तभी सामने से आँखें पौंछते हुए संजय ने कक्ष में कदम रखा.
धृतराष्ट्र : कहाँ रह गए थे?
संजय : जी आंखे बन्द कर सोने की कशीष कर रहा था. नया नुस्खा मिला है, सपने में नाज़ुक सी कन्या आती है. क्षमा करें लालच में आ गया था.
धृतराष्ट्र : किसने बताया ऐसा?
संजय : यह देखिये यहाँ, समीरलालजी के सपनों में कोई नाजुक बदन लड़की आती है.
मैं ऐसा था नहीं पहले, मुझे हालात ने बदलाधृतराष्ट्र : कल से हम भी जल्दी सोएंगे.... तुमसे नहीं कहा, आगे बढ़ो.
कोई नाजुक बदन लड़की, मेरे ख्वाबों की रानी है.
संजय : जी, सुखसागर में आज की कथा है कर्दम ऋषि और देवहूति के विवाह की. तथा अपनी दर्दभरी कथा सुनाते हुए मरफ़ी के नए नियम घड़ रहे हैं रविजी. साथ ही रचनाकार पर देवी माँ की अर्चना भी कर रहे है.
धृतराष्ट्र : धीरे धीरे बताओ गाड़ी पकड़नी है क्या?
संजय : मुझे तो नहीं पकड़नी पर यहाँ तो रेल ही ट्रक पर सवार हो गई है.
धृतराष्ट्र : घोर कलजुग. और यह शेर कौन सुना रहा हैं.
संजय : जी..., जोशीजी हैं, लौट आए हैं अपने शेरों के साथ. जरा समझीये इसे..
हम समझ लेते है तेरी आँखों के इशारों को
जो नासमझ समझते है, समझने दो उनको ॰॰॰
और महारज यह कोई फिरंगी ग्रेग है, जिन्होंने कुछ प्यार-व्यार के बारे में लिखा है, पर लगता है डिकोड कर समझना पड़ेगा.
धृतराष्ट्र : बीच में मोबाइल से क्यों उलझ गए, संजय.
संजय : जी वो अनुरागभाई ने लकी मेसेज भेजा है, उसी को जनहित में फोर्वाड कर रहा था. वैसे बॉस आज ओवर टाइम करवाया है आपने.
धृतराष्ट्र : ज्यादा स्याणपट्टी नहीं... अपने तेंवर ठीक करो, इस जोब के लिए कई लोग लाइन में है. संजय : क्या बॉस आप भी बुरा मान गए, यह एक कप कॉफी और पीओ और एक हनीमून कथा यहाँ बांचो (पढ़ो). लिखी है प्रत्यक्षाजी ने और प्रस्तुत कर रहे हैं शुक्लाजी.
बॉस अब अपन को यहीं समाप्त करना होगा. जो चिट्ठे छुट गए हैं, उनके लिए (नियमीत चर्चाकार को ;) ) क्षमा कर देना महाराज.
बहुत खूब आप तो मध्यक्रम पर कपिलेदेव की तरह शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं.
जवाब देंहटाएंबड़ा निराला और सधा हुआ अंदाज है, संजय भाई. इंतजार लगवा देते हो अगले दिन का. :)
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