बुधवार, अगस्त 19, 2009

लौटे हैं शुक्रिया अदा करने


ब्लॉग जगत के सभी वासियों को नमस्कार ! पिछले कुछ महीनों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और डॉक्टरों को परखने में व्यस्त रहे... अब सब कुशल मंगल है...

आप सबके आशीर्वाद से बेटे की सर्जरी सफल हुई....अब वह ज़िन्दगी की नई राह पर चलने की कोशिश में लगा है। उसे चलते देख हमने सोचा क्यों न हम भी ब्लॉग जगत की कुछ सैर कर आएँ....

सैर करने से पहले अपने सभी दोस्तों को तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिनके कारण लगा कि हम अकेले नहीं.... बहुत से साथ हैं और जो नहीं है वे दूर से ही कुशल मंगल की कामना कर रहे हैं।

डिनर के बाद सैर करते हुए छोटे बेटे विद्युत ने मीठे पान खरीदे.... एक मीठा पान हमने भी ले लिया... घर पहुँच कर जैसे ही कम्पयूटर के आगे बैठे.... हर पोस्ट पान की गिलौरी जैसी लगने लगी.......

हरेक का अपना एक अलग स्वाद..... मीठे पान सी पोस्ट गुलकन्द से भरी....

खुशबू से महकती किवाम की गिलौरी..... 420 से सिर घूम जाए...ऐसी पोस्ट जो दिल और दिमाग में एक अलग ही नशा भर दे.....

कौन सी पोस्ट किस पान के स्वाद जैसी है... यह आप ही सोचिए.... लीजिए हमारा पानदान आपके लिए हाज़िर है........

कुश ने जिन्दगी की अदभुत परिभाषा रच डाली......जिसे पढ़ कर मन को हौंसला मिला कि सच में लाइफ खट्टी मीठी संतरे की गोली है.....

लाईफ कभी भी लड्डू नहीं हो सकती.. ना ही हमेशा ये नीम सी होती है.. लाईफ तो होती खट्टी मीठी.. बिलकुल जैसे कच्चे लीम्बू की तरह.. वैसे तो इसे नींबू भी कहा जा सकता है.. पर जो मज़ा लीम्बू में है वो नींबू में कहा.. ?

समीरजी हारे यौद्धा की बात करते हुए भी ज़िन्दगी को कुछ इस तरह से देखते हैं......

------ जिन्दगी एक समझौता नहीं, अपनी शर्तों पर जीने का सलीका है.

सच में जिसे यह सलीका आ जाए .... ज़िन्दगी उसके लिए आसान हो जाए....

अनूपजी की पुरानी पोस्ट इसलिए याद आई कि दिल्ली में बहुत कम लोगों को मुस्कराते देखा..... यह पोस्ट हमारे लिए पान के ताज़े पत्ते में खूब सारे गुलकन्द वाली पोस्ट है.......

हंसी की एक बच्ची है
जिसका नाम मुस्कान है

एक निर्मल हंसी अनेक दुखों को दूर कर देती है। हंसी एक नियामत है। दुख तो समाज में हैं हीं। विसंगतियां भी हैं। हर बात पर हंसते रहना अच्छी बात नहीं। लेकिन हंसने के मौके गंवाना भी कम बुरी नहीं।

लोगों को लगता है कि अगर वे हंसने लगे तो लोग उनको गम्भीरता से न लेगें। अनुशासन के नाम अपने चेहरे पर इस्पात चढ़ाये रहते हैं। उनको यह अंदाज ही नहीं होता कि इस्पात पर जंग लग जाता है।

यही कामना है कि सभी हँसते मुस्कुराते रहें.... दुख भी खिलखिलाने लगेगा.....

हँसने खिलखिलाने वाले लोगों को साठ से ऊपर वाली आज़ादी भी बड़ी क्यूट लगती है.......

………. बड़ी क्यूट है अपनी आजादी ……देश अपना भौत बड़ा है। आजादी भी इसी हिसाब से भौत है। हर जगह आजादी ही आजादी। हरेक को लुटने की आजादी है, हरेक को लूटने की आजादी है। हरेक को पिटने की आजादी है, हरेक को पीटने की आजादी।

इस आज़ादी को कुछ इस तरह भी भुनाया जा रहा है....... रवीशजी ही नहीं हम भी समझ नहीं पा रहे कि आखिर यह माजरा क्या है.........

पता नहीं जसवंत ने जिन्ना के बहाने संघ का विरोध किया है या कांग्रेस का। समझना मुश्किल है कि जिन्ना की बजाय नेहरू को ज़िम्मेदार बताने के पीछ मकसद क्या है? नेहरू की आलोचना होनी चाहिए लेकिन जिन्ना को एक लाइन का कैरेक्टर सर्टिफिकेट देना कहां तक सही है।

जसवंत सिंह की किताब ६९५ रुपये की है जब इतना खर्च करेंगे तो बरनवाल जी की किताब १५० रुपये में खरीद ही लीजिएगा। राजकमल ने छापी है। साथ में सलील मिश्र की किताब भी खरीदें ताकि एक साथ पढ़ने से बात को नया परिप्रेक्ष्य मिले।

आज़ादी के दिवस पर हरकीरत हक़ीर के लिए .......... धुआं - धुआं है आसमां.......

अपने आसपास देखकर यही भाव हमारे मन में भी आता है.....

धमकी , धमाके , लूट ,कत्ल ,पहरण

है चारो ओर अम्नो-चैन की बर्बादियाँ

बेखौफ फिरते हैं आतताई लिए हाथों में खंजर

है मेरे हाथों में खूं से सनी रोटियाँ

मौत का स्वयंवर रचने वाले काश महक की तरह एक पल सोच पाते तो सरहदें ही न होतीं....

चारों तरफ अमन चैन और भाईचारे की खूबसूरती ही दिखाई देती....

मौत की दुल्हन का भी स्वयंवर होता है | वो अपने साथ खूबसूरत से खूबसूरत जवान लेके जाती है | मगर मौत का ये स्वयंवर सरहदों पर इंसान रचता ही क्यूँ है?

स्वप्नलोक के विवेकसिंह पैनी नज़र रखते हैं.... आजकल के हालात बखूबी बयाँ कर रहे हैं...

आजकल लोग घरों में जब अलमारियाँ तक नहीं बनवाते तो भला ताक क्या खाकर बनवायेंगे ? और बनवाएं भी क्यों आजकल दीपक रखने के लिए ताक की जरूरत ज्यादा इसलिए नहीं पड़ती कि बिजली सब जगह पहुँच गई है । जब दीपक ही नहीं तो भला ताक का क्या काम ? कुछ पुरानी ताक बची हुई हैं । और इधर ताक पर रखी जाने वाली चीजों की मारा बढ़ रही है । अब तो जो चीज पसंद न आए तुरंत ताक पर रख दी जाती है । सहनशीलता तो जैसे लोगों को छू तक नहीं गई .

शास्त्रीजी आप तो दूरदर्शी हैं...ज़रा ध्यान दीजिए कि शिक्षा का प्रकाश अगर देश में फैलने लगेगा तो देश पर शासन करने वालों का भविष्य अन्धकारमय नहीं हो जाएगा.....!!

सरकारी स्कूलों का ह्रास निजी स्कूलों को लूट का अवसर देता है. इतना ही नहीं समाज के एक बहुत बडे तबके को अशिक्षित रहना पडेगा क्योंकि वे निजी विद्यालयों में बच्चों को भेज नहीं सकते और बोर्ड की परीक्षा के हट जाने से सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों की बची खुची जिम्मेदारी भी खतम हो जायगी.

संगीता शानू का मन पखेरू उड़ चला मासूमियत की उस तस्वीर को देखने ...जिसे देखते ही मन बेचैन हो उठता है...

मासूम अबोध आँखों को घेरे
स्याह गड्ढों ने भी शा
यद
वक्त से पहले ही
समझा दिया था उसे
कि सबको खिलाने वाले उसके ये हाथ
जरूरी नही की भरपेट खिला पायेंगे
उसी को....

रचना का शुक्रिया जिनके कारण संगीता अग्रवाल जैसी शख्सियत को जानने का मौका मिला. ऐसे लोगों की आज के समय में बेहद ज़रूरत है.....

निर्मेश त्यागीजी लिखते हैं.......

एक खामोश मुहिम में जुटी हैं दिल्ली की संगीता अग्रवाल। हर सुबह उनको फिक्र रहती है एक ऐसे तबके के बच्चों की, जो आजादी के छह दशक बाद भी उपेक्षित है। इन बच्चों को वह पढ़ना-लिखना तो सिखाती ही हैं। साथ में बेकार घरेलू सामग्रियों को कलाकृतियों की शक्ल देने के गुर भी बताती हैं…….

नीरज बधवार ने मशीन की मानवता का बहुत बढ़िया बखान किया है .........

जिम में जिस मशीन पर मैं दौड़ रहा हूं, उसके परिजनों ने उसका नाम ट्रेड मिल रखा है। हर बार दौड़ ख़त्म करने पर इसकी स्क्रीन पर लिखा आता है-कूल। मशीन के इस शिष्टाचार पर मुझे खुशी होती है। वह दौड़ने वाले को अपनी तरफ से कॉम्पलीमेंट देती है। उसका हौसला बढ़ाती है। मगर आज मैं दो-चार मिनट में ही रुक जाता हूं। डर है कि आज वो लानत देगी। पर आश्चर्य...दो मिनट दौड़ने के बावजूद सामने लिखा आता है-कूल। .......

ऐसा ही कुछ हाल एटीएम मशीनों का भी है। इंसानों से पैसे लेते समय आप दसियों बार गिनने के बाद भी आश्वस्त नहीं हो सकते, मगर एटीएम मशीनें ऐसी गड़बडी नहीं करतीं।......

ये मशीनें संवेदनशीलता, ईमानदारी और अनुशासन का पर्याय बन गई हैं। लोग शिकायत करते हैं कि इंसान मशीनी हो गया है...पर मैं इंतज़ार कर रहा हूं कि इंसान ऐसा मशीनी कब होगा?.............

इसमें कोई दो राय नहीं कि मशीन से ज़्यादा मनुष्य की महत्ता है.... अरविन्दजी की छोटी सी बात में गहरा अर्थ छिपा है...... मशीन नहीं मनुष्यता सर्वोपरि है ---- समीरजी इसे ब्रह्म वाक्य मानते हैं तो हरकीरत कहती हैं.... ..मनुष्य के मस्तिष्क में ही ब्रेन इम्प्लान्ट्स लगा दिए जायेगें जो सीधे ब्रेन टू ब्रेन संवाद में सक्षम हो जायेगें .

रज़ी शहाब के अनुसार.......

कितनी अजीब होती हैं ये लड़कियां ...कितना अच्छा लगता है उन्हें सपनों में जीना ...बचपन ही से किसी नामालूम और अनजान से चेहरे पर फ़िदा हो जाती हैं , सपनों में आने वाले घोङसवार को अपना शहजादा बना कर हर लम्हा हर पल उस के नाम की मालाएं जब्ती हैं ... उस के साथ जीने के ख्वाब बुनती हैं......

रंजना भाटिया के शब्द-भाव,,,,एहसास उसी ख्वाब की बात कर रहे हैं....... उनके इस प्यारे से एहसास ने मन को मोह लिया....



















चलते चलते नज़र गई 'हिन्दी ब्लॉगिंग की देन' पर.....जिसमें ब्लॉग जगत से दूर गए चिट्ठाकारों की कमी महसूस की गई..... जिनमें एक नाम हमारा भी है....इंसान की स्वाभाविक प्रवृति है कि लोग उसकी कमी महसूस करे... ऐसा होने पर उसे लगता है कि दूसरों के जीवन में उसकी महत्ता है... ब्लॉग जगत से दूर रहने के कई कारण थे और हैं.... जिनके बारे में जल्दी ही विस्तार से लिखेगे... !

Post Comment

Post Comment

23 टिप्‍पणियां:

  1. खुशी की बात है जो बच्चा सकुशल है। शुभकामनाएं।

    इसी बहाने एक सुन्दर चर्चा।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  2. चिट्ठा चर्चा में आपको देखकर मन संतुष्ट हुआ । प्रसन्नता हुई कि आपका बच्चा सकुशल है । आपकी चिट्ठों की चर्चा का तरीका संवेदित करता है - बेहतर लिंक तलाशे हैं आपने । अल्पना जी की पुरानी प्रविष्टि का जिक्र इस चर्चा को अर्थवत्ता प्रदान करता है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. पढ़ कर अच्छा लगा कि बेटे की सर्जरी सफल रही।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेटे की सफल सर्जरी की बधाई ...!!

    जवाब देंहटाएं
  5. आपको लौटा देखकर भौत खुशी हुई जी। चर्चा पढ़कर अच्छा लगा। बेटे के स्वास्थ्य सुधार के लिये मंगलकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेटे को स्नेहाशीष और आपके यहाँ नियमित होने की कामना !

    जवाब देंहटाएं
  7. आपको इतने दिनों बाद देखकर काफी अच्‍छा लगा .. बेटे का आपरेशन सफल रहा .. उसके स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार है .. यह जानकर बहुत खुशी हुई।

    जवाब देंहटाएं
  8. आपका स्वागत व परिवार हेतु असीम मंगलकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  9. आप लौटी ब्लॉग जगत में, खुशी हुई।
    वरूण के स्वास्थय सुधार हेतु मंगलकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  10. बेटे की सफल सर्जरी के लिये बधाई और शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  11. मीनाक्षीजी,
    आपके बेटे की सेहत के लिए प्रार्थना ।

    जवाब देंहटाएं
  12. चिट्ठा चर्चा मे फिर से लौट आयी हो,
    बधाई।
    वरूण के स्वास्थ्य लाभ के लिए मंगलकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  13. परिवार हेतु असीम मंगलकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  14. बेटे की सफल सर्जरी के लिये बधाई और शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  16. कर दिया सबको पराया
    दे कर शुक्रिया
    ये तुमने अच्छा नहीं किया
    वरुण को बधाई
    उसकी बहादुरी ही अंत मे
    काम आयी
    बाकी सब ने क्या किया
    फ़ोन किया
    अरे शुक्रिया कहना हैं तो उस
    ऊपर वाले का कहो
    जिसने वरुण सा बेटा
    हम सब को दिया

    जवाब देंहटाएं
  17. वरुण के ठीक होने बधाई ...ढेर सारी शुभकामनाएं ...बहुत दिनों बाद आपका लिखा पढना अच्छा लगा शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

  18. आपरेशन सफ़ल रहा, वह तो होना ही था !
    ब्लागजगत की दुआयें, और भारतीय डाक्टरों की ज़हीनी पर आपका भरोसा बना रहे,
    वरूण आगे भी स्वस्थ रहेगा । मैं खुले-आम आपको मिस न कर पा रहा था, रचना की पोस्ट ने मुझे यह अवसर दिया । धन्यवाद रचना ( जी ) !

    रही बात इतने दिनों तक अलग अलग किसिम डाक्टरों को परखने की, आपने परखा है तो ठीक ही परखा होगा ।
    उनके सींग-पूँछ का जिक्र ग़र अपने ही ब्लाग पर कर दें, तो पर-सन्न-अता होगी । यहै सब खुलासा जानबै को, ’कुश-कुश हो रहा है ।’
    नये पुराने लिंकों का सम्मिश्रण आपने अच्छा बेक किया है । खुशबू तो यही बता रही है |

    जवाब देंहटाएं
  19. बेटे के स्वास्थ की जानकारी से बहुत राहत महसूस हुई...इश्वर उसे हमेशा खुश रक्खे...आप ब्लॉग जगत में लौट आयीं हैं देख बहुत अच्छा लग रहा है...स्वागत है.
    बहुत रोचक चिठ्ठा चर्चा की है आपने...बधाई..
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  20. aa[ko wapas aaya jankar khusi hui..warun ko ashish aur mangalkamnayen..bure din jaldi bitate hain.

    जवाब देंहटाएं
  21. बेटे के स्वास्थ्य सुधार के लिये मंगलकामनायें......बाकी आपके द्वारा चीर-फाड़ का अंदाज़ हमें भी भा गया.....काश हम भी ये अगरकर पाते.....धत्त तेरे की.....फिर आप क्या काम आते......!! मगर हाय हम इस तरह के सर्जन क्यूँ ना हुए.....और कुछ नहीं तो कम्पाउन्दर ही बन ना जाते.....!!....एक बार फिर बेटे के स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं....!!

    जवाब देंहटाएं
  22. आप सभी मित्रों का शुक्रिया... शुभकामनाओं और प्रार्थनाओं का बहुत महत्त्व होता है...
    @रचना, काव्यात्मक टिप्पणी पढ़कर तो हम निरुत्तर हो गए..
    @डॉ अमर..जब भी पहली पोस्ट लिखेंगे उसमें दिल्ली के अस्पतालों और यहाँ रहने के अनुभवों का ब्यौरा होगा...

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative