शुक्रवार, सितंबर 19, 2008

लाइफ बोले तो कुश्ती , मारमपिट्टी ,डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ

हिंदी का ब्लॉगर परम मध्यवर्गीय है ! डाउन टू अर्थ ! बेहद जड और ज़मीनी आदमी ! ये बात कई ब्लॉगरों ने सिद्ध की है !  अरहर की दाल और चावल के स्वाद से लहकती परम स्वादिष्ट कविता पढिए ! कविता  चख कर देखिए इट्स वाकई डिलीश्यस ! पर आम भारतीय आदमी केवल भोजन करके सो रहने में विश्वास नहीं करता ! देश दुनिया की असमानताऎ ,दंगे ,अमानवीयता ,अन्याय से उसका दिल भी रोता है ,और जब वो कलम उठाता है तो कागज का कलेजा भी सुलग उठता है ! आम हिंदुस्तानी ब्लॉगर अपने देश में लोकतंत्र की बदहाली और नैश्नल एकता को कम करने वाले मसलों पर सवाल उठाता है ! जब देश की एकता को खतरा हो , अन्याय का बोलबाला हो सेकुलररिज़्म वर्सेज आतंक का अखाडा हो तो मुद्गगर धुमाते कई असली नकली क्रांतिकारियों का सामने आ जाना लाज़मी है ! पर आम आदमी सच्ची मुच्ची के क्रांतिकारियों को पहचाने कैसे ? खुदा का शुक्र है कि असली क्रांतिकारी दयालु होते हैं और वे अवाम को ज़्यादा सस्पेंस में न रखकर खुद ब खुद सामने आ जाते हैं !  एक बानगी तो देखिए ऎसे प्यारे-प्यारे सूत्र आपने कहीं नहीं पढे होंगे-

"समाजवादी अगर समाजवाद ले आए तो उसे क्रान्ति नहीं कहते. असली क्रान्ति तो तब होती है जब साम्राज्यवादी समाजवाद ले आए. हम असली क्रांतिकारी हैं मित्र.....हम असली क्रांतिकारी हैं.

एक साधारण आदमी की दुनिया कितनी वृत्ताकार होती है ! लौट के बुद्धू/ बुद्धा घर को आए , कस्तूरी मृग -मंडल बसै.. , जैसी बातें उसी के लिए तो बनी हैं ! घूम घाम कर घर को आकर हमें वो चीज़ अपने ही घर में मिल जाती है जिसके लिए मारे फिरे थे ! ओह वाट ए मध्यमवर्गीय ट्रेजेडी !गीत चतुर्वेदी जी के ब्लॉग पर जाइए पूरी बात पढ लीजिए

`मैं अकेले-अकेले पूरी दुनिया घूम आया, मैंने सबसे ऊंचे पहाड़ पार किए, सातों समंदरों को लांघा, रेगिस्तानों और दलदलों से गुज़रा और एक दिन मैं लौट आया. मैंने देखा, जो मैं खोज रहा था, वह पत्तियों से लटकती पानी की बूंद में छिपी थी, पंखुडि़यों पर उसका पता लिखा था.

आम हिंदी ब्लॉगर की आम भारतीय की की नज़र से केवल चोला बदलकर नेतागन बच नहीं सकते ! देश को पाटिल नहीं चाहिए ये देश बर बार कह चुका है पर आप सुनते नहीं हैं नाटक के पात्रों की तरह बैक स्टेज में ताबडतोड कपडे बदलने में लगे हैं ! शेम शेम ! जनाब अब तो आप नंगे हो गए हैं हमारी नजरों में -

 

पर अब इस बात पर पाटिल की सफाई आई है. पाटिल ने कहा है के मैं साफ-सुथरा रहता हूं. आप राजनेता की नीतियों की आलोचना करें, उसके कपड़ों की नहीं। मैं पाटिल को बताना चाहता हूं कि मान्यवर यह आपकी नीतियों की ही निंदा है, कपड़ों की नहीं एक ऐसे समय में जब पूरा देश जल रहा हो और तब आपका ध्यान अगर बार-बार कपड़े बदलने पर लगा हो तो जाहिर है कि देश और जनता से आपका कोई मतलब नहीं है. दुलहन के जोड़े में सजी बैठी लड़की के पड़ोस में भी अगर आग लग जाए तो अपने शृंगार और कपड़ों की परवाह छोड़कर उसे बुझाने की कोशिश में जुटेगी. ऐसी स्थिति में दिन में एक बार भी कपड़े बदल लेना काफी है. और एक ऐसे राजनेता के लिए, जो पूरे देश की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार हो, तो कपड़े पहन लेना ही बहुत है. आपको शायद यह मालूम नहीं है कि देश का गृहमंत्री होने के नाते पूरा देश आपका पड़ोस भी नहीं घर है.

जब देश जल रहा तो धर्म का क्या अचार डाले आम आदमी ? धर्म जब प्रतिक्रियावादी हो जाए तब ब्लॉगर हिंदू हो या मुसलमान तर्क का सहारा लेता है ! लॉजिक की लाइम लाइट में धर्म का मेकअप कितना धब्बेदार नज़र आता है ! पढिए संजय तिवारी और वो जो चुप न रह सका को !

लाइफ बोले तो कुश्ती ! मारमपिट्टी ! मूल्यों का डब्ल्यू डब्ल्यू एफ ! अगडम बगडम ज़िंदगी जीने वाला आम आदमी जितनी जल्द ये सबक अपने बच्चों को सिखा पाए उतना अच्छा ! अगेन दिस मैसेज इज आनली फार वी द कॉमन पीपल नो ? खैर जाने भी दे यारो ! आप तो देखो साधारन जनों में भी साधारण की आखिरी सीमा पर खडी नारी को सेंटर में लाने के लिए जागरूक हिंदी चिट्ठाकार समुदाय की कोशिशों को ! स्त्री के बेटी ,मां जैसे रूपों का महात्म्य और इस वर्ग की समस्याओं पर चिंतन कई ब्लॉगों में दिखाई दिया !

सस्पेंस सस्पेंस खेलना हम कभी नहीं भूलेंगे ! सो हमें अब कल ही पता चलेगा कि खबरी अडडा हमसे क्या बात कल तक के लिए छुपा रहा है ! इससे आप सब को एक बार फिर अगले दिन भी उनके दरवाज़े पर दस्तक देनी होगी ! टी आर पी फंडा !! वॉट एन आइडिया सरजी ! जब सारी व्यवस्था आम लोंगों को गोली दे रही है तो हम आपस में भी गोली देने में पीछे क्यों रहें ??

अब यहां तक सब्र करके बांच ही चुके हैं आप लोग तो यह भी जानते चलें कि एक नए कबाडी ब्लॉगर ज़िंदगी की कबाडगिरी छोडकर ब्लॉगिंग की दुनिया में क्यों उतर आए ? सुबीर जी से सबक सीखे आम आदमी पर्चा रात भर जगकर पढकर नहीं पास होता ! और आम आदमी है कि बच्चों को बारास्ता मां अपने पैरों पर खडा होना सिखा रहा है ! लाइट और कूल जीना है तो रात को चैन से सोइए ! अथ श्री आम आदमी कथा अब समाप्त होती है ! बाय बाय !! 

image

चित्र : वजनदार प्रत्याशी के ब्लॉग से

[2008_0831puri0016.JPG]

 

रात में शमशान

 

और आइए चलते चलते इन्द्रजाल में नवपदार्पण करने वाली इन कलियों का टिप्पणी रूपी भ्रमरों द्वारा स्वागत करें!

1. सुमो http://sumo357.blogspot.com
चिट्ठाकार: सुमो

2. एक सोच दुनिया बदलने की http://upandey.blogspot.com
चिट्ठाकार: Uttam Pandey

3. macvision3 http://macvision3.blogspot.com
चिट्ठाकार: macvision3

4. priyank and google http://priyanka4money.blogspot.com
चिट्ठाकार: reon

5. क्षणिकाएं http://kshanikaayein.blogspot.com
चिट्ठाकार: रश्मि प्रभा

6. poetry http://kavideepaksharma.blogspot.com
चिट्ठाकार: Kavi Deepak Sharma

7. खिलौने वाला घर http://meethebol.blogspot.com
चिट्ठाकार: रश्मि प्रभा

Post Comment

Post Comment

10 टिप्‍पणियां:

  1. दरअसल मैं तो समझ नहीं पाई ये है क्या...नया ब्लॉग एग्रीगेटर?

    जवाब देंहटाएं
  2. .


    ठीक ठाक चर्चा ✈✈✈ पढ़ी जा सकती है ।
    बाक्स आफ़िस रेटिंग ⓪ ⓪ साधारण

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया चर्चा..अच्छी कवरेज..साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढिया चर्चा ! शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढिया चर्चा रही ! ज़रा हमारी भी सुनिए !

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा का प्रयास अच्छा रहा. यदि आप कवरेज बढा दें (लगभग दुगने आलेखों की सूचना) एवं नये चिट्ठों के जालपते न देकर उनके नाम की सक्रिय कडियां दें तो सोने में सुहागा हो जायगा.


    -- शास्त्री

    -- ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसने अपने विकास के लिये अन्य लोगों की मदद न पाई हो, अत: कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर अन्य चिट्ठाकारों को जरूर प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)

    जवाब देंहटाएं
  7. सटीक और अच्छा लेख
    पढ़ कर शिव जी और ज्ञान जी की पोस्ट पढ़ी इतना अच्छा लेख पढ़वाने के लिए धन्यवाद
    वीनस केसरी

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative