सोमवार, मार्च 05, 2007

होली का शहरी रंग

आज गीत सम्राट मंगलवारिय चिट्ठाचर्चक राकेश खंडेलवाल जी अवकाश पर हैं और मुझसे उन्होंने निवेदन किया कि अगर मैं उनके हिस्से की कुछ चर्चा कर सकूँ, जिसे मैने सहर्ष स्विकार किया. शर्त यह भी रखी गई कि पाठकों को मंगलवारिय चर्चा पद्य में ही सुनने की आदत है, तो आप पद्य में ही लिखें. बड़ा मुश्किल कार्य है, मगर अब जबकि हाँ की जा चुकी है तो प्रयास करता हूँ. न पसंद आये तो पूरी जिम्मेदारी राकेश भाई की अन्यथा तारिफ के लिये हमेशा की तरह मैं आज भी हाजिर हूँ.


उन्मुक्त जो बोले कि बचो अब खैर नहीं
छद्म नाम से जो चिट्ठा बनाईये
पी एच पी भी भले ही हो गया है यूनिकोडित
चाहे जैव-ईंधन का मंच गठ जाईये.
मखमली नशे में आखिर डूबे रहे कब तक
अब ऑपरेटिंग सिस्टम भी धार्मिक चलाईये.

कई दिन हो गये हैं तुमने न बात की
सुनते ही कहने लगे आ गया हूँ, आता हूँ
गुलाम मानसिकता का अफीमी में नशा कर
होली का शहरी रंग तुझको लगाता हूँ
टीआरपी का ट्रेंड और टेरर भी तो कम नहीं
याहू! का विरोध मत करो ये तुम्हें बताता हूँ.

गज़ल को लेके चले एक नई दिशा ओर
मीरा तो फिर भी बिरहन में बैठी है
१८५७ का विरोध तो एक जागरण था मेरे दोस्त
याहू! की खिलाफत करना कोई हैठी है?

भरमाते चित्रों से भरमाओगे कब तक
मैं तो तेरे प्यार को सच तब ही मानूँगी
हनीमून ट्रेवल से जो लेकर आये साथ में
बुकिंग की कन्फर्मेशन जब मैं पाऊँगी.

हकीकत जानते हो फिर भी धोखे खा रहे हो,
कि चिट्ठों को चोरों से किस तरह बचाईये
देशी टून्ज पर कार्टून जरा देखिये और
रचनाकार पे कविता पढ़्ते जाईये.
बेबसी का आलम अब आप जरा देखिये
मुन्नवर राना की गज़ल गाते जाईये.


आज की यह चर्चा अब यहीं पर है पूरी हुई
आप अपनी टिप्पणी अब करते जाईये!!

Post Comment

Post Comment

6 टिप्‍पणियां:

  1. Aap ne bhi kamal kar diya...pure ke pure number lekar avaal aa gaye

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है समीर जी आज ये बदला रंग, पर बहुत खूबसूरत रंग है आप तो छा गये।

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे आपका प्रयास हमेशा उत्तम होता है… इस नये ढंग से आपके कलम की नई लहर का पता भी तो चला… राकेश जी की कमी नहीं खलने दी बस यही विशेषता है…।

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया है। दुनिया मल्टी स्किलिंग की तरफ़ भाग रही है तो चर्चाकार समीरलाल जी काहे पीछे रहें। अच्छा लगा यह पढ़कर!

    जवाब देंहटाएं
  5. चिट्ठाचर्चा पर आपका नाम देख, उलझन में पड़ गया, क्या मैं एक दिन पीछे चल रहा हूँ?.
    खुलाशा जान, राहत हुई.
    मस्त चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्‍छी चर्चा मेरे चन्‍द्र शेखर आजाद को आप भूल गये। उनकी चर्चा नही हुई, सही है स्‍वतन्‍त्रता संग्रम सेनानियों को तो सब भूल रहे है। और आप भी :)

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative