लिखने के तमाम बहाने आपने सुने होंगे। प्रत्यक्षा अपने लिखने की बात बताती हैं| उनके लिये लिखना एक तरह का कदमताल है। इसके अलावा:
लिखना एक तरह का डीटैचमेंट है । सब भोगते हुये भी उसके बाहर रह कर दृष्टा बन जाने का । इसी रुटीन रोज़मर्रा के जीवन में एक फंतासी रच लेने का और फिर किसी निर्बाद्ध खुशी से उस फंतासी में नये नवेले तैराक के अनाड़ीपन से डुब्ब से डुबकी मार लेने का । लिखना जितना बड़ा सुख है उतनी ही गहरी पीड़ा भी है , जितना अमूर्त है उतना ही मूर्त भी , जितना वायवीय उतना ही ठोस और वास्तविक भी । और सबके ऊपर , लिखना खुद से सतत संवाद कायम रखने की ज़िद्दी जद्दोज़हद की बदमाश ठान है । किसी सिन्दबाद के कँधों पर जबरजस्ती सवार शैतान बूढ़ा है , लिखना ।
- पथरीले रास्ते :पर चल पड़े प्रभात
- छू ले आसमां: निरंतर छूते रहें
- कुछ इस तरह:ब्लाग पर कवितायें लिखीं मैंने
- :अरुण उपाध्याय: राजस्थानी समाज से हैं
- गोला की दुनिया: में कोई गोलमाल नहीं
- डायरेक्टर कट बड़ा विकट
- सन्तोष सिंह:का ब्लाग शुरू।
- मेरे गीत : तेरे कान।
- हाल-ए-हिन्दुस्तान: बयानकर्ता गौरव दत्त
- सुशील कुमार: फ़ोटॊ ही फ़ोटॊ
- राजसिंहासन से: राज सिंह की आवाज
जीवन साथी जब बीमार होते हैं तो लोग उनकी देखभाल की किताबें बांचते हैं। लेकिन समीरलाल को लगता है कि घोस्ट बस्टर और अभय तिवारी के विवाद के आर्बिट्रेटर का काम मिला है। वे इज्रायल और फ़िलिस्तीन के पचड़े बांच रहे थे। वे कहते हैं:
क्या सही, क्या गलत!!! किस किस को रोईये..रो ही लेंगे तो खुद ही अपने आंसू पोछिये... छोडिये सब..बस, पत्नी की तबीयत देखिये, वो ही अपनी है..उसी से फरक पड़ता है, बाकि तो बस टाईम पास...चाहे प्रलय आ जाये..किसे बचाने भागियेगा... सोचो कुछई..भागोगे बीबी को बचाने ही न!!
एक शौक के रूप में शुरू हुई आदत किस कदर इंसान को शिकंजे में ले लेती है!ये तब पता चलता है जब स्थिति भयावह हो जाती है। पल्ल्वी अपनी कविता के माध्यम से एक शराबी के परिवार की व्यथा कथा कहती हैं।
सतीस सक्सेना ने भारतीय महिला जागरण लेखन और ब्लाग प्रतिक्रियाएं ??? लेख लिखा है लेकिन अभी उस पर प्रतिक्रियायें और आनी बाकी हैं।
आलू आलोक पुराणिक का विषय है। आज उसका अपहरण ज्ञानदत्त जी ने कर लिया और अपने यहां सजा दिया। कित्ती बड़ी सजा है आलू, आलोक और आम आदमी के लिये। उधर घपले की जांच के लिये सीबीआई ने आलोक पुराणिक के यहां छापा मार दिया। राकेश खण्डेलवाल इस पर बोले- मैने जितना समझा कम था
ताऊ आज कहानी सुना रहे हैं बुद्ध के पिता की। जब उनको पता लगा कि उनका लड़का भिक्षु बोले तो भिखारी हो गया है तो वे झुल्ला उठे :
राजा बडे क्रोधित हैं अपने पुत्र के कृत्य पर ! अरे ये कोई बात हुई ! जिस पुत्र के लिये इतना बडा राज्य खडा किया और वो भिखारी बन गया ? पत्नि और बेटे को सोता छोड कर भाग गया ?
प्रदीप कुमार को लगता है कि वे इंटेलीजेंट थे लेकिन पढ़ाई ने उनको चौपट कर दिया और वे कविता करने लगे।
कण्डोम प्रमोशन के बहाने सांस्कृतिक धूर्तता की रपट बांचिये कविता वाचक्नवी के ब्लाग पर!
हिंदुस्तानी एकेडेमी का नया बदल गया। अब यह इधर दिखेगी।
आज से दस बाद की दुनिया का अलग सा नजारा दिखा रहे हैं अलग सा।
प्रभात ने नया ब्लाग शुरू किया और किया :
हर एक कदम पे हमने नए दोस्त बनाये,
जब-जब लिया दम रुक के तो हमदम बदल गया।
साहित्य वांग्मय पत्रिका राही मासूम रजा पर आधारित अंक लेना हो तो जानकारी इधर है।
सात सितम्बर को नीरज गोस्वामी की खपोली में काव्य संध्या के बहाने खाना-पीना हुआ। लोग जमा हुये तो कवियों ने कवितायें भी झेला दी। सबकी कहानी बयान करती फोटुयें आप इधर देखिये। कहीं से लग रहा है कि -फोटो नौकरी बचाने के डर से खींचने वालों ने खींची हैं!
उधर पता चला कि सृजन शिल्पी ३० जुलाई को एक पुत्री के पिता बने। ये खबर हमको पहले से थी लेकिन छापने का काम देबाशीष ने किया। सृजन शिल्पी को बधाई!
धार्मिक वर्ग-भेद का वीडियो गेम देखना हो तो इधर आइये!
अगर यायावरी का शौक है तो मनीष के साथ चलिये- रांची से राउरकेला होते हुये पुरी तक!
पानी की समस्या से निपटने के लिये रिचार्ज वेल के बारे में जानिये।
रंजना भाटिया नियमित रूप से अमृता प्रीतम के बारे में जानकारी दे रही हैं। आज देखिये उनका लेख- वह असली इबारत तो कब की खो चुकी हैं!
एक लाइना
- मुझको नहीं पता कविता क्या हैं : हर कवि यहीं से शुरू होता है
- कमेन्ट sitemap का फायदा : तो तब है जब कमेंट मिलें!
- कुदरत के नजारे लावण्य़ाजी के ब्लाग पर
- क्या दर्शन देंगे देव विमल:प्रतीक्षा करें आप कतार में हैं
- भाषाओं के बन्द दरवाजे खोले : दरवाजा खुलते ही भाषायें कांजी हाउस के जानवरों की तरह भाग न लें डा.साहब
- खोये रास्ते बेजी के ब्लाग पर बरामद
- कोहराम : मचा दिया रजनी की पोस्ट ने
- यही सब का लेखा है मुस्कराते चहरों के पीछे, दर्द को देखा है।
- दुआ क्या है आज माज़ी को फिर हुआ क्या है
- अमिय पात्र सब भरे भरे से ,नागों को पहरेदारी :गली गली को छान रहें हैं ,देखो विष के व्यापारी
- कानपुर और आगरा में बिजली चोरों का आतंक: कहां नहीं है!
- वित्तीय संकट से घिरा अमेरिका : सौ-पचास रुपये से काम चले तो हम भिजवायें!
- सिर्फ कपडे न बदलिए : एक नेता इसके अलावा और बदल क्या सकता है भाई!
- आतंकवाद से लड़ेगें? : नहीं! हम तो पहले निंदा करेंगे फ़िर कड़ी निन्दा करेंगे।
- आतंक का ये चेहरा किसका है..? : बूझो तो जाने
- चले जा रहे हैं...चले जा रहे हैं : ये नहीं कि रुक के जरा सुस्ता लें।
- हां मैं पास हो गई: बधाई
- ये कैसी ज़िंदगी जी रहे हैं हम : वाह भैया, जियें आप बतायें हम
- आओ, आतंकवाद-आतंकवाद खेलें!! : आपै खेलो हमको इसका अभ्यास नहीं है!
- बिग बी के ब्लाग पर एक पत्र: बोले हैं कि जबाब भेजेंगे।
- एक कर्मचारी की व्यथा: कथा रोचक है और सच्ची भी।
- नैनो ने बदल दी बंगाल की राजनीतिक जमीन: लेकिन नैनो का क्या होगा?
- डिजेस्टर टूरिज्म का नाम सुना है? अरे अभी तो वो बच्चा है!
- मुसलमानों को बदनाम करने के लिए, हिंदू बम फोड़ रहे है: ये ससुरे बम भी जात-पांत मानते हैं!
- लोथ बाबाओं के बीच स्लीम होती हिन्दी : बड़ी हालत खराब है!
- 'काम' पर एक काम की पुस्तक !: कुछ काम करो जरा रिव्यू लिखो।
- उत्तर-आधुनिक समय में स्त्री-पुरुष : में बदलाव की तैयारी, पुरुष के पैर भारी
जल के अर्थ में अगर सबसे ज्यादा कोई शब्द बोला जाता है तो वह है पानी। हिन्दी का पानी शब्द आया है संस्कृत के पानीयम् से जिसने हिन्दी समेत कई भारतीय भाषाओं में पानी के रूप में अपनी जगह पक्की कर ली। अजित वडनेरकर
तुम आते ही क्यों हो जाने के लिए
कभी न जाने के लिये भी आया करो
और अगर जाना ही होता है तुमको
तो जाने के बाद याद तो न आया करो
पुष्पेश
कभी न जाने के लिये भी आया करो
और अगर जाना ही होता है तुमको
तो जाने के बाद याद तो न आया करो
पुष्पेश
झुटपुटा वक्त है बहता हुआ दरिया ठहरा
सुबह से शाम हुई दिल हमारा न ठहरा. समयचक्र
सुबह से शाम हुई दिल हमारा न ठहरा. समयचक्र
और अंत में
पता चला वो पहले के सताये गये हैं। पहली जगह के डर अब तक उनके ऊपर हावी हैं। वे बात-बात पर चौंक जाते हैं, कदम-कदम पर दुबक जाते हैं। न खुद पर भरोसा करते हैं न दूसरे पर जताते हैं। विकट जीव हैं।
ब्लागजगत में ऐसे ही तमाम गुटबंदी गिरोहबंदी के डर तमाम साथियों के मन में रहते हैं। उनको लगता है ब्लाग जगत में सब एक-दूसरे के साथ मिलकर उनके खिलाफ़ साजिश करते रहते हैं। ब्लागिंग में वे अपने डर अपने साथ लाते हैं। स्वाभाविक भी है। अनुभव भी एक पूंजी होती है। पूंजी से लगाव सहज बात है।
सच जैसे छ्दम नाम वाले भाई लोग ऐसी सहज आग में धांसू पेट्रोल डाल रहते हैं। आग लगे तो मजा आये। लेकिन सवाल यह है कि जिस शख्स को अपने नाम से टिपियाने का हौसला नहीं है वो क्या सच बोलेगा! उसके सच को क्या कहा जाये? हालांकि यह एक सच है कि सच एक सजग पाठक हैं। लेकिन बात सामने आकर कहने की हिम्मत होनी चाहिये भाई हरिशचन्द्रजी!
गुटबाजी भी बहुत टाइम मांगती है। हरेक के बस की नहीं। करने के लिये बहुत चिरकुटई और टाइम चाहिये। हरेक के पास इत्ता जिगरा नहीं होता।
जिनके बीच गुटबाजी दिखती है वहां देखा जाये क्या ये लोग पैदाइशी ब्लागर हैं? कैसे संबंध बने? क्या केवल गुटबाजी के चलते पल्लवी, समीरलाल, अनुराग आर्य, ताऊ, ज्ञानदत्त पाण्डेय, शिवकुमार मिश्र, प्रमोद सिंह, प्रत्यक्षा, रवीशकुमार और न जाने कितने पापुलर ब्लागर पढ़े जा रहे हैं?
बहरहाल, फ़िलहाल इतना ही!
बेहतरीन चर्चा रही इस बार की भी ..अंत में बहुत कुछ कह गया ..
जवाब देंहटाएंयह आज कल का सच है, अनूप भाई ! अधिकतर ब्लाग पर जो अपने नाम को सुरक्षित करने के लिए लोग मुखौटा लगा कर खूब " सच " बोलने लगे हैं ! आपके इस सटीक कमेंट्स के बाद " सच" नमक महाशय को अपना नाम उजागर करने की हिम्मत दिखानी चाहिए ! जिससे इनके लेखन से हिन्दी ब्लाग जगत को फायदा पंहुचे !
जवाब देंहटाएं'गुट परिप्रेक्ष्य' ब्लॉगर बनने की हार्दिक इच्छा है जी. लेकिन गुट का निर्माण करने के लिए समय चाहिए. अब पहले समय को तलाशने का काम करना पड़ेगा. समय मिले तो गुट का निर्माण हो. लेकिन ये मुआ समय ही नहीं मिल रहा. पता नहीं कब और कहाँ गायब रहता है.
जवाब देंहटाएंइससे अच्छे तो वही दिन थे जब टेलीविजन पर दहाड़ता रहता था; "मैं समय हूँ...मैं समय हूँ" नामक मंत्रोच्चार करते. वही दिन अच्छे थे. समय तो मिल जाता था. काश कि वो दिन आते तो गुटबाजी की संभावना बनती.
"आपका क्या कहना है?"
जवाब देंहटाएंयह कहना है कि हम आपके मेहनत की दाद देते है. चर्चा प्रस्तुत करते रहे!!
जन्म दिन दा मुबारका ...... , प्रत्यक्षा सही कह रही हैं ,सारे पापुलर ब्लाग पढ़वाने के लिए शुक्रिया जैसे 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12,13,14, 15...आप के पास तो आलस का तिनका भी नहीं है लगे रहें ...
जवाब देंहटाएंचर्चा का यह नया रूप पसंद आया....
जवाब देंहटाएंइसके जरिये ही हमें कई बेहतरीन पोस्ट पढ़ने को मिल जाती हैं और महत्वपूर्ण सूचनाएं भी।
सृजन-शिल्पी को बधाई...
और अन्त में घणा सच ठेल दिया जी आपने।
जवाब देंहटाएंjeetu ji ke blog se pataa chala thaa ki 16 sep ANUUP JI kaa janam din hai....chithhacharcha ke madhyam se sabkey khaas dino ki charcha anup ji kartey hain...aur unkey khass din ko hum sab bhuul gaye....meri taraf se JANAMDIN KI BADHAAYII anuup ji ko
जवाब देंहटाएंआज अंत में आपने ऐसा लिखा जैसे जीवन का अन्तिम सत्य हो ! आपने लिखा "अनुभव भी एक पूंजी होती है। पूंजी से लगाव सहज बात है।"
जवाब देंहटाएंऔर बहुत से "किंतु परन्तु" का सहज जवाब है ! आपने जो संतुलित और व्यवहारिक जवाब दिया है उसके लिए आपको बधाई !
# आज के आलू ज्ञानजी की दुकान के हैं। वे किस मंडी से लाये उनसे पूछा जाये।"
ये आलू हुबहू वहीं के हैं जहाँ से ताऊ कल लाये थे और ताई से लट्ठ खाते २ सिर्फ़ इसलिए बच गए की आदरणीय दादागुरुजी ने फोटो छाप कर ताऊ को ताई के जालिम लट्ठ से बचा लिया !
अब जिनको कहाँ के आलू हैं इसकी जानकारी चाहिए तो "मानसिक हलचल " वाले शोरुम पर आलू सहित पूरी जानकारी है ! कृपया वहाँ जाकर प्राप्त करें !
अनूप जी आपको जन्म दिन की बहुत २ शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआप सुख एवं समृद्धि पूर्वक, आनंद दायक लम्बी उम्र प्राप्त करें ! और ईश्वर आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करे ! आपका परिवार और इष्ट मित्र सभी आपके साथ साथ आनंद पूर्वक और उल्लासित रहे ! ईश्वर से इसी प्रार्थना के साथ :
-ताऊ रामपुरिया !
सबसे पहले जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये .......चिटठा चर्चा का नया रूप बेहद खूबसूरत है पर उसमे मेहनत भी उतनी ही ज्यादा है....नये लोगो की फोटो देकर आप एक बढ़िया काम कर रहे है.....बधाई .....
जवाब देंहटाएंआभार ,आपने काम की बात तो की !
जवाब देंहटाएंजन्म दिन पर हार्दिक शुभकामनाएं !
बिल्कुल सही कहा आपने फुरसतिया चाचा कि गुटबाजी भी टाइम मांगती है. गुरूजी के दरबार में हाजिरी जो लगानी पड़ती है !!
जवाब देंहटाएंअल्लेलो चाचा जी का जन्मदिन और हमका पता भी नहीं चला. दूसरों के जन्मदिन पर खूब केकवा खा रहे थे, जब ख़ुद खिलाना पड़ा तो गोला थमा गए.
हम तो आप के विधिवत् Follower बन गए हैं गूगल के गलियारे में!
जवाब देंहटाएं"शतायु हों"
सब दे रहे हैं तो इसीसे हमें भी पता चल गया. हम भी पहले जन्म दिन की बधाई ही देंगे... बाकी आपकी मेहनत तो लाजवाब है ही.
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंअनूप अवतरण पर के शुभ अवसर पर
चिट्ठाचर्चा के पाठकों, सदस्यगण
एवं लेखकों को हार्दिक शुभकामनायें
निवेदक-हिन्दुस्तानी ब्लागरीय टिपेरा संघ
humara sirf itna kehna hai ki Aapko Janamdin ki bahut bahut badhai, Abhi Jitu ke blog me jaa kar dekhna shesh hai ki unhone aapka interview chapa ki nahi,
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंसबसे पहले जन्मदिन की हादिक शुभ कामनाएं....आप बहुत मेहनत से चर्चा तैयार करते हैं....बधाई!
जवाब देंहटाएंअच्छी चिठ्ठा चर्चा अनूप भाई ...
जवाब देंहटाएंस स्नेह्,
- लावण्या
जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं. मिठाई धरे रहना-जब कानपुर कविता सुनाने आयेंगे तभी खा लेंगे.
जवाब देंहटाएंजन्म दिन पर तो आप शायर हो लिये, क्या शेर कहा है:
कल की चर्चा कुश,
परसों के लिये समीरलाल खुश,
इसके बाद मसिजीवी परिवार
तत्पश्चात लगेगा निठल्ले का दरबार।
--वाह वाह!! बहुत खूब...
भाई सृजन शिल्पी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
सभी साथियों को जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिये धन्यवाद! चर्चा की तारीफ़ के लिये शुक्रिया!
जवाब देंहटाएं