नॉक नॉक
हू इज देयर
फुरसतिया
फुरसतिया हू
तीसरे शनिचर को चर्चा करो यू
जिन्हें ऊपर का लिखा समझ नही आया उनके लिये बता दूँ, नॉक नॉक यहाँ अमेरिका में स्कूल के बच्चों में चुटकुला सुनाने का एक फार्मेट है, जिसके बहाने इसी तरह के कई सवाल-जवाब दिये जाते हैं।
संगीत के मामले में अपनी समझ अन्य दो चर्चाकारों से काफी कम है, बढ़ती ईकोनॉमी के देश में रहने वाले उन दोनों को जहाँ ब्रांड की अच्छी समझ है वहीं उसके उलट ढलती ईकोनॉमी के देश में रहकर हम पैकेज डील से पसंद नापसंद तय करते हैं।
एक बार की बात है दांत-काटे की ही तरह टिप्पणी-खिंचाई वाले दो दोस्त फुरसतिया और उड़नतश्तरी ने संगीत समारोह में जाने की सोची, दो प्रोग्राम चल रहे थे सहमति नही बनी। अंत में तय हुआ अपने अपने पसंद के प्रोग्राम में जाया जाय। उड़नतश्तरी चले मगन चतुर्वेदी का गायन सुनने और फुरसतिया निकल लिये घुलमिल मलिक के गायन का अंदाज-ए-तमाशा देखने। मगन चतुर्वेदी का आलाप खत्म होने के बाद कुछ ही देर का गायन हुआ था कि उड़नतश्तरी को सामने से फुरसतिया आते दिखायी दिये। उन्हें देख उड़नतश्तरी के चेहरे में "देखा मैने कहा था" वाले भाव उभर आये। वो फुरसतिया को बोले मैं पहले ही यहाँ आने की कह रहा था तुम माने ही नही, वो प्रोग्राम पसंद नही आया ना। फुरसतिया ने कहा, १ घंटे का प्रोग्राम था पूरा देखकर आ रहा हूँ क्यों यहाँ अभी शुरू नही हुआ क्या?
तो घुलमिल मलिक के चाहने वालों के लिये आज हमारे पास सुनाने को कुछ नही लेकिन कुछ अन्य शानदार गायकी के लिंक जरूर हैं।
हमने ये सुना था कि पतझड़, सावन, बसंत, बहार के बाद पाचँवा मौसम प्यार का होता है लेकिन जो महेन बता रहे हैं वो पहली बार पता चला। वो बात कर रहे हैं सुब्बुलक्ष्मी के आठवेँ सुर की -
दक्षिण में रहते हुए कर्णाटक संगीत मुझे बार-बार आकर्षित करता है, खासकर मंदिरों में बजता हुआ संगीत। अगर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत श्रृंगार प्रधान है तो कर्नाटक संगीत भक्ति प्रधान। सुब्बुलक्ष्मी का गायन मेरे लिए कई चीज़ों का पर्याय हो चुका है।हम चाहे ये संगीत कम सुन पाते हों लेकिन इनकी कही बात से इत्तेफाक रखते हैं और आज तो जी भरकर सुना भी। अब बात करते हैं राग की और वो है अहिर भैरव जो बज रहा है आगाज में सौजन्य अफलातून। घबरायें नहीं और जाकर सुनें क्योंकि ये गीत है जो उस राग पर बेस्ड है, गाया है आशा भोंसले और सत्यशील देशपांडे ने -
मन आनन्द आनन्द छायो
मिट्यो गगन घन अन्धकार
अँखियों में जब सूरज आयो
उठी किरन की लहर सुनहरी
जैसे पावन गंगाजल
अर्पण के पल हरसिंगार मधु गीत निन्दूरी गायो
मन आनन्द...
अभी कुछ दिनों पहले आमीर खान ने कहा था स्लमडॉग में स्लम के बच्चों का अंग्रेजी में गिटर-बिटर करना उनको हजम नही हुआ। अब कोई अंग्रेजी गानों का रसिया अगर मो रफी के इस गीत को सुनने ले तो शायद वो भी कुछ ऐसा ही बोले। ये गढ़ा खजाना निकाल के लाये हैं सागर नाहर, गीतों की महफिल में -
the she i love is the beautyfull- beautyfull dream come trueहम निठल्ले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, ये सुन कानों का स्वाद तो बदल चुका होगा। अच्छा ये तो बताईये आजकल देश में माहौल कैसा है, हमें तो आजकल प्रजातंत्र, वोट जैसी बातें सुनने में आ रही है। देखिये ना कान में कुछ ऐसी बातें पड़ीं -
i love her love love love her...
सत्ता की ये भूख विकट आदि है ना अंत है, अब तो प्रजातंत्र है...जी हाँ वेलकम टू इंडियापुरम, पायदान ३ में खड़े होकर हमारी पसंद का कैलाश खेर का गाया और अशोक मिश्रा का लिखा ये गीत सुना रहे हैं मनीष।
अरे जिसकी लाठी उसकी भैंस आपने बना दिया
हे नोट की खन खन सुना के वोट को गूँगा किया
पार्टी फंड, यज्ञ कुंड घोटाला मंत्र है
अब तो प्रजातंत्र है, अब तो प्रजातंत्र है
आदमी आज़ाद है, देश भी स्वतंत्र है
राजा गए रानी गई अब तो प्रजातंत्र है
आपको हिंदी में सुना दिया, कर्नाटकी सुना दिया, अंग्रेजी भी नही छोड़ी अब ये बताईये आपका उर्दू का ज्ञान कितना है, अपना तो अलिफ तक ही सीमित है। अगर आप हम से ज्यादा समझदार हैं तो मीत को बूझिये -
ज़ीस्त अब कुछ मो'तबर सी हो चली है, ख़ैर होअब एक पहेली बूझिये, जावेद-जावेद-अल्लाह रक्खा, इस त्रिमूर्ति से आपको कौन सा गीत समझ आता है। कहने को जश्न-ऐ-बहारा है वरना हम बता देते कौन से गीत की बात कर रहे हैं। इस बार मनीष दूसरी पायदान में खड़े हैं और सुना रहे हैं जोधा-अकबर का जश्न-ऐ-बहारा गीत। जावेद अली का गाया, जावेद अख्तर का लिखा और अल्लाह रक्खा रहमान का संगीतबद्ध ये गीत संगीत, बोलों और गायकी तीनों ही दृष्टि से ग़ज़ब ढाता है।
कुफ्र ये मालिक कहीं तर्क-ए-मुहब्बत तो नहीं
ये तो थी आज की संगीत चर्चा बकौल फुरसतिया अब तक अगर आप हमें भूल चुके हैं तो बता दें हम वही हैं निठल्ला चिंतन वाले तरूण, रह रह कर याद आयेंगे और जी भर तुम्हें पकायेंगे। अब अगले तीन शनिवारों तक इत्मेनान की सांस लीजिये, खुद भी हंसिये, दूसरों को भी हंसाईये -
दो जवाँ दिलों का गम दूरियाँ समझती हैं
चर्चा पे करी मेहनत को टिप्पणियाँ समझती हैं
[काम और पर्सनल व्यवस्तता के चलते, हमारी इस सप्ताह भी चिट्ठों से दूरी बरकरार रही अगर आप में से किसी ने कोई गीत-संगीत पर पोस्ट लिखी हो और उसका यहाँ जिक्र नही हो पाया तो आप अपना लिंक टिप्पणी में छोड़ सकते हैं। वक्त मिलते ही चर्चा में अपडेट कर दूँगा वैसे अभी यहाँ रात के बारह बजे हैं। हिन्दी युग्म के आवाज नामके चिट्ठे पर भी कुछ गीत बजे थे लेकिन वो ठीक बज नही रहे थे इसलिये चर्चा में सम्मिलित नही कर पाया।]
वाह, आपकी इस चर्चा के माध्यम से हमने सुब्बुलक्ष्मी को सुन लिया। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमन आनन्द आनन्द छायो
जवाब देंहटाएं-इत्ता समझाते हैं फुरसतिया जी को, मगर वो मानें तब न!! हर जगह से ऐसे ही अपने मन की करके बाद में लौटते दिखाई देते हैं !!!
बेहतरीन चर्चा.
वाह वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंनोक नोक
जवाब देंहटाएंहू इज देयर
कुश
हम तो चर्चा पढ़ के हो गये खुश..
वाह, इस संगीतमय चर्चा से तो 'मन आनंद आनंद छायो'..
जवाब देंहटाएंसंगीतमय चर्चा से आपकी आमद ....सुखद है
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही ये चर्चा क्योंकि जो कुछ हम सुन नही पाये थे उन्हें आज आपकी चर्चा पढने के बाद सुन लिया ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया संगीतमय चर्चा ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा । संगीत के चिट्टों की चर्चा की नियमितता से मन प्रसन्न है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंमजेदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंअफलातूनजी के ब्लॉग पर आग अहीर भैरव पर आधारित गीत तो सचमुच कमाल का है। कितनी कितनी बार सुनने के बाद भी और सुनने कि इच्छा कम नहीं हुई।
और हाँ निठल्ले ब्लॉग पर बजी गज़ल भी बहुत शानदार है।
धन्यवाद।
सुन्दर! मजेदार! वापस लौटा देखकर बहुत अच्छा लगा। चर्चा का गप्पाष्टक वाला अंदाज मजेदार लगा। ई-स्वामी ने आज बहुत दिन बाद http://hindini.com/eswami/?p=222 बहारें पेश की हैं। सुनिये और मौज करिये।
जवाब देंहटाएंबहुत मधुरम चर्चा रही आज तो.
जवाब देंहटाएंरामराम.
उत्तम चर्चा। बधाई।
जवाब देंहटाएंचलिए अच्छा हुआ हमारी शनीचरी चिट्ठा मंडली में एक सदस्य और जुड़ा !
जवाब देंहटाएंAchchhi lagi charcha
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