ऐसे ही एक विचारक श्री झान लुई जी ने हाल ही में अपने विचार सार्वजनिक कर दिए. उनके अनुसार क्यों न भारत को तीस टुकडों में विभाजित कर दिया जाय? वे बता रहे थे कि ऐसा करने से एशिया महाद्वीप का विकास कुलांचें मारने लगेगा. लुई बाबू के अनुसार;
"भारत के जातीय विभाजन को ध्यान में रखकर चीन को स्वयं के हित में और पूरे एशिया की प्रगति के लिए असमी , तमिल और कश्मीरी जैसी विभिन्न राष्ट्रीयताओं के साथ एकजुट होना चाहिए और उनके स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना में सहयोग देना चाहिए।"
अब चीन के हित की बात तो समझ में आती है. लेकिन एशिया की प्रगति?
खैर, ये तो उनके विचार हैं. ऐसे में वे ही बता सकते हैं कि उनके कहने का मतलब क्या है? मुझे तो लगा जैसे किसी छायावादी कवि ने कोई कविता ठेल दी हो और चैलेन्ज दे रहा हो कि इसे समझो तो मानें.
आज मुनीश जी ने इस विचारक की बात करते हुए लिखा;
"ब्लॉग जगत के चीनी-पिट्ठू तो मस्त होंगे ये पढ़कर. क्यों?"
आप मुनीश जी की पोस्ट पढिये.
लुई बाबू के विचारों पर ध्यान देते हुए आज संजय बेंगानी जी ने भी पूछा कि;
"भारत के टूटने की सम्भावनाएं कितनी है?"
संजय जी की पोस्ट आप पढें और अपनी राय दें.
सुबोध जी पूछ रहे हैं कि; "ऐ गमे दिल क्या करूं"
अब क्यों पूछ रहे हैं, यह जानने के लिए आप उनकी पोस्ट पढिये. सुबोध जी लिखते हैं;
"आज से पंद्रह साल पहले हम ग्लोबलाइजेशन और बाजारीकरण के नफे नुकसान के सेमिनारों में हिस्सा लिया करता थे। राम पुनियानी से लेकर कश्यप जी जैसे बड़े बडे धुरंधरों के लेक्चर सुना करते थे। मार्क्स को समझने का सिलसिला शुरु ही हुआ था। लेकिन तब खतरा इतना बड़ा नहीं लगता था। शायद छोटे शहर ने भी इस डर से काफी हद तक महफूज रखा। लेकिन अब ये डर जिंदगी में घुसने लगा है। जिस पेशे में हूं उस पर बाजार हावी हो रहा है। काम करने की स्पेस कम होती जा रही है। सेक्स सर्वे हो रहे हैं और जंगल के बाथ सीन टीवी पर धड़ल्ले से चल रहे हैं। पॉलिटिक्स की खबरें बिकती कम हैं सो छोटे पर्दे से गायब हो रही हैं। बाजार ने सिस्टम का चौथा खंभा कमजोर करना शुरु कर दिया है।"
चौथा खंभा कमजोर हो गया है. वो भी कमजोरी का कारण है बाज़ार. मुझे तो लगता है कि अब बाज़ार ही पूरे सिस्टम का पहला खंभा है. ऐसे में चौथे खंभे का यह हाल तो होना ही है.
आप सुबोध जी का लेख पढिये. और आपको उनका लेख अच्छा लगे तो उन्हें अच्छा लिखने के लिए बधाई भी दें.
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नीरज नय्यर जी ने आज महात्मा गाँधी, हिंदी और हॉकी के बीच समानताओं को उजागर किया है. उनके अनुसार;
"महात्मा गांधी, हिंदी और हॉकी में एक समानता है, वो ये कि तीनों को ही राष्ट्रीयता से जोड़ा गया है, जैसे महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, हिंदी को राष्ट्रभाषा और हॉकी को राष्ट्रीय खेल का. पर गौर करने वाली बात ये है कि बावजूद इसके तीनों को वो सम्मान अब तक नहीं मिल पाया है जिसके वो हकदार हैं."
आप उनकी पोस्ट पढने के लिए यहाँ क्लिक करें.
सत्ताहीन नेता खामोश हो जाता है. वहीँ सत्तासीन नेता खामोश भी रह सकता है और सादगी पसंद भी. पुण्य प्रसून बाजपेयी जी जिस जहाज से पटना गए उसी में लालू प्रसाद जी भी थे. बाजपेयी जी के अनुसार;
".........जहाज से उतरते दसवें यात्री को भी इसका एहसास नहीं हुआ होगा कि लालू प्रसाद यादव पटना उसी जहाज से पहुंचे होंगे, जिसमें वह खुद सफर कर रहा होगा।"
बाजपेयी जी ने लालू जी की खामोशी और नीतीश जी की सादगी और ७७ की याद के बारे में लिखा है. पढिये.
रजनीश मंगला जी ने आज कुछ 'जर्मन चुटकुले' पेश किये हैं. बानगी देखिये;
"एक पति पत्नी ओपेरा देखने जाते हैं।
पत्नी पति सेः अरे देखो, मेरे बाज़ू वाला आदमी सो रहा है!
'तो मुझे क्यों जगा रही हो?' पति बोला।"
बाकी चुटकुले आप रजनीश जी के ब्लॉग पर पढिये.
अशोक पांडे जी ने हबीब तनवीर साहब के प्रसिद्द नाटक चरणदास चोर की भूमिका का एक महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत किया है. भूमिका में हबीब साहब लिखते हैं;
"विजयदान ने अपनी कहानी में चोर को कोई नाम नहीं दिया है. हम नाम सोचने में लगे थे. पहले सोचा चोर मरने के बाद अमर हो जाता है, क्यों न उसका नाम 'अमरदास' रखें.पंथियों ने कहा, " ये नाम नहीं हो सकता, अमरदास नाम के हमारे एक गुरू गुज़रे हैं." हमने दूसरा नाम तज़वीज़ किया. ये दूसरे गुरू का नाम निकला. आखिर हमने भिलाई के शो के लिए 'चोर चोर' नाम रख दिया, और आगे चलकर 'चरणदास' रख दिया. नाचा पार्टियों में हमारे साथ वर्कशाप में धमतरी के अछोटा गांव की नाचा पार्टी भी थी, उसके लीडर थे रामलाल निर्मलकर. अच्छे कामिक ऐक्टर थे. उनसे कहा,चोर की भूमिका में खड़े हो जाओ."
इस पोस्ट को पढिये.
अब जैसा कि होता है. मौसम के हिसाब से हम ब्लॉगर लोग लिख लेते हैं. पंद्रह अगस्त का मौसम है. लेकिन स्वाइन फ्लू का मौसम उसपर भरी पड़ रहा है. ऐसे में स्वाइन फ्लू पर लिखी गई पोस्ट पढिये.
इंडिया साइनिंग के बारे में याद है? अब पढिये इंडिया स्वाइनिंग के बारे में. बता रहे हैं पी सी गोदियाल जी.
मोनिका गुप्ता जी का लेख पढिये. वे पूछती हैं; स्वाइन फ्लू: खौफ या बाजारवाद?
स्वप्नदर्शी जी ने भी लिखा है. शीर्षक है; उपन्यास H1N1 (सूअर) फ्लू का हिंदी अनुवाद.
विनीत कुमार को पिछले पांच दिनों से बुखार है. छींक भी आ जाती है. खांसी वगैरह भी है. ऐसे में उनके साथ क्या हुआ, पढिये. विनीत लिखते हैं;
"धीरे-धीरे,एक-एक करके सब कटते चले गए। जिनलोगों को दिनभर में पांच बार कभी कैंची,कभी फैबीकोल,कभी मूव और कभी फिल्मों की सीडी जैसी छोटी-मोटी चीजों की जरुरत होती,अब उन्होंने मुझे छोड़ किसी और को विकल्प के तौर पर चुन लिया है। उन्हें जैसे ही इस बात की जानकारी हुई कि मुझे पिछले पांच दिनों से बुखार है,छींकें आती हैं,रह-रहकर खांसी भी उठ जाती है यानी वो सबकुछ होता है जिसे दिखा-बताकर मरा-गिरा चैनल भी इन दिनों अपनी सेहत दुरुस्त करने में जुटा है,वो हमसे किनाराकशी करते चले गए।"
पूरा लेख आप विनीत के ब्लॉग पर जाकर पढिये.
रचना जी की यह पोस्ट देखिये. देखने के लिए इसलिए कह रहा हूँ कि पोस्ट में ढेर सारे बच्चों को एक साथ देखने का मौका मिलेगा.
कृष्ण मोहन मिश्र जी की पोस्ट पढिये. डिस्क्लेमर टाइप देते हुए वे लिखते हैं;
"मित्रों, खोपड़ी उठा कर जहां तक नजर जाये वहां तक ताकिये । आपको हर दिशा में तारणहार नजर आयेंगे । जन्माष्टमी करीब है इसलिये ऐसा मत सोचियेगा कि मेरी बुद्धि कृष्णमय हो गयी है और धर्म की स्थापना के लिये मैं इस युग के कल्कि अवतार की बाट जोह रहा हूं । मेरा मतलब उन तारणहारों से है जो कि आपकी छटपटाती आत्मा को मल-मूत्र की गठरी इस देह से मुक्त करने के लिये लगातार श्रम करते रहते हैं । फिर चाहे अदालत उनको आजीवन सश्रम कारावास से ही क्यों न पुरस्कृत करे । नकली दवा बनाने वाले, यूरिया से दूध और खोआ बनाने वाले, नकली मसाले बनाने वाले, फलों और सब्जियों को आक्सीटोसिन का इंजेक्सन खोंसने वाले । सरसों के तेल में यूज़्ड मोबिल आयल मिलाने वाले । घी में जानवरों की चर्बी मिलाने वाले । लंबी फेहरिस्त है इनकी ।"
फालोवर लोग बड़े काम के होते हैं. फालोवर लोग आम को खास बनाने की कूवत रखते हैं. अब देखिये न, फालोवर भाइयों ने आचार्य रजनीश को भगवान रजनीश बना दिया था. सोचिये आचार्य को भगवान बनाने के बाद अगर फालोवर भाई सटक लेते तो क्या होता?
आज पाबला जी ने बताया है कि अगर फालोवर गायब हो जाएँ तो क्या-क्या किया जा सकता है. आप पढिये और अगर आपके फालोवर गायब हो गए हों तो उन्हें पकड़कर वापस लाइए.
आज की चर्चा में बस इतना ही.
आप सब को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकानाएं.
आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ , मन को थोड़ी सी शांति मिली, सुबह से जब से मैंने लेख पोस्ट किया था, उस पर कोई भी प्रतिक्रिया न देख यही महसूस कर रहा था कि म्हणत बेकार गई किसी को भी पसंद नहीं आई ! आपने मेरा आत्मबल रखा इसके लिए एक बार punashch: आपका हार्दिक शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंएवं आपको तथा यहाँ मौजूद सभी ब्लोगर मित्रो को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और Happy Birthdey to Lord Krishnaa
संकट में है आज वो धरती जिस पर तूने जन्म लिया,
पूरा करले आज बचन वो, गीता में जो तूने दिया
कोई नहीं है तुझ बिन मोहन भारत का रखवाला रे
बड़ी देर भई नंदलाला........................................!
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
anand aaya
जवाब देंहटाएंaapka shram safal raha...........
abhinandan !
आप सब को कृष्ण जन्माष्टमी की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढिया चर्चा के साथ ही श्री कृ्ष्ण जन्माष्टमी पर्व की भी आपको हार्दिक बधाई!!!!
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी पर शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंJai shri Krisna !
जवाब देंहटाएं"चीन में अभी भी विचारक हैं. ...."
जवाब देंहटाएंलेकिन अभी भी उन्होंने अफ़ीम का अंटका खाना नहीं छोडा। वर्ना वे भारत के टुकडे करने की बजाय टिबट से हटने की बात करते:)
आपके ब्लाग मे एडवर्टाईजमेंट लगाना चाहता हूं
जवाब देंहटाएंउप्पर और आपके ब्लाग पर सिर्फ मेरा एडवर्टाईजमेंट दिखे| सारे लेख एड के निजे दब जाएं :
खूबसूरत चर्चा । कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंThanx for underlining the Chinese threat in this time of clear and present danger lurking in our neighbourhood !
जवाब देंहटाएंचीन से आ रही बातें नींद में बड़बड़ाने वालों की भड़ास भर हैं.
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