मंगलवार, जनवरी 30, 2007

आज चिट्ठों की चर्चा शुरु जो करी,
सोच में पड़ गया कि कहां से करूँ
किस को छोड़ूँ, किसे मैं समेटूँ यहाँ
और किसको कहाँ पर उठा कर धरूँ
एक चिट्ठे पे कोई नहीं पोस्ट है
लिख के ये पोस्ट वो कर गये देखिये
और जिसने लिखीं तीन टुकड़ों में है
आप बतलाईये,उसका मैं क्या करूँ

जो न जाना कभी छंद को काव्य को
खुद को अच्छा कवि वो बताने लगा
मिल गये राह में जब प्रतीक एक दिन
बन के अवसाद उनको सताने लगा
काव्य की राह का वो भगत सिंह बने
निर्णय् पांडेय जी ने लिया अंत में
उस घड़ी से कहानी की बाजीगरी
का सितारा गगन जगमगाने लगा

जगमगाते हुए ढेर तारे लिये,
यान पर ले चले साथ आशीषजी
और मन को लुभा ले जो वो साथ में
ले के आये हैं दो दो ये तस्वीर भी
जोगलिखी खबर ये भी आई यहाँ
इक नया शब्द का कोश उपलब्ध है
और अपना किचन लाये जर्मन,क्षितिज
पकती टर्की जहां पर मलाई भरी

जिनका तकनीकियों से न परिचय अधिक
लाये हैंउनकी खातिर नितिन कुछ नया
अपने चिट्ठे पे लेबल् लगा लीजिये
काम सारा ये झटपट ही पूरा हुआ
काम अब शेष नारद के जिम्मे रहा
किसको किस पॄष्ठ पर वो सजा कर रखे
अब चलूँ मैं भी शुभ रात्रि कह आपको
आज चर्चा का यह काम पूरा हुआ.


आज की टिप्पणी: मेरा हिन्दी चिट्ठा पर


बनवारी ही गया इस दुनिया से, ऐसा जान पड़ता है. नई ब्लाग की कोई सूचना तो दिख नहीं रही. :)अब आपसे मिलने के पहले हवलदार को साथ लायेंगे, ऐसा तय पाया गया है. :)
By उडन तश्तरी, at 11:57 PM


आज की फोटॊ:-

क्योंकि हर कोई बर्फ़ और सर्दी की बात कर रहा है


Post Comment

Post Comment

6 टिप्‍पणियां:

  1. ये तो तस्वीर मे मै ही दिख रहा हूँ. बड़ी हालत खराब है राकेश भाई ठंड से. बस काव्य चर्चा सुन थोड़ी गर्मी आई. :)

    जवाब देंहटाएं
  2. अंत में तस्वीर दिखा कर ठंड के अहसास को बढ़ा दिय.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सही, एक कविता मे ही सबको निबटा दिया।
    यार! कवि होने का ये तो फायदा होता ही है।

    बहुत सही चिट्ठा चर्चा। तस्वीर बहुत सुन्दर है, देखकर ही ठन्ड लग रही है।

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छी चर्चा। धन्यवाद।
    मेरा अनुमान बिल्कुल ठीक था। उत्तर अप्रत्यक्षतः समझ लिया गया है।
    अब मैं अपने सभी नारद के संचालक-बंधुओं से विनम्र निवेदन करती हूँ कि मैं ने नारद-मंच को हिंदी का रखवाला समझा है। स्वतंत्र लेखन जो अनैतिक न हो, जो सांप्रदायिक न हो, जिससे देश और मानवता को किसी रुप में भी क्षति न पहुँचती हो उस लेखन पर प्रति बंध लगाना किसी का दम घोटने जैसा है।
    मैं लेखन मात्र शौकिया बिना किसी छदम-भावना के करती रहती हूँ, प्रतिबंध मुझे स्वीकार नहीं है इसलिए कृपा करके मेरे ब्लॉग का नाम नारद से हटा दें।
    -premlata

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रेमलता जी यदि आपको नारद से कोई शिकायत है तो नारद जी को इमेल करिए, यदि शिकायत का समाधान ना हो तभी आप सार्वजनिक मंच का प्रयोग करिए।

    जवाब देंहटाएं
  6. कविताओं का हर मोड़ कभी कुछ भी नहीं कहता,
    भटकते हैं हम शब्दों में उजाला…ढूढ़ने को
    पर हर चर्चा…परिचर्चा नहीं बनता…

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative