हमारे पास बहुत सारे खिलौने होते थे लेकिन नहीं होता था तो एक डॉक्टर सेट। हम अपने खेल में इंजेक्शन की कमी को झाड़ू की खूब नुकीली तीली से पूरा करते थे। घर को बुहारने में खूब घीसी तीली हमारा इन्जेक्शन होती।
अविनाश वाचस्पति को आज ताऊ ने पकड़ लिया और ले लिया साक्षात्कार! सब बातें पूछ डालीं और पूछ के डाल दी अपने ब्लाग पर! देख लीजिये गरिमा के चाचा जी की गोलमोल बातें।
शोले के डायलाग अगर संस्कृत में होंगे तो कैसे लगेगें? देख लीजिये खुदै:
कालिया तव किं भविष्यस
यानी कालिया तेरा क्या होगा
कालिया जवाब देगा-सरदार मैंने आपका नमक खाया है ...
महोदया मया भवत: लवंण खादितवान...
इस पर गब्बर कहेगा-ईदानि गोलिकां अपि खादत
यानी अब गोली खा...
अशोक कुमार पाण्डेय द्वारा स्ट्रेंड साहब की ये अनुदित रचना दे्खिये:
मैदान में
मैदान की अनुपस्थिति हूँ मै
ऐसा ही होता है हमेशा
मै जहाँ भी होता हूँ
वही होता हूँ
कमी ख़ल रही होती है जिसकी
स्वाइन फ़्लू का स्कूलों की मार्निंग असेम्बली पर क्या असर हो सकता है ये देखिये शेफ़ाली पाण्डे के माउस और कीबोर्ड से।
टार्नैडो तूफ़ान बेचारा समीरलाल के चक्कर में आते-आते बचा। चक्कर में फ़ंसता तो समीरलाल उसको अपनी कविता सुना डालते! लेकिन फ़िर भी समीरलाल तूफ़ान की हिस्ट्री जागरफ़ी तो नाम ही डाली। देख लीजिये।
विनीत कुमार का सवाल ही बहुत है उनका लेक बांचने के लियेकहीं ये भाषा एंकर अतुल अग्रवाल की तो नहीं
अनिल यादव के साथ घर बैठे असम घूम लीजिये:
मैने पहली बार गजब आदमी देखा जो बांस की बडी अनगढ़ बांसुरी लिए था। यात्रियों से कहता था, गान सुनेगा गान। अच्छा लगे तब टका देगा। अपने संगीत पर ऐसा आत्मविश्वास। बहुत मन होते हुए भी उसे नहीं रोक पाया। शायद सोच रहा था कि क्या पता वे लोग इन तरीकों से हिंदी बोलने वाले लोगों की ट्रेनों में शिनाख्त कर रहे हों।
आज मास्टर साहब यानी प्रदीप त्रिवेदी का जन्मदिन है। अभी भी सच है बधाई दिखा दीजिये।
आज ही मीनाक्षीजी के भतीजे समर्थ का जन्मदिन है आज ही उनके ब्लाग का जन्मदिन। भतीजे और ब्लाग दोनों के जन्मदिन की बधाई! ऊपर का फ़ोटॊ मीनाक्षीजी के ब्लाग से ही है।
और अंत में
आज शिवजी की चर्चा का दिन था। लेकिन किसी अपरिहार्य पारिवारिक कार्य में फ़ंस जाने के कारण समय निकालना उनके लिये संभव न हुआ। मजबूरी में हमको बीन बटोरकर समय निकालना पड़ा। फ़िलहाल इत्ता पढ़ले सोइये आराम से। कल फ़िर से चर्चा देखियेगा!
पोस्टिंग विवरण: शाम से सोचते-सोचते रात 11 बजे चर्चा शुरू की। इसके पहले नेट के पास न थे। सोचते भी रहे कि सुबह मसिजीवी करेंगे। बहरहाल अभी 1150 पर इस बच्ची पोस्ट को लगा रहा हूं ठिकाने। ख्याल रखना इसका बेचारी अकेली है और फ़िलहाल रात का समय है। न जाने किस ब्लागर की जियत खराब हो जाये और टिपियाने लगे।
"लेकिन किसी अपरिहार्य पारिवारिक कार्य में फ़ंस जाने के कारण समय निकालना उनके लिये संभव न हुआ। :
जवाब देंहटाएंई अपरिहार्य कार्य चर्चा के दिन ही क्यों टपक पड़ते हैं??? और यह मुत्तादी [कंटेजियस] क्यों होते हैं?? शायद किसी ब्लाग वायरस का असर हो! रवि रतलामीजी इस पर प्रकाश डाल सकते हैं या फिर पाबलाजी भी अपनी जानकारी बांट सकते है:)
आज के दिन जन्म लेने वाले ब्लागों और ब्लाग-परिचितों को बधाई:)
समय भले था कम, पर शुक्ल जी
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा में है जोरदार दम
११.५० पर ही गई चर्चा १२.५० पर पढ़ी
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा के लिए धन्यवाद समेटिये
धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद
अभी हमको बहुत ब्लोगिंग करनी है चलते हैं
वीनस केसरी
बधाईयाँ ही बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंमीनाक्षी जी के भतीजे और ब्लाग दोनों के जन्मदिन की बधाई!
प्रवीण जी को जन्म दिन की बधाई.
आपको बेहतरीन चर्चा करने की बधाई.
शिव जी को चर्चा से vacation की बधाई.
जवाब देंहटाएंएकु सपना आवा, हाँज्जी
नवा चर्चा आवा, हाँज्जी
फिर हमैं जगावा, हाँज्जी
तौनि देंय बधावा, हाँज्जी
हम दिये टिपियावा, यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य चर्चा सह ॥
अनूप जी,
जवाब देंहटाएंस्फूर्त चर्चा में आपको महारत है और किसी भी समय / कभी भी चर्चा को इतने व्यापक रूप से पूरी रोचकता के साथ कर पाते हैं।
मीनाक्षी जी को समर्थ और अपने ब्लॉग के जन्मदिवस की ढेरों बधाईयाँ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
वार्ता संक्षिप्त च सुन्दरम अस्ति |
जवाब देंहटाएंईदानि टिप्पनिकम अपि खादत |
छोटी लेकिन महत्वपूर्ण।
जवाब देंहटाएंहमें भी शामिल करने का धन्यवाद ....
जवाब देंहटाएंनहीं ... ई ई ई ...................... ई
जवाब देंहटाएंहमें ताऊ ने नहीं पकड़ा है
आप देखिए तो सही ध्यान से
हमने ही ताऊ को जकड़ा है
ये पकड़ धकड़ जकड़ का
ऐसा मामला है
बातें सीधी सच्ची हैं
गरिमायुक्त हैं
पर लगती गोल मोल हैं
बताती है गरिमा वहां पर
बातें खोल होती हैं
बन जाती खाल हैं
वहां पर अमिताभ बच्चन के
बाबूजी भी मौजूद हैं
आप मिल सकते हैं
अलबेला खत्री, पवन चंदन,
शेफाली पांडेय और श्याम माथुर से भी।
स्व. डॉ. हरिवंशराय बच्चन
की मधुशाला का रंग तरंग
मेरी बातों में झलक रहा है।
यह मैंने नहीं पवन चंदन ने
चौखट के भीतर में से
सिर बाहर निकाल कर कहा है।
मेरी पोस्ट की चर्चा के लिए आभार, लेकिन यह आभी जी कौन हैं । मेरा नाम तो शायद आभा है।
जवाब देंहटाएं