शनिवार, जनवरी 06, 2007

मध्यान्हचर्चा दिनांक: 06-01-2007

संजय ने कक्ष में कदम रखा तब धृतराष्ट्र आश्चर्यजनकरूप में कुछ टंकित कर रहे थे. आमतौर पर टी-टाइम में उनके द्वारा बस कोफी की चुस्कियाँ लेते हुए चिट्ठाचर्चा सुनी जाती है.
संजय अपनी कुर्सी पर विराजे तो उनके लिए भी कोफी का मग हाजिर हो गया.
धृतराष्ट्र ने देखा की संजय उन्हे ताक रहे है.

धृतराष्ट्र: तुम अपने लैपटॉप पर चिट्ठो को खंगालना शुरू करो, तब तक मैं बधाई दे देता हूँ. (फिर स्पष्ट किया) वो चुनाव परिणाम आ गए हैं, जो जीते हैं उन्हे बधाई दे रहा था. चुनावों को लेकर काफी उत्साहित थे सब.
संजय : जी.
संजय ने लैपटॉप पर आँखें गड़ा ली. धृतराष्ट्र ने बधाई देने का काम निपटा लिया.

संजय : महाराज, फेडोरा बहुत अच्छा औपरेटिंग सिस्टम है पर इसमें एक कमी थी, इसमें यूनिकोड हिन्दी में टाईप करना मुश्किल था. पर उन्मुक्तजी के अनुसार अब एक प्लग-इन के आ जाने से यह सरल हो गया है.
इस अच्छी खबर के साथ एक बुरी खबर भी है, मनिषाजी के अनुसार कम्प्यूटर सुरक्षा विशेषज्ञों ने एडोब के एक्रोबैट रीडर में सुरक्षा छिद्र होने का पता लगाया है.धृतराष्ट्र ने कोफी की चुस्की लेते हुए हाँ में सर हिलाया.
संजय : कुछ इसी प्रकार की खबर लाए हैं जगदीशजी. उन्हे इमेज में लिखी हिंदी को एडिट करने वाला ओ.सी.आर. साफ्टवेयर मिल तो गया पर जैसे की हम उम्मीद कर सकते है, काम अच्छी तरह से नहीं करता.

धृतराष्ट्र : इस क्षेत्र में अभी सुधार होंगे, तुम आगे बढ़ो. यह अलख कौन जगाए हुए है.
संजय : हिन्दू जागरण है, महाराज. इनका कहना है की यदि हमारे तीर्थ नहीं रहेंगे तो विशिष्ट सांस्कृतिक एकता भी नहीं रहेगी.
भारतीय ज्योतिष भी हमारी संस्कृति का हिस्सा है. इस पर विश्वास करना न करना अपनी अपनी समझ पर निर्भर है, वैसे प्रेमलताजी के मन की बात माने तो जन्मपत्री में जन्म के समय ग्रह-स्थिति तो भविष्यवाणी का आधार है ही, साथ ही गोचरवश ग्रहों की बदली हुई स्थिति भी प्रभावित करती है।

धृतराष्ट्र : हूँ...आगे देखो कोई कवि भी है या सप्ताहांत के प्रभाव में आ गए है.
संजय : महाराज सीमाजी नववर्ष की शुभकामनाएं दे हुए कामना कर रहीं है की नव वर्ष के नव प्रभात में आशा के संग सारा संसार जगे.

धृतराष्ट्र : और यह बाबाजी क्या कह रहें है?
संजय : महाराज ये गोपालपुरीयाजी हैं जो भोजपुरी कहावते सुना रहें है और टांटोल बांध के सुर्यास्त और सुर्योदय के समय बडे ही आकर्षक नजारे देखते हुए जितुभाई मजे से सुन रहे है.

महाराज आज के लिए इतना ही, आप कोफी का आन्नद ले. मुझे होना होगा लोग-आउट.

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1 टिप्पणी:

  1. भईये, कम से कम मंगल से मंगल तो जारी रहो. बड़ी राहत हो जाती है.इंतजार रहेगा.

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