रविवार, अगस्त 03, 2008

मित्रता दिवस - व्हाट एन आइडिया सर जी!

मित्रता दिवस  मित्रता दिवस


आज पता चला कि मित्रता-दिवस है। तमाम दोस्तों ने अपने-अपने ब्लाग पर मित्रता दिवस की शुभकामनायें दी। आप को मुबारक हो मित्रता दिवस। इस कार्टून में अभिषेक ने भी मित्रता दिवस को अपने झरोखे से देखा है।

कल अभय ने अपनी पोस्ट में समसामयिक मुद्दा उठाया। टीवी के विज्ञापन व्हाट एन आइडिया सरजी! की पड़ताल करते हुये इस पर अपनी आपत्तियां दर्ज की हैं। वे कहते हैं:
मुझे इस से कुछ शिकायतें है। पहली तो ये कि यह विज्ञापन शिक्षा को सिर्फ़ अंग्रेज़ी के ज्ञान तक ही सीमित कर देता है। यह एक लोकप्रिय भ्रांति है जो समाज में पहले से मौजूद है और यह विज्ञापन उसी भ्रांति को और प्रगाढ़ करता है। बावजूद इस स्वीकृति के कि आज की तारीख में आप हिन्दी भाषा के सहारे ज्ञानार्जन करने की ज़िद में बहुत पीछे छूट सकते हैं। हिन्दी और अन्य देशज भाषाओं की ये जो सीमाएं हैं वो इन भाषा की कम और उनकी उपेक्षा से उपजी हुई मुश्किलों के चलते ज़्यादा हैं।


उनकी दूसरी शिकायत है:
हम एक तरह के सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के शिकार हैं। जो विविधता को मार रहा है, हर स्तर पर। दुनिया भर में प्रार्थना करने के विविध तरीक़े रहे हैं। सरस्वती शिशु मन्दिर में सिखाए जाने वाला भोजन मंत्र और कुछ भी शुरु करने से पहले मुसलमानो द्वारा कहे जाने वाला बिस्मिल्लाह भी उसी प्रार्थना के स्वरूप रहे हैं।


अभय की पोस्ट की अहम बात है:
कि इस विज्ञापन के द्वारा हम सब से यह परोक्ष रूप से स्वीकार कराया जा रहा है कि गाँव में किसी भी तरह की नियोजित शिक्षा असम्भव है। और अगर फोन के आगे बीस बच्चों को बैठ के ए बी सी डी कहलवा दिया जाय तो आप रोमांचित हो कर कह उठिये.. “व्हाट एन आइडिया सर जी!”



बम की अफ़वाह  बम की अफ़वाह


आज से अजितजी ने बकलमखुद में बलियाटिक अभिषेक का हिसाब-किताब पेश करना शुरू किया। इस अद्वितीय भारतीय की कहानी बलिया जिले के एक छोटे से गांव से शुरू हुयी और फ़िलहाल निवेश बैंकिग तक पहुंची। उनके बकलमखुद पर रोचक टिपिवावन हुई है। देखिये आप खुदै।

आजकल बापू आशाराम टीवी पर छाये हुये हैं। उनके अपनी दुकान चलाने के अन्दाज की झलक विष्णु बैरागी दिखाते हैं।

अनिल रघुराज अखबार महत्ता बताते हुये कहते हैं:
अर्थ ही नहीं, विज्ञान और देशी-विदेशी राजनीति के तमाम पहलू हम नियमित अखबार पढ़कर जान सकते हैं। सच साला बचकर जाएगा कहां, कभी न कभी तो पकड़ में आ ही जाएगा!!!


आलोक पुराणिक बाजार महिमा गाते हुये कहते हैं:
आम आदमी की परेशानी बढ़ी हैं और बढ़ेंगी।
उद्योगपतियों के लिए पैसे की लागत बढ़ेगी, जो अंतत तमाम वस्तुओं, सेवाओं
की कीमतों में बढ़ोत्तरी की शक्ल में देर सबेर दिखायी देगी।


अशोक चक्रधर जी हालिया बम विस्फ़ोट पर कहते हैं:
क्रांति एक सपना थी, एक विचारधारा थी। नौजवानों में, देश और विश्व समाज पर होते अत्याचारों के प्रति सात्विक समझदार क्रोध और दायित्व का बोध लाती थी क्रांति। अब टुइंया क़िस्म के आंदोलन होते हैं।


विपिन जैन कहते हैं:
अश्क़ भी है, जाम भी है,
दर्द में उसका नाम भी है,
रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,
गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है


अब चंद एक लाइना:

1. करेजा सिंह का अचार !!: खाकर टखना सिंह का सर घूम रहा था

2.सही पता बताने वाले बहुत कम हैं-हिंदी शायरी : बेचारी भटक रही है।

3.दोस्ती जहाज दिवस यानि फ्रैंड शिप डे : मेरी पत्नी से अधिक खतरनाक नजर आ रहा है।

4. फ़्रेंडशिप डे सिर्फ़ दिखावा : आप भी करिये न!

5. वे सब हमारे ठाने हुए द:ख थे:कितने बदनसीब थे हम।

6.धर्म का धंधा मासूमों की बलि : अभी तो अंगड़ाई है।

7. बम टिफ़िन में नहीं है : न जाने कहां धर देता है चम्पू! बड़ी चकल्लस है।

8.कोई मेरी मदद करो : पता नहीं कहां छिप गया कोई दिखता नहीं।

9.अंधियारा चप्पल उतार कर मन के आँगन में आता है। :शातिर चोरों की तरह!

10.आतंकवाद को नेस्तनाबूद करो : जल्दी शुरू करो भाई काम पर लगो।

11.प्रयाग की एक और ब्‍लागर मीट : इधर शुरू उधर खतम!

12. मैं भी वहीं था: कहां थे भाई दिखे तो नहीं।

13. नई सोच का दख़ल: में लिंगगत दोष हैं।

14.सुन्दरता का एक पहलू बर्बरता भी है : पहलू बदल ले मेरे भाई।

15.अब कहाँ वो दिन??? : खोजते रह जाओगे।

16. दोस्ती में दरवाजा नहीं होता: जिसे देखो घुसा चला आता है।

17.ये मौसम हमें खा जायेगा... : हाजमोला खायेगा पचा जायेगा।

18.दोस्‍ती है देने का नाम : तो कुछ देते क्यों नहीं?

19.सिगरेट :जिस में नशा था, भटकाव था,बहक थी....गर्मी नहीं थी...सुकून नहीं था।

20. एक्सपोज करने के लिये सही है स्टिंग आपरेशन- प्रियंका चोपड़ा: हम जिसे एक्सपोजर समझते थे वो वास्तव में हीरोइनों का स्टिंग आपरेशन है।

21. जरूरी तो है: तो फ़िर करिये न!

22.अंतरात्मा की सुनने वाला मार्क्सवादी : उसकी कोई मार्क्सवादी सुनता नहीं जी।

23.आत्म मंथन :यह हुआ क्या ? हाय ! यह कैसी परीक्षा ?

24. नियोजन अनुबंध को चुनौती दी जा सकती है? पहले अनुबंध करिये फ़िर बात जमेगी।

25.क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे : ईसा मसीह जी इसकी पुष्टि के लिये मिले नहीं।

26. ब्लॉग जगत में पहली बार आ रहे है अनोनामस जी: केवल अनानोमस ब्लागर उनके दर्शन कर पायेंगे।

27.‘गंदा बच्चा’ : समझ के उसको न ठुकराना जी।

28. चपरासी बना कानून का डाक्टर: डाक्टर के हौसले को सलाम।

29. पिया आ जा सावन आया : रूना लैला के दो गीत: एक-एक करके सुनियेगा।

30. ईमानदारी - खरीद न सको तो मैनेज कर लो: वो सब हो जायेगा, केवल ये बता दो ईमानदारी है कहां?

31. आप गायब कहाँ हो गये थे: चर्चा निपट गयी तब दिखे।
मेरी पसन्द

एक ख्वाब अकसर देखती हूं
तुम मेरे सामने बैठे हो
वही कमीज पहने हो
जो मैने तुम्हारे पिछले जन्मदिन पर दी थी
तुम कहते हो, थक गया हूं
आराम चाहिए
मैं खाने के लिये पूछती हूं
तुम हां में जवाब देते हो
तुम्हें खाना खाते निहार रही हूं
खाते समय तुम्हारे माथे पे अभर आयी हैं कुछ बूंदे
अपने आंचन से मैं पोंछती हूं वो बूंदें
तुम आंखों से बोल रहे हो
होठों से देख रहे हो
तभी रूठने का मन होता है
ताकि तुम मनाओ मुझको
लेकिन खुली आंखों बंद कर लेती हूं
कहीं ये ख्वाब टूट न जाए

मनविंदर भिम्बर

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7 टिप्‍पणियां:

  1. ह्वाट एन आईडीया सर जी! आज मैत्री कर लें। बाकी दिन तो जूतमपैजार के नाम लिख दिये हैं। :)

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  2. .

    क्या कल से तो शत्रुता दिवस लग जायेगा ?
    जइसे पंडित लोग शुकवा डुबाय देत हैं, वइसे ही ..
    और ...एक सीन यह भी..


    कितने चिट्ठे हैं ?
    सुकुल तीन हज़ार..
    अउर चिट्ठाचर्चा सिरिफ़ तीस का
    बहूत नाइंसाफ़ी है,,,
    सुनता है... बहूत नाइंसाफ़ी है, सरासर नाइंसाफ़ी है, रे !
    मेरा क्या होगा...रे फ़ुरसतिया


    देख दूर पिरयाग से ज्ञानदत्त गोहरा रहे हैं..
    मुझसे दोस्ती करोगे..

    चल जा,
    जा कल्ले भाई
    अब तू ही तो एक भाई बच गया है..ब्लागिंग में

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  3. ३१ हो गये डा. साहब। अब तो खुश हो गये?

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. हमारे 'गंदे बच्चे' को जगह देने के लिए धन्यवाद।
    घुघूती बासूती

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  6. फ्रेण्डशिप डे = रक्षाबंधन का एक्सटेंशन।

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  7. वाह जी वाह आप तो इकत्तिस मारखा हो गये..

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