भाटिया साहब अपने ब्लॉग पर नित नयी बाते लेकर आते है. अनेक प्रेरक प्रसंग और बोध कथाओ से उनका ब्लॉग भरा पड़ा है.. ब्लॉग जगत में पहेलियो का आगमन भी उन्ही के ब्लॉग से हुआ है.. तो आज क़ी चर्चा भी शुरू करते है भाटिया जी क़ी पोस्ट चिंतन अहंकार से.. जिसमे वे लिखते है..
आज का विचार, कहते है इंसान गलतियो का पुतला है, लेकिन अगर हमे अपनी गलतियां पता लगे, अपनी बुराईया पता लगे तो उन्हे दुर करना हमारा सब का फ़र्ज है, ओर हम यह करते भी है, कई बार हम सोचते है कि हमारे मै अंहकार नही रहा, ओर हम सब से बहुत प्यार से बोलते है, सब के काम भी आते है, लेकिन अनजाने मै ही हम अपने अंदर इस अंहकार को पाल लेते है. तो आज इस छोटी सी कहानी से ही हमे अपनी इस भुल का एहसास हो सकता है....कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
दूसरी अच्छी बात बता रहे है.. हिमांशु जी.. चंदौली, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हिमांशु जी का कुछ समय पहले ही ब्लॉग प्रथम पर इंटरव्यू भी प्रकाशित हुआ था.. आज क़ी अपनी पोस्ट में वे लिखते है..
दूसरों को देने वाला स्वयं पा जाता है । स्वयं का पेट भरने का यत्न तो कीट पतंगे तक करते हैं । आदमी की आदमीयत किसमें है ? मुझे सार्वभौम मानवता का पाठ मिल गया कि सबका पेट भरे, इसकी सनक सवार होनी चाहिये । एक रोटी में भी आधी रोटी किसी की हथेली रख कर मिल बाँट कर खा लिया तो मन संतुष्ट हो जाय, किसी की प्यास बुझा दी तो अपनी प्यास बुझ जाय, यह भाव ही तो मनुष्यता की पहचान है । शेक्सपियर ने ऐसी मानव-हृदय की पिघलन को देवता का धन कहा है - पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
पूजा डॉक्टर बन गयी.. कैसे बनी और बनने के लिए उन्होने कितने पापड बेले.. ये तो आपको उनकी पोस्ट पढ़ के ही पता चलेगा..
भगवान ने शायद शार्टकट की बात पहली बार सुनी थी, तो मंद मंद मुस्कुरा कर बोले...कलयुग में मनुष्य के पाप धोने का एक नया तरीका उत्पन्न होगा...ब्लॉग्गिंग। तुम उस नदी में अपने पाप रगड़ रगड़ कर धोना...शीघ्र ही मेरे दूत हिसाब लगायेंगे कि तुम्हारे डॉक्टर बनने के लायक पॉइंट जुड़े या नहीं...और जिस दिन तुम ब्लॉग विसिटर, कमेन्ट नंबर और चिट्ठाजगत के कम्बाइन्ड स्कोर से बेसिक requirement पूरा कर लोगी और अपना थीसिस पोस्ट कर दोगी...मेरी कृपा से ये दूत तुम्हें डॉक्टर की उपाधि दे देंगे...पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
पोस्ट ऑफ द डे
आज क़ी पोस्ट ऑफ द डे है घुघुति जी क़ी ताज़ा पोस्ट.. हमारे मोहल्ले की हालत खराब होती जा रही है।.. प्रतीकात्मक रूप से लिखी गयी पोस्ट पढ़ते वक़्त कई बातो पर हमारा ध्यान खींचती है.. अगर आपने नही पढ़ा है अभी तक तो ज़रूर पढ़िए..
घुघुति जी लिखती है..
अब यह हाल हो गया है कि यदि परिवार के कुछ बच्चे गुल्ली डंडा भी खेलने लगते हैं तो उद्दंड लोग उन्हें धमकाने लगते हैं। मोहल्ले के कोई बच्चे उनसे खेलने उनके घर आए तो वे उन्हें भी पीटना चाहते। बहुत बचा बचाकर उन बच्चों के साथ खेल खेला जाता। परन्तु एक दिन उन्होंने उन बच्चों को गालियाँ ही नहीं दीं, उनपर थूका ही नहीं अपनी गुलेलों से उन्हें घायल भी कर दिया। मोहल्ले के सारे बच्चे तो पहले ही उनके घर खेलने आने से डर के मारे बचते थे, अब तो सबने ही तौबा कर ली है। पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
पाकिस्तान में हुए आतंकी हमले पर लिखी गयी पोस्ट आप यहा पढ़ सकते है..
श्रीलंकाई टीम पर पाकिस्तान में हमला
लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेटरों पर फाइरिंग: कई खिलाडी घायल
पाकिस्तान में श्रीलंकाई टीम पर जानलेवा हमला, छह खिलाड़ी घायल
क्रिकेटरों पर हमला-एक चेतावनी
पाक में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमला
हिन्दी ब्लॉग पर श्रीलंका क्रिकेट टीम पर हमले के पहले विडियो
पाक को अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलग-थलग करना होगा
खत्म हो पाकिस्तान की मान्यता
पाक को आतंकवादी देश घोषित किया जाए
पाकिस्तान में श्रीलंका टीम पर हमला, पाक में आतंक के आगे हारा क्रिकेट।
क्रिकेट का काला दिन…
'ना पाक' ना
पाक तूने क्या किया ?
क्रिकेट पर हमला .....तस्वीरों में....
लाहौर में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर हमला चिंताजनक-आलेख
पाकिस्तान के लोग ऐसा क्यों सोचते हैं कि हमने ‘26/11-मुंबई हमलों’ का बदला लिया है।
फागुनी बयार
लगता है फागुन का महीना ब्लॉगरी में नयी फुहार लेकर आता है.. पिछले दिनो हमने पढ़ा क़ी समीर जी और ज्ञान जी अपने अपने ब्लॉग क़ी सालगिरह मना रहे थे.. हमने भी इसी महीने में शुरुआत क़ी थी.. अब आज खबर मिली है क़ी हमारे शनीवारीय चर्चाकार श्रीमान तरुण जी ने भी अँग्रेज़ी ब्लॉगिंग में पाँच साल और हिन्दी ब्लॉग लेखन में चार साल पूरे कर लिए है.. वैसे तो ये फ़रवरी में ही पूरे हो गये थे.. पर उन्होने मार्च में बताना उचित समझा... चर्चाकार मंडली क़ी ओर से उन्हे हार्दिक बधाई.. आप भी उनके ब्लॉग पर क्लिक कर के उन्हे बधाई दे सकते है..
शिव कुमार मिश्रा जी फरमा रहे है..
स्टेटमेंट दे दो कि हम हिन्दुस्तान के साथ मिलकर दहशतगर्दी को ख़त्म करना चाहते हैं.
- हिन्दुस्तान के साथ मिलकर? लेकिन जनाब हमला तो श्रीलंका के क्रिकेटरों पर हुआ है.
- तो कह दो हम श्रीलंका के साथ मिलकर दहशतगर्दी को ख़त्म करना चाहते हैं. पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
सैर सपाटा..
ममता जी इस बार ले जा रही है हमे गोवा के प्रसिद्ध गणेश मंदिर क़ी और..
मन्दिर मे प्रवेश के लिए १०-१५ सीढियां पड़ती है और जैसे ही मन्दिर मे प्रवेश करते है सामने सात मंजिला दीप स्तम्भ दिखता है जिसमे जात्रा के दौरान या किसी फेस्टिवल के दौरान दीपक जलाए जाते है । और इस दीप स्तम्भ के पीछे मंगेशी मन्दिर है जहाँ पर शिव भगवान की मूर्ति स्थापित है ।शिव जी के साथ साथ गणेश जी और पार्वती जी की मूर्ति भी है इस मन्दिर में । पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
शेखावाटी राजस्थान के उत्तर पश्चिम भाग में पड़ता है। । शेखावाटी राजस्थान के सीकर,झुँन्झुँनु, और चूरु जिलों को मिलाकर बना है।यहां आपको विविध रंग देखने को मिलते है । यहां पहाड़ी क्षेत्र(सीकर जिले का अधिकतर भाग), मरुस्थलीय भाग (चूरू जिला) मैदानी भाग ( झुँन्झुँनु जिला ) तीनों ही मिल जाते है । पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
ब्लॉग ऑफ द डे
आज का ब्लॉग ऑफ द डे है.. अरे मेरी भी तो सुनो.. इसके लेखक है संदीप डोबरीयाल.. सरल शब्दो में लिखी गयी इनकी पोस्ट दिल को चु लेती है.. ब्लॉग के बारे में अधिक जानने के लिए और ताज़ा पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे.. जिसमे संदीप लिखते है..
"...बस कर फिलोसोफेर की औलाद...!
तू भी न साला... हर बात पर आठ आने जैसा मुह बना लेता हैं..."
चल चल ...जा भाग जा...!!
मुह धुल ले..और पोछ लियो मेरे तौलिये से ही..कोई टेंशन नही...!! बस साबुन न लगने पाये तौलिये में..!
यह कह कर वो मुस्कुरा दी...शरारती पलकों के सामने से दो लटें जा गिरी॥ पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
ज़रा इधर भी
विष्णु बैरागी जी कहते है..
किन्तु ईश्वर की कृपा सचमुच में अकूत और चिरन्तन है। चिट्ठा जगत में आकर मेरी परिसम्पत्तियाँ तो सहस्रगुना हो गईं! जो मुझे जानते नहीं, जिन्होंने मुझे देखा नहीं, मुझसे कभी बात नहीं की ऐसे अनगिनत चिट्ठाकारों ने मानो मुझे अपने परिवार में सम्मिलित कर लिया। पल-प्रति-पत शुष्क होते जा रहे इस समय में कौन किसके रोने की चिन्ता करता है? किसी के आँसुओं की कौन परवाह करता है? कोई रो रहा है तो रोता रहे। प्रत्येक के पास अपनी-अपनी असमाप्त व्यस्तताएँ हैं। उपरोक्त पंक्तिया आपने पढ़ी श्रीमान विष्णु बैरागी जी क़ी पोस्ट ‘रोन्या’ और रोतल्या’: मैं से.. पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
दिनेश जी इन दिनो शायद ब्लॉगर भ्रमण पर है.. पिछले कुछ दिनो से उन्हे कई सुधि ब्लॉगरो से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.. उनकी नवीन पोस्ट में भी वे ब्लॉगर मिलन क़ी बात करते है..
भिलाई में पाबला जी के घर यात्रा का आखिरी दिन और डेजी का व्यवहार
अनिल पुसदकर जी बता रहे है.. किस प्रकार नक्सलियो ने वो काम कर दिया जो सरकार नही कर पा रही है..
नक्सलियों के काम करने के तरीके से मै इत्तेफ़ाक़ नही रखता मगर जो काम उन्होने कर दिखाया है उसकी तो तारीफ़ करना ही पड़ेगा।आज जब सरकार खुद शराब बेचकर सरकारी खज़ाना भरने मे लगी हो तब नशाबंदी जैसी बात सोचना भी असंभव लगता है,मगर इस असंभव को संभव कर दिखाया है राजनांदगांव ज़िले मे नक्सलियों ने।उन्होने मोहला क्षेत्र मे नशाबंदी लागू करने मे सफ़लता हासिल कर ली है ,जो शराब बेचकर, लोगो के घर उजाड़ कर, करोड़ो-अरबो कमाने वाली सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
चटखारे वाली गली
रंजना जी पूछ रही है.. आपको कौन सी आइस क्रीम पसंद है ? इस पर समीर लाल जी ने टिप्पणी दी
मेरी पहली पसंद-बटर स्कॉच विथ केरामेल और उसके बाद टूटी फ्रूटी. :)
कुछ न मिले तो बटर अलग करके सिर्फ स्कॉच-टॉप चवायइस. :)
ब्लॉग निशा मधुलिका पर बताया जा रहा है क़ी नान खताई कैसे बनाई जाती है..
नानखताई को कुकीज का भारतीय संस्करण कह सकते हैं. बच्चे और बड़े सभी को नानखताई खाना बहुत पसन्दआता है. आइये आज नानखताई बनाते हैं.
होली पर विशेष व्यंजन बनाने क़ी विधिया भी आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं
ब्लॉग दाल रोटी चावल पर.. चाय तथा कॉफी के फायदे नुकसान बताए जा रहे है.. साथ ही जानिए स्वादिष्ठ तथापौष्टिक नाश्ते के बारे में..
भांग के बड़े खाने हो तो आ जाइए ब्लॉग परीचर्चा पर..
भोजन भट्ट क़ी रसोई में चर्चा है इस बार हवाई भोजन क़ी..
इस बार जेट एयरलाइन्स की उडान में जब खाने की प्लेट में
रोटी, अरहर की दाल और आलू मेथी की सब्जी दिखी ,साथ में एक हरी मिर्च थी
तो सुकून हुआ कि देर से ही सही एयरलाइन्स अब भारतीय ग्राहक की पसंद समझने लगी हैं पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
तकनीक की बातें
तकनीक की बातें में आशीष खंडेलवाल जी बता रहे है किस प्रकार आप अपने ब्लॉग पर नोटिस बोर्ड लगा सकते है..
जी हां, ब्लॉगर ब्लॉग पर नोटिस-बोर्ड की तरह का गैजेट साइडबार में जोड़ा जा सकता है और आप उसमें नवीनतम सूचनाएं (दूसरी वेबसाइट्स के लिंक के साथ) वक्त और परिस्थिति के हिसाब से बदल भी सकते हैं। पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
ग़ज़लो का गुलदान
ग़ज़ल है हटके, कह बेखटके
बज़ाहिर मेरे हम नवा पेश आए
खुदा तू भी तो इतना परेशाँ निकला
भूलता मैं चला प्यार के रास्ते
उनकी बात
संजय व्यास जी पढ़वा रहे है..
गाइड कैमरे का बड़ी दक्षता से उपयोग करता है,छतरी में हिंदू इस्लामिक स्थापत्य ढूंढता है। पास में पड़ी अंकल चिप्स की खाली थैलिया इस पूरे भाव-लोक को निस्पृह अंदाज़ में देख रही है। शायद वो कह रही है कि शोक भी स्थाई नही होता। इस लगभग वीराने में नव प्रसूता कुतिया अपने शिशुओं के प्रति चिंतित है। वो हर आने वाले को संभावित शिशु- श्वान हन्ता के रूप में देखती है।पर बस्ती से दूर, इस जगह शोक बार बार मुखर हो उठता है। इस मूर्त शोक की परतें सदियों बाद अब धीरे धीरे आज़ाद होना चाहती है। समाधि लेख भी किसी दिन अपठनीय हो जायेगा। मैं, इस मेरे लिए अनाम, आत्मा को श्रद्धांजलि देता हूँ और सोचता हूँ कि क्या कोई आँख है जिसके जल में इसकी स्मृति आज भी तैरती है?
अनिल कांत कहते है..
तो मियाँ इसका मतलब तो यही हुआ की कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति देश के खाते पीते शिक्षित और संपन्न घरानों में अधिक है .....क्योंकि पंजाब और हरियाणा प्रति व्यक्ति आय और साक्षरता के मामले में अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं बेहतर हैं ....
ब्लॉग इंडिया बोल पर पढ़िए ब्लॉग के बारे में संजय तिवारी जी का पुराना लेख..
पूत के पांव पालने में दिखते हैं. लेकिन पूत के पांव पालने तक पहुंचे इसके लिए पूत का स्वस्थ प्रसव होना जरूरी होता है. हिन्दी ब्लागरी के साथ ऐसा नहीं हुआ. हिन्दी ब्लाग प्रसव की पीड़ा झेलकर अस्तित्व में आये जरूर लेकिन आज ब्लाग एक अच्छे विचार के गर्भपात हो जाने जैसे हैं. किसी विचार का इतने कम समय में अप्रांसगिक हो जाना बहुत पीड़ादायक है. हिन्दी ब्लाग के विकास के लिए जिन औजारों का इस्तेमाल किया गया वही औजार इसके पतन के कारण भी हो गये.
लवली पूछती है.. किस भेडिये का शिकार बनूँ ?
हमारे राज्य झारखण्ड में मतदान होने वाला है. मैं भी मतदान में भाग लुंगी.
मेरे साथ समस्या यह है की मैं तय नहीं कर पा रही किसे वोट दूँ ..कारन यह है, कि मुझे इधर के कुछ समय से चल रहा राष्ट्रपति शासन पसंद आया है, और मैं इसे वोट नहीं दे सकती.मेरी हालत अजीब है .
कविताओ का कलश
कविता / हम विशवविजयी
दीवाली - वीरेन्द्र की भोजपुरी कविता
डॉक्टर ग़ज़ल प्रसाद
वक़्त - एक कविता
दुविधा
सीमा गुप्ता जी की पांच सुहाने लफ्ज
रात के स्वर्णिम पहर मेंझील को दर्पण बना
चाँद जब बादलो से निकल श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचलधरा भी इतराती तो होगी...
मस्त पवन की अंगडाई
दरख्तों के झुरमुट में छिप कर
परिधान बदल बदलमन को गुदगुदाती तो होगी....
भगवानो के भी वो दाम नहीं मिलते
क्रंदन
जाने कब???
छटा ऋतुराज ने फ़िर से दिखाई है
हँसी ओठों पे लाते हैं
संशय के बाद
लाडली बिटिया
अचपन बचपन..
मनोशी जी ले आई है बच्चो के लिए सूखू और दुखू कहानी का आख़िरीभाग..
हवा के साथ आगे चल कर उसे भी चांद की मां का महल दिखा। वोचिल्लाते हुये अंदर घुसी और कहा, " ए बुढ़िया, मुझे जल्दी से रूई दे दे, जो कि हवा उड़ा लाया है।" चांद की मां को बुरा लगा मगर उसने सुखू सेकहा कि वो बांये के कमरे में जा कर कुछ खा ले और बाद में दाहिने कमरेमें जा कर अपनी पसंद का एक पिटारा ले ले। सुखू ने ज़रूरत से ज़्यादापेट भर कर खाया और अब दूसरे कमरे मॆं जा कर पिटारा लेने गई।
ब्लॉग बॉल उद्यान पर श्री विनय के॰ जोशी जी क़ी बॉल कविता को आवाज़ दी है नीलम जी ने..
पप्पू नाच सकता है.. नही नही ये मैं नही कह रहा.. ये तो अपने छोटू आदित्य ने तब कहा जब उन्होने अपने चाचा क़ी शादी में खूब डांस किया.. फोटोस तो आप आदि के ब्लॉग पर ही देख लीजिए यहा पर आदि को डांस करते हुए देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करे.
ब्लॉग नन्हा मन पर सीमा सचदेव जी लेकर आई है.. हितोपदेश क़ी एक कहानी..
पूर्णिमा वर्मन जी बता रही है बार्बी डॉल क़ी कहानी..
बार्बी डॉल इस साल अपना पचासवाँ जन्मदिन मना रही है। उसका जन्म १९५९ में हुआ था यानी लगभग मेरी हमउम्र है लेकिन मेरे या मेरी सहेलियों के खिलौनों में उस समय बार्बी कभी नहीं रही। जहाँ तक मुझे याद है भारत में बार्बी पहली बार १९७२ में आई। जल्दी ही वह भारतीय परिवारों का सदस्य बन गई यहाँ तक कि उसने साड़ी पहनना भी सीख लिया।
कार्टून कोना
बधाई का टोकरा
आज से ठीक साढ़े नौ महीने पहले एक दिलचस्प ब्लॉगर का आगमन हुआ.. अपने ब्लॉग पर नवीन विषयो के लेख लिखकर इन्होने सबके दिल में अपनी जगह बना ली.. जी हाँ मैं बात कर रहा हू... इंदौर के रहने वाले श्री पी सी रामपुरिया जी क़ी जिन्हे हम प्यार से ताऊ कहते है.. इस बार उन्होने हिन्दी ब्लॉगजागत पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है.. बहुत ही कम समय में इन्होने आज अपनी दौ सौवी पोस्ट प्रकाशित क़ी और साथ ही पाँच हज़ार से भी ज़्यादा टिप्पणिया इतने कम समय में प्राप्त करने का रिकॉर्ड भी बनाया.. ताऊ को चर्चा परिवार क़ी और से बधाई.. आप खुद ताऊ को उनकी दौ सौवी पोस्ट पर जाकर बधाई दे सकते है...
क्लाइमेक्स से ठीक पहले..
अगले बुधवार फिर हमारा चर्चा का दिन है.. पर तब हम मिलेंगे नही.. होली पर घर जाने का प्लान है.. इसलिए होली से ठीक पहले क़ी गयी चर्चा में ही आप सभी को होली क़ी बधाई दे रहे है.. ये होली का पर्व आपके जीवन में नये रंग लेकर आए इसी कामना के साथ.. सभी चर्चाकारो क़ी ओर से मैं आप सभी को शुभकामनाए देता हू
और अंत में
चलते चलते आपको पढ़वा देते है डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक के ब्लॉग से ली गयी कविता..
मन में आशायें लेकर के,
आया हैं मधुमास,
चलो होली खेलेंगे।
मूक-इशारों को लेकर के,
आया है विश्वास,
चलो होली खेलेंगे।।
खूब रही होली के पहले की ये सबरंगी चर्चा..हर दिलचस्प पहलु को छुआ है तुमने...दिल खुश हो गया.
जवाब देंहटाएंतो ये रही होली की विशुद्ध होली चर्चा द्वारा कुश...बहुत उम्दा!! अब जाते हैं ताऊ की पीठ ठोंकने.
जवाब देंहटाएंइतनी डिटेल में चर्चा वो भी थम्बनेल के साथ, छा गये बरस गये। होली की बहुत बहुत शुभकामनायें कुश।
जवाब देंहटाएंभाई इस चिठ्ठे चर्चा ने होली के रंगों में अभी से सराबोर कर दिया . बहुत उम्दा चर्चा . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंहमारी और से भी चिठ्ठाचर्चा परिवार और सारे ब्लॉग जगत को होली की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएं@हमारी और से भी चिठ्ठाचर्चा परिवार और सारे ब्लॉग जगत को होली की शुभकामनाएं.
@कुश अच्छी चर्चा..काफी मेहनत की है आपने.
चर्चा बहुत अच्छी लगी.. लेकिन, हे भगवन आप लोग इतना पढ़ कैसे लेते हैं.. और उस पर, इतना लिख भी कैसे डालते हैं. आपके जीवट को प्रणाम --:)
जवाब देंहटाएंकिसी जमाने में चर्चा का मतलब सिर्फ इतना होता था कि पिछले दिनों के कुछ अच्छे आलेखों को चुन कर उनकी एक सूची दे दी जाये. लेकिन कुछ समय से चर्चाकार मंडली ने एक से एक नये जो प्रयोग करना शुरू किया है और उसके कारण जो वैविध्य दिख रहा है उसने चिट्ठ-चर्चा को एक नई विधा बना दिया है.
जवाब देंहटाएंकुछ की यह चर्चा इस विधा के एक नये आयाम को हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है. मैं तो पहले पेराग्राफ से पढते पढते खो सा गया.
इस चर्चा के लिये आप ने जो मेहनत की है वह भी कम नहीं है.
ईश्वर आपकी कलम को नित नये आयाम स्पर्श करने का वर दें, इस कामना के साथ,
सस्नेह -- शास्त्री
होली की रंगारंग चर्चा के लिए बधाई। एक पुराना फिल्मी गीत है- होली के दिन होली आई रे.....। पर यहा तो एक सप्ताह पहले ही होली आई लगती है। तरुणजी को पंचवर्षीय ब्लागिंग की बधाई और ताऊजी को २००वी पोस्ट के लिए रामदयाल के साथ साथ हमारी भि बधाई:)
जवाब देंहटाएंवाह भाई कुश..िसको तो मैं इंद्रधनुषी रंगीन चर्चा कहुंगा. शायद कुछ गिनी चुनी ही होंगी इस कलेवर वाली चर्चा पोस्ट. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सब समाहित हो गये कुश जी ।
जवाब देंहटाएंkush..
जवाब देंहटाएंchaa gaye guru.. holo se pahale phaaguni rango waale ye charchaa bahut rangeen rahi.. bahdaai... mil rahe he ham holi pe..
वाह्! पूरी तरह होलीमय चर्चा.....
जवाब देंहटाएंजितनी रंगीन आपकी चिट्ठा चर्चा रही आशा है उतनी ही आपकी होली भी रहेगी। आपने तो इसे एक सुन्दर कला का रूप दे दिया।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को यहाँ सम्मान देने के लिए आभार।
घुघूती बासूती
आज बहुत विस्तार में चिट्ठा चर्चा हुई ... नेट पर बैठते ही सारी जानकारी मिल गयी।
जवाब देंहटाएंवाह! इसे कहते हैं गागर मे सागर्।
जवाब देंहटाएंपहले मै थोक के भाव से टिप्पडी जैसे बांटा करता था फिर थोडी बचत करने लगा और अब तो केवल चनिंदा ब्लॉग पर ही टिप्पडी करता हूँ (हालंकि पढता मै बहुत को हूँ )
जवाब देंहटाएंपहले मै सोंचता था की मै टिप्पडी करूंगा तो लोग मुझे भी टिप्पडी करेंगे
मगर फिर टिप्पडी से मोह भंग हो गया
मै १ साल से ब्लॉग्गिंग कर रहा
ये सब मै इस लिए बता रहा हूँ क्योकि आज मुझे majboor किया गया है टिप्पडी करने के लिए
आज जब kush जी की charcha padhi तो vaastav में लगा की इतनी mehnat को एक salaam करता chaloon
बहुत विस्तृत और सार्थक चर्चा है, गागर में सागर की तरह
जवाब देंहटाएंएक ही जगह मनचाही सामग्री मिल गई.
अच्छा लगा.
-विजय
आपने तो गागर में सागर भर दिया ...............बहुत ही बेहतरीन चर्चा ....सभी को होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, कृपया ध्यान दें,
"कुछ की यह चर्चा इस विधा के एक नये आयाम को हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है. मैं तो पहले पेराग्राफ से पढते पढते खो सा गया.
"
भाई कुश की चर्चा का अच्छा होना कोई नई बात तो नहीं..पर आपका इस तरह खो जाना हमें मंज़ूर भी नहीं
क्योंकि कुश मात्र ' कुछ ' ही नहीं, बल्कि बहुत कुछ हैं,
मसलन होली के मूड में वो , और मदहोश आप हैं
क्षमा करें, विसंगतियों पर निगाह टिक जाना मेरा जन्मजात दोष है !
सस्नेह - डा. अमर कुमार :)
ख़फ़ा मत हो, कुश । मैंनें आदरणीय जी को समझा दिया है !
अत्यन्त सुन्दर और विस्तृत चर्चा के लिये धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंनि़श्चय ही यह चर्चा मन में एक आनन्द तो भरती ही है-कारण थम्बनेल हैं.
चित्रमय समग्र !
जवाब देंहटाएंगुड है जी। कलर फ़ुल कुशमय चर्चा। देर से की लेकिन ब्याज सहित करी। ताऊ को बधाई नवे महीने में वो हासिल किया जिसकी उनको तमन्ना थी। तरुण को बधाई पांच साल करने के लिये। पूजा मैडम को डाक्टरी मुबारक। पूर्णिमाजी ने बार्बी के पचास साल होने पर अच्छा लेख लिखा। इत्ती मेहनत से की चर्चा इसलिये दिल खुश चर्चा लगी। बधाई!
जवाब देंहटाएंबड़ी डिटेल में चर्चा हुई है। ये कोई आसान काम नहीं, समयसापेक्ष ही नहीं, मेहनत का काम भी है।
जवाब देंहटाएंहोली के रंगों की तरह बहुत मेहनत से की गयी सुन्दर चर्चा ..बहुत साड़ी बधाई भी देने वाली हैं इस में .पहले तो आप ही ले लीजिये कुश जी इतनी बढ़िया चर्चा करने के लिए ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत धीरज से आपने सबको पढ़ा और यहाँ संकलित किया. भगवन आपका ब्लॉग नंबर १ कर दे :)
जवाब देंहटाएंइस श्रमसाध्य किन्तु विलक्षण विमर्श पर आपको साधुवाद.चिट्ठों पर हिंदी में इस तरह का डाइजेस्ट लेखन मेरे लिए नया और बेहद सुखद अनुभव था.
जवाब देंहटाएंthis is nice one to read...good charcha with lots of colour.
जवाब देंहटाएंजियो छोटे.....ऐसी फागुन डाली है की पूछो मत ....ये ससुरी भांग का नशा है की उतरता नहीं ...मिश्रा जी....इ सब ठीक नहीं है ...देखिये तो कितने रंग दिख रहे है हमें आज की चर्चा में.......
जवाब देंहटाएं