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बुधवार, मार्च 18, 2009
बीन बजाना शुरू कर भाय!
चर्चाकारः
अनूप शुक्ल
10 टिप्पणियां:
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जवाब देंहटाएंगलती से दूसरे नाम से पोस्ट कर दी थी, इसलिए हटानी पड़ी.
जवाब देंहटाएंअनूप जी, हम अपना इल्जाम वापस लेते हैं...काश आपसे आज के नेता कुछ सीख ले सकते. ये चर्चा तो मस्त रही...एक लाईना पढ़ कर सोने जा रहे हैं...क्या बेहतरीन अंत है आज के दिन का...अब कल की शुरुआत भी अच्छी होगी ऐसा मानना है :)
चर्चा में फर्स्ट आके अच्छा लगा, लोग बेकार भैंस को गरियाते हैं अकाल बड़ी या भैंस...भाई हम तो कहते हैं की भैंस, ऐसे थोड़े कोई फर्स्ट आ जाए, और देखिये कमेन्ट भी पहला ही है.
जवाब देंहटाएंश्श्श श श ! कोई देख रहा है..
ई आधी रात में भईंस कहाँ से टपक पड़ी भाई.. तो आज्ञा है... हम चलें ?
लिंक पकड़ने का लालच किये तो सुबह हो जायेगी !
बेहतरीन एक लाईना!!
जवाब देंहटाएंशब्दों के कबाड़खाने को,
जवाब देंहटाएंब्लाग-जगत पर लाए हो।
बन कर श्रेष्ठ कबाड़ी,
खुद ही उनसे बतियाए हो।।
बहुत बढिया एक लाईना ...
जवाब देंहटाएंबीन बजाते बजाते हम सारी एक लाईना पढ़ आये .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा .
*‘बोलना सही समय पर सही बात का : ही तो नहीं हो पाता’
जवाब देंहटाएंयही तो हम यहां आकर सीख रहे हैं:)
भाई हम कोई ऐसे ही दो दो भैंसे रखे हैं क्या?
जवाब देंहटाएंरामराम.
# कुछ समाज सेवा भी तो की जाय ! : इसके बाद उसको ब्लाग पर डाल दिया जाये
जवाब देंहटाएंनेकी कर दरिया में डाल- बड़े बुजुर्ग कहते भये हैं -मैंने ब्लॉग पर डाल दिया .शार्टकट का जमाना है शुकुल जी !