बुधवार, जनवरी 17, 2007

बसंती की अम्मा

कभी कभी दिल, आखिर दिल ही तो है, अपनी उड़ान भरने का मन बना ही लेता है और हमारी दिलेरी, कि हम अपने चैट द्वार पर उसका बोर्ड भी लगा दिये कि "एक आग का दरिया है और डूब के जाना है." हमारी ही सागर भाई भी अपना गाना टांगे थे "बेहुदा मजाक" .अरे, हम तो इस बारे में फिर पोस्ट लिख कर स्पष्ट कर देंगे मगर फुरसतिया जी खुब लपेटे. लपेटे तो लपेटे और कहे, पढ़ो. पढ़े, ये तो भला हो उपर वाले का कि हमारी बीबी ब्लाग में वही पढ़ती हैं जो हम उससे कह देते हैं. बस बच ही गये, नहीं तो न जवाब देते बनता न चुप ही रह पाते. आप भी पढ़ें, आग का दरिया, बसंती की अम्मा और कुछ हायकु, क्या तबियत से बात का बतंगड़ बनाया गया है एक सज्जन पुरुष( चोरी जब तक पकड़ी न जाये, चोरी थोड़ी कहलाती है) का, बल्कि एक का ही नहीं कईयों का.



बहरहाल जैसे घरों में लोग अपने नाम लिखते हैं वैसे ही लोग अपने नाम के आगे कुछ न कुछ संदेश लिख लेते हैं। जैसे रेलवे स्टेशन, एअरपोर्ट पर रिसीव करने वाले ड्राइवर तखती लगाकर आने वाले के स्वागत में खड़े रहते हैं। इसमें भी अजीब घपला है जो अपने यहां उपलब्ध की तखती लगाता है वह जवाब नहीं देता और जो व्यस्त रहता है वह सबसे ज्यादा गपियाता है। कहीं कनाडा में बर्फ गिरती है तो मानसी उसे अपने बक्से में सजा देती हैं। गिरिराज जोशी बहुत दिन तक सागर भाई को हंसाना है की तखती लगाकर रुलाते रहे।


और आगे:


सागर भाई के कल के गुस्से को देखकर मुझे शोले सिनेमा में पानी की टंकी पर चढ़े वीरू की याद आ गयी। सागर भाई वीरू की तरह धमकी दे रहे हैं और हम बसंती की अम्मा की तरह उनको उतारने में जुटे हैं। अब यह अलग बात है कि सागर भाई के निर्मल मन के कारण वे बसंती के लिये जिद नहीं करते और बसंती की अम्मा का ही कहना मान लेते हैं। लेकिन भैया ये बार-बार टंकी पर चढ़ना अच्छी बात नहीं! कहीं धोखे में एक और बसंती मिल गयी तो कंगाली में आटा गीला होगा!



मन घबराया तो भागे और मनीष भाई के दरवाजे पहुँचे. मालूम था पहले से कि अभी तो १७ गाने बजने है, तो कोई न कोई बज ही रहा होगा. सच में, १७ वाँ वाला रिकार्ड चालू था, मन बहल गया. बोले, सुबह सुबह ये क्या हुआ, हम कहे भईया, फुरसतिया जी ने हमें खुब लपेटा है, बस यही हुआ. बोले, चुप!! तुमसे नहीं पूछ रहे हैं, यही १७ वाँ गाना है. हम तो चुप हो गये मगर जीतू को चुप कराओ तब जानें. कभी कागज से, विडियो देखकर, खिलौने बनाओ और भी जाने क्या जुगाड़ लिये हल्ला मचा रहे हैं. इतने पर भी चैन कहाँ, अब ज्ञान भी लो कि कैरियर की यात्रा पर निकलते समय क्या क्या ले जाना है साथ वो बता रहे है और खुद की बात भूल गये. मोमबत्ती तो रखी ही नहीं सामान में या कि बाहर जाओगे तो जिप बोलेगी कि घर लौटो तब फसूँगी. लगे हाथ एक बेहद जरुरी ज्ञान, लगभग फ्री में, आशिष दे गये कि आप अपने कैसेट को एम.पी.३ में कैसे बदलें ,पसंद आया भाई!!

हम कन्फ्यूलिया गये तो सोचे यार कहीं कायदे से कविता वगरैह सुनें. तो ढ़ेर सारी चाँद तारा रोशनी दिखाई दी हिन्दी युग्म पर. हम सरल हृदय व्यक्ति, पूछ बैठे यार, है तो बेहतरीन मगर कितना और कब तक सुनाओगे-बोले जब तक ईनाम नहीं मिल जाता!! उनकी इच्छा, मंच तो सही है, लिखे भी अच्छा हैं, अब ईनाम में तो हमारा दखल है नहीं वरना दे देते. बस शुभकामना दे देते हैं.


चंद पत्थर के टुकडे दिखा कर
चाँद के पत्थर होनें का दावा करते हो
झूठे हो तुम
मैनें चाँद के सीनें में सिर रख कर धडकनें सुनी हैं
और बाहों में आ कर तो चाँद मोम हो जाता है...


अच्छा तो अब समझे, अगर कभी जीतू भाई वाले जुगाड़ में मोमबत्ती न मिले और चाँद निकला हो, तो उसे बाहों में भरने से भी काम चल सकता है. जीतू भाई, अपने ज्ञान वाले पिटारे में इस कविता को भी जोडिये.

और चलते हैं राकेश भाई की नई ताजा तरीन गज़ल सुनने, आधी लिखी रुबाई सा:

आँखों में रहता था मेरी, पलकों की परछाईं सा
आँखों से वो चला गया, चौराहे की रूसवाई सा


और फिर सुनाये आस्था घुल रही आज विश्वास में


ताल में ज्यों कमल पत्र पर से फिसल
ओस की बून्द लहरें जगाने लगी
नाम तेरे ने मेरे छुए जो अधर
सरगमें बज उठी हैं मेरी सांस में


वाह, वाह..बहुत खुब.

अंतरीक्ष जी लाये हैं एक ऐसा ग्रह जो सूर्य की परिक्रमा लुढ़क लुढ़क के कर रहा है, तो सुनील भाई भी विशालकाय गणपति जी महाराज की प्रतिमा ही ले आये. कोई क्यूँ रुके, इसी तर्ज पर मनीषा जी अतुल्य भारत की तस्वीरें दिखाने लगीं.

उपस्थित जी भी हमारा हाल देख कर एक जबरदस्त कविता सुना गये, प्रेम पगे छंद और मनोज भावुक जी ने एक से एक भोजपुरी गीत और गज़लें.

अफलातून जी बता रहे हैं कि कैसे एक भारतीय - मूल के अमरीकी नागरिक ने गांधीजी पर एक ‘व्यंग्य - विडियो ‘ बना कर यू-ट्यूब पर डाल दिया । भारत के कम - से - कम दो टेलिविजन चैनलों ने इस वीडियो को भरपूर दिखाया । इस सन्दर्भ में सम्बन्धित मंत्री को सम्बोधित याचिका पर आप भी अपनी सहमति और दस्तखत दे सकते हैं-कृप्या यहाँ जाकर लिंक देखें.

चलो यह सब करने के बाद जब आगे निकले तो देखते है कि क्षितिज भाई हिंसक युवा से परेशान है और अनुराग भाई, इनका तो कहना ही क्या, अपने तीन साल के बेटे के पीछे ऐसा पड़े हैं कि कुछ पूछो मत. यहाँ तक कि गाँधीगिरि के इस युग में अपनी पत्नी को भी हिंसा पर उतारु कर लिये है और वजह वही विदेशी कि लड़के को अंग्रेजी स्कूल में ही पढ़ाऊँगा. सोचो जरा, अगर आपके साथ भी यही जोर जबदस्ती की जाती तो आप ऐसे निकलते- अरे, हिन्दी ब्लाग लिखने को तरस कर रह जाते. मन के भाव मन में ही कौड़ी के भाव निलाम हो रहे होते. खैर, लिखे झक्कास हो और क्रमशः देखकर तसल्ली है कि अभी और लिखोगे एवं अंग्रेजी के लगाव के चलते यह आखिरी पोस्ट नहीं है. कम से कम एक और तो आयेगी ही. आप भी इंगलिस इस्कूल :


“मियाँ, बुरा मत मनना, ये कमबख़्त अंग्रेज़ी स्कूल ठीक से तालीम नहीं देते हैं। महज़ अंग्रेज़ी बोलना सिखा देते हैं। नींव पुख़्ता नहीं बनाते – हमारे और आप के मुकाबले में अंग्रेज़ी स्कूल के पढ़े लोग खड़े ही ना हो पायेंगे। अंग्रेज़ी भी काफ़ी गलत-सलत बोलते हैं और लिखते तो इतनी ख़राब हैं कि, मियाँ लाहौल विला कुव्वत, सिर्फ़ तरस ही आती है। आप हमारे ज़ाकिर साहब के भतीजे से नहीं मिले हैं, ताउम्र उन्होंने मदरसे में तालीम पायी और अब लंदन में रहते हैं और माशा अल्लाह क्या अंग्रेज़ी बोलते हैं कि गोरे भी पानी भरें!”


फिर प्रतीक भाई मिलवाये हालीवुड का रजनीकांत से और डॉ प्रभात टंडन जी पूरी डिटेल के साथ फोटू वगेरह के समेत सरवाईकल स्पान्डयलोसिस पर व्याख्यान दे रहे हैं.

अब जब चलने का वक्त आया, हमेशा की तरह विदा के समय आँख भरने लगी है तब आप बैठें नये साल की पहली गुलजार चौपाल पर .बहुत आन्नदित करता स्थल है, न मजा आये तब बताना.

अब चलें, नमस्कार!!


आज का चित्र:

अतुल्य भारत





गणपति जी महाराज:


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6 टिप्‍पणियां:

  1. हमारा तो यही कहना है चर्चा तो धांसू कर लिये लेकिन सीधे बसंती की अम्मा पर काहे आ गये? आग का दरिया में काहे नहीं डुबकी लगाये! खैर अब भी देर नहीं, अपने वायदे के अनुसार सारा सच बयान किया जाये भले ही वह झूठ काहे न हो!

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  2. जल्द ही वायदा पूरा किया जायेगा, महाप्रभू...थोड़ा सांस तो ले लें.

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  3. चिट्ठा चर्चा पर "जबरन टिप्पणी (अ)सुविधा" शुरु की जानी चाहिए, इसके अनुसार:
    चिट्ठा चर्चा की प्रत्येक चर्चा पर कम से कम दस टिप्पणी तो होनी ही चाहिए,ये देखना सभी चिट्ठाकारों की ड्यूटी हो। जो बन्दा टिप्पणी ना करे, उसके ब्लॉग की चर्चा महीन अक्षरो मे की जाए।

    तो भई इसे कब से शुरु कर रहे हो।

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  4. समीर भाई ,है आपमें व्यंग के साथ चुटकियाँ
    लेते शब्दों को बांधने की कला जो हमेशा मजेदार
    ही होती है...।

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  5. अभी देख रहा हूँ ति कुछ लाइनें दूसरे पेरा से पता नहीं कैसे गायब हो गई:

    मन घबराया तो भागे और मनीष भाई के दरवाजे पहुँचे. मालूम था पहले से कि अभी तो १७ गाने बजने है, तो कोई न कोई बज ही रहा होगा. सच में, १७ वाँ वाला रिकार्ड http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/01/17.html चालू था, मन बहल गया. बोले, सुबह सुबह ये क्या हुआ, हम कहे भईया, फुरसतिया जी ने हमें खुब लपेटा है, बस यही हुआ. बोले, चुप!! तुमसे नहीं पूछ रहे हैं, यही १७ वाँ गाना है. हम तो चुप हो गये मगर जीतू को चुप कराओ तब जानें. कभी कागज से, विडियो देखकर, खिलौने बनाओ http://jitu.info/jugad/?p=100 और भी जाने क्या जुगाड़ लिये हल्ला मचा रहे हैं. इतने पर भी चैन कहाँ, अब ज्ञान भी लो कि कैरियर की पहली नौकरी कौन सी करें http://khazana.crispyideas.com/article/show/57470/__ . कर तो लें मगर मिले तो. लगवाओगे क्या? फिर पता नहीं कब मुसीबत में फंसे थे, कहते हैं कि चेन फंस जाये http://khazana.crispyideas.com/article/show/57471/__ तो मोमबत्ती रगडो..अब बाथरुम जाओ तो याद रखना खीसे में मोमबत्ती जरुर रहे, कहीं जिप फंस गई, तो. फिर यात्रा पर निकलते समय क्या क्या ले जाना है साथ http://khazana.crispyideas.com/article/show/57521/____ वो बता रहे है और खुद की बात भूल गये. मोमबत्ती तो रखी ही नहीं सामान में या कि बाहर जाओगे तो जिप बोलेगी कि घर लौटो तब फसूँगी. लगे हाथ एक बेहद जरुरी ज्ञान, लगभग फ्री में, आशिष दे गये कि आप अपने कैसेट को एम.पी.३ में कैसे बदलें http://khazana.crispyideas.com/article/show/57517/____ , पसंद आया भाई!!

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  6. मजेदार रहती है आपकी चर्चा ! पढ़ने में हमेशा आनंद आता है ।

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