शनिवार, नवंबर 18, 2006

द्विपक्षीय वार्तालाप के आकांक्षी

प्रतीक को लगता है भारत में माईटी हार्ट फिल्म की शूटिंग पर पधारे ब्रेंजेलीना ने बॉडीगार्ड को भारत की हवा लग गई है तभी तो सारे नियमों को ताक में रख दादागिरी करते फिर रहे हैं। पुणे में इन्होंने एक छायाकार की गर्दन लगभग मरोड़ ही दी, एक स्कूटर सवार को टक्कर मार दी, जयपुर में बिना इजाजत अपना निजी विमान उतार लिया और अब मुंबई में एक स्कूल में बिना घोषणा शूटिंग और अभिभावकों से धक्कामुक्की। वैसे शुरुवात में सूरते हाल यह था कि "जब ब्रेंजेलीना न राज़ी, तो क्या करे पापाराज़ी", दोनों मीडिया को अपनी परछाई से भी दूर रख रहे थे और अब हर तईं बेशुमार चित्र छप रहे हैं, भई पहले ही ये काम हंसी खुशी करने देते। खामख्वाह तैश खाने का (या गीतकार समीर के अंदाज़ में कहें तो "हद से गुज़र जाने" का) जो चरित्र इन पहलवानों ने भारत में चटपट आत्मसात कर लिया वो वाकई कमाल का है, इसी प्रविष्टि में संजय की टिप्पणी पर नज़र डालें, कहते हैं,
"'ब्लडी इंडियन' सुन कर इतना गुस्सा आया था की इच्छा हुई बन्दे को वहीं जमीन में गाड़ दें. अब कम से कम उस पर मुकदमा तो चलना ही चाहिए. क्योंकि इस गाली के साथ हमारी राष्ट्रीयता जुड़ी हुई है."
इसके बावजूद प्रिय रंजन भारत की सॉफ्ट नेशन की छवि से परेशान हैं

कभी चैट के समय जीतू ने एक बार मुझे कहा था कि जैसे ही हिन्दी का प्रचलन नेट पर बढ़ेगा सेक्स से लेकर जूते चप्पल बेचने वाले भी "यूनीकोड शरणम् गच्छामि" की तोतारटंत शुरु कर देंगे। अपनेराम का कहना था कि हम तो बस इतना चाहते हैं कि नेट पर हिन्दी की जयजयकार बढ़े, बस! अमिताभ ने दिल्ली में संपन्न भाषाई अखबारों के संपादकों के सम्मेलन का ज़िक्र किया है, अपने शशि भी वहां आमंत्रित थे, जहाँ तक मुझे पता है विहिप के तत्वावधान में यह आयोजन था। तो "द्विपक्षीय वार्तालाप" के आकांक्षी चाहते हैं कि अपना "हिन्दू" नेट सर्फिंग के वक्त भी सोता न रहे और "वैश्वीकरण की बाजारमूलक शक्तियों के सबसे बड़े हथियार" का उसी हथियार से जवाब दे। भले ही यह अस्त्र "पश्चिमी आविष्कार हो" पर "भारत की विविधतावादी संस्कृति" को नुकसान पहुंचाते "जेहाद" और "कण्डोम संस्कृति" के खिलाफ महाआरती का यह मंच बड़ा सुहाना लगता है। तो जीतू भाई, "अधिक से अधिक लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिये लोकशिक्षण से जन-जागरण की तकनीक अपनाने" का समय आखिरकार आ ही गया, आपके अनुमान से कहीं पहले! जय हो! रचनाकार पर प्रकाशित हास्य रचना "कंप्यूटरजी को एक ख़त" में गोपाल चतुर्वेदी ने लिखा है,
"भारत ज्योतिष संघ हर गांव में एक कंप्यूटर-मंदिर बनवाने को प्रस्तुत है. लोग आज जैसे हनुमानजी की शरण में जाते हैं, वैसे ही आपके दर्शन को जाएंगे. मन्नतें मानेंगे, चढ़ावा चढ़ाएंगे. हमारा पुजारी प्रसाद पाएगा. नाम आपका, नामा हमारा! आप करोड़ों देवताओं की श्रेणी में आ जाएंगे।"
हिन्दी ब्लॉगर ने न्यू साईंटिस्ट पत्रिका के विशेषांक की चर्चा की है। मानव अंगों की फार्मिंग से प्रत्यारोपण में आंदोनकरी परिवर्तन और अंतरिक्ष विज्ञान में लंबी छलांग जैसे मानव और पृथ्वी के भविष्य से जुड़े लोमहर्षक और अविश्वसनीय तथ्यों का उल्लेख किया गया है। यूनीवर्सिटी ऑफ़ ब्रिटिश कोलंबिया के डेनियल पॉली की एक भविष्यवाणी का ज़िक्र करते वे लिखते हैं,
"कुछ दशकों के बाद पूरी दुनिया शाकाहारी होनेवाली है. दरअसल पॉली साहब एक ऐसे यंत्र की कल्पना साकार होते देख रहे हैं, जिसके ज़रिए हम जंतुओं की भावनाओं और विचारों को जान सकेंगे, महसूस कर सकेंगे. ऐसे में किसी विचारवान जीव को मार कर खाने की अनैतिकता भला कितने लोगों को पचेगी!"
इस पर अतुल ने टिप्पणी की,
"लेकिन इन विज्ञानियों को अगर जगदीश चंद्र बसु का शोध याद आ जाता, जिन्होनें पौधों की भावनायें होने का प्रमाण दिया था, तब मनु्ष्य के खाने को क्या बचता?"
मनीष ने उमराव जान के लिये लिखे जावेद अख़्तर के मर्मस्पर्शी गीत "अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो" की प्रशंसा की तो रचना खुद को अपनी कविता बेटी प्रकाशित करने से रोक न सकीं।
सब कामों को वो कर लेगी,
सब मुसीबतें वो हर लेगी,
सबके सपने सच कर देगी,
उसके सपने तो बुनने दो!!!
उन्मुक्त ने पटना की महिला न्यायाधीश लीला सेठ की आत्मकथा आन बैलैंस का रोचक वर्णन किया है। लीला नामचीन लेखक विक्रम सेठ की माता हैं। यह प्रविष्टि इतनी अच्छी है कि इस पर समाजवादी जनपरिषद ने भी टिप्पणी की है ;) हितेंद्र ने अर्थशास्त्री फ्रेड्रिक आगस्ट की पुस्तक का ज़िक्र किया है, पुस्तक को डाउनलोड करने की कड़ी भी दी है उन्होंने।

उधर समीर अपनी "लाल बत्ती की गाड़ी" से भावविभोर हो गये और लगे तरकश सलाम ठोकनें, तीर से बचने के लिये। ये रहा उनको लगा एक तीर,
"कोर टीम में पोस्ट लेते समय तो बड़े खुश दिख रहे थे, कोई सरकारी कापरेटिव समझ रखा है क्या, कि बस अध्यक्ष बन गये, लाल बत्ती की गाड़ी मिल गई, अब ऐश करो, काम करने की क्या जरुरत"।
खबरिया जी के हरिराम नाई "एक्सक्लूज़िव" खबर लाये हैं कि लोहा मंत्री राम विलास पासवान को आने वाले दिनों में लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं। पर भैये जो खबर पहले ही चैनलवा पर आ गई (edited word) वो काहे की एक्कूलूजिब?

बढ़िया चिट्ठे पूंजी बाजार में जगदीश यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंश प्लान यानि युलिप के फायदे गिना रहे हैं। हिन्दी चिट्ठाजगत में इस तरह के विषयों पर टॉपीकल ब्लॉग की काफी कमी है। कितना ही अच्छा हो अगर हिन्दी लिखने पढ़ने वाले विविध पेशे से जुड़े लोग, डॉक्टर, चित्रकार, वैज्ञानिक अपने हिन्दी चिट्ठे शुरु करें।

आज की फोटो

आज का चित्र डॉ सुनील के चिट्ठे सेः

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4 टिप्‍पणियां:

  1. दे आये पर दुरुस्त आये.
    मध्यान्हचर्चा का भी काम आपने निपटा दिया. आज धृतराष्ट्र को कोफी नसीब नहीं होगी :(

    खुब सुन्दोर.

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  2. देबाशीषजी उक्त अभिनेत्री का नाम ब्रेंजेलीना नहीं एंजेलिना है

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  3. brangelina ka matlab hota brad pitt aur angelnia. ye dono ka mixed naam hai bhuvnesh ji.
    bebu bhai. khabariya ki khabar mei exclusive aap ne samjha hee nahi. lagta hai hamari hi kismat kharab thi jo kisi ke samajh nahi aaya. he he

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  4. देर से लिखा लेकिन लिखा तो अच्छा क्या बहुत अच्छा लगा.

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