चिड़िया से परिचित भी हुये !
यह टिप्पणी उन्हीं के करकमलों से जा रही है...
यह प्रसंग अपने में एक पोस्ट पैदा करने की हलचल समेटे है,
पर इसके लिये तो समय और तमीज़ दोनों ही चाहिये होंगे, ना ?
ऎसी चर्चा देखकर और चिट्ठाकारों की संख्या जान कर अतिप्रभावित और विस्मित हैं..
पर मैं किसको रोऊँ , ब्लागिंग की आदत को या चर्चा पर नित्य आने की हुड़क को.. ?
यह सोने में सुहागा है.. या कोढ़ में ख़ाज़ ?
पंचों की क्या राय है...
सेक्शन में बात कर चर्चा और भी अच्छी हो गई
जवाब देंहटाएंबहुत ही मजेदार है चर्चा मैं कई बार मिस कर जाता हूं लेकिन अब कभी नहीं करूंगा उस जूते की कसम जिसने हमें भी करोडपति बना दिया क्योंकि मेरे पास भी तीन जोडी जूते हैं
जवाब देंहटाएंइतनी सुंदर चर्चा ke लिए धन्यवाद मैंने कविता वाले सारे लिंक्स सेव कर लिए हैं.
जवाब देंहटाएंयहाँ पर अपनी पिछली टिप्पणी के लिए मै सबसे और विशेष कर कुश जी और शिव जी से माफ़ी मागती हूँ एक चर्चा में इतना कुछ समेटना कठिन होता है इसके बावजूद आप सभी इतना परिश्रम करके सबकुछ सहेज कर एक जगह ले आते हैं
ये चर्चा हिन्दी चिटठा जगत का दर्पण है
kush, tum jab bhi likhte ho kuch, khush karke jaate ho.....thanks...
जवाब देंहटाएं