इस असली फेरयवेल स्पीच के मजे लें:
कुछ बीती बातों का छोड़ रहा हूँ फव्वारा,
सायोनारा|
दिल कि डायरी का है यह सार सारा,
सायोनारा|
इस कविता में अपनी पहचान ख़ुद से है करारा यह बेचारा,
सायोनारा|
सुबह घंटी बजने के ५ मिनट बाद नियमपूर्वक क्लास में है आरा,
सायोनारा|
बिना पास के साइकिल स्टैंड वाले को दस रुपये का किया इशारा,
सायोनारा|
बिन पॉलिश के जूतों और लंबे बालों को लिए क्लास में है घुसा जारा,
सायोनारा|
डायरी न लाने पर एक दोस्त के कवर व बाकी से पन्ने लेकर असेम्बली में जाने की जुगाड़ है बिठारा,
सायोनारा|
एडवर्ड सर की नजरों से बचने के लिए गंदे जूते पैंट से है घिसे जारा,
सायोनारा|
छोटे कद का होकर भी असेम्बली की लाइन में सबसे पीछे है लगा जारा,
सायोनारा|
प्रयेर के टाइम पे गर्लफ्रैंड के किस्से है सुनारा,
आगे पूरा स्पीच पढ़ें अर्पित गर्ग के चिट्ठे पर
बहुत बढिया,मज़े के साथ-साथ बहुत कुछ याद भी आ गया।
जवाब देंहटाएंजय हो रतलामी जी की ! समझ गए !! सायोनारा !!!
जवाब देंहटाएंस्पीच द जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंउअतई टिपिया आए इत्तै सुयी टिपियाएंगे
जवाब देंहटाएंहजूर चिठन-जगत पे बैठ खैं बीढ़ी सुलगाएँगे
मन भावन कुछ लुभावन चिट्ठे मिलतई भैज्जा
चिट्ठे तक हम जाएँगे टिपियाएँगे
सायोनारा|सायोनारा|सायोनारा|सायोनारा|सायोनारा|
फ़िर गाएंगे
फ़िर गाएंगे