मंगलवार, नवंबर 14, 2006

कविता बहुत हो चुकी- अब बस

जीतू लिखें धार कर पैनी
लाल साब भर कर तरकस
फुरसतिया जी टांग खींचते
संजय लिखते गज नै दस
पढ़ पढ़ कर के हमने सबको
निश्चय कर डाला बरबस
हम भी अब से व्यंग्य लिखेंगे
कविता हुई बहुत अब बस.

यही सोच कर भाव सजा कर
बैठे लेकर कुन्जी पट
शब्दों को सज्जित करने को
उंगलीं दौड़ चलीं सरपट
एक,दूसरा,तीजा चौथा
जुड़ते गये शब्द आकर
साथ दे रहा था कुन्जी पट
खट खट के नग्मेगाकर

लेकिन जितना लिखा सभी कुछ
कविता में ही बदल गया
जो कुछ पिरो वाक्य में ढाला
वो छन्दों में पिघल गया
ये प्रतीत हो गया गद्य लिखना
है बस की बात नहीं
कथ्य, भाव का और शिल्प का
बैठा हैअनुपात नहीं




चिट्ठा चर्चा अगले दो सप्ताहों तक मैं लिख न सकूंगा
और साथ ही लिखा जालपर क्या है यह भी पढ़ न सकूंगा
भेंट आपसे हो पायेगी अगले मास दिसंबर में ही
निश्चित जानें मैं उस पल की निर्निमेष हो राह तकूंगा

फुरसतिया जी और लाल जी देवाशीष, रवि रतलामी
संजय,पंकज,,अतुल, जितेन्द्र का मैं हूं केवलअनुगामी
मेरी अनुपस्थिति में ये सब भार संभालेंगे चर्चा का
इन सबकी लेखन शैली को हो अग्रिम स्वीकार सलामी

आज की तस्वीर:-




जैसे मौका मिले हाथ में माईक थाम मंच पर आते
छोटी कह कर चार पेज की रचना अपनी आन सुनाते
लेकिन फिर भी कोई शिकायत कभी नहीम कोई कर पाता
स्वर अधरों से जब भी फूटे, सदा रहे हैं मंगल गाते

आज की टिप्पणी:-

चिट्ठा ही जब कोई नहीं हैं कैसे कहाँ टिप्पणी पाऊं
अब इतना भी समय नहीं है मैं ही कुछ लिख कर रख जाऊं
इसका भार सौंपता हूँ मैं,कुंडलिया नरेश जी को ही
वो लिख दें तो भूली भटकी कोई टिप्पणी मैंपढ़ पाऊं

Post Comment

Post Comment

2 टिप्‍पणियां:

  1. बिन चिट्ठो के ही आप तो
    चर्चा पर पन्ना भर कर लाये
    कल जब ढ़ेरों चिट्ठे होयेंगे तब
    आखिर कितना लिखेंगे कविराय.
    :(

    जवाब देंहटाएं
  2. यह चिट्ठाचर्चा थी या कवितामय छुट्टी का आवेदन! :)

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative