<--- ये बगल वाला कार्टून अपने ब्लाग पर हरिओम तिवारी ने कल
पोस्ट किया। इस पर टिपियाते हुये किन्ही अनाम पाठक ने टिपियाया कि ये कार्टून तो पहले ही कप्तान साहब के ब्लाग पर पोस्ट हो चुका है। क्या हरिओम जी ने इसे वहीं से उठाया है?
---> कार्टूनिस्ट काजल कुमार ने समझाइस देते हुये लिखा-
भाई Anonymous जी, एक ही विषय पर बनाने पर प्रायः ऐसा हो जाता है.
मुझे नहीं लगता कि रोज़ नया कार्टून बनाने वाले को किसी दूसरे का कार्टून उड़ाने की ज़रुरत होती है.
खुद कप्तान साहब अनाम पाठक की बात को
फ़ालतू की बकवास बताया। आज भोपाल में पानी के पीछे हुये झगड़े में तीन लोग मारे गये। बायीं तरफ़ के कप्तान के
कार्टून में देखिये पानी की स्थिति। इसी क्रम में कप्तान का दायीं तरफ़ का
व्यंग्यात्मक कार्टून देखिये। विदेशों में फ़ैले स्वाइन फ़्लू के किस्से अखबार और मीडिया के दूसरे अंग लगातार बखानने में लगे हैं लेकिन अपने देश के पानी अभाव से वे बहुत परेशान नहीं हैं। कप्तान के अन्य कार्टून भी आमजीवन से हुड़ी समस्याओं पर केंद्रित हैं।
अगर कोई आपसे पूछे कि एक एअर होस्टेस और किसी ढ़ाबे पर काम करने वाले बच्चे में क्या अंतर है तो शायद आप सोंचे कि ये भी कोई सवाल है। लेकिन काजल कुमार का कार्टून देखकर आपको तुरंत समझ में आ जायेगा कि दोनों की स्थिति में कोई बहुत अंतर नहीं है। काजल कुमार की नजर में ब्लागर भी हैं। वे
अपने कार्टून में बताते हैं कि ब्लाग फ़ालोवर कम होने पर कुछ ब्लागर कैसे बच्चों की तरह हरकतें करने लगते हैं।
जयपुर के
चंद्रशेखर हाडा के कार्टून में समकालीन राजनीति का पुट ज्यादा दिखता है। अभी हाल ही में खत्म हुये चुनाओं में राजनीतिज्ञों ने न जाने कैसे-कैसे बयान दिये और अब गठबंधन के जुगाड देखे जाने लगे। नीचे दिया
कार्टून नेताओं के किस्से बयान करता है:
इरफ़ान के कार्टून भी राजनीतिक रंग में हैं। आई पी एल को आप भले क्रिकेट से जोड़ते हों लेकिन इरफ़ान इसे
इंडियन प्राइम मिनिस्टर लीग बताते हैं। समाचार हैं कि अमर सिंह जी १३ के बाद राजनीति छोड़ सकते हैं लेकिन इरफ़ान का कुछ और ही
मानना है।--->
हरिओम तिवारी चुनाव बाद छोटे दलों की स्थिति का
पूर्वानुमान करते हैं कि बड़े दल उनकी कैसे मिजाज पुर्सी करते पायेंगे। आजकल के नेताओं के भाषण सुनने के लिये जनता कैसे जायेगी देखिये!
संस्कारधानी जबलपुर के
डूबेजी के कार्टून के भी अलग ही रंग हैं। नेताओं को हर अगली पार्टी वाला अपनी तरफ़ खैंच रहा है। हालत खुद देखिये बायीं तरफ़! पानी की समस्या पर डूबेजी की भी नजर है।
इलाहाबाद के
के एम मिश्राजी अपने ब्लाग में एनीमेशन बनाते चलते हैं। इधर देखिये कि जरदारी का चित्र है जिसमें जरदारी कहते हैं-
पाकिस्तान को भारत से कोई खतरा नहीं है । हमें खतरा पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकवादियों से है । – इस बयान के साथ ही एनीमेशन के साथ ये कहा गया है:
मियां जरदारी साहब, ये तो हमको बहुत पहले से मालूम है कि पाकिस्तान को भारत से कोई खतरा नहीं है, बल्कि भारत को ही हमेशा पाकिस्तान से हमले का डर सताता रहता है । इतिहास गवाह है सन 47, 65, 71 और 99 में युद्ध आपने ही शुरू किये थे । हमें तो मजबूरन अपनी रक्षा में आपको लतियाना पड़ा था । खैर देर आये दुरूस्त आये । देखते हैं कितने दिनों तक आपकी बुद्धि सही सलामत रहती है । अल्ला ताला आपके होश-हवास पाकिस्तान में भी दुरूस्त रखे । आमीन ।एक लाईना
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मेरी पसन्द
मैनें,
कभी नही चाहा कि
जोड़कर अंजुरि भर लूँ
अपने हिस्से की धूप
और अपने सपनों को बदलने की
कोशिश करूं हकीकत में
मैनें,
कभी नही चाहा कि
आकाश मेरे लिये सहेज कर रक्खे
एक टुकड़ा छांव सुख भरी
सुकून बाँटती
जब मेरी पीठ से उतरती हुई
पसीने की बूंद
गुम हो जाये दोनों पैरों के बीच कहीं
और सामने पड़ी हो दूरियाँ नापने को
मैनें,
कभी नही चाहा कि
मेरे आस-पास आभामंडल बने
और मुझे पहचाना जाये
पास बिखरी चमक दमक से
जब मैं अपनी ही खोज में किसी कतार में खड़ा
आरंभ कर रहा हूँ सीखना
रोशनी कैसा पैदा की जा सकती है
खून को जलाते हुये हाड़ की बत्ती से
मैनें,
कभी नही चाहा कि
मेरा नाम उकेरा जाये दीवारों पर
या पत्त्थर के सीने पर
और वर्षों बाद भी जब गुम हो जायें लिपियाँ
मैं अपने नाम के साथ जिन्दा रहूँ
अंजानी पहचान के साथ
जबकि, मैं चाहता रहा
मेरा नाम किसी दिल के हिस्से पर
बना सके अपने लिये कोई जगह
और धड़कता रहे
किसी दिन शून्य में विलीन होने से पहले
मुकेश कुमार तिवारी और अंत में
आज मीनाक्षी जी बेटे वरुण का
तेईसवां जन्मदिन है। वरुण को जन्मदिन मुबारक।
सिद्देश्वरजी ने अपने ब्लाग की सौवीं पोस्ट डाली। उनको भी हमारी बधाई।
आज चर्चा का दिन शिवकुमार मिश्र का था। वे शायद व्यस्त हो गये और बता भी न पाये। अभी शाम को देखा तो सोचा चर्चा कर ही दी जाये। आज कार्टून चर्चा करने का मन बन गया। शायद काजल कुमार जी की यह शिकायत दूर हो गयी होगी कि चिट्ठाचर्चा में कार्टून चर्चा नहीं होती।
कल की चर्चा मसिजीवी करेंगे।
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बढ़िया!
जवाब देंहटाएंएक संतुलित (कार्टून) चर्चा के लिए आभार
रात के १२:४८ बजे देख रहा हूँ कि यहाँ टिप्पणी बक्सा खाली है। झट से सोच लिया कि सोने से पहले एक टिप्पणी कर ही दूँ। अच्छे कार्टून हैं। शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग की कार्यशाला का अगला पाठ (फुरसतिया उवाच) सुबह ४:४५ पर शिड्यूल कर दिया है। उसके बाद दिखने लगेगा। शुभ रात्रि।
सच में, पूरी तरह कार्टून चर्चा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंहाँ, कार्टून चर्चा का मतलब कार्टून की चर्चा समझा जाय, कार्टून-सी चर्चा नहीं ।
बहुत दिनों से कार्टून चर्चा बाकी थी। कमी पूरी हुई।
जवाब देंहटाएंकार्टून अच्छे है...., मुकेश तिवारी जी की कविता पढ़वाने के लिए आभार ,अच्छी कविता ...
जवाब देंहटाएंहम सोच ही रहे थे कि कार्टून पर कैसे चर्चा की जा सकती है.... लेकिन आपकी कार्टून चर्चा तो लाजवाब रही...
जवाब देंहटाएंबच्चों को हमेशा बड़ो के आशीर्वाद की ज़रूरत रहती है...
सिद्धेश्वरजी को सौवी पोस्ट पर बधाई...
SAhi hai Cartoon charcha kaa yah roop bhi..Aanand aaya.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा .. नए अंदाज में।
जवाब देंहटाएंबहुत आनन्द आया और अच्छा लगा कि एक पूरी पोस्ट ही कर्टून चर्चा की ठेल दी. इससे हमे अन्य सभी कर्टूनिस्ट भाईयों की जानकारी भी मिली. घणा धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
भाई अनूप जी, सचाई तो ये है कि आपकी संवेदनशीलता देख कर मैं तो डर ही गया हूँ ,
जवाब देंहटाएंपरिहासपूर्वक कही मेरी बात को भी आप इतनी गंभीरता से लेंगे मुझे नहीं पता था :-) आपने तो पूरी चर्चा ही कार्टूनों पर कर डाली..'पूरे धर के बदल डालूँगा' वाले अंदाज़ में.
पर ये भी सच है कि आज की चर्चा पढ़ कर भीतर का कार्टूनिस्ट मुस्कुराया -"Hmm..I have arrived."
सादर आभार.
इन बड़े -बड़े नामों के साथ मुझे भी शामिल करने के लिए अनुप जी धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंनए तरह की चर्चा ,बहुत बढियां .
जवाब देंहटाएंअनूप जी, चर्चा में शामिल करने के लिए आभार..धन्यवाद्.
जवाब देंहटाएंगुरु जी
जवाब देंहटाएंछा गए आज की चर्चा के लिए
ट्रक भर-भर बधाइयां
हमारे अभिषेक जी के बगैर चर्चा अधूरी रही है अनूपजी...वे हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कार्टूनिस्टों में से एक हैं. कप्तान साहेब के दोनों दायें-बाएं कार्टून एक ही हैं.
जवाब देंहटाएंकार्टूनकारों की चर्च
जवाब देंहटाएंकार्टूनों के आईने में
चिट्ठाकारों की संजीदगी को
बहुत ही बेरहमी से उजागर
करती हुई।
यह तो होना ही था
यह तो होना ही चाहिए था
कार्टून और कार्टूनकार दोनों ही
इसके हकदार बनते हैं।
बहुत ही अच्छी कार्टून चर्चा, बहुत ही बढ़िया। पसंद आई।
जवाब देंहटाएंदेर आयद दुरूस्त आयद।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अनूप जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा ऐसी कि जिसका चर्चा ना हो? हो ही नही सकता, इतनी खूबसूरती से उंगलिया की-बोर्ड पर और नज़रें पैनी रखने वाले व्यक्तित्व के बिना यह सब संभव नही है।
मेरी कविता को अपनी पसंद में शामिल करने के लिये कोटिशः धन्यवाद।
मुकेश कुमार तिवारी