रविवार, दिसंबर 28, 2008

कट, कॉपी, पेस्ट भी ठस्से की कला है....

माधुरी दीक्षित अपने बेटे के साथ

आज फ़िर इतवार आ लिया। इस साल का अखिरी है। अब जो आयेगा इतवार वो नये साल में होगा। होन दो की फ़र्क पैंदा है जी। अभी जो है उसमे मजा लो। आगे की फ़िर देखी जायेगी।

कल बहुत दिन बाद जब ब्लाग देखे तो संयोग से पहला ब्लाग लूजशंटिग रहा। इसमें दीप्ति ने दिल्ली में जगह-जगह बोली जाने वाली भाषा का ’द’ हटाकर नमूना पेश किया और निष्कर्ष निकाला:
आप कोई भी भाषा बोलते हो, लोग तैयार है उसकी बहन चो.... के लिए
टिप्पणियों में अंशुमाली ने गालियों के प्रति भावनात्मक न होने और उनको इंज्वाय करने की सलाह दी प्रशान्त प्रियदर्शी तो इसीलिये उत्तरभारत नहीं आते क्योंकि यहां गालियां बहुत दी जाती हैं। पता नहीं कैसे तमिलनाडु वाले गाली देने में इत्ते पिछड़े कैसे हो गये।

सुजाता को पहले से ही भनक थी कि कोई पितृसत्ता का पैरोकार दीप्ति की पोस्ट पर एतराज करने वाला है। सुधारक जी ने उनके विश्वास की रक्षा की और इस बात पर बेटियाँ जब इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करने लगें तो ? सवाल करके अपनी चिंता जाहिर की। इसके बाद सुजाता ने फ़िर अपनी बात रखी और सवाल उठाया-
आफ्टर ऑल क्या भाषा और व्यवहार की सारी तमीज़ का ठेका स्त्रियों ,बेटियों ने लिया हुआ है?

मेरे मन में काफ़ी दिन से यह उत्सुकता रही है कि गालियों का उद्बभव और विकास कैसे हुआ होगा और अधिकांश गालियां स्त्रियों को लक्ष्य करके ही क्यों गढ़ी गयी हैं। अगर हिंदी थिसारस के अनुसार देखा जाये तो गाली का मतलब होता है कोसना। अब अगर विचार करें तो पायेंगे कि दुनिया में कौन ऐसा मनुष्य होगा जो कभी न कभी कोसने की आदत का शिकार न हुआ हो? इस लिहाज से देखा जाये तो गालियां हमेश से थीं, हैं और रहेंगी। और जहां तक स्त्री पात्रों को केंद्र में रखकर गाली देने के चलन की बात है तो मेरी समझ में ये है:

मेरे विचार में पुरुष प्रधान समाज में मां-बहन आदि स्त्री पात्रों का उल्लेख करके गालियां दी जाती हैं। क्योंकि मां-बहन आदि आदरणीय माने जाते हैं लिहाजा जिसको आप गाली देना चाहते हैं उसकी मां-बहन आदि स्त्री पात्रों का उल्लेख करके आप उसको आशानी से मानसिक कष्ट पहुंचा सकते हैं। स्त्री प्रधान समाज में गालियों का स्वरूप निश्चित तौर पर भिन्न होगा।


उधर स्वप्नदर्शी ने मौका देखकर ब्यूटीमिथ के बहाने एक बेहतरीन पोस्ट चढ़ा दी।

लेकिन गाली-गलौज छोड़िये अब कानून की भाषा की बात करी जाये। दिनेश राय द्विवेदी जी विचार करते हैं कि हिन्दी सर्वोच्च न्यायालय की भाषा क्यों नहीं? उनका मत है कि
हिन्दी को न्यायालयों के कामकाज की भाषा बनाने में और भी अनेक बाधाएँ हैं। सबसे पहली जो बाधा है वह देश के सभी कानूनों के हिन्दी अनुवाद का सुलभ होना है। यह वह पहली सीढ़ी है, जहाँ से हम इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। अभी तक सभी भारतीय कानूनों का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं है। यह उपलब्ध होना चाहिए और कम से कम अन्तर्जाल पर इन का उपलब्ध होना आवश्यक है।
बाकी बाधाऒं से मुलाकात आप द्विवेदीजी के ब्लाग पर कर लें तो अच्छा रहेगा।

यादें बड़ी जालिम चीज होती हैं अब देखिये सुशील को बस स्टैंड वाली लड़की याद आती है तो डा.अनुराग को चौबीस साल की गोरी-चिट्टी याद आती है-
२४ साल उम्र होगी उसकी बस......कितनी सुंदर है गोरी चिट्टी .....कोई कह सकता है एच .आई .वी है उसे...शादी को एक साल हुआ है ओर प्रेग्नेंट भी है...... पति से मिला है....पर बच्चा फ़िर भी चाहती है...अबोर्शन को तैयार नही है ..काउंसिलिंग के लिए आयी थी... अभी कुछ symtom तो नही है ....उसके पति को मालूम था तो शादी क्यों की.....
और शास्त्री जी को कुल मिलाकर एक अध्यापिका मिलीं जिसे दुष्ट कहा जा सकता है। इसी झटके में वरुण जायसवाल उठा देते हैं सवाल- स्त्री और पुरुष में सर्वेश्रेष्ठ रचना कौन सी है?
ताई कोणार्क के सामने
आजकल पहेलियां खूब बुझाई जा रही हैं। ताऊ शनिवार को कोणार्क ले आये और साथ में ताई की फोटो भी। वैसे इस बीच हमने ताऊ की और पोस्टों के जलवे भी देखे। ताऊ ने लोगों को ठग्गू के लड्डू भी खिलवा दिये। ताऊ चर्चा भी हो गयी। मिसिरजी ने चिट्ठाकार चर्चा के अंतर्गत अपने प्यारे ताऊ की खूबियों के बारे में बताया। मेरी समझ में चिट्ठाकार चर्चा जब तुलनात्मक होती है तो ध्यान इधर-उधर होने की हमेशा गुंजाइश रहती है। ताऊ ,ताऊ हैं , समीरलाल समीरलाल हैं। दोनों की आपस में तुलना करना दोनॊं के साथ ज्यादती जैसा करना है। वैसे ताऊ मुझे इसलिये अच्छे और महान लगते हैं कि उनमें कम से कम वे अवगुण नहीं हैं जिनसे मैं और अब तो विवेक सिंह भी छुटकारा पाने की सोचते ही रहते हैं। हमारे ११ सूत्रीय एजेन्डा में से एजेन्डा संख्या तीन से लेकर ग्यारह को ताऊ पहले ही हासिल कर चुके हैं। ये हैं:
3-किसी का दिल दुखाने वाली पोस्ट न लिखना।
4- बड़े-बुजुर्गों (ज्ञानजी, समीरलाल,शास्त्रीजी आदि-इत्यादि) से अतिशय मौज लेने से परहेज करना।
5- नारी ब्लागरों की पोस्टों को खिलन्दड़े अन्दाज से देखने से परहेज करना।
6- नये ब्लागरों का केवल उत्साह बढ़ाना, उनसे मौज लेने से परहेज करना।
7-किसी आरोप का मुंह तोड़ जबाब देने से बचना।
8- अपने आपको ब्लाग जगत का अनुभवी/तीसमारखां ब्लागर बताने वाली पोस्टें लिखने से परहेज करना।
9- अपने लेखन से लोगों को चमत्कृत कर देने की मासूम भावना से मुक्ति का
प्रयास ।
10- तमाम नई-नई चीजें सीखना और उन पर अमल करना।
11- जिम्मेदारी के साथ अपने तमाम कर्तव्य निबाहना।

इसीलिये ज्ञानजी और ज्ञानदर्पण वाले भी ताऊ के गुण गाते हैं।


वैसे ताऊ की जानकारी के लिये बता दें कि हम भी कोणार्क होकर आ चुके हैं तब जब हम स्कूल में पढ़ते थे।

लावण्या जी TLC बोले तो टेन्डर लविंग केयर के बारे में जानकारी देती हैं और मनमोहनी फ़ोटॊ भी देती हैं।

अनुपम अग्रवालजी को न जाने किसने कुछ दे दिया उसे वे धोखे के रूप में देखते हैं:
धोखा देते हैं वो इरादों को ,
झूठी क़समें वो अगर -खाते हैं ...
रोशन करते हैं वो चिरागों को ,
रातों को जब भी नज़र -आते हैं


राज भाटिया जी अपने बेटे अंकुश भाटिया के जन्मदिन की सूचना देते हैं और बताते हैं:
यह २८ दिसम्बर १९९१ को जर्मनी मे पेदा हुये है, अभी यहां ११ वी कलास मै पढते है, बहुत नट खट है दो दिन पहले ही इन्होने अपना कार का लाईसेन्स बनबाया है,लाईसेंस के पेसे इन्होने हर शुक्रवार दो घन्टे अखबार बेच कर कमाये,ओर करीब एक साल तक अखबार बेची, अब इन्हे पेसो की जरुरत नही क्योकि अब पढाई बहुत करनी पडती है इस लिये इस महीने से अखवार से छुट्टी, इन के सपने बहुत सुंदर है, ओर यह हिन्दी, पंजाबी, अग्रेजी, इटालियन , लेटिन ओर जर्मन खुब बोलते है, हिन्दी थोडी बहुत पढ भी लेते है,
हमारी तरफ़ से अंकुश को जन्मदिन की मुबारकबाद!

पीयूष मेहता के माध्यम से आप भी गोपाल शर्माजी को उनके जन्मदिन की बधाई दे दीजिये।

एक लाइना



  • धोखा देते हैं वो इरादों को : बे फ़ालतू में पूरा कर देते हैं सब वायदों को


  • चित्र पहेली : बुझो तो जानें: न बूझ पाओ तो और भी जानें


  • आज 28 दिसम्बर है जी :हां पता है जी, कल 29 दिसम्बर होगा जी!


  • पहेलियाँ बुझना हमे आया नही:अच्छा है वर्ना परेशानी हो जाती। आजकल जिसे देखो बुझवा रहा है!


  • ब्यूटी-मिथ के बहाने :एक बेहतरीन पोस्ट

  • और अंत में


    एक सचमुच का गिरहत्‍थ..

    इस बीच दो दिन बाहर रहे। जबलपुर में समीरलाल के बेटे के विवाह समारोह में शामिल होने गये। मजेदार अनुभव रहे। वहां समीरलाल के अलावा स्थानीय साथी चिट्ठाकारों बबालजी, महेन्द्र मिश्र, तिवारी जी और जबलपुरिया चौपाल से मुलाकात हुयी। बबालजी से लम्बी बातें हुयीं। बाहर से आने मे मेरे अलावा रचना बजाजजी अपने परिवार के साथ आयीं थीं।


    तमाम लोग आते-आते रहे गये। किसी की ट्रेन छूट गयी तो किसी का प्लेन। मैं २५ को पहुंचा था। २४ की रात को ब्लागरों ने ,सुना है , खूब जलवे दिखाये और अपनी रचनायें सुनाई। समीरलाल का गाने का मन नहीं हुआ। उनका कहना था अगर फ़ुरसतिया होते हूटिंग के लिये तो सुनाते भी। अब यहां वाहवाही माहौल में क्या गला बजायें।

    शादी शानदार निपटी। हम यह कहते हुये वापस आये- जैसे उनके दिन बहुरे वैसे सबके बहुरें।
    बहकी मन की उड़ान


    जबलपुर में ही शिवकुमारमिश्र जी की विस्तृत चर्चा देखी, मसिजीवी की चर्चा कल कानपुर आकर देखी। मसिजीवी घणे तकनीकी हो लिये हैं। अबकी बार टेबल भी बना डाली। कल आलोक का दिन था। शाम तक आर्यपुत्र की चर्चा न दिखी तो हमने उनको फ़ोनियाया। पता चला कि हिमाचल प्रदेश में हिलस्टेशनिया रहे थे। लेकिन फ़िर चर्चारत ऐसे हुये कि तकनीकी चर्चा कर डाली।

    प्रमोदजी का बहुत दिन से कोई पाडकास्ट नहीं आया। आजकल उनका मन स्केचिंग में रम रहा सा लगता है। सचमुच का गृह्स्थ और दूसरे की मन की उड़ान देखने के लिये उनकी पोस्ट देखिये न!

    फ़िलहाल इत्ता ही। एकलाइना शायद फ़िर ठेले जायें। अभी तो सुबह सरक रही है हाथ से और संकलक नखरा करे जा रहे हैं।

    आपका इतवार चकाचक बीते इस कामना के साथ हम गो, वेन्ट गान होते हैं। आप मौज करें।
    सूचनार्थ टंकित ये पोस्ट सुबह साढ़े दस बजे लिखी गयी। नेट के नखरे के कारण अभी एकबजकर दस मिनट पर पोस्ट हो पायी है।

    ऊपर वाली फोटो लावण्याजी के ब्लाग से है। इसमें माधुरी दीक्षित अपने बेटे के साथ हैं। नीचे की फोटॊ काजल कुमार के ब्लाग से है। जिसका शीर्षक है- कार्टून: कट, कॉपी, पेस्ट भी ठस्से की कला है.... । माधुरी और काजल के बीच प्रमोदजी के स्केच हैं।
    कट, कॉपी, पेस्ट भी ठस्से की कला है

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    19 टिप्‍पणियां:

    1. माधुरीमय मधुर चर्चा आहा ! कार्टून ने गज़ब ढाहा !
      शादी में से लड्डू तो लेके आए ही होंगे . एकाध पोस्ट करना था चर्चा भी लड्डूमय हो जाती :)

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    2. चर्चाएँ तो सार्थक रहीं |

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    3. क्या सर जी, आप तो सच में पूरा हिन्दी का ब्लॉग जगत समेट लाये हो, आज !!

      फुरसतिया चच्चा आज का दिन तो इन सभी को पढने में ही ज्यादा जायेगा :)

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    4. चच्चा ये नेने की फोटो भी बड़ी क्यूट सी आई है.

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    5. गाली चर्चा पर चर्चा आगे बढ़ गयी है। शायद आपको इसपर दुबारा लौटना पड़े।
      समीर जी के बेटे की शादी में ब्लॉगर्स की भीड़ के चित्र नहीं लाए क्या?
      आगे इनका लिंक तो देना ही चाहिए।

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    6. सुकुल का पर्सोना बदल रहा है - ताऊ जैसे उदीय हो चुके ब्लॉगर से कोई मौज नहीं ली। यह उपलब्धि है।

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    7. @ प्रशान्त प्रियदर्शी तो इसीलिये उत्तरभारत नहीं आते क्योंकि यहां गालियां बहुत दी जाती हैं- अरे भई प्रशांत, अगर यही फंडा हर जगह अपनाने लगो तो पंजाब में तो कदम न रख सकोगे क्योंकि वहाँ बात-बात पर पैणचो...मांचो.....चलता है, महाराष्ट्र में हर बात पर च्या आईला कहने की जरूरत पडती है, तमिलनाडु में ही वम्मा ल वक्का...चलता है..( जो ये तमिल गाली समझते हैं उनसे गुजारिश है कि समझकर भी न समझें :) ) हां तो मैं कह रहा था कि हर जगह की अपनी अपनी स्टाईल है, बलिया की तरफ निकल जाओ तो बात-बात पर एकरी बॉहिन क ( ब थोडा गूंजायमान) कहा जाता है....सो क्या किया जाय विदेश निकल लें। वहाँ भी तो हर बात पर कहा जाता है ओह फ*, यू As* eater :)
      अब इतनी चर्चा के बाद आप लोग मुझे गालीयों का विशेषज्ञ मत करार देना ( जो कि अक्सर देखने में आता है :) :)

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    8. भाई अनूप शुक्ला जी
      समीर जी के पुत्र की शादी में अल्प समय के लिए जबलपुर संस्कारधानी में आपका आगमन हुआ. आपसे मुलाकात चर्चा कर हम सभी को अत्यधिक प्रसन्नता हुई है जिसके लिए हम सभी जबलपुरिया ब्लॉगर भाई पंकज स्वामी "गुलुस" जी. डाक्टर विजय तिवारी किसलय, भाई सुशांत दुबे "बबाल" जी आपके आभारी है और आशा करते है कि भविष्य में जबलपुर के सभी ब्लागरो को आपका स्नेह प्राप्त होता रहेगा .

      महेंद्र मिश्रा
      जबलपुर. एम .पी.

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    9. लाजवाब रही रविवारिय चर्चा ! हम तो आपकी अनुपस्थिति से ही अंदाज लगा चुके थे कि आप हमारे गुरुदेव के चिरंजीव की शादी मे गये हैं वर्ना आपके दर्शन ना हो ऐसा हो नही सकता !

      आज मजा आया है ! बहन** चर्चा चली ..सो आपने पहले ही घोषित कर दिया कि ताऊ ११ सुत्रिय फ़ार्मुले का पालन करता है सो हम वहां तो टिपियाये नही ! पर अपनी बात यहा कह देते हैं !

      जिन्होने ये भी ये लिखा होगा वो शायद नये होंगे उस शहर के लिये !
      हम जब कलकता से इन्दोर आये तब कोई हमको अरे बोल दे तो भी ऐसा लगता था की इसकी ऐसी तैसी कर दे और यहां तो साधारण बोल -चाल मे बहन** वहन** तो छोटी मोटी बात है , सीधे १५ या २० किलो वजनी गाली देते हैं !

      समय के साथ ऐसा हो गया कि अब तो ४० या ५० किलो से कम वजन की कोई गाली मुंह से ही नही निकलती ! और दिन भर मे पांच सात क्विंटल गालियां तो खुद को दे ही लेते हैं और जब से काशीनाथ जी वाला लिंक आदर्णीय ज्ञान जी ने दिया है तब से तो पूछिये मत ! और आप तो अभी हमारे गुरु गृह से लौटे हो तो वहा आपने अवश्य बानगी देखी होगी ?

      पर हां निजी रुप से हम सार्वजनिक स्थलों से, घर मे, महिलाओ और बच्चों के सामने, इस कला के प्रदर्शन से बचते हैं सिर्फ़ मित्र मंडली तक ही सिमित हैं ! :)

      देखते हईम शाम तक आपकी एक लाईना आती है या नही ! क्या पता ठंड मे फ़ुरसतिया जी रजाई शर्णम भी जाये आज ? :)

      रामराम !

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    10. ajee charchaa nahin aap ne to pooraa granth likh daalaa aaj aur yakeen mane ek ek sahbd padh kar maja aa gaya.

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    11. बहुत अच्छी और लाजबाब चर्चा !

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    12. बजरिये शुकुल जी कितनी ही पोस्टें देखी भाली ! आभार !

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    13. आदरणीय
      अनूप जी
      अभिवंदन

      संस्कारधानी में आप के सानिध्य के लिए हम आशान्वित थे ,परन्तु शायद समयाभाव के चलते ये कुछ सम्भव नही हो पाया, अच्छा होता यदि आप कुछ अतिरिक्त समय लेकर आते ताकि हम जबलपुरिया कम से कम दिल खोल कर बतिया तो लेते और यहाँ के ब्लागर्स भी आपके बहाने फुर्सत निकाल लेते आपसे मिलकर एक स्मरणीय चर्चा की खातिर....
      चलिए आपसे मुलाक़ात हुई , प्रत्यक्ष मिले, मिलने जुलने का क्रम अब लगा ही रहेगा , ऐसा हम विश्वास करते हैं. आदरणीय रत्ना बजाज से भी अल्प मुलाक़ात ही हो सकी,भाई महेंद्र मिश्र (निरंतर) और भाई पंकज गुलुश (जबलपुर चौपाल) समीर जी के बेटे की शादी में पहुँच कर जहाँ समीर जी के साथ बाराती बने वहीँ, आप लोगों से मिलकर नई स्मृतियाँ संजोई .

      आपका
      विजय तिवारी " किसलय "
      जबलपुर
      मध्य प्रदेश

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    14. बहुत आनंददायक चर्चा !! कार्टून भी गजब का है.

      सस्नेह -- शास्त्री

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    15. विस्मयकारी लगता है कि किस तरह,
      हमारे सुकुलजी इत्ते सारे चिठ्ठोँ को समेट लेते हैँ अपनी चर्चा मेँ !!
      और श्रीमती "नेने" को देख कर ही गाते हैँ लोग
      "नेने करते प्यार (या टेन्डर लवीँग केर )
      तुम्हीँ से कर बैठे ..." :)
      चित्र बहुत प्यारा है उनके राजा बेटे का -
      यहाँ देने से पूरा पन्ना चकाचक हो गया है -
      और काजल जी व प्रमोद भाई के स्कैच भी
      शानदार हैँ -
      और अन्य जाल घरोँ की खूबियाँ बताने के लिये आपका शुक्रिया -
      ताऊ जी और समीर भाई हिन्दी ब्लोग जगत के स्तँभ हैँ -
      आगे भी जो मेहनत
      करेँगेँ उन्हेँ
      २००९ के आगामी नव वर्ष के लिये,
      हमारी शुभकामना -
      जय हिन्दी ब्लोग जगत !
      देखेँ आगे क्या होता है
      - लावण्या

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    16. तो आप जबलईपुर हो आए । हंय

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    17. ये गाली भी बडि अजीब चीज़ है - कभी अ छोडकर नेता सामने आ जाते हैं तो कभी द छोड कर बहनजी। घूम फिर कर वही नारीवाद खडा हो जाता है।
      >स्त्री पुरुष में सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है?? इस सवाल का उत्तर तो बहुत सरल है। रचनाजी का ब्लाग देख लें।
      >राज भाटिया जी को उनके पुर्त्र के जन्म दिवस और समीरलालजी को नये समधी मिलने की बधाई। नववर्ष की सभी को शुभकामनाएं।

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    18. जनाब फ़ुरसतिया साहब,
      आपकी इस चर्चा में ख्यातिलब्ध चिट्ठाकारों की लम्बी फ़ेहरिस्त और मज़ेदार बातों के बीच मुझ नाचीज़ को भी बिना आवाज़ शामिल कर लेने के लिये आपका बहुत आभार । कल इस चर्चा को न पढ़ पाने का अफ़्सोस है । मगर क्या बतलाएं जी, समीरलाल साहब के बेटे की शानदार शादी से (फ़ुर्सतोफ़ारिग़) हो भी न पाए थे के, अचानक याद आया के गुज़रे ज़माने के किसी दिसम्बर की २८ वीं तारीख़ को ही तो शायद बवालिन भी अपने फ़ादर के घर से हमारे साथ भाग छूटीं थीं । हालांकि उनके इस छूटने में हम ताजीस्त(सारी ज़िन्दगी) को धर लिए गये । खै़र आज २९ को जब मोबाइल सहित बाहोशोहवास बगै़र किल्लतोकस्रत वापस ज़मीन पर आ लिए तो मिश्रा जी ने बतलाया के कल हम चर्चा में थे । मैं घबराया के किसी ने कुछ भी न करते हुए हम दोनों को देख तो नहीं लिया. पर बात चिट्ठाचर्चा की निकली तब सहज श्वास-प्रश्वास भए । दो चार दिनों में अपने शहर पूना वापस हो लेंगे । शेष शुभ और बहुत बहुत प्रणाम ।

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