मार्टीना हिगिंसा
कल कुछ ऐसा हो गया कि हमारे रवि रतलामी जी के साथ वो हो गया जिसे कहते हैं अन्याय। बेचारे दिन भर घर पुतवाये और रात में लिखने बैठे चिट्ठाचर्चा। बहरहाल मेहनती आदमी होंने के नाते उन्होंने आंखे मुंदने तक लिखा और जब सो गये तो उनके नेट जीवन की तपस्या के प्रभाव से लेख अपने आप प्रकाशित हो गया। जो हुआ उसे गजल में अगर कहना हो तो ऐसे कहा जा सकता है क्या!-
कल रात एक अनहोनी बात हो गई
मैं तो जागता रहा खुद रात सो गई ।
इसमे मैं की जगह रात और रात की जगह मैं पढ लें तो मामला समझ में आ जायेगा काहे से कि कविता बनेगी:-
कल रात एक अनहोनी बात हो गई
मैं तो सो गया रहा खुद रात जाग गई ।
वैसे य्ह बता दें कि यह लाइन अनूप भार्गव ने लिखी है जो आजकल परेशान हैं जिसे देखो वही उनको सेलेब्रिटी बना डालता है। वो तो कहो शरीफ आदमी हैं जो बनाया जाता है बेचारे चुपचाप बन जाते हैं वर्ना कोई और हो तो बुरा मान जाये। अनूप भार्गव के गुड़्गांव प्रवास के किस्से,उनकी कवितागीरी के बारे में विस्तार से बताया प्रत्यक्षाजी ने अपने लेख धूप जनवरी की ,फूल दिसम्बर के में। वैसे लेख का शीर्षक पढ़कर अमर ट्रक साहित्य बरबस याद आ जाता है- बत्तीस के फूल चौंसठ की माला,बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला।
इधर गुड़्गांव में जब कवि सम्मेलन हुये तो बफैलो में काहे न हों! हुआ और जमकर हुआ.हमारे समीरलाल ने भी वहां जमकर शिरकत की और बाकी दिग्गज कवियों की तरह मामला गोपनीय नहीं रखा बल्कि पूरा खुलकर बताया.अपने कवितापाठ की बानगी देते हुये समीरलाल ने बताया:-
विराजमान हैं मंच पर, सब दिग्ग्ज पीठाधीश
हमउ तिलक लगाई लिये, अपनी खड़िया पीस.
अपनी खड़िया पीस कि बिल्कुल चंदन सी लागे
हंसों की इस बस्ती मे, बगुला भी बाग लगावे.
कहे समीर कि भईया, ये तो बहुत बडा सम्मान
इतनी ऊँची पैठ पर, आज हम भी विराजमान.
और विस्तार से जानने के लिये उड़नतस्तरी पर सवारी करिये.
शादी अगर एक बबाल है तो जो आदमी जानते-बूझते हुये शादी से बचने की कोशिश करेगा उसे और बबाल घेरेंगे यह शाश्व्त सत्य आशीष के ऊपर भी लागू होता है। जो आजकल एक नहीं तीन बबालों में फंसे हैं और रायसुमारी कर रहे हैं। जनता की राय क्या है आप खुद ही देख लीजिये। लेकिन कुंवारों के दुख भी एक नहीं होते तभी तो प्रेमेंन्द्र को समझ में नहीं आता कि वो सानिया सनसनी को समर्थन दें या हिंगिस को। इन दो क्न्यायों ने उनके घर में बंटवारा करवा दिया,तालियों की दीवार उठवा दी:-
आज मेरे समाने एक और असमजंस था एक तरफ सानिया तो दूसरी तरफ स्विस मिस हिगिंस किसका सर्मथन करू ? एक तरफ भारत की सानिया तो दूसरी तरफ हिगिंस जिसका मैने हर पल 1997 से सर्मथन करता चला आया। अत: मैने हिगिंस का सर्मथन करना उचित समझा क्योकि जिसका मैने हर पल सर्मथन किया है उसका साथ मै नही छोड सकता। मेरे घर मे दो गुट बन गये थे एक तरफ भइया सानिया को भारत की होने के कारण उसके शाटों पर ताली बजा रहे थे तो दूसरी तरफ़ मै हिगिंस के शाटों पर मै परन्तु ताली मैने ही सर्वाधिक बजाई और फाईनल तक बजाता रहा।
सिनेमा जगत में जहां सुनील दीपक की नजर आमिर खान की हरकतों पर थीं वहीं नीरज दीवान की नजरें ऐश्व्रर्या राय परटिकीथीं। इस सबसे अलग शुऐब देख रहे थे पाकिस्तान के अंधेरे को जहां सभी पाकिस्तानियों ने अंधेरे की वजह से मुशर्रफ को लम्बी लम्बी गालियाँ देते हुए पहला रोज़ा पकडा। और जिया कुरैशी छतीसगढ़ में चली ताजा हवा की जानकारी दे रहे हैं।
बालेंदु शर्मा जी की नजर है उस विज्ञापन पर जिसमें कहा गया है कि देखिए नीतिश कुमार की सरकार ने राज्य को नंबर वन बना दिया है।
संजय संथारा पर छिड़ी बहस को आगे बढ़ाते हुये मृत्यु के तरीकों/मार्गों की जानकारी दे रहे हैं लेकिन पंकज इस सबसे बेखबर नवरात्रि के मौके पर युवा वर्ग में मौज-मजे की कहानी बता रहे हैं । मौज-मस्ती और निरोध की बढती बिक्री की बात से लगता है कि कल को मौज-मस्ती की मात्रा परिभाषित करने के लिये कंडोम इंडेक्स या गर्भपात इंडेक्स न बन जाय।
खास खबर:- दुनिया में तमाम बातें पहली बार होती हैं। पहली हिंदी ब्लागजीन निकलती
है, पहला समूह ब्लाग बनता है, पहला ब्लागनाद होता है तो भला पहला बाल-ब्लाग काहे नहीं हो सकता? हां हो सकता है । यह पहला बाल-ब्लाग शुरू किया है संजय बेंगानी के सुपुत्र उत्कर्ष बेंगानी ने जो नौ के हो चुके हैं और अभी पांचवी में आये हैं। अपनी दुनिया की बिना किसी लाग-लपेट के जानकारी देते हुये वे बताते हैं:-
इसी साल मै पांचवी मै आया हुँ। उसके चार-पाँच दिन बाद एक लडकी आई । मुझे लगा कि वह मेरी दोस्त बन सकती है। पर कुछ दिन बाद वह मुझे अच्छी नही लगी क्योंकि वह गाली बहुत देती है।
अब आप समझ सकते हैं कि उत्कर्ष से दोस्ती करने की शर्तें क्या हो सकती हैं। अपनी दुनिया की शुरुआत करने के लिये उत्कर्ष को शुभकामनायें और जारी रखने के शुभाशीष।
आज की टिप्पणी
१.उत्कर्ष…….???
नाम सुना हुआ लगता है, शायद एक बार पंकज या संजय भाई के चिट्ठे पर कहीं पढ़ा था, कहीं छोटे संजय तो नहीं?
अगर आप उत्कर्ष बेंगानी ही हो तो कहना पड़ेगा कि पूत के पाँव पालने में ही दिखने लगे हैं।
કાં પછી એમ પણ કહી શકાય કે ” મોર ના ઈંડા ચિતરવા ના પડે”
सागर चंद नाहर
२.मुझे भी अजीब-सा लगा. आमिर ख़ान के इस कृत्य पर मुझे हैरानगी है. बाज़ार ने हमारी वैचारिक स्वतंत्रता को जकड़ लिया है. अब लगता है कि ब्रांड बड़ा है विचार नहीं. झूठ क्या है सच क्या है ये तो तभी तय होगा जब भारत सरकार शीतलपेय के लिए मानक तय कर दे. रिश्वतखोरों ने इसे लागू करने में बहुत देर कर दी है. मुझे इंतज़ार है कि कोई इन पर लगाम लगाए. वरना तब तक क़ानून कुछ नहीं कर सकेगा और आम जनता को इन दैत्याकार कंपनियों की मनमानियां झेलनी ही पड़ेगी.
नीरज दीवान
३.झेल रहे हैं बैठ कर, तुकबंदी हम श्रीमान
मकसद पूरा कर लिये, आप बहुत महान.
आप बहुत महान,जो भी कुछ करना चाहो
सफल रहोगे हरदम,चाहे कितना झिलवाओ.
कहे समीर कविराय, तेरे गजब रहे हैं खेल
जो भी तू लिख देगा, सारे ब्लागर लेंगे झेल.
समीरलाल
आज की फोटो:-
आज की फोटो समीरलाल जी के ब्लाग से कवि हैं श्रोता हैं कौन हैं ये आप पहचानने का प्रयास करें.
कवि सम्म्लेन के कवि-श्रोता
चिट्ठा चर्चा का शीर्षक कहता है कि सब भाषाओं के चिट्ठा जगतों से समाचार लाने का ध्येय है पर बात केवल हिंदी चिट्ठा जगत पर ही अटक गयी लगती है, शायद इसलिए कि जितनी रोचक बातें हम लोग हिंदी में कर रहे हें वैसी कोई और नहीं कर रहा! पर इस रोचक चिट्ठावलोकन के लिए बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं