बुधवार, नवंबर 08, 2006

मध्यान्हचर्चा दिनाकं 8-11-2006

धृतराष्ट्र कोफी का मग लिए टहल रहे थे. संजय के प्रवेश करते ही अपनी कुर्सी की ओर लपके.
धृतराष्ट्र : पता है संजय, अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी ने हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव में बहुमत हासिल कर लिया है.
संजय : महाराज कोई आए, कोई जाए यह दुनियाँ यूँ ही चलती रहेगी.
धृतराष्ट्र : बड़ी दुनियाँदारी की बाते करने लगे हो.
संजय : हाँ महाराज, जब से प्रभाकर पाण्डेयजी ने दुनियादारी पर कथा सुनाई है, मेरी तो सोच ही बदल गई है.
धृतराष्ट्र : और किस किस की सोच में बदलाव आया है?
संजय : ओस्ट्रेलियाई टीम से नाराज निठल्ले चिंतक तरूणजी की सोच में भी बदलाव आया और वे टिप्पणी करते करते अपनी इज्जत अपने हाथ रखने की सोची तथा उसे अपने चिट्ठे की प्रविष्टी बना दिया.
धृतराष्ट्र : और यह रणभूमि में मंडराते हुए कौन आवाजे दे रहा है?
संजय : महाराज ये उडनतश्तरी नामक उडनखटोले में बैठे कवि समीर हैं, जो अपनी प्रियतमा को स्वप्न नगरी में खोज रहे हैं.
धृतराष्ट्र : गूगल में काहे नहीं खोजते...
संजय : यह उनका नीजि मामला है, सरकार. इधर सुखसागर से अवधियाजी आज सती के आत्मदाह की कथा सुना रहे.
धृतराष्ट्र : संजय दिल्ली में मामला गर्म है, यह आत्मदाह वात्मदाह की बाते सम्भल कर करो भाई. कहाँ कौन प्रेरणा ले ले. जल्दी से आगे बढ़ो.
संजय : महाराज आगे जितेन्द्र चौधरी एक शुभ समाचार लिए खड़े है. वर्डप्रेस वालो के लिए एक उपयोगी प्लग-इन मुफ्त में वितरीत हो रहा है, लूंट लो.
क्या हुआ महाराज आप को खुशी नहीं हुई?
धृतराष्ट्र : बात वो नहीं है संजय. दरअसल श्रीमतिजी आज-कल कार चलाना सिखने की जिद्द कर रही है, हमे क्या करना चाहिए?
संजय : कुछ नहीं महाराज उन्हे सिखने दे, बस आप उनके रास्ते से कोसो दूर रहें.
धृतराष्ट्र को कुछ कहने का मौका दिए बिना संजय जा चुके थे.

Post Comment

Post Comment

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative