गुरुवार, अगस्त 28, 2008

चिट्ठाचर्चा आज शाम

नेट ने नखरा खुब किया, खुल के दिया न आज,
फ़िर बत्ती भी गुल भयी, हुई कोढ़ में खाज!


आगे की कहानी आप शाम को सुनियेगा। अपना बहुत धांसू कुछ लिखें हों तो उसका लिंक नीचे दे दें टिप्पणी में। उसका हिसाब-किताब शाम को किया जायेगा। अभी हम दफ़्तर मोड में जा रहे हैं। ब्लाग मोड में शाम को मिलेंगे।

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12 टिप्‍पणियां:

  1. aaj bore honey sae bach gaye

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  2. बड़ें इमानदार हैं साहब, दफ़्तर का इंटरनेट बक्‍श देते हैं।

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  3. char din bad chhuti se laut kar dekhna chah raha tha aaj aapne kis-kis ki chhuti ki,par aaj to bijli ne aapko dusron par bijli girane ka mauka hi nahi diya.khai M.P. se alag hone ke bad chhatisgarh ke shehron me ye jhanjhat nahi hai,gaon aur bastar ka to bhagwaan malik hai.aapki mazedar tippaniyon ki kami khalegi aaj.

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  4. बहुत अच्छे शुकल जी ! आप तो हमको
    बना कर दफ्तर निकल लिए ! क्या पता
    बिजली गई है या फ़िर ................? ? ?

    आप होशियार बहुत हैं ! पोस्ट लिखी नही
    और गैर हाजिरी भी नही ? :) बधाई
    और शुभकामनाएं इस पोस्ट के लिए !

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  5. हम भी तो दफ़्तरै जा रहे हैं शामै को कछु लिख पाएंगे। फिर दुबारा टिपियाएंगे। हा हा ...

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  6. बैठे है जी.. दरी बिछाकर

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  7. .
    इस बारि तो जान दे यार
    मेरा मैटर क्यों खा जाता है ?
    न ये स्पैम है,
    न तू ही माडरेशन विलास आभिजात्य से त्रस्त है..

    वाह वाह, उम्दा
    एक सार्थक रचना
    आपकी कोढ़ में ख़ाज़ का आभार
    वगैरह वगैरह जागते रहो ईश्टाइल में एक रस्मी टिप्पणी
    से निपटने की सोच ही रहा था,
    कि नीचे टिप्पणी डिब्बे कूँ झाँका.. ग़ज़्ज़ब..
    p.c. rampuria मौज़ूद हैं..
    बधावा गाते हुये, शुभकामनाओं की लानतें भेज रहे हैं..

    आज लग रहा है कि कहावतें ऎंवेंई ही नहीं बना करतीं,
    कोढ़ में ख़ाज़ सार्थक हुई रहा है..
    ग़र कोढ़-ख़ाज़ै ज़मीं नश्त, हमीं नश्त हमीं नश्त
    हमीं नश्त हमीं नश्त हमीं नश्त हमीं नश्त
    पोस्ट आयी नहीं, टिप्पणी हाज़िर.. वाह रे ताऊ
    इसीलिये कहा है ’ जाट के सिर पे खाट ’
    ज़बरदस्ती तुक भिड़ा रैया सै
    अपने को रमपुरिया लिखे तो क्या
    सारे ब्लागर कोई होशियारपुर में थोड़े ही ना बसते
    जा अपना काम कर, गुरु को सोचने दे
    डिस्टर्ब मत कर, घंटाल तो ढूँढ़ कर लाने दे
    मज़ा आवेगा खेल का.. दफ़्तर से छुट्टी लेयो महारथी

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  8. चिट्ठाचर्चा शाम को, नोटिस दियो लगाय
    ऊके बाद भी चैन ना, लोग रहे टिपियाय

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  9. हम तो आज कुछ लिखे ही नहीं है. चाहें तो पुरानी पोस्ट का लिंक दे दूँ.

    ये शाम क्यूँ नहीं हो रही है?????

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  10. कानपुर में बिजली भी जाती है? हम जहाँ रहते थे वहां तो कभी नहीं गई :-)

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