एक दोस्त के लिये इससे अच्छी कोई भेंट नहीं हो सकती कि उसका कोई दोस्त दस साल बाद फ़ोन करे और कहे:
"Accidentally तुम्हारा ब्लॉग देखा .... बहुत अच्छा लगा. हालांकि न जाने क्यों मुझे ये लगा कि वो कुछ कवितायें, कुछ क़ता'त जो मुझे बहुत पसंद थे, और जो तुम्हें ज़बरदस्ती बार बार मुझे सुनाने पड़ते थे, वो तुम ने ज़रूर पोस्ट किए होंगे ................... लेकिन ऐसा था नहीं ...."
ऐसा ही कुछ मीत के साथ हुआ और उन्होंने अपने दोस्त के लिये ये पोस्ट लिखी।
nice charcha
जवाब देंहटाएंसही है
जवाब देंहटाएंफटाफट चुकेली थकेलीश्च टिप्पणी कर दूं - बहुत जानदार चर्चा है।
जवाब देंहटाएंअब यह बताया जाय कि ट्यूब कैसे भरें?!
bahut baariki se padane ke baad charcha ki gai hai....
जवाब देंहटाएंek dam mast...
अच्छे चुनाव, सही प्रोत्साहन!!
जवाब देंहटाएं-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- हिन्दी चिट्ठाकारी अपने शैशवावस्था में है. आईये इसे आगे बढाने के लिये कुछ करें. आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
जी हाँ कल रविवार कि छुट्टी के कारन बहुत सारे ब्लॉग पोस्ट नही पढ़ पाया .....शुक्रिया आपका डॉ अमर कि पोस्ट अभी पढ़ लेता हूँ......समीर जी के कथन में ईमानदारी है यही चीज उन्हें दूसरो से अलग करती है.....
जवाब देंहटाएंआज कि एक लाइना
पुरुषों कि नैतिक जिम्मेदारी क्या है....वाली .....झकास....
बहुत बढिया चर्चा रही ! आज ज्ञान और सुचनाए
जवाब देंहटाएंज्यादा गृहण करने में आई ! आगे से रविवार को
पोस्ट ठेलन कार्यकृम बंद रखेंगे ! धन्यवाद और शुभकामनाएं !
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जवाब देंहटाएंवाह गुरु, ये भी खूब रही...
भाई मेरे, पर-वक्ता हूँ... प्रवक्ता नहीं
मैंने तो ऊँगली पकड़ायी.. आप बाँह ही मरोड़े दे रहे हो
डा. अमर कुमार टिप्पणी करें, काहे करें भाई ?
ईहाँ दिग्गज़ लड़खड़ा रहे हैं,अउर हम फड़फड़ायें ?
ये लाज़ शरम तज़ के आये होते, तो ऎसा थोड़े ही सोचते ?
अग़र शर्मदार होते.. तो भला ब्लागिंग में आते ?
अब नकटों की टोली छोड़ा चाहते हैं,
भेद मिल गवा है.... CBI की रिपोर्ट है, ईहाँ
एक चिट्ठाचर्चा करने से डेराय रहा है,
दूसरा चिट्ठाचर्चा न मिलने से बिरझाय रहा है
यह लोग अन्यथा न लें.. पर मैं तो गिन रहा हूँ
भादों जाय रहा.. आश्विन बीते देयो... कार्तिक तक लौट आवेंगे..
ब्लागिंग अउर ब्लागर तो कुत्ता-कुतिया का जोड़ा है
'आप का क्या कहना है?'
जवाब देंहटाएंक्या कहें, रोज ही कहते हैं चर्चा तो बड़िया होती ही है। हम सोच रहे हैं कि अगर ये चुकेली और थकेली की बिमारी महामारी बन कर टिप्पणीकारों में भी फ़ैल गयी तो क्या सीन होगा जी। कोसी का कहर बिहार में ज्यादा होगा या इस महामारी का कहर ब्लोगजगत में।
मीत का शेर तो दिल को छू गया
"कोई दुनिया में अब नहीं मेरा
मेरे बारे में लोग कहते है
मैं, मेरा दर्द, मेरी तन्हाई
जब कि हर वक़्त साथ रहते हैं" मीत
वाह
जो बजे वह बाजा
जो सजे वह साज !
पर मैं क्या करूं ?
न अपने पास कोई गुन
न अपनी कोई आवाज ! कर्मनाशा
ये लिंक देने के लिए भी शुक्रिया। सुनना बहुत मधुर लगा ये हम उनके ब्लोग पर लिखेगें आप को तो सिर्फ़ धन्यवाद जो आप रोज रोज हमारे लिए ऐसे चुनिंदा लिंक्स जमा कर पेश करते हो।
ये जो दिगाज लाद्खादा रहे हैं! अच्छा संकेत नही है !
जवाब देंहटाएंजोरदार एक लाइना
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
भाई पहले नही पता था, कि यहा उदास दुर की जाती हे, क्या हाजिर जबाबी हे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद