मंगलमय चिट्ठाचर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है !
धीरू सिंह जी के दरवार में पहुँचे तो देखा बडी़ जबरदस्त बहस चल रही है . बहस का मुद्दा है कि यह वरुण गाँधी हिंदू कब से हो गए ? बहस की शुरुआत करते हुए धीरू सिंह कहते हैं :
एक सवाल यह वरुण गाँधी हिंदू कब से हो गए ? स्वर्गीय फिरोज गाँधी के वंशज हिंदू कैसे हो सकते है , स्व० फिरोजगाँधी ने तो कभी हिंदू धर्म स्वीकार ही नही किया इसका कोई प्रमाण भी नही ।एक बेतुका प्रश्न खाली बैठे दिमाग मे आ गया । भारत मे पुरूष का धर्म ही स्त्री का धर्म माना जाता है । और स्व० फिरोज पारसी समुदाय से थे इसलिए उनके पुत्र और पौत्र भी पारसी ही होंगे न की हिंदू । यह तो रही दिमागी हलचल इसका उत्तर आप ही लोग सुझायेंगे ।या भाजपा का सदस्य होना ही हिंदू होना मान लिया जाता है ? विश्व हिंदू परिषद , बजरंग दल का प्रमाण पत्र ही हिंदूहोने का एकमात्र साधन है या मुसलमानों को गाली देना या मार काट की बात करना ही हिंदू होना मान लिया जाए ?यूँ तो हमने बहस में हिस्सा नहीं लिया , पर अपनी राय आपके कान में बताए देते हैं कि पहले तो धीरू जी ने वरुण को हिन्दू मान ही लिया है सिर्फ़ यही पूछा है कि कब से हुए ? दूसरे जब धीरू सिंह जी ने फ़िरोज गाँधी को स्वर्गीय मान ही लिया तो बहस की गुंजाइश खत्म ! क्योंकि स्वर्ग पर तो हिन्दुओं का एकाधिकार है उसमें गैर हिन्दू कैसे जा सकता है ? हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जब गैर मुसलमान अल्लाह नहीं कह सकते तो गैर हिन्दू स्वर्ग कैसे जा सकता है ?
फ़िर भी बहस जारी है देखिए आँखों देखा हाल :
वरुण के विषय में और ज्यादा पढने के लिए आप N. S. विनोद का लेख पढ़ सकते हैं : राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वरुण खतरा कैसे!
PN Subramanian
:धीरू जी आपने तो हमारा पारसियों के ऊपर लेख पढ़ा ही है. यदि कोई पारसी किसी अन्य धर्म की स्त्री से शादी कर ले तब भी वह स्त्री या उसके बच्चे पारसी नहीं बन सकते. अब आप अपना गणित लगा लो.
dhiru singh {धीरू सिंह} : और हिन्दुओं मे यह है जिस धर्म मे लड़की शादी करती है वह उसी धर्म की हो जाती है
बेनामी-१ :अगर हिन्दू से आपका मतलब सनातन धर्म है, तो वरुण और हर वो कोई भारतीय जो अलग से कोई पंथ नहीं स्वीकारता या उसका जन्म किसी अलग पंथ मानने वाले घर में नहीं हुआ है तो वो हिन्दू ही होगा . चूँकि पारसी से शादी करके भी कोई पारसी में कनवर्ट नहीं हो सकता इसलिए इन्दिरा गाँधी हिन्दू ही मानी जाएँगी .
बेनामी-२ : फिरोज को गांधी सरनेम गांधी ने अपना पुत्र घोषित करके दिया था . क्या गांधी हिन्दू नहीं थे? इन्दिरा, राजीव, संजय को दफनाया गया था या जलाया गया था?वैसे आपने खुद ही स्वीकार कर लिया है कि आपका प्रश्न बेतुका है खाली दिमाग की उपज है
बेनामी-३ : खाली दिमाग शैतान का घर होता है .
बेनामी-४ : वरुण कतई हिन्दू नहीं हैं, हमलावरों का विरोध करना हिन्दू होना कतई नहीं है, सिर्फ वही हिन्दू है जो हमलावरों का विरोध न करें, हमारे यहां गौरी, गजनवी, अंग्रेज आये, हमने कहां विरोध किया, इसी लिये तो हम हिन्दू है, अभी भी कितने सेकूलरिये फटफटाते रहते हैं क्या हम हिन्दू लोग किसी को कुछ कहते हैं, हिन्दू वह है जो एक गाल पर चांटा खाकर दूसरा गाल आगे कर दे, वरुण तो चांटा मारने वाले के हाथों को तोड़ने की बात करता है फिर वो हिन्दू कहां से हुआ?अपसे पूर्ण सहमति। वरुण कहता है कि हमलावर हाथों को काट लिया जायेगा, इसलिये वह कतई हिन्दू नहीं है। हमलावरों का विरोध करना तो नकारात्मक ऊर्जा है, हिन्दू तो बेचारात्मक ऊर्जा से लबालब है
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन : मज़ा आ गया, साधारण से सवाल पर असाधारण टिप्पणियाँ देखकर. अब मेरे दो शब्द - कम से कम भारत जैसे उदारवादी देश में तो हर व्यक्ति को अपनी विचारधारा, जीवन शैली और धर्म खुद चुनने की आज़ादी होनी ही चाहिए. वरुण गांधी भी इस दायरे से बाहर नहीं हैं. वैसे आपकी यह धारणा भी १००% सही नहीं है कि भारत भर में पितृ सत्तात्मक अवधारणा है और तीसरे - जैसा कि पहले कई लूगों ने कहा है, इंदिरा गांधी का कभी भी पारसी धर्म में परिवर्तन नहीं हुआ और न ही उनकी संतति का.
राज भाटिय़ा : अरे नेहरू भी कहां पंडित थे ? यह लेख आप सुरेश जी के ब्लांग पर पढ सकते है, नेहरु के दादा एक मुस्लिम थे.... ओर सोनिया भी क्या हिन्दु है ??? बहुत ही सुंदर सवाल ??
sameer : धर्म एक तरह की संस्कृति और विचार धारा है , यदि कोई व्यक्ति हिन्दू से मुसलमान बनना चाहे तो बन सकता है , यदि वरुण अपने को हिन्दू मानते हैं और उनके क्रियाकलाप हिन्दुओं की तरह हैं तो वह हिन्दू ही हैं, और आप जानते हैं कि भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश के ९०% मुसलमान हिन्दू से मुस्लिम बने हैं तो क्या आप उन्हें भी हिन्दू कहेंगे, जबकि ये सवाल उनसे ही पूछिए तो अच्छा है .
मुलायम सिंह ने भी कहा है कि वरुण देशद्रोही नहीं है :
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वरुण गांधी पर एनएसए लगाये जाने के बाद पहली बार किसी बड़े नेता खुलकर उनके पक्ष में बयान दिया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने वरुण गांधी पर एनएसए लगाये जाने को गलत बताते हुए कहा है कि वरुण गांधी कोई देशद्रोही नहीं है कि उनके ऊपर एनएसए लगाया जाए.
इस अवसर को वीरेन्द्र शर्मा जी ने अफज़ल गुरु और वरुण फिरोज़ गाँधी के बीच समानताएँ और असमानताएँ तलाशने हेतु उचित पाया !
आप अगर देश के अतिशुभचिन्तक हैं तो भी यह सब पढकर आपका चिन्ता करना अनिवार्य नहीं है क्योंकि यह सब तो चुनावों के मौसम की रौनकें हैं जी . अन्यथा पब्लिक को पता कैसे चलेगा कि चुनाव आगया है . यहाँ पहले ही मतदान का रोना रहता है . वैसे चुनाव की रौनकें अब हाईटेक हो चली हैं . पता चला है कि आडवाणी के प्रचार के लिए बीजेपी ने ८५० की वर्ड गूगल सेठ से बैशाख के उधार खरीदे हैं ! आडवाणी का बिलाग तो खैर पहले से ही है ! पर संजीत त्रिपाठी की मानें तो और भी नेता बिलागिंग के सहारे अपनी नैया पार लगाने के जुगाड़ में हैं !
अब पेश हैं कुछ दोहे :
कैसे करते टिप्पणी, राज देउ बतलाय
हमको भी कुछ मिल सकें ऐसा करें उपाय
गौरमिन्ट ने गौर कर, वेतन दिया बढा़य
पर अचार की संहिता दूर खडी मुसकाय
ताऊ जी कविता लिखें, नारी का गुणगान
जो पूजेंगे नारियाँ होंगे वही महान
नारद मुनि जी सीख का किस्सा रहे सुनाय
पर हम कुछ समझे नहीं रहे किधर ये जाय
जब दो ब्लागर मिल गए, बीच मरीना बीच
लहरें भी खुश हो रहीं, रहीं मित्रता सींच
चलते-चलते :
फ़िर फ़टा पजामा डबलपुरी, दिख गया नहीं जो दिखना थाफ़िर एक बार कोई ब्लागर, लिख गया नहीं जो लिखना थाअति रौनक शहर डबलपुर में यह मौसम चूँकि चुनावों कापहले हो मारकाट जमकर तब ही इलाज हो घावों काजब संकट में इज्जत देखी तो शहर प्रेम फ़िर जाग गयाजब नाव डूबती देखी तो मल्लाह कूदकर भाग गया
शनिवार को चेन्नई के मरीना बीच पर प्रशान्त प्रियदर्शी से मुलाकात हुई तो पहली बार किसी ब्लागर को साक्षात देखने का सुअवसर था ! उनके बारे में कम शब्दों में कहा जाय तो वे यथा नाम तथा गुण हैं . इतनी विनम्रता मैंने शायद ही किसी में देखी होगी ! पर कल जानकर अफ़सोस हुआ कि प्रशान्त के पैर में फ़िर से चोट लग गयी ! उनकी चोट जल्दी ठीक हो जाय यही कामना है !