जन्माष्टमी मुबारक
आज कृष्णजन्माष्टमी है। सबको आज का त्योहार और छुट्टी मुबारक हो। इस मौके पर कई साथियों ने पोस्टें लिखी हैं। ज्यादातर बधाई वाली और मुबारकबाद वाली। वे सब आप चिट्ठाजगत और ब्लागवाणी पर देख सकते हैं। इस मौके पर कु्छ भक्तों ने कृष्ण जी को अवतार लेने के लिये उकसाने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने सुरक्षात्मक टिप्पणी करते हुये अवतार लेने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया! इसीक्रम में राजीव रंजन प्रसाद लिखते हैं:
आराध्य केवल अगरबत्ती दिखाने के लिये तो नहीं होते, अनुकरणीय भी होते हैं। कृष्ण, एक मानव के महानता के उस शिखर तक पहुँचने की यात्रा हैं जहाँ से ईश्वर की सत्ता आरंभ होती है।हम केवल झलक दिखला दिये बकिया आप उनके लेख में बांच लीजिये।
कवितायन का एक साल
मुकेश कुमार तिवारी जी की कविता लड़कियाँ,तितली सी होती है मैंने पिछले वर्ष पढ़ी थी। कविता की कुछ शुरुआती पंक्तियां :
लड़कियाँ,पढ़ते ही मैं उनका प्रशंसक हो गया। उसके बाद उनकी कई कविताओं की चर्चा मैं चिट्ठाचर्चा में की। कल मुकेशजी के ब्लाग का पहला साल पूरा हुआ। इस मौके पर उनको बधाई। आशा है कि आगे भी उनके ब्लाग पर तमाम बेहतरीन कवितायें पढ़ने को मिलेंगी।
तितली सी होती है
जहाँ रहती है रंग भरती हैं
चाहे चौराहे हो या गलियाँ
फ़ुदकती रहती हैं आंगन में
धमाचौकड़ी करती चिडियों सी
पूजा का इंटरव्यू
कल ताऊ ने अपने इंटरव्यू वाले कालम में पूजा से मिलवाया सबको ! पूजा के इंटरव्यू के पहले ताऊ ने पूजा का परिचय देते हुये लिखा:आज हम आपको मिलवाते हैं एक ऐसी जिंदादिल शख्स से, जो किशोरवय जैसी चंचलता और प्रोढ जैसी गंभीरता रखती है. जो कहानी भी लिख लेती है, एक भावुक कविता भी लिख सकती है. यानि हास्य व्यंग से लेकर मार्मिक रचनाएं तक आसानी से लिख लेती हैं. तो आईये आपको रुबरू करवाते हैं लहरे ब्लाग वाली पूजा उपाध्याय से.इसके बाद जो सवाल-जबाब हुये वो आप ताऊ के अड्डे पर ही देखिये। आखिर में पूजा ताऊ से मजेदार सवाल भी पूछती हैं। इसके बाद अपने ब्लाग पर आकर गिनती गिनने लगती हैं हैं:
कमबख्त गिनती...
मैथ के एक्साम के रिजल्ट से
कहीं ज्यादा रुलाती है आजकल...
हर तीसरे दिन
मैं गिनती भूल जाती हूँ
लगता है तुम आज ही आने वाले हो...
जाने कितने दिन बाकी हैं...
सागर की ढपली सागर का राग
पूजा की ही पोस्ट से सागर का ठिकाना मिला। अपने ब्लाग की शुरुआत करते हुये जनाब लिखते हैं:धुरंधरों के सामने इस ब्लॉग का कोई औचित्य नहीं है... यह बस उस गाने की तरह है- अ ने कहा ब्लॉग बनाइम, त बी न भी कहा ब्लॉग बनायेम... त हमहूँ कही हमहूँ ब्लॉग बनायेम... ब्लॉग बनायेंगे और छा जायेंगे...छा जाने की इस मंशा के बाद अगली पोस्ट में ये आपकी मुलाकात उससे करवाते हैं जो कि:
७५ डिग्री की एंगल लिए लैपटॉप पर काम कर रही है... टांग पे टांग चढा कर बैठी है... बाल शैंपू किये हुए है और शहराना अंदाज़ में खुले हैं... जो दोनों रुखसारों को ढके हुए हैं... साथियों को बस बीच में उनकी नाक ही नज़र आती है... बालों को बीच-बीच में दिलफरेब झटका सा दे देती है... और......अब और के लिये उनका ब्लाग ही देखिये। हां कविता जरूर हम सागर की पढ़वाये देते हैं :
तुम एक बुखार हो;
उतारता हूँ, चढ़ आती हो
बारिश में भीगा ताज़ा गुलाब हो,
झीनी कपडों में छत पर निकल आती हो
कविता की विवेचना
ब्लागजगत में कवि निरे हैं। हर अगला ब्लागर कवि है। पिछला जो कविता नहीं भी करता है वो आगे चलकर कवि हो लेता है लेकिन कविता समझाने वाले कम हैं। कई कवितायें अच्छा, बहुत अच्छा से आगे समझे जाने लायक होती हैं। इसी क्रम में देहरादून से विजयगौड़ ने कविता की समझाइस देनी शुरू की है। आज उन्होंने अरुण कमल की कविता की विवेचना की है। कविता और समसामयिक संदर्भों में उसकी व्याख्या एक सुन्दर प्रयास है। आशा है विजय जी आगे ब्लाग जगत की अच्छी कविताओं की विवेचना भी पेश करते रहेंगे।वाट किसने लगाई ई कौन तय करेगा
प्रदीप जाखड़ ने संगीता पुरी जी के बारे में लिखते हुये लिखा 'बहुत सुंदर...' संगीता पुरी! वाट लगा दी ब्लॉगिंग की! संगीता पुरी के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुये प्रदीप आगे भी लिखते हैं:उनकी टिप्पणी, समोसे में आलू की तरह है। पढ़ती भी नहीं हैं, क्या लिखा? क्यों लिखा? कोई दुखभरी बात भी पोस्ट में आई, चेप देती हैं, बधाई हो, बहुत बढिय़ा।जाहिर है यह बात संगीताजी को खराब लगी और इसका उन्होंने प्रतिवाद किया लेकिन जाखड़जी अपनी बात ही सही साबित किये जा रहे हैं। बहस का कोई नतीजा निकलना नहीं है न निकला। लेकिन मेरी समझ में प्रदीप जी पत्रकार हैं तो पत्रकार होने के नाते ब्लागजगत की एक सामान्य प्रवृति को किसी ब्लागर के नाम से जोड़कर लिखना ,वह भी उसकी हंसी उड़ाने वाले अंदाज में लिखकर , कहां से उचित है।
प्रदीपजी के अंदाज से लगता नहीं कि उनके लिये पाठकों की टिप्पणियों का कोई महत्व है। अगर होता तो वे अपने लिखने के अंदाज के विरोध में आई टिप्प्णियों से कुछ सीख लेकर अपने कमेंट में इसके प्रति उचित टिप्पणी कर चुके होते। वैसे यह सहज और स्वाभाविक भी लगता है क्योंकि वे खुद अपने बारे में लिखते हैं
एक ऐसा शक्स जो कभी हार नहीं मानता। आखरी कोशिश के बाद भी एक चांस लेना पसंद करता है।तो चाहे वे सही हों या गलत जीतने का प्रयास करना उनकी मजबूरी है।
प्रसंगत: ब्लागिंग के सिद्धांत के तहत टिप्पणी करने का एक सिद्धांत यह भी है:
किसी पोस्ट पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा।
पोस्ट संकलन
डा.अमर कुमार ने ब्लाग जगत की चुनिंदा रचनाओं को एक जगह रखने का काम शुरू किया है। इस क्रम में आज उन्होंने श्री प्रियरँजन जी की रचना तूफ़ान को पहचानने में इतने असमर्थ पेश की है। मोबाइल फ़ोन पर रिंगटोन को लेकर लिखे अपने लेख में प्रियरंजन लिखते हैं:असल में हर फोन सिर्फ गपशप के लिए नहीं किया जाता, बल्कि सिर्फ गपशप जैसी कोई चीज नहीं होती - कोई न कोई सरोकार उस गपशप की प्रेरणा बनता है, कोई न कोई संवाद इसके बीच आता है, सुख या दुख के कुछ अंतराल होते हैं । जाहिर है, संगीत की कोई धुन या बंदिश इस संवाद में बाधा बनती है । आप किसी अफसोस या दुख की कोई खबर साझा करने बैठे हैं और आपको फोन पर कोई भैरवी या ठुमरी या चालू फिल्मी गाना सुनने को मिल रहा है तो आपको पता चले या नहीं, कहीं न कहीं, यह आपके दुख का उपहास भी है । यही बात सुखद खबरों के साथ कही जा सकती है ।
ताऊ ने भड़काये शोले
हिन्दी फ़िल्म शोले अपने समय की सबसे लोकप्रिय फ़िल्म सही है। इसके डायलाग बहुतों को याद होंगे तो बहुतों ने इनकी तर्ज पर अपने डायलाग बनाये। ताऊ ने भी अपने अंदाज में ब्लाग जगत की शोले बनानी शुरू की है। पहली शूटिंग का नजारा आज लीजिये। देख लीजिये कि पहले जो कभी एक दुश्मन होते थे आज वे एक ही पार्टी में हैं:ठाकुर - अरे ओ गब्बर..तेरी आदत नही जायेगी? अरे इस बार तो बिल्कुल सूखा पड गया है...पर पहले तू ये बता कि तू कब उस भानुमति से लगन कब कर रहा है? हमको बडा ज्ञान बांटता है? खुद काहे नही कर लेता शादी?
गब्बर वहां सांभा को बैठा देखकर बात टालने की कोशीश करता है...और इतनी ही देर मे सांभा के मोबाईल की घंटी बज उठती है और वो फ़ोन सुनने बाहर चला जाता है.
गब्बर - अरे यार ठाकुर क्यों मेरी इज्जत की आलू भुर्जी बनाने के फ़िराक मे पडा है तू?
बुजुर्गियत जो न कराये
ज्ञानजी जबरियन बुजुर्गियत के साथ खिलवाड़ करते रहते हैं। पल-पल इसको गले लगाते हैं, छिन-छिन इसको दूर ठेलते हैं। वे अरविन्द मिश्र की टिप्पणी को दिल पर धारण किये हुये हैं:जैसी टिप्पणियां मिल रही हैं, उनपर ध्यान दें - अरविन्द मिश्र जी मुझे वैराज्ञ की ओर मुड़ा बताते हैं – वे इशारा करती हैं कि पण्डित ज्ञानदत्त पांड़े, थोड़ा हिन्दी अंग्रेजी जोड़ तोड़ कर लिख भले रहे हो तुम; पर मूलत: गये हो सठिया।मुझे तो यह ज्ञानजी की साजिश लगती है कि आप कहें- हम बुढ़ा गये तो हम कहें -अरे अभी कहां अभी तो आप जवान हैं! वैसे आज जिस तरह उन्होंने चिट्ठों का जिक्र किया है उससे यह कहना होगा कि हफ़्ते में एक दिन उनको भी चिट्ठाचर्चा करनी चाहिये।
चेले ने पोल खोलने की धमकी दी
शिवकुमार मिश्र के चेले विवेक सिंह ने कल उनको सरे ब्लाग धमका दियागुरु डायरी के पेज नम्बर देने में सावधानी रखना पहले बता रिया हूँ .
किसी दिन सभी पेज क्रमश: लगाकर फँसा दूँगा आपको :)
विवेक सिंह की धमकी को किसी गठबंधन सरकार को समर्थन देने वाले एक-दो सदस्यों वाले दल के अध्यक्ष की धमकी मानते हुये शिव बाबू को अनूप शुक्ला ने सलाह दी:
ये जो बालक विवेक है वो भी कोई पद चाहता है। दुर्योधनजी को सलाह है कि वो छापाखाने के एकाध मुंशी को सस्पेंड करके उसका काम विवेक को थमा दें। अनुशासन भी रह जायेगा और ये बालक भी सन्तुष्ट हो जायेगा। :)अभी तक आगे के समाचार नहीं मिले कि मामला निपटा कि आगे बढ़ेगा। वैसे शिवकुमार मिश्र ने प्रस्ताव किया है कि पहले वे अपने कमर दर्द से निपट लें तब चेले के दर्द से निपटें लेकिन चेला कहता है कि गुरू जी आपै सिखाये हौ कि आज का काम कल पर न छोड़ना। इस पर गुरुजी ने स्वाइन फ़्लू की धमकी जारी कर दी है।
गुमशुदा की तलाश सब मिल जायेंगे निराश मत हो बास
रविरतलामी हलकान हैं। ब्लागजगत के शुरुआती दिन खोज रहे हैं। अक्षरग्राम, सर्वज्ञ, परिचर्चा को आवाज दे देकर बुला रहे हैं। लेकिन मिर्ची सेठ उर्फ़ पंकज नरुला तक अभी उनकी आवाज पहुंची नहीं है लगता है। अक्षरग्राम , सर्वज्ञ और परिचर्चा हिन्दी ब्लाग जगत के शुरुआती दिनों का आईना हैं। आशा है कि जल्द ही ये सारे माल-मत्ते जनता के सामने होंगे।बहरहाल जब तक मामला फ़िट होता है तब तक आप हिंदी ब्लागिंग के शुरुआती दिन की झलक पाने के लिये इधर आ जाइये।
नीरज गोस्वामी जन्मदिन मुबारक
आज मोगरे की डाली वाले नीरज गोस्वामी जी का जन्मदिन है। उनको हमारी हार्दिक बधाइयां। नीरजजी अपनी सरल सहज गजलों के कारण मुझे बहुत प्रिय हैं। खासकर इसलिये भी कि उनकी पैरोडी बनाना मुझे आसान लगता रहा और वे उसका बुरा नहीं मानते रहे। ब्लाग पर उनकी उम्र ५९ वर्ष लिखी है लिहाजा अब वे उम्र के उस पडा़व पर हैं जब अकल का बाजा बज जाता है ऐसा कहा जाता है लेकिन नीरज जी के साथ ऐसा होगा ये नहीं लगता। उनकी गजल से लगता है कि वे दिन ब दिन मासूम और क्यूट होते जा रहे हैं।नीरजजी को उनके जन्मदिन की अनेकानेक बधाइयां। अपने बचपन के शहर जयपुर की तरह वे हर तरह से गुलाबी बनें रहें।
एक लाईना
- लगभग ५० पोस्ट, ५०० टिप्न्नियाँ, १५०० ब्लोग्स दर्शन, .महीने भर की ब्लॉग ड्यूटी : चमगादड़ की तरह ही करनी जरूरी है क्या?
- स्वतंत्रता दिवस पर संकल्प : भी लेना पड़ता है क्या?
- कृष्ण तो याद रहे , गीता को भूल गए : अब गीता नये कलेवर में आ रही है न!
- स्वाइन फ्लू - ज़रा संभल कर : वर्ना छुट्टियों में बदल सकते हो!
- कृष्ण जन्माष्टमी पर: केस कृष्ण पर चलाउंगी
- गर्व करा है गर्व करेंगे : जो करते बने कर लेना
- भावुक क्षणों में नेहरु दरवाजा लगाना भी भूल जाते थे.. : मजबूरी में दूसरे लोग बंद करते थे
- ब्लॉगर कोई बच्चा थोड़े है : जो गड़बड़ियां न करे
- मैं खोज रही हूँ मेरा लव आजकल... : जिसमें माता-पिता आते हैं और खाना-पूर्ति गायब हो जाते हैं
- हे स्वतंत्रता! तुम किले से कब मुक्त होगी??? : अभी तो कोई प्लान नहीं होगा तब बतायेंगे
- गांधी को लाठी देने वाला बीड़ी बनाकर जीवन गुजार रहा है... : बनाता रहेगा गुजर जाने तक
- वह हमारी ताकत है जिसे चीन कमजोरी समझता है : चीन को अकलै नहीं
- प्रधानमंत्री अमेरिका जायेंगे :फ़िर वापस चले आयेंगे
- स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका : शानदार रही है
कलेजे पर पत्थर रख कर राज्यसभा से गए चंदन मित्रा : बताओ राज्य सभा का पत्थर भी ले गये जाते-जाते- क्या इसीको आज़ादी कहते हैं? :अब जो स्टाक में है उसी से काम चलाओ भाई
- कहो आंधियों से आए, कहो बर्फ से जलाए :हेतप्रकाश मंत्र पढ़ रहे हैं कामयाबी का
- आओ मिल कर शपथ उठायें: पहले शपथ का वजन तो बतायें
- अब तुम्हीं कहो, मैं अवतार कैसे लूँ ? : जबकि आज तो सब अस्पताल स्वाइन फ़्लू के कारण भरे हैं
- सफ़र- ए रोमांटिक जर्नी : शुरुआत में मुये ड्राइवर ब्रेक लगा दिये
- हिंदी ब्लॉग जगत के चोरों से सावधान : हर चोर को साभार चोरी करना सिखायें
- अगर ब्लाग वैकल्पिक मीडिया है,तो क्या सुरेश चिपलुंकर आदर्श ब्लागर हैं?: पूछ रहे हैं कबीरदास जी बाजार में खड़े-खड़े
- एक वृद्ध का ब्लॉग? : ज्ञानजी ने कब्जियाया
- जोड़तोड़ में लगा जुगाड़ी: कित्ती तो झकास लग रही है गाड़ी
महात्मा गांधी, हिंदी और हॉकी में समानता : सब बेचारे राष्ट्रीय होकर रह गये हैं।
मेरी पसंद
मीनू खरे लखनऊ में रेडियो प्रोड्यूसर हैं। अजित जी से मीनूजी के ब्लाग का लिंक मिला। अपने प्रोफ़ाइल में वे लिखती हैं-रूह से जिस्म का रिश्ता भी अजीब है उम्र भर साथ रहे और तार्रूफ़ न हुआपिछले माह जुलाई में ही ब्लाग शुरू करने वाली मीनू छोटी-छोटी कवितायें लिखती हैं अपने ब्लाग पर। देखिये , अच्छी लगेंगी।
घर के दरवाज़े पर पडा कूडा...
जो
यदि ज़्यादा दिन तक पडा रह गया
तो
सड कर बीमार कर देगा
घर भर को.
इसीलिए
जो मेहनताना माँग रहा है
दे दो कूडेवाले को
उठा कर ले जाए इसे
जल्दी से जल्दी
साफ-सुथरा दरवाज़ा देखे
बरसों बीत चुके हैं.
नींद में
एक एग्रीमेंट सामने रखा...
और मै,
साइन कर बैठी
हक़ीक़त में
बिना कोई क्लॉज़ पढे
मीनू खरे
और अंत में
इसलिए 5 जुलाई को लिखे मेरे आलेख के अनुसार ही 15 अगस्त के बाद ही वर्षाऋतु के अनुरूप पर्याप्त वर्षा होती दिखेगी और यह क्रम पूरे सितम्बर तक बना रहेगा।अब आगे की बात तो आगे आना वाला समय बतायेगा लेकिन आज हमारे कानपुर में झमाझम बारिश हुई है। आशा है आगे भी उनकी बात सही साबित होगी।
जय जन्माष्टमी
जवाब देंहटाएंjay ho
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंइस बारे में आपसे बात चीत हो चुकी है:))))
आज आप को भी छुट्टी थी क्या, घणी लंबी चर्चा की है एक्दमे फ़ुरसतिया इश्टाइल, और हमेशा की तरह मजेदार और ज्ञानवर्धक भी, आप को भी जन्माष्टमी की शुभकामनाएं। मुकेश कुमार जी की कविताएं हमारी भी प्रिय हैं, एक साल पूरा करने के लिए उन्हें भी बधाई। प्रदीप जाखड़? नाम ही ऐसा है। नीरज जी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ब्लोग पर उनकी उम्र के सामने कोई भी नंबर लिखा हो, हमारी शोध ये कहती है कि ब्लोगर कभी बुढ्ढा नहीं होता, अगर बुढ़ापे में ब्लोगरी का शौक चर्राये तो जंवा हो जाता है। नीरज जी भी आने वाले लंबे समय तक यूं ही सदाबहार मनभावन गजलें सुनाते रहेगें और सुबीर जी से शाबाशी पाते रहेगें।
जवाब देंहटाएंकलेजे पर पत्थर रख कर राज्यसभा से गए चंदन मित्रा : बताओ राज्य सभा का पत्थर भी ले गये जाते-जाते
हा हा मजेदार
मीनू खरे जी का ब्लोग हमें भी बहुत अच्छा लगा,
ये बच्चा विवेक गुरु को ही धमका दिये? कान कहां है जी उसके?
हां तो ये गब्बर और ठाकुर के याराना के पीछे मुझे तो कोई साजिश लगती है, ये दोनों जय और वीरु से हीरो का रोल छीनना चाहते थे, गलत बात्…छीना झपटी नहीं करनी चाहिए…
लो जी आज तो टिप्पणी भी पोस्ट जितनी लंबी हो ली
विस्तार से की गयी चर्चा । नीरज जी को जन्मदिन की बधाई ।
जवाब देंहटाएंमीनू जी की कविता वाकई बेहतरीन है ।
बढ़िया रही यह फुरसतिया चर्चा भी
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा...
जवाब देंहटाएंजय हो फुरसतिया जी की...ये हुयी न फुरसतिया इश्टाइल चर्चा...बोले तो मन खुश हो गया...झमाझम बारिश टैप क्या जोरदार लिंक्स दिए हैं. हम तो टहल के आये कई जगह.
जवाब देंहटाएंबहुत मस्त लगी चर्चा आज की...फाइव कोर्स डिनर जैसा :D
कविता की समझाइस न कहिए अनूप जी। हां, अपनी सीमित समझदारी से जो राय कविता पर बनी उसे ही शेयर किया है। आपका सुझाव पसंद आया, पर ब्लाग पर तो रोज कविताएं हैं, कोशिश करूंगा कि महीने भर के अंतराल को पकड पाऊं।
जवाब देंहटाएंये है फुल फुल चिटठा चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
बेहतरीन लिंक
कृष्ण जन्माष्टमी व स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
वीनस केसरी
चर्चा तो आपने काफी फुर्सत से की .. जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की आप सबों को बधाई और शुभकामनाएं .. पर प्रवीण जाखड जी ने कहा उनकी टिप्पणी, समोसे में आलू की तरह है। पढ़ती भी नहीं हैं, क्या लिखा? क्यों लिखा? कोई दुखभरी बात भी पोस्ट में आई, चेप देती हैं, बधाई हो, बहुत बढिय़ा .. और आप कह रहे हैं ब्लागजगत की एक सामान्य प्रवृति को किसी ब्लागर के नाम से जोड़कर लिखना .. ताज्जुब हो रहा है हमें .. यह ब्लाग जगत की सामान्य प्रवृत्ति है .. मुझे तो यह पता न था .. मैं कभी ऐसा नहीं लिखती .. कभी गल्ती से किसी विंडो की बात दूसरे विंडो में पोस्ट हो सकती है .. पर उसका भी प्रमाण मुझे मिल जाए .. तभी स्वीकार कर सकती हूं .. और आपके कानपुर में तो झमाझम बारिश हो गयी .. आनंद लें !!
जवाब देंहटाएंई पूरा जम के जमाये हैं !
जवाब देंहटाएंगुरु चेले की निजता को भंग कर ही दिया !
जवाब देंहटाएंआशा करता हूँ गुरु जी का कमर दर्द जल्द ठीक हो, तो मामला आगे बढ़ाया जाय :)
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेशक यहाँ चिट्ठा एक अच्छा हिन्दी 'ब्लॉग-समीक्षक' है।
जवाब देंहटाएं"मीनू मैम" की कविताओं का तो मैं भी मुरीद हूँ। ताऊ जी द्वारा पूजा दी का साक्षात्कार और हाँ उनकी कविताएँ भी अच्छी लगीं। आपके यन बेहद सटीक हैं। धन्यवाद...।
ताऊ के शोले के धर्मेन्द्र और बच्चन तो सही है पर बसन्ती नहीं न भाई:)
जवाब देंहटाएंआर्यपुत्र चर्चा करने आ रहे हैं, यह जानकर हर्ष हुआ। बढिया चर्चा का आनन्द उठाया.... अब जा कर चर्चा पढ़ेंगे:)
स्वतंत्रता दिवस की बधाई...नीरजजी को जन्मदिन की बधाई।
जवाब देंहटाएंई चर्चा पढ़ के हमरा तो आत्मविश्वासै खो गया है,
टिप्पणी का दें, जो बूझना है, बुझ लिजिए !
For Gyan
जवाब देंहटाएंआप के मित्र ही आप को बुजुर्ग बनाने की
पेश कश करते हैं
वाह ई का कहते हैं फ़ुरसतिया चर्चा ..एकदम कमाल और धमाकेदार ..धुँआधार ....
जवाब देंहटाएंवाह ये हुई ना जन्माष्टमी पर पूरी तरह श्रीकृष्ण ईश्टाईल की चर्चा. बस ऐसी चर्चा होनी चाहिये हमेशा.
जवाब देंहटाएंजयश्री कृष्ण...
स्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.
यहाँ हम अपने को पाकर मंत्रमुग्ध हो गए जनाब... पता नहीं खुशफ़हमी सा हो रहा है... क्या हम अच्छा लिखने लगे... शुक्रिया... महंगाई के इस दौर में इतनी इज्ज़त देने के लिए.
जवाब देंहटाएंसुखद आश्चर्य लगा अनूप जी अपने आप को यहाँ देख कर...
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग जगत के मित्रों द्वारा इतने अच्छे स्वागत के लिए आभारी हूँ.
और आभारी हूँ अजित वडनेकर जी की भी जिन्होंने न केवल मेरे ब्लॉग की जानकारी लोगों को दी बल्कि चिटठा चर्चा की इस पोस्ट का लिंक भी मुझे भेजा.
आगे भी आप सब के स्नेह की आकांक्षी रहूंगी.
देर से आ रहा हूँ इस चर्चे पे , लेकिन कुछ बहुत ही अनमोल लिंक मिले...बेहद अच्छी चर्चाओं में से एक है ये वाली चरचा। हैरान रह जाता हूँ मैं इतनी मेहनत-मशक्कत देख कर चर्चा पर!
जवाब देंहटाएंअनूप जी और समस्त चर्चा मंड़ल,
जवाब देंहटाएंमैं अपने ब्लॉगिंग का एक साल पूरा करने पर आप सभी के स्नेह का आभारी हूँ। यह प्यार मुझे प्रेरणा देता रहेगा।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी