शनिवार, सितंबर 09, 2006

भारत रूपी हाथी चल पड़ा है

आज का दिन शुरू हुआ वंदेमातरम पर विनोबा की(का ?) गीता प्रवचन से जहाँ पता चला-कि स्वधर्म सहज होता है।उधर वंदेमातरम की हवा भरके रनिंग कमेंट्री करते हुये तेलगी चिंतन करते-करते जगदीश भाटिया जी पूरी दिल्ली टहल आये।इस बीच रीतेश गुप्ता ने खुलासा किया कि वे कवि बन गये हैं इसका दोष मढ़ दिया विरह के मत्थे।आगे भी वे कवि के लिये झप्पी जुगाड़ते पाये गये:-
किसी उभरते कवि को झप्पी में भर लीजिये ना ।
और थोड़ी कवितागिरी आप भी कर लीजिये ना ।
और याद उनकी आये तो जाने न पाये ।
उनको इस तरह ह्र्दय में मढ़ लीजिये ना ।

इधर आशीष का विचार है कि भगवान के नाम पर भीख देना मेहनतकश लोगों का मनोबल गिराना है। उनके लेख पर डा.प्रभात टण्डन की टिप्पणी गौरतलब है:-
अपना परलोक सुधारने के चक्कर मे लोग इनके हाथों बेवकूफ़ बनते रहते है। वैसे विकसित देश भी तो भिखारी से कम नही हैं, सब कुछ होने के बावजूद भीख माँगना इनकी नियत बन चुकी है।


आजकल दुनिया में सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो रहा है।कहीं पर निठल्ले भाई हंसते बच्चे को रुलाने की बात करते हैं और कहीं पर बिहारी बाबू ,बंगाली बाबू बोले
तो गांगुली से मौज लेते हुये बताते हैं कि सब्र का फल कडुवा होता है। इधर मिर्ची सेठ बहुत दिन बाद बताने के लिये शुरु हुये तो सारा सार तत्व बता गये:-

मेरी इच्छा है कि यदि अपने देश में लोग अपने नगरों, कालोनियों को अपना मान कर सरकार के साथ कदम मिला कर उसे आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाएं। बिना मांगे तो माँ भी रोटी नहीं देती।

सागर की चित्र पहेली तो कल वो बूझ देंगे लेकिन जीवन एक अबूझ पहेली है ।प्रख्यात कथा लेखिका प्रभा खेतान अपने जीवन के बारे में हंस में संस्मरण लिख रही हैं। बिन व्याहे किसी विवाहित पुरुष के रहने के,अन्या से अनन्या बनने के अनुभव आप भी पढिये

प्रत्यक्षाजी को न जाने क्या हो गया कि वे अपने हिस्से की सारी धूप बटोर कर जुगलबंदीबटोरने लगीं। तमाम लोग धूप में नहाते हुये जुगल बंदी करने लगे ।इधर प्रियंकर प्रेम के अनेक रूप देख-दिखा रहे थे तो उधर कविराज गिरिराज अपने प्रियतम में हायकू दर्शन करनेलगे:-
तेरा चेहरा
खुबसुरत जैसे
मेरा हाइकु

आपको देखा
हलक से निकला
मेरा हाइकु

पंकज ने वंदेमातरम गाना जारी रखा जिस पर अनुनाद की आवाज से आशीष गुप्ता को लगा मानों कोई देशी चीता दहाड़ रहा हो । सुनील दीपक जी ने बोलोविया के ग्रीष्म समारोह में आधुनिक नृत्य की कुछ झलकियां दिखायीं ।
आदम और हव्वा में वर्जित फल खाने के कारण प्यार हुआ लेकिन नचिकेता जी ने सेव की जगह आम से काम चलाया और
प्रेम-पीडि़त हुये:-

मैंने उस लडकी को भी चुराए हुए आमों में से एक यह कह कर दिया था कि यदि वह मेरे पास वाली सीट पर बैठे तो मैं उसे रोज आम दिया करुंगा.
वह खिल-खिल कर हंस दी और अपने दांतों बीच आम फंसा कर भाग खडी हुई. बस, उसी दिन मुझे मेरा पहला-पहला प्यार मिला. कच्चे आम की तरह कुछ खट्टा, कुछ मीठा.
बरसों बाद जब मैंने आदम और हौआ की कहानी पढी तब जा कर पता चला कि सेब एक वर्जित फल है, जिसे खाना पाप है, क्योंकि इसे खाने से लडका-लडकी अपनी मासूमियत खो देते हैं और उन्हें प्यार हो जाता है.

प्रभाकर पाण्डेय कुछ भोजपुरी कहावतें सुना रहे हैं और प्रियंकर धरती कथा कह रहे हैं:-
बच्चों में भोलापन है
किशोरियों में अल्हड़पन
सोतों में पानी है
पत्तों में हरा रंग
खेतों में धान है
फूलों पर ओस
पहाड़ों पर सर्द हवाएं हैं
गायों के थन में दूध
बादलों में गड़गड़ाहट है
औरतों को गर्भ है
आदमी के शरीर पर पसीना है
इतनी सुंदर है पृथ्वी तो
यह गोल से चपटी क्यों होती जा रही है ?

तरकश के सबसे अनुभवी तीर समीरलाल जी तरकश कथा कहते -कहते अपराध कथा कहने लगे। इसके पहले लिखा अपनी सजनी के बारे में :-
"नज़रन के तुहरे तीर इहर दिलवा मा लगेला
धडकन मे भईल पीर बरत जियरा सा लगेला."

कैसे वे अनुभवी होते हुये भी तरकश के तीर बने उसकी कहानी बयान करते हुये लिखते हैं:-

खैर, हम सारा दिन शब्दों के साथ कुश्ती लड़ते रहे. फिर फोटो की खोज. इस बीच ईमेल के जरिये अवतरित हो कर "साईट टेस्ट कर लिजियेगा और जो भी सुधार हो, वो ईमेल कर दिजियेगा.". लो अब और लो. जब तीरंदाजी का शौक आया है, तो झेलो. फिर सारी कुछ चीजें, गोपनीय का चस्पा लगा कर पंकज भाई को भेज दी गई, जो अब सार्वजनिक है. हमने तो इसे पूर्णतः गोपनीय रखा, सिर्फ़ अपनी पत्नी को गोपनियता का वादा लेते हुये बताया और उसने ऎसा ही वादा लेते हुये, अपने भाई को और मात्र तीन सहेलियों को, और उन्होंने भी ' किसी को बताना नही ' की तर्ज पर आगे ....मुझे इससे क्या, मैने तो जो वायदा किया था उसे लगभग निभा दिया, अब इससे ज्यादा क्या कर सकता हूँ. अपनी कमीज पर धब्बे ना आयें फिर भले ही आपके संरक्षण मे पूरा तंत्र भृष्टाचार मे लिप्त हो, तो आप क्या कर सकते हैं सिवाय किले पर चढकर भाषण देने के

प्रेमचंद जनता के लेखक थे।आज हर आमो-खास उन पर कुछ न कुछ कह रहा है।गुजजार ने जो कहा वह आशीष के माध्यम
से जानिये । क्षितिज अपने देश के बारे में
जानकारी देते हुये बताते हैं:-
भारतीय जनता से प्रभावित रिपोर्टर ने अंत में भारत की तुलना एक हाथी से कुछ इस तरह की -- एशियाई बाघ नहीं, वह आक्रामक और अनुनमेय है। चीनी ड्रैगन भी नहीं, वह अहंकारी और विचित्र है,और उपर से "लाल" भी। भारत एक हाथी की तरह नम्र और शांत है, उसे उकसाना आसान नहीं, पर एक बार जो वह अपनी धीमी चाल चलना शुरू करता है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता, वह वहीं जाता है जहां वह चाहता है। और भारत चोटी पर पहुंचना चाहता है।

रत्नाजी ने आज अपनी रसोई में तरह-तरह की दालें बनाई हैं और अपने बच्चे के बहाने दुनिया भर के उन बच्चों को याद किया जो रोजी-रोटी के चक्कर में घर से दूर होकर आटे दाल का भाव पता कर रहे हैं:-
मुस्काती उसकी तस्वीरें
जब तब मुझे रूलाती है
उसकी यादें आँसू बन कर
मेरे आँचल में छुप जाती है
फोन की घन्टी बन किलकारी
मन में हूक उठाती है
पल दो पल उससे बातें कर
ममता राहत पाती है

केक चाकलेट देख कर पर
पानी आँखों में आता है
जाने क्योंकर मन भाता
पकवान न अब पक पाता है
भरा भगौना दूध का दिन भर
ज्यों का त्यों रह जाता है
दिनचर्या का खालीपन
हर पल मुझे सताता है

कब आएगा मुन्ना मेरा ?
कब चहकेगा आँगन ?
कब नज़रो की चमक बढ़ेगी ?
दूर होगा धुँधलापन ????

बधाई:-आज मेरा पन्ना के लेखक जीतेंद्र चौधरी का जन्मदिन है।इस मौके पर हमारा मन तो
उनका इन्टरव्यू लेने का था लेकिन कुछ मानवाधिकार समर्थक चिट्ठाकार इसके खिलाफ थे कि बार-बार जीतेंद्र को तंग किया जाये।लिहाजा हम उनको यहीं पर जन्मदिन मुबारक देते हैं आप इधर दो या उधर दो जिधर मन आये दो न मन आये न दो हमने तो बता दिया बस्स !लेकिन जन्मदिन और भी होंगे आज के दिन तो जानकारी यह है कि जब प्रत्यक्षाजी की बिटिया पाखी का भी जन्मदिन है ।
पता नहीं कब वह अपना ब्लाग लिखना शुरू करेगी। लेकिन अगर आप उसे हैप्पी जन्मदिन कहना चाहते हैं तो इदरिच कह दीजिये पहुंच ही जायेंगी उस तक ।
सूचना: यह पता चला है कि चौपाल का खाता निलंबित हो गया । लगत है नारदजी केक खाने कुवैत निकल लिये। अब भाई मिर्ची सेठ देखो या माजरा क्या है?इस बीच जनता को मेरा सुझाव यह है कि वे चिट्ठाविश्व के माध्यम से चिट्ठे देख सकते हैं देबाशीष को मेरा यही सुझाव है कि चिट्ठा विश्व को अपडेट करते रहें तकि सारे चिट्ठों की सूची वहां रहे जब गाड़ियां पंचर हो जाती हैं तो रिक्शे बहुत काम आते है।सुझाव तो यह भी है जो साथी अपनी पोस्ट का जिक्र करवाना चाहते हैं वो पोस्ट का लिंक यहां टिप्पणी में दे दें ताकि उसके बारे में यहां चर्चा होती रहे और लोगों को जानकारी हो सके ।

आज की टिप्पणी:-


1.जगदीश जी,
वंदे मातरम तो गाया ही जाना चाहिए वो भी मन से, सही कहा आपने, मगर जब आप मैट्रो का ज़िकर करते करते, राज़ोरी से झंडेवाला तक का वर्णन कर ही रहे थे तो लगता था बहाने, से, मोती नगर के पुल की उड़ती धूल, और राज़ोरी के दुकानदारों के साथ साथ दिल्ली की असली तस्वीर भी बयान कर रहे है, देश भी तो उपर उठने की बात करता है, और नीचे कितनी धूल, रोज़गार की बात करते है, और दुकानों की सीलिंग वो भी मास्टर प्लान या दूसरा कोई सबस्टीटयूट दिये बिना, रह गया ‘आज-तक’ जैसा मीडिया जगत तो तो बैकग्राऊंड़ मे देश की आधुनिक तस्वीर मैट्रो को दिखा कर ही खुद को ‘तेज़’ दिखाने की कोशिश करेगा ही… इसी लिए तो हिन्दुस्तान का वंदेमातरम गान आज की आधुनिकता पर फ़िट बैठता है….. जगदीश जी, एसा कीजिएगा हो सके तो अगले लेख में मैट्रो रूट के लिंक रोड़ पर खड़े संकटमोचन हनुमान जी को भी कवर कीजिएगा….क्यूंकि बहुत संभव है, कि फ़ास्ट फ़ारवर्ड राजनीति के चलते तब तक कोई मुद्दा, एसा उठ खड़ा हो …..कि जय श्रीराम हो ,और वंदे मातरम का मुद्दा जाने कितने दिनों तक याद रहेगा सबको ……बहरहाल…..जब तक मुद्दा चर्चा में है, तब तक ही सही…कम से कम हिन्दुस्तानियों के मन में ये श्रेष्ठ गीत पुनर्जीवित तो हुआ.
-रेणु आहूजा

२. दद्दा, हर एक की पर्सनल लाइफ़ होती है.
बिरले ही होते हैं जिनमें यह हिम्मत होती है कि वे खुले आम समाज के सामने आकर अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर लें.
जिनको तकलीफ होती है वे न पढ़ें.
वैसे, मैंने प्रभा जी से उन संस्मरणों को यूनिकोड में रचनाकार में पुनर्प्रकाशन की अनुमति मांगी है. देखते हैं ...

रवि रतलामी

3.इतनी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद! पूरी दुनिया मान रही है कि भारत रूपी हाथी चल पड़ा है. काश, हर भारतीय में भी ये विश्वास घर कर पाता.
एक औसत भारतीय को दिन-प्रतिदिन की मुश्किलों का ठीक से पता है, इसलिए उनके मन में भविष्य के प्रति आशा का संचार करना जरा कठिन है. ये काम 'मेरा भारत महान' या 'इंडिया शाइनिंग' जैसे नारों से तो नहीं ही हो सकता है.
शायद, हमारे प्रशासक और नेता को अपनी चाल-ढाल और क्रियाकलापों को थोड़ा आदर्शवादी बनाना होगा. इसके बिना एक आम भारतीय भविष्य को लेकर ज़्यादा आशांवित नहीं हो सकता.
हिंदी ब्लागर

आज की फोटो:-


आज की फोटो में मजा लीजिये सुनील दीपक जी के आधुनिक नृत्य का:-
आधुनिक नृत्य
>आधुनिक नृत्य

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4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन विश्लेण....बधाई.

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  2. जीतू भाई को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई।
    प्रत्यक्षाजी को उनकी बिटिया पाखी के जन्मदिन की बधाई। बहुत ही खूबसूरत नाम है पाखी।

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  3. अनूप जी,

    आपकी होंसलाआफ़्ज़ाई का ह्र्दय से धन्यवाद !!!!

    आपके लेखन का तो जबाब नहीं है ।

    रीतेश गुप्ता

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  4. अगर आपने आजतक पर न देखा हो तो यहां देखिये कैसे चलती है बिना ड्राईवर के गाड़ी
    http://kachraghar.blogspot.comaz

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