छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी छवि के अनुकूल ही आचरण करते हुए १९७४ से खेले जा रहे हबीब तनवीर के अंतर्रष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त नाटक 'चरणदास चोर' पर शनिवार ८ जुलाई से प्रतिबंध लगा दिया!इस क्लासिक नाटक पर प्रतिबंध का विरोध किया जा रहा है। आप भी इस बारे में कोई विचार रखते हैं क्या?
कम लोगों को पता होगा कि धाँसू - धुरंधर लिक्खाड़ और हाजिर -जवाब हँसोड़ अभिनेता कादर खान पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। आजकल वे अध्यापन की तरफ़ मुड़ गये हैं और अब किस्सा कोताह यह कि प्रोफ़ेसर खान अब फिल्मों के लिए लिखते नहीं , अब पढ़ाते हैं! किस्सा विस्तार से यहां देख लीजिये।
आभा घर परिवार की बातें सरलता से और संजीदगी से लिखती हैं। अपने बच्चों को समय देने के लिये उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ी थी। उनकी पोस्ट का शीर्षक ही उनके मन की पूरी बात कह देता है देखिये बच्चों की देख-भाल से आजाद हैं लोग, इस आजादी से बचाओ रे राम उनकी इस पोस्ट पर युनुस का बयान है-लगता है आसपास का कोई रिफरेन्स देखकर आप बेहद गुस्से में हैं । अगर इस गुस्से से कुछ लोग सुधर जाएं तो बढिया हो ।
इसी कड़ी में आप डा.अमर कुमार को पढ़िये- बच्चे.. जो बच्चे न रह पायेंगे
शास्त्रीजी की बिटिया की शादी सितम्बर में है। शास्त्री जी ने अपनी बिटिया और दामाद के बारे में जानकारी है। शास्त्री जी को हमारी मंगलकामनायें। उनकी पोस्ट पर ज्ञानजी का अनुरोध है- कि इस तरह की व्यक्तिगत बात की पोस्टें और होनी चाहियें जबकि विवेक का कहना है-आपका बनियान में पेन लगाने का इश्टाइल अच्छा लगा ! हमारी तरफ़ से शास्त्रीजी की बिटिया के लिये मंगलकामनायें।
लविजा ने कल अंकल चिप्स खाया और अपनी मम्मी का बर्थ डे मनाया। आप शामिल हुये क्या बधाई देने वालों में!!!
अदालतों पर केसों को बहुत देर से निपटाने की तोहमत लगती है लेकिन हमारी अदालत में लोकेश ने ३१ महीने में २००० केस निपटा दिये। लोकेश जी को बधाई और शुभकामनायें।
बूटे वाले बाबा के नाम से जाने जाने वाले बाबा दीवान सिंह अब तक दस हजार से अधिक पेड़ लगा चुके हैं। उनके बारे में जानकारी देते हुये आमीन बताते हैं:
वे हर दिन पेड़ लगाते हैं। वे देश के कई हिस्सों में जाकर पेड़ लगा चुके हैं। चंडीगढ़ का कोई धार्मिक स्थल ऐसा नहीं जहां उन्होंने पेड़ न लगाया हो। खास बात यह है कि 65 वर्षीय दीवान सिंह को ब्लड कैंसर था। पीजीआई से जवाब मिलने के बाद उन्होंने यह काम शुरु किया। कुदरत की रहमत ही रही कि अब उनका ब्लड कैंसर भी ठीक हो चुका है। मन की शांति के लिए शुरू किया काम अब उनका शौक बन चुका है।
प्रसन्न वदन चतुर्वेदी बनारस के शायर रामदास अकेला से परिचय कराते हैं और उनकी शायरी पढ़वाते हैं:
कैसे-कैसे इसे गुजारी है।
ज़िन्दगी यार फिर भी प्यारी है।
मालोज़र की कोई कमी तो नही,
हाँ मगर प्यार की दुश्वारी है।
ज़िन्दगी कौन कब तलक ढोता,
ये तो खु़द मौत की सवारी है।
बाप मरता तो भला कैसे वो,
जिसकी बेटी अभी कुँवारी है।
गौतम राजरिशी अपनी छुट्टियां खतम करके अपने राज्य में लौट गये हैं। आप अगर उनके साम्राज्य, महल , सहचर और धड़कन का जायदा लेना चाहते हैं तो इधर आ जाइये।
आज शब्द सृजन की ओर तथा डाकिया डाक लाया वाले कृष्ण कुमार यादव का जन्मदिन है। उनको हमारी बधाई। आप भी दीजिये न!
मेरी पसन्द
कैसे गीत सुनाऊँ मैं, सुर मिलते ना साज
द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज
आँखों में आंसू भरे, भीगे मन के ख्वाब
बचपन जिसमें तैरता, सूखा मिला तलाब....
अमिया की डाली कटी, तुलसी है नाराज
द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज
राहों को तकते नयन, बन्द हुए किस रोज
माँ के आँचल के लिये, रीती मेरी खोज
कोई अब ऐसा नहीं, हो मेरा हमराज
द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज
ना मितवा ना मीत हैं, ना पीपल की छांव
बेगाना मुझ से हुआ, मेरा अपना गांव
कैसे सब कुछ लुट गया, है ये गहरा राज
द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज
वो सूरज का झांकना, वो मुर्गे की बांग
ऐसा अब कुछ भी नहीं, अर्थहीन है मांग
अपनों की घातें लगीं, जैसे ताके बाज
द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज
याद लिए कट जायेगा, जीवन थोड़ा पास
मन पागल कब मानता, पाले रखता आस
खोज रहा मैं अंश वो, जिस पर करता नाज
द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज
समीरलाल
एक लाईना
- प्रोफ़ेसर खान अब लिखते नहीं , पढ़ाते हैं : इत्ता अच्छा कि उनके पिता भी आते हैं क्लास में
- मेरी २००वीं कविता : इसलिये पूरी सच्चाई से सद्मार्ग पर चलना चाहता हूँ
- अंकल चिप्स और कुट की आवाज : तो ये है लविजा की खुशी का राज
- एक हारा हुआ योद्धा!!! : ब्लागिंग कर रहा है
- वकील उसी अदालत में जज न बनाए जाएँ, जहाँ वे प्रैक्टिस करते हों :वर्ना वे खुद बहस करेंगे और खुदै निपटारा भी
- बेमतलब नहीं है यह ! : लेकिन इसका कोई मतलब भी तो नहीं
- ऑफलाइन हिन्दी लिखने के औज़ार (कमेंट बॉक्स में सीधे ही हिन्दी टाइप कैसे करें) :अब टाइप भी हमें करना पड़े तो क्या फ़ायदा भैये?
- कॉलेज में आईटम गर्ल के डांस का एक पीरियड ! : कालेज की सीटें भरने के लिये ही तो लगाया है
- ब्लॉग बुखार?? :आपको चाहिये टीपसिटोमाल
- तीस रुपये के लिए क्यूँ करती हो अपनी फिगर खराब :अंडे देने के लिये तो पड़े हैं बड़े-बड़े नवाब
- देखते है आदि कहाँ जाता है? :क्या -क्या गुल खिलाता है
- भगवान इससे अच्छा तो तू मुझे मुख्यमंत्री का कुत्ता बना देता! : आपका प्रार्थनापत्र विचाराधीन है
- जीवन और साइकल :चलाने के लिये निराशा का पंक्चर ठीक करायें और मनोबल की हवा भरवायें
- गांव, गोत्र और ग्लोब्लाइजेशन : में अनुप्राश अलंकार की झकास छटा है
- खुश रखे, खुश करे सो पुरस्कार ! : अरे लेकिन कब मिलेगा यार
- मुझको यारो माफ करना मैंने दाल खाई ... :अभी तक पेट गुड़गुड़ा रहा है
- ठहर सा गया है कोलकता:कोई इसे धकियाये तो सही
- मंगल और तिलंगी : क्रमश: आदमी और कुत्ते के नाम हैं
लो जी टिपिया दिया
जवाब देंहटाएंजन्म दिन की मुबारक बाद
भी पहले दे दी और भी
दे रहे हैं यादव जी को।
लोग कविता लिखकर
न जाने कब थकेंगे
अभी तो थके लोग
लिख रहे हैं कविता।
चर्चा सुंदर है। झमाझम की तो प्रतीक्षा है। बूंदाबांदी भी नहीं है। लगता है सूखा दरवाजे पर खड़ा है। अगली चर्चा की प्रतीक्षा करते हैं।
जवाब देंहटाएंहबीब जी के लिये कहने को मेरे पास कुछ भी नही है,बल्कि ये कहूं की मुझे हक़ ही नही है तो ज्यादा ठीक रहेगा।उनके नाट्क पर प्रतिबंध को लेकर खामोशी से मै ज़रा भी हैरान नही हूं।बात दरअसल एक समाज के विरोध की है और उसका विरोध करना किसी के लिये भी संभव नही लगता।वैसे मै भूला नही हूं हबीब जी के जाने के बाद क्या-क्या कहा गया था और हो क्या रहा है।मुक्तिबोध के बाद हबीब जी ने ही सही मायने मे छत्तीसगढ को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई थी।उनका कर्ज़ है हम सभी पर।मै उनको नमन करता हूं।
जवाब देंहटाएंek sundar post
जवाब देंहटाएंझमाझम मस्ती में कैसे गुजरेगा। झमाझम बरिसिया तो हो ही रही है।
जवाब देंहटाएंSundar Charcha. Aapko badhai.
जवाब देंहटाएंबिना बारिश के हफ्ता झमाझम मस्ती में कैसे बीतेगा भला!!!!
जवाब देंहटाएंयहाँ तो सूखे की घोषणा हो चुकी है जी!!
अच्छी चर्चा है आपके ब्लॉग में.......... सब ब्लोगों का हिसाब एक छत के तले.....
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा बढ़िया रही।
जवाब देंहटाएंअनूप शुक्ल जी का जवाब नही।
ap ki pasand fir pasand aai
जवाब देंहटाएंवाह जी..बढिया चकाचक चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत उम्दा चर्चा.
जवाब देंहटाएंक्या बेहतरीन पसंद है आपकी..वाह!! :)
हमदर्द का टानिक सिंकारा लेने जा रहे हैं अब..फिर चहक के कुछ लिखा जायेगा.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सधी हुई और सँतुलित शालीन चिट्ठाचर्चा रही, आज तो !
पर मेरा एक स्पष्टीकरण भी आज की चर्चा के मिनिट्स में शामिल किया जाय ।
बच्चे जो वच्चे न रह पायेंगे...मैंनें नहीं लिखा ( मैं इतना अच्छा और गँभीर कभी लिख भी पाया हूँ ? )
यह रचना
आलेख डा. महेश परिमल की है, जो उनके ब्लाग से सँकलित किया गया है ।
वेबलाग पर बहुत सी ऎसी रचनायें हैं जो ( मेरी दृष्टि में ) बेहतरीन तो हैं, पर किन्हीं कारणों से अनदेखी उपेक्षित सी रह गयी हैं ।
एक वर्ष या इससे पुरानी ऎसी रचनाओं को एक स्थान पर सहेज रहा हूँ । इनमें से किसी भी कृतित्व पर मेरा कोई योगदान नहीं हैं ।
ऎसी योजना मैंनें बहुत पहले फरवरी में ही डा. अनुराग की किसी टिप्पणी से प्रेरित होकर बनायी थी ।
इसको साकार करने में श्री अनूप जी के एक परम मित्र बार बार आड़े आ रहे थे । मैं भी उनके जिगरी यार का लिहाज़ करता रहा !
मैंने कहा था न कि, मैं सीरियस लिख ही नहीं सकता,
क्योंकि मैं रचना जी का आदर करते हुये दँगलों में ही यकीन रखता आया हूँ ।
अब आप पाठकों से आग्रह है कि, यदि आप भी ऎसे लिंक भेज कर सहायता करेंगे, तो मुझे भला लगेगा । वरना...
वरना क्या ?
एकला चलो रे .. और क्या ?
एक और बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंअदालत के उल्लेख सहित बधाई व शुभकामनायों हेतु धन्यवाद
बहुत शानदार चर्चा.. बधाई
जवाब देंहटाएंआज तो समीर जी की कविता ने मन उद्वेलित कर रखा है
जवाब देंहटाएंबढ़िया!
जवाब देंहटाएंसर जी एक उलझन है, अनेकों बार भुगत चुका हूँ। :-)
चिट्ठाचर्चा में कई बार ऐसा हुआ है कि चित्रों को बड़ा कर देखने की गरज से जब क्लिक करता हूँ तो कोई और ही चित्र खुल जाते हैं। जैसे आज किसी भी चित्र को क्लिक करूँ तो प्रेमचंद जी का चित्र दिखता है :-)
यह मात्र एक सूचना है, अन्यथा न लें
behatreen charcha.
जवाब देंहटाएं:)
पाबलाजी, आज की पोस्ट में तो गड़बड़ियां दूर कर दीं। बाकी पुरानी पोस्टें भी सही करेंगे। ध्यान दिलाने के लिये आभार!
जवाब देंहटाएं"कैसे गीत सुनाऊँ मैं, सुर मिलते ना साज"
जवाब देंहटाएंसही है जी, जब तक शुगर और बी.पी, लेवल कम न हो.....:)
कृष्ण कुमार यादव जी को जन्मदिन की बधाई,
जवाब देंहटाएंआज की दोनों कविताएं ( समीर जी की और प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी की) सहेज रखने योग्य्…बहुत अच्छी लगीं, शास्त्री जी को भी बधाई
आज की चिठ्ठाचर्चा बहुत शानदार है, वैसे हमेशा ही होती है लेकिन आज की फ़र्स्ट डिविजन में पास होने वाली…।:)
अनूप जी, आप इतने चिठ्ठों की लिंक देते हैं लेकिन मेरे प्रिय चिठ्ठे की चर्चा यहाँ नहीं दिख रही है। मैने आज फुरसत से उसकी दो पोस्टें पढ़ीम और टिप्पणी भी दी। आपकी आप जानें, लेकिन मैं यहाँ एक कुण्डली चेंप रहा हूँ। लिंक यहाँ से दे नहीं सकता, हो सके तो आप दे दें।
जवाब देंहटाएंफुरसतिया ने छेड़ दी, छेड़छाड़ की तान।
गिरते पड़ते दौड़ते, ब्लॉगर रचते गान॥
ब्लॉगर रचते गान, घोर तुकबन्दी बनती।
टिप्पणियों की रेल-पेल में कविता छनती॥
अजब-गजब सी होती इस चिठ्ठे की बतिया।
डूब गया ‘सिद्धार्थ’, पिलाये जा फुरसतिया॥
http://hindini.com/fursatiya/?p=665
http://hindini.com/fursatiya/?p=663
हे प्रभु ! आप ने हमारे प्राईवेट चित्र को पब्लिक कर दिया. बनियान पहना चित्र पब्लिक में दिखाना सही नहीं है. पता नहीं कहां कहां से आप ऐसी चीजें कबाड लाते हैं.
जवाब देंहटाएंचार दिन पहले मेरे जीवन की इससे भी प्राईवेट बात को पब्लिक करते हुए आप देखे गये थे!!
लगता है कि अब आप के जीवन में भी ठसना पडेगा.
बाबा दीवान सिंह वाला अलेख आप के कारण मेरी नजर में आ गया. दिली आभार. ये हैं हमारे असली हीरो!! बाबा को मेरा शत शत नमन!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
इतनी सुन्दर और विस्तृत चर्चा के बाद आपने अंत में अपना लाभ भी खूब साधा........
जवाब देंहटाएं{{ आपको खुले आम स्वीकार करना पड़ेगा की ""हमदर्द"" वालों ने आपको कितने में पटाया है }}
और आप ये प्रचार कितने दिन तक करेंगे जिससे any लोग भी अग्रीमेंnt करते समय आपको अर्जित हुए ज्ञान से लाभ ले सकें :)
वीनस केसरी
क्योंकि मैं रचना जी का आदर करते हुये दँगलों में ही यकीन रखता आया हूँ ।
जवाब देंहटाएंI merely on this link discussed people who have made hindi blogging a stage where only baffons are respected for all the mimkri they do .