सोमवार, सितंबर 01, 2008

नये नवेले चिट्ठाकार

कल की चर्चा में दो जिक्र छूट गये। रवि रतलामी रचनाकार पर चार्ली चैपलिन की आत्मकथा पोस्ट कर रहे हैं। इस आत्मकथा का हिन्दी अनुवाद कथाकर सूरजप्रकाश जी ने किया है। रविरतलामी धन्य हैं जो इत्ती मेहनत से रचनाकार पर तमाम ख्यात-ज्ञान-अज्ञात रचनाकारों की कृतियां उपलब्ध करा रहे हैं।
दीपक भारतदीप मेरे ख्याल से सबसे ज्यादा लिखने वाले हिंदी ब्लागर हैं। सात चिट्ठे। नियमित लेखन। उनके लेख की चर्चा अक्सर छूट जाती है। ब्लागिंग में मेरी समझ में एक ब्लाग रहे या ऐसे नाम रहें जो अलग से लगें वे ध्यान रहते हैं। दीपक जी जो सात चिट्ठे लिखते हैं उनमें से चार के नाम एक से लगते हैं। यह हमारी अपनी व्यथा है। जो कि रहीम दास के अनुसार मन में ही रखनी चाहिये।

कनपुरिये अगर काम लगा देते हैं तो इलाहाबादी काम थमा देते हैं। पाण्डेयजी आज बोले-
रविवार को कई नये ब्लॉग देखे। बहुत अच्छी शुरुआत कर रहे हैं नये चिठेरे। तकनीक और कण्टेण्ट दोनो बहुत अच्छे हैं। डेढ़ साल पहले जब मैने ठेलना प्रारम्भ किया था, तब से कहीं बेहतर एण्ट्री कर रहे हैं नये बन्धु।
चिठ्ठा-चर्चा तो जमती है; एक "नव-चिठ्ठा चर्चा" जैसा ब्लॉग भी होना चाहिये नये प्रयासों के लिये एक्स्क्लूसिव।
अनूप सुकुल का एक क्लोन चाहिये इस महत्वपूर्ण कार्य के लिये!


अब अनूप शुक्ल के क्लोन तो न जाने कब मिलें सो हम आज की चर्चा नये साथियों से शुरू कर रहे हैं।

नये साथी


  • धीरू सिंह, झुमका गिरा रे वाले शहर बरेली से हैं। अमेरिका के दोहरेपन को उजागर करते हैं कि उसने पुरुष श्रेष्ठ मानसिकता के चलते हिलेरी क्लिंटन को राष्ट्रपति का उम्मीदवार नहीं चुना।


  • ब्लाग और ब्लागर दोनों का नाम है- दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है। बिहार की बाढ़ की पोल खोलते हैं।


  • पूर्णिमा बनारस की हैं। देवनागरी और रोमन दोनों में पोस्ट लिखी। विवेक सिंह कहते हैं- बहुत बकवास लिखा है आपने। डा.अमर कुमार कहते हैं- ख़्याल बुरे नहीं हैं,पर सही हिज़्ज़े का भी ध्यान रखा होता,तो बात ही कुछ और बनती, शुक्रिया !

  • प्रमोद हिंदी के चिराग जला रहे हैं। शुरुआत निरालाजी के परिचय से की।


  • झारखंडी मनीश सिंह को झारखंड का दर्द बांटने वाला कोई नहीं दिखता।


  • एम.आई.जाहिर अपने इजहार-ए-एहसास की परेशानी बताते हैं- किसी दूसरे के बारे में लिखना या तारीफ़ करना हो तो अच्छा लगता है। लेकिन बात जब अपने बारे में लिखने की हो तो संकोच होता है। क्योंकि आत्म प्रवंचना करना ठीक मालूम नही होता। फिर भी अब जब ब्लॉग की यही परम्परा है तो यही सही

  • विरोध का मुद्दा ही विरोध वाला है- रामसेतु।

  • नारद मुनि मुद्दे राजनीतिक मुद्दों की बातें करते हैं। अगस्त में ३५ लिख चुके हैं। ये नये ब्लागर तो नहीं लगते जी।


  • प्रियांशु , कई श्रेणियों में लिखते हैं। आज की पोस्ट में कहर बरप रहा है आतंकवाद पर।

  • चमोली उत्तराखंडी अक्षतविचार का नाम क्या है पता नहीं लेकिन हौसले की बात करते हैं-

  • मनीश कुमार आई.आई.टी. खड़गपुर में गणित के चौथे वर्ष के छात्र हैं। पहली पोस्ट फ़रवरी में लिखी थी। दूसरी अगस्त में। कश्मीर और भारतवर्ष पर


  • एक लाइना



    फ़िर कभी।

    मेरी पसंद



    खिड़की बड़ी करो बेशक !
    आकाश बड़ा कुछ अधिक दिखेगा
    खान-पान-सम्मान मिले
    विश्वास बड़ा कुछ अधिक दिखेगा
    लेकिन मन के सूनेपन को
    सुनने का जब वक़्त नहीं है
    कैसे मानूँ जीने का
    एहसास बड़ा कुछ अधिक दिखेगा !
    चन्द्र कुमार जैन

    Post Comment

    Post Comment

    13 टिप्‍पणियां:

    1. 'भारतीय लोग आमतौर पर कामटालू होते हैं'
      अभी पिछले पोस्ट पर ये देखा... चिटठा चर्चा देखकर ये तो कहीं से नहीं लगता... हाँ हम ऐसे जरूर हैं !

      जवाब देंहटाएं
    2. .

      पहली टिप्पणी मेरे ही मत्थे ?
      ख़ैर.. चलो निपटाये देता हूँ ।

      आज अच्छा निपटाया आपने ...
      हा हा हा

      जवाब देंहटाएं
    3. नव चिट्ठा चर्चा अच्छी लगी। और कई नए लोगों को पढने को भी मिला।

      जवाब देंहटाएं
    4. आपका वन लाइन हमार वन वर्ड
      बढ़िया।

      जवाब देंहटाएं
    5. ये भी शुक्ल जी का स्टाइल है !
      बहुत बढिया ! :)

      जवाब देंहटाएं
    6. बहुत बढ़िया .......उम्मीद है जारी रखेगे ...वैसे ये कही नियम नही है की पुराने ब्लोग्गर्स ही अच्छा लिखेगे ..



      एक लाइना को मिस किया

      जवाब देंहटाएं
    7. @आपका क्या कहना है?
      मुझे अपना संकोच त्याग कर ये कहना है कि आपकी चिठ्ठा चर्चा में अगर मेरे प्रयास की चर्चा छूट जाती है तो मन मायूस हो जाता है। मैं जब भी कुछ लिखने की कोशिश करता हूँ तो चाहता हूँ कि पिछली पोस्ट से बेहतर बात हो सके। अब अगर आप जैसे बड़े भाई का आशीर्वाद नहीं मिलता है , यानि आपका ध्यान उस ओर नहीं जाता है तो कदाचित् उपेक्षित होने का भाव सिर उठाने लगता है...

      मैं मन में अचानक उठे इस भाव को लिख गया जो शायद एक ब्लॉगर की तहज़ीब के विपरीत हो, क्षमा कीजिएगा।

      जवाब देंहटाएं
    8. हम को तो ज्ञान जी की टिप्पणी से अंदाज था कि आप आज निपटा सकते हैं। सो हम ने कुछ लिखा ही नहीं।

      जवाब देंहटाएं
    9. मैं कहूं कि थैंक्यू तो लगेगा कि अंग्रेजी ठेल रहा हूं। पर इस पोस्ट से गदगद हूं मित्रवर।
      खूब जमाया आपने।

      जवाब देंहटाएं
    10. नये नवेले चिट्ठाकार
      मेरी पसंद
      एक लाइना
      wah

      जवाब देंहटाएं
    11. नये नवेले चिट्ठाकार
      मेरी पसंद
      एक लाइना
      wah

      जवाब देंहटाएं

    चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

    नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

    टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

    Google Analytics Alternative