उमस भरी रात थी
मेघ बूँद आ गिरी
एक गंध छा गयी
बिटिया, तुम आ गयी?
भूख बिठाकर घर में उसका यार हुआ है घूरे लाल
जैसे कोई पढ़ा हुआ अखबार हुआ है घूरे लाल
बिना काम के गुज़र रही ज़िन्दगी बिना उद्देश्य यहाँ
जैसे कोई दफ्तर का इतवार हुआ है घूरे लाल
एक लाईना
- जिन्ना, जसवंत और भारत का भविष्य सब कुछ ५९९ रुपये में
- क्या कभी बन पाउँगा इनके जैसा बाप :मान लो बन भी गये तो उसके बाद क्या करोगे आप?
- जसवंत की किताब का भूत : हर जगह ब्रेक डांस कर रहा है
- सरकारी कर्मचारी बना दलाल :डबल ड्यूटी कर रहा है देश का लाल
- आ कुछ दूर चलें,फिर सोचे....... : यहां तो ये लोग लड़ा रहे हैं चोंचे
- कुछ लिखने को जी करता है :ई वाली कविता के बाद भी- कमाल है भाई
- कूद जाऊँ क्या? :क्या जान फ़ालतू है!
- लिखिए स्वस्थ रहिए:पढ़ने वाले का जो हो सो हो आप मस्त रहिये
- दुख का भविष्य; सुख के भविष्य से अधिक सुखकर होता है! :परिवर्तन ही स्थायी है;शेष तो परिवर्तनशील होता है!
- आदमी आदमी से संवाद कायम नहीं रख सके आडवाणी : केवल मनमोहनजी से बतियाने की अर्जी लगाते रहे
- चार घंटे,२६० मरीज और अकेला डॉ० सत्यकाम... :क्या करे? ब्लाग लिखने के सिवा!
- रिंग में आडवाणी-भागवत आमने सामने :रेफ़री का बाना धारण किया है पुण्य प्रसून बाजपेयी ने
- चाशनी के टुकडे:बजरिये सतीश पंचम
- एक और रात - गुलजार : लिखवैया हैं डा.अमर कुमार
- आरएसएस ने जसवंत को फटकारा : लिखते-पढ़ते विचार करते हो। संघ का नाम डुबा रहे हो। शर्म नहीं आती।
मेरी पसंद
मैं इस वक्त हड़बड़ी में हूं
कि जल्द से जल्द इकट्ठा कर लूं
पेड़ों से कुछ पत्तियां
चुन लूं हरी दूब की कुछ नोंक
और सहेज लूं कुछ जंगली फूल
इस मिट्टी से -
डर यह नहीं
कि विस्मृत हो जाएंगे उनके नाम
बल्कि यह है कि कहीं
धुल न जाए स्मृति से उनकी सुगंध।
अब्दुल्ला पेसिऊ की कविता लिखो यहां वहां से साभार
और अंत में
फ़िलहाल आज के दिन इत्ता ही। आज विवेक का दिन है चर्चा में लेकिन विवेक बीड़ी बेक के बाद मथुरा निकल गये। शाम तक लौटेंगे। कोई बता रहा था विवेक की बांछे इस बात से खिली हुई हैं कि उनकी मजाक मजाक में लिखी कवितायें उन लोगों को भी समझ में आ रही हैं जिनको आम तौर पर मजाक पसन्द नहीं है। कोई बता रहा था इसलिये विवेक फ़ूट लिये कि उनको किसी ने हड़का दिया उनकी ब्लागरी के चलते। कोई तो यह भी कह रहा था कि विवेक चर्चा करने से बचने के लिये निकल लिये। बहरहाल सच क्या है यह तो विवेक भी नहीं जानते! हम और आप कौन चीज हैं।
बहरहाल बजरंगबली की जय बोलते हुये चर्चा प्रसाद आप तक पहुंचाया जा रहा है।
पोस्टिंग विवरण: आज सुबह साढे छह से शुरु होकर अभी आठ पच्चीस पर चर्चा निपटाई! कल रात कई बार सोचा कि आज ही कड्डालें जब करनी हमई को है। अच्छा किया आज की वर्ना समीरलाल की शादी छूट जाती और ज्ञानजी की पदयात्रा भी।
अनूप जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा सारगर्भिता के साथ साथ पैने नज़रिये से भी वाकिफ कराती है और अंत में पोस्टिंग विवरणिका मन मोह लेती है और साथ ही ब्लॉगिंग के लिये आपके समर्पण को भी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
विस्तार से कर दी चर्चा
जवाब देंहटाएंछूटा नहीं कोई भी पर्चा
चिट्ठा चर्चा बहुत सुन्दर रही।
जवाब देंहटाएंबधाई!
सुंदर चिट्ठा चर्चा के लिए बधाई!!!
जवाब देंहटाएंसभी को लपेटने का प्रयास अच्छा है। एक लाइना अच्छी लगी। परिश्रम के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंअगर "विवेक से" चर्चा नहीं होती आप "अजय " से करा लिया करे . आप के लिये मुश्किल नहीं हैं मंगल को बस मंगल बना रहे
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत ही सुथरी चर्चा . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जवाब देंहटाएंआज भी विवेक नें अपनी बैटरी बचाई ,
पर आपमें गज़ब न्यूक्लियर ऊर्ज़ा है, भाई
समीर-साधना जी को पहुँचे अपन की बधाई
सुना शाम को बरसेगी उड़नतश्तरी से मिठाई
जनता की माँग है कि, एक खरी खरी अतिथि चर्चा रचना के कीबोर्ड से निकल आती, तो ?
वैसे "समय से " चर्चा करवानी हो तो "महेंद्र मिश्र"
जवाब देंहटाएंसे करवा ले और गिरीश बिल्मोर भी करते हैं
जब तब चर्चा
खरी खरी अतिथि चर्चा
जवाब देंहटाएंvartni ki ashudhi kaun sahii karegaa ???
Saarthak charchaa.
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
अब तो रचना जी को चर्चा-कार्य संभाल ही लेना चाहिए,वर्तनी की त्रुटियों की ओर उँगली उठाने में हम संयम बरतने के लिए तैयार हैं,
जवाब देंहटाएंहमारी तो परीक्षा आने वाली हैं, बैटरी तो बचानी ही पड़ेगी,इस बैटरी से स्वप्नलोक ही चलता रहे तो भी बहुत है,
आपके स्टेमिना की तारीफ़ क्या बेकार ही की थी हमने ?
अगले आदेश तक चर्चा यूँ ही करते-कराते रहें :)
ब्लॉग दुनिया पर इतनी पैनी नजर
जवाब देंहटाएंकमाल की बात है
आपकी जितनी भी सराहना की जाए कम है
आभार
********************************
C.M. को प्रतीक्षा है - चैम्पियन की
प्रत्येक बुधवार
सुबह 9.00 बजे C.M. Quiz
********************************
क्रियेटिव मंच
जवाब देंहटाएं@ रचना
खरी खरी = to the point, target oriented
अतिथि चर्चा = Guest Discussion
लो कर लो बात, हम तो आपको मान दे रहें हैं, और आप अशुद्धि निकाल रही हैं ?
जितनी विहँगम दृष्टि आपकी है, ब्लागजगत में बिरले ही होंगे ।
आपके द्वारा की चर्चा भेदभाव, पक्षपात,गुटवाद इत्यादि इत्यादि से परे ही होगी ।
चूँकि आपकी दृष्टि आँग्ल-भाषा के ब्लाग पर भी रहती है, सो हम हिन्दी ब्लागधर्मी एक स्वस्थ और स्पष्ट दिशा पा सकेंगे ।
अधिकाँश जन ( जैसे कि मैं स्वयँ ) तो यह भी नहीं जानते कि आख़िर ब्लाग में क्या ठेला ( Push-Button Publishing ) जाना चाहिये ।
लगता है , भलाई सोचने का युग बीत गया । हम तो आपको मान दे रहें हैं, और आप अशुद्धि निकाल रही हैं ?
@dr amar
जवाब देंहटाएंलो कर लो बात, हम तो आपको मान दे रहें हैं, और आप अशुद्धि निकाल रही हैं ?
नहीं डॉ अमर मै अपनी वर्तनी की बात कर रही
थी जिस को अनूप दो दिन पहले चर्चा पर कह
रहे थे
आप ने मान दिया इसका अभिमान हैं और इतनी
अज्ञान नहीं हूँ की आपके मान और दुसरो के
मान मुनव्वल मे फरक ना कर सकू
"भूख बिठाकर घर में उसका यार हुआ है घूरे लाल
जवाब देंहटाएंजैसे कोई पढ़ा हुआ अखबार हुआ है घूरे लाल"
"कबीरा की चादर को बैठे क्यूँ सीते हो रामसनेही
बाहर भरे-भरे हो पर भीतर रीते हो रामसनेही"
बस मजा आ गया !
एक लाइना ऑफ़ दी चर्चा:
15. आरएसएस ने जसवंत को फटकारा : लिखते-पढ़ते विचार करते हो। संघ का नाम डुबा रहे हो। शर्म नहीं आती।
कितनी नई और मजेदार चीजें निकालते रहते हैं इस पिटारे से |
शुकल जी...आप त बस ..छोडते कहां हैं ..किसी को ...
जवाब देंहटाएं२८ नाम नजर आ रहे हैं यहां की चर्चा मंडली में. क्या देबाशीष जी से अनुरोध किया जा सकता है कि टेम्प्लेट को इस तरह टेम्पर करें कि सभी चर्चाकारों के नाम के साथ उनके द्वारा की गई अंतिम चर्चा की तिथि भी नजर आये?
जवाब देंहटाएं२८ नाम नजर आ रहे हैं यहां की चर्चा मंडली में. क्या देबाशीष जी से अनुरोध किया जा सकता है कि टेम्प्लेट को इस तरह टेम्पर करें कि सभी चर्चाकारों के नाम के साथ उनके द्वारा की गई अंतिम चिट्ठा चर्चा की तिथि भी नजर आये?
जवाब देंहटाएं२८ नाम नजर आ रहे हैं यहां की चर्चा मंडली में. क्या देबाशीष जी से अनुरोध किया जा सकता है कि टेम्प्लेट को इस तरह टेम्पर करें कि सभी चर्चाकारों के नाम के साथ उनके द्वारा की गई अंतिम चिट्ठा चर्चा की तिथि भी नजर आये?
जवाब देंहटाएंहिन्दीलोक कॉम हमें भी अच्छा लगा, नन्हीं परी के आने की हमारी तरफ़ से भी बधाई। समीर और साधना जी को भी एक बार फ़िर से बधाई, ताऊ के ब्लोग पर साधना जी के बारे में जानना अच्छा लगा। वैसे तो कई बार कह चुके हैं एक बार फ़िर से आप के चर्चा स्टेमिना को सलाम
जवाब देंहटाएंविस्तृत मनमोहक चिटठा चर्चा और एक लाइना के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
लपेटा गया हो चाहे कोई
जवाब देंहटाएंपेट अपना हम बचा ले गए।
सुंदर चिट्ठा चर्चा के लिए बधाई!!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं एवं बधाई संदेश के लिए बहुत बहुत आभार.
हिन्दी लोक पर इस चर्चा के माध्यम से ही टहल आया हूँ । कथादेश का वहाँ होना उपलब्धि है ।
जवाब देंहटाएंघोस्ट बस्टर जी की मनौव्वल करती टिप्पणी के बाद टेम्पलेट मे कुछ सुधार होना चाहिये । आभार ।
रचना जी और अमर कुमार जी की टिप्पणियों के बिना चर्चाये अधूरी है..
जवाब देंहटाएंअनूप जी से रिक्वेस्ट-
हमारे द्वारा बचायी गयी बैटरी से भी चर्चा करे..
कोई फुटपाथ पर आ कैसे सकता है, जब वह वहीं था!
जवाब देंहटाएंआप अपनी चिठ्ठा चर्चा का स्तर कुछ डाइल्यूट करें, बाकी चर्चाकारों को कॉम्प्लेक्स हो सकता है!
क्षमा करे आपकी पोस्ट पढ़ नहीं पाया था...
जवाब देंहटाएंThank you jee --
जवाब देंहटाएंश्रध्धा और भक्ति से भरा , माँ भवानी के प्रति सदीयों से
चला आ रहा अनुष्ठान , शक्ति उपासना का पर्व , नव रात्र
आपके जीवन में , हर्ष उल्लास व ऊर्जा लाये ...
इस शुभेच्छाओं के साथ ..