हमारे लिए आजकल चिट्ठाचर्चा बहुत कसाले का काम हो गई है ! ढेर सारी पोस्टें किसे देखें ,किसे पढें , किसकी चर्चा करें ? चिट्ठों की खाली चर्चा करें कि समीक्षा या कि आलोचना - समालोचना ? पहली लाइन क्या हो और अंत में एसी क्या बात कह जाएं कि इज्जत बचाने लायक टिप्पणियां मिलने की गारंटी तो हो ही जाए ! गंभीर मुद्रा ठीक रहेगी या समीर जी मार्का चलेगी ! और इतने सारे सवालों के बीच अगर चर्चा लिख भी डाली तो टाइटिल देने का टंटा सो अलग ! खैर हर बार चर्चा लिखते हुए इन सब सवाली बुदबुदों को अपने मे मन रूपी सागर में उठते रहने देते हुए हम चर्चा का प्रथम अध्याय लिख ही डालते हैं और सबसे चर्चित पोस्टों की चर्चा से चर्चा शुरू करते हैं ! आज सबसे पहले नज़र पडी शिव-ज्ञान ब्ळॉग पर हमें उनकी अंग्रेजी इस्टाइल छंदोबद्ध कविता भा - गई !
थर्ड फ्रंट प्लस नवीन पटनायक रिजल्ट्स इन टू?
जेडीयू लुकिंग ऐट डिमांडिंग मोर सीट्स
थर्ड फ्रंट प्लस जयललिता रिजल्ट्स इनटू ?
करुनानिधि लुकिंग ऐट समथिंग डिफरेंट
एनडीए माइनस जेडीयू रिजल्ट्स इन टू ?
आडवानी ट्राइंग टू लुक सेकुलर
गणित और राजनीति का मिक्स्चर तैयार कर ऎसे परोसा गया है कि भारत की राजनीति की वैज्ञानिक तस्वीर उभर कर आ गई है ! समीर जी की होली पर क्या हालत हो ली यह उनकी तस्वीरों और गज़ल को देख कर ही पता चल सकता है ! यह होली के त्यौहार की ही महिमा हो सकती है कि शृंगार रस अंगी रस हो और सनम के शहर के गंदे नाले और सनम एक साथ याद आएं और विभाव के रूप में नाले में नहाते बच्चे और उनके रिसाले याद आएं! भई होली थी....:)
तुम्हारे शहर के गंदे, वो नाले याद आते हैं
नहाते नंगे बच्चों के रिसाले याद आते हैं
मैं तो कहूंगी ऎसी प्रतिभा को लाखों सलाम ! हम द्वंद्व में हैं कि थोडा हंसे या बहुत हंसे ! :)
ये व्यंग्यात्मक हास्यात्मक पेश्कश न पसंद आई हो तो और होली का परंपरागत गीत पढना हो तो कालचक्र पर जाऎ !
होली के त्यौहार पर ब्लॉग पर एक गंभीर डिस्कशन होता रहा ! नारी ,प्रगतिशीलता ,रुढिवादिता , आधुनिकता ,पुरुष ,गाली ,आजादी , घुटन स्त्री ,स्त्रियां , स्त्री- सशक्तिकरण ! आप नारी ब्लॉग पर जाकर अपनी जानकारी को दुरुस्त कर सकते हैं ! वहां आपकी कई अवधारणात्मक गलतफहमियां दूर हो सकती हैं ! स्त्री विमर्श की बात चलते चलते अचानक कब व्यक्तिगत प्रहारों का शिकार बनकर भटक जाए ब्लॉग की दुनिया में पता ही नहीं चलता ! लावण्या जी की पोस्ट से कई सवाल उठते हैं ! पोस्ट नहीं टिप्पणी विवादित लगती है ! दुनिया भर की लडकियां कविता पढकर अच्छा लगा ! हमारा बेटियों लडकियों पत्नियों माओं को उनके लिए बनाए गए उत्सवी दिनों के अलावा भी महत्व देते हैं !
आत्मा के रस में,
अपार संज्ञाओं से भरे संसार में,
सन्नाटे की चौखट पर,
शोर की सिराओं में,
संग-संग चलती हैं, होती हैं लड़कियां,
सांसों में,
निगाहों में,
बूंदों और मोतियों में,
सादगी की गंध
और शाश्वत सजावटों में,
ऊंची-ऊंची घास की फुनगियों पर,
ग्लेशियर की दूधिया परतों में
कितने तरह से होती हैं लड़कियां.अब वन लाइनर पेशेनज़र हैं ..
क्या मैं अब भी वही हूं हमें क्या पता आइना बताएगा !
रामप्यारी की नमस्ते हमें बचाओ रामप्यारी से !
घासीराम मास्टरसाब की ज़िंदगी का एक दिन ये सारे मास्टर सारी कुंठाएं स्कूल में ही निकालते हैं क्या ?
3 साल की गारंती वाला जूता बताओ किसको मारूं ?
धर्म ,आस्था और स्त्री-मुक्ति रसोई , मंदिर ,पति और नौकरी !
बाबा रामदेव ने कहा शर्मनाक शर्मनाक बाबाजी न बताएं तो हमें तो कुछ भी न पता चले !
हनीमून किसका ????
तस्वीर -ज़िंदगी के मेले से
चलती हूं दोपहर के तीन बज रहे हैं ! आपकी निंदालोचना/ तारीफ/शिकायत /सुझाव का इंतज़ार रहेगा !
ख्यातिप्राप्त चिट्ठों की ख्याति में थोड़ी और बढ़ोत्तरी हो गयी।
जवाब देंहटाएंठीक-ठाक चर्चा । धन्यवाद । यह चिट्ठा चर्चा की फ़ीड को क्या हुआ ?
रिसेन्ट पोस्ट की जगह दो हफ्ते पुरानी प्रविष्टियां दिख रही हैं..
नीलिमा जी बढ़िया है पर माइक्रो सी है .
जवाब देंहटाएंनीलिमा जी इतने कम चिठ्ठे अगर चर्चा लायक समझेंगी तो टिप्पणियों की बारिश कैसे होगी? बहार हाल जितना लिखा उसे बहुत मानते हुए कह सकते हैं की अच्छा लिखा है. अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा लिखा है...खास तौर पर भूमिका कमाल की है..
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत छोटी चर्चा...
जवाब देंहटाएंएक लाइना अच्छे थे.
छोटी सी है चर्चा एक लाइना .अच्छी लगी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंथोड़ा और लोगों को लपेटना चाहिए था । आपको अनूप भाई की क्लास लेनी होगी । प्रयास अच्छा लगा और एक लाइना तो मस्त था भई
जवाब देंहटाएंछोटी सी चर्चा रहती सदा अच्छी
जवाब देंहटाएंपढ़ते हैं सारा रहती नहीं अनपढ़ी
यह तो होता नहीं कि सिर्फ पढ़ें
एक लाईन ही, करामात ही
बिना पूरी पोस्ट पढ़ें आती नहीं
समझ बात कभी , शीर्षक होता
कुछ और है, पोस्ट कहती कुछ
और, टिप्पणी खोलती है पोल।
बहुत छोटी चचा है ... पर अच्छी पोस्टों को समेट लिया गया है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया है ...आप तो चर्चा चलाती रहें। चाहे छोटी चाहे बड़ी।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी जितनी चाहिए, हमें बताइयेगा...हम करूंगा व्यवस्था...
बहुत बढिया जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हमें तो भई चर्चा बहुते पसंद आई..खूब भालो!! ऐसे ही किया करो-साधुवाद!!!
जवाब देंहटाएं:)
जब तुम आना अगली बार
छापना फिर ऐसा अखबार...
-शुभकामनाऐं एवं बधाई.
अजित भाई हमारे डोमेन पर कब्जा जमा रहे हैं?? टिप्पणी वाले बाबा तो हम हूँ. :)
जवाब देंहटाएंhaay raam ye charchaa to bahut hee charchit hone waalee charchaa lagee, kasam se ham to charchaa charcha ho gaye.
जवाब देंहटाएंचर्चा छॊटी लेकिन अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंठीक है भई. जितनी छोटी हो उतना अच्छा है.
जवाब देंहटाएंवैसे भी बाबा लोगों की लम्बी लम्बी पोस्टें पढने के बाद इतना टाइम कहाँ बचता है की लम्बी चर्चा पढें
ढेर सारी पोस्टें किसे देखें ,किसे पढें , किसकी चर्चा करें ? "
जवाब देंहटाएंअच्छा जी, तो आप पोस्ट पढ कर चर्चा करतीं हैं:)
sadhii hui hotee haen aap ki laekhni achcha lagaa ki aap nae yaad rakha
जवाब देंहटाएंचर्चा "मिनि" हो गई इसका हम विरोध करते हैं. लेकिन गुणवत्ता में श्रेष्ठ है इसलिये विरोध वापस लेते हैं.
जवाब देंहटाएंआपके एक-लाईना गजब है!!
आप ने कहा है "हमारे लिए आजकल चिट्ठाचर्चा बहुत कसाले का काम हो गई है ! ढेर सारी पोस्टें किसे देखें ,किसे पढें , किसकी चर्चा करें ?"
यदि विषयाधारित चर्चा करें, उदाहरण के लिये "इस सप्ताह स्त्री चिट्ठाजगत में" और यदि सकारात्मक विश्ले्षण, चर्चा, एवं सुझाव प्रस्तुत किया जाय, तो यह अपने आप में एक अनोखा आलेख होगा.
अगली चर्चा का इंतजार है.
सस्नेह -- शास्त्री
गन्दे नालों और नदियों की,
जवाब देंहटाएंबहती है अविरल धारा।
नहाने वाले पर निर्भर है,
उसको क्या लगता प्यारा।
तेज दौड़ टिप्पणी तेज दौड़ !
जवाब देंहटाएंआज तेरी नीलिमा जी की इज्जत का सवाल है !
तेज दौड़ !
वडनेरकर जी झूठा दिलासा देगए !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी !
और तेज दौड़ !
टिप्पणी वाले बाबा ने कुछ नाम का सा तो किया !
जवाब देंहटाएंपर अभी इज्जत खतरे में है !
और तेज दौड़ टिप्पणी !
घरवाले भी साथ छोड़ गए !
जवाब देंहटाएंमुसीबत में एक एक टिप्पणी तो कर देते !
और तेज दौड़ टिप्पणी !
ऐसे में ही तो अपने पराए की पहचान होती है !
जवाब देंहटाएंऔर तेज दौड़ टिप्पणी !
तेरा बहुत बहुत शुक्रिया टिप्पणी !
जवाब देंहटाएंतूने क्वार्टर सेन्च्युरी करा के इज्जत बचा ली !
तुझे इनाम मिलेगा !
उचित समय आने पर !
विवेक जी आपने सही शान बढाई हमारी लिखी चिट्ठाचर्चा की !:) क्वार्टर सेंक्चुरी करवाने और हौसला बढाने के लिए आपको साधुवाद !
जवाब देंहटाएंनीलिमा जी मेरे ब्लॉग का नाम आपने कालचक्र लिखा है....दरअसल वो ताज़ा हवा है...कोई बात नहीं काल के चक्र में तो हर आदमी फंसा ही है
जवाब देंहटाएंमेरी टीप्पणी विवादित नहीँ थी -चूँकि, विवाद को गलत आशय तता सँदर्भ देकर बढाया गया था -
जवाब देंहटाएं- लावण्या