कविताजी ने चिट्ठा शब्द को लेकर जो चर्चा शुरू की थी उस पर कल मसिजीवी ने अपनी प्रतिक्रिया दी:
संदर्भ तब तक पूरा नहीं होगा जब तक हम बालमुकुन्द गुप्त के 'शिवशम्भू के चिट्ठे' पर नजर नहीं डालेंगे, आखिर शब्द का मूल तो वहीं से आया है न। शिवशम्भू का हर चिट्ठा अपने अनगढ़पन पर गहरे प्रतिरोध व कटाक्ष के कारण एकदम चिट्ठा ही तो है। आज बालमुकुन्द लिखते तो अखबार में नहीं लिखते ब्लॉग पर ही लिखते। नहीं... ?
इस पर कविताजी आगे अपने विचार प्रकट करेंगी। उनकी बिटिया की बीमारी का जिक्र होने पर सतीश सक्सेनाजी इस पर पोस्ट लिखी। कविताजी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है:
जिस सदाशयता से गत दिन की प्रविष्टी का व उस समाचार का उल्लेख किया उसके लिए आभारी हूँ ; फिर तो जैसे सभी ने मुझे भावुक ही कर दिया । सभी की शुभकामनाओं के लिए मन कृतज्ञ है। सतीश जी ने तो एक पग आगे जा कर अपनी शुभकामनाओं के लिए अपने ब्ळॊग तक पर इस का उल्लेख किया। मैं सतीश जी और अन्य सभी के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करती हूं।
कल सतीश पंचम जी कड़वा अनुभव हो गया। ब्लागजगत में किसी ज्ञानी से कमेंटबाजी हो गयी। ताऊ ने कहा:
भाई पंचम जी ये तो ग़लत बात है की आप पर हमला होगया और ताऊ को ख़बर ही नही ! तो ये ससुरा लट्ठ और भैंस का गोबर किस काम आयेगा ?
उधर राजमनी मुनव्वर की गजल पेश करते हैं:
वह दुशमन ही सही, आवाज दे उसको मुहब्बत से
सलीके से बिठा कर देख हड्डी बैठ जाती है
अमिताभ बच्चन जब अपना ब्लाग हिन्दी में लिखते हैं तो वे ईस्वामी को अपने कबीले के आदमी लगते हैं
फ़िल्मों और टीवी जैसे संचार के सबसे सशक्त माध्यमों से दशकों से जुडे सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन जब हिंदी में चिट्ठाकारी कर पुलकित होते हैं तब उनकी प्रसन्नता में उनके अपने हिंदीभाषी होने के नाते, ‘मातृभाषी कबीले’ से जुडे लोगों को मौजूद पा जाने की खुशी स्पष्ट दिखती है. अपना तो दिन बन जाता है सुपर स्टार को हिंदी में इतना अच्छा लिखता देख …
दूसरी तरफ़ डा.परिमल केडबरी चाकलेट में विज्ञापन करने वाले अमिताभ बच्चन की बात करते हुये चीनी उत्पादों में मिलावट की तरफ़ इशारा किया।
चीन में दूध से मासूमों की मौत की खबर तो ओलिम्पिक के समय ही आ गई थी, पर चीन उस खबर को दबाने में सफल रहा। इसके पूर्व चीन के बने खिलौने और टूथपेस्ट में जहरीले रसायनों के प्रयोग का खुलासा होने के बाद अपना सारा माल वापस लेने का फैसला किया था। बेशक चीन का माल ससता होता है, किंतु उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती। उसमें हानिकारक तत्वों का मिश्रण होता है, यह बात अब जगजाहिर हो गई है।
हिंदू-मुसलमान-सिख-इसाई पर न जाने कित्ते लफ़ड़े चल रहे हैं अपने यहां। राधिका कहती हैं:
धर्म ,मजहब का द्वेष जिनके मनो में हैं ,वह मुस्लिम नही ,हिंदू भी नही ,उनका कोई धर्म नही वह या तो ख़ुद विकृत मनस्तिथि के हैं ,या अपना स्वार्थ चाहते हैं। सच्चा भारतीय तो भारत में हर कहीं हैं ,उसे देखकर मुझसा कोई भी प्रश्न में पड़ जाए की कौन हिंदू, कौन मुस्लिम ?
सागर मम्मा, मेरी माँ प्यारी माँ, मम्मा में सवाल उठाते हैं- क्या सचमुच अच्छे गीत बनने बंद हो गये हैं?
अनिल पुसदकर गांव से आकर बताते हैं:
भले ही बहुत कुछ बदला हो मगर रात की वो शांति वैसी ही है।झींगुरो की गुनगुन,किटों का अद्भूत संगीत,सर पर साफ़-सुथरा आसमान चटख चांदनी ये तो वैसी ही है।यही सोच कर मैने दिल को तसल्ली दी।पता नही कब नींद लग गयी। हां यहां सोने के लिये गोली खाने की ज़रुरत भी शायद ही महसूस होती होगी।सुबह नींद खुली तो दूधवाले की आवाज़ से नही,चिडियों के सुमधुर संगीत से।
प्रमोदजी कि हैरानी होती है:
लड़कियों की आंखों में इतना दर्द कहां से आता है? जबकि आईने के आगे खड़े होकर इतनी मर्तबा मैंनें आंखों को दायें-बायें किया है मगर दिल के अंदर उतर जाये दर्द में ज़र्द नश्तर की वह कशिश कभी पैदा नहीं कर सका. सच्चायी तो यह है कि एक घिसे हुए ब्लेडवाला असर भी नहीं निकाल सका|
सीमा गुप्ता लिखती हैं:
खामोश से वीरानो मे,
साया पनाह ढूंढा करे,
गुमसुम सी राह न जाने,
किन कदमो का निशां ढूंढा करे..........
खामोशी, वीरानगी, अश्क, आंसू , गम, दर्द, लब सीमाजी की शायरी में अक्सर दिखते हैं। इससे एहसास होता है कि वे बेहद संजीदा ,उदासी पसंद जीव हैं। लेकिन उनकी टिप्पणियों का मिजाज अलग कहानी कहता है। वे जब टिपियाती हैं :
“ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha haaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaनखरे किसके चाहें उठाना ,वो धरता सैंडिल की नोक
जो मिलने की रखे तमन्ना, उसे दूर ये देते फेंक।
ha ha ha jvab nahee….”
regards
तो लगता है कि संजीदा शायरा कहां है?
मीत ने हाल ही में अपने भाई को खोया है। वे उनको याद करते हैं अपनी कविता के माध्यम से!
एक लाइना
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मेरी पसंद
जब दिलों में रौशनी भर जायेगी
वो दिवाली भी कभी तो आएगी
खोल कर रखिये किवाड़ों को सदा
फ़िर खुशी ना लौट जाने पायेगी
रात की रानी सी तेरी याद है
शाम होते ही मुझे महकायेगी
तिश्नगी यारों अगर मिट जाए तो
फ़िर कहाँ वो तिश्नगी कहलायेगी
बेगुनाही ही तेरी, इस दौर में
इक वजह बनकर,सजा दिलवायेगी
सोच बदलो तो तुम्हारी जिंदगी
फूल खुशियों के सदा बरसायेगी
दर्द को महसूस शिद्दत से करो
दर्द में लज्जत नजर आ जायेगी
गुनगुनाते हैं वही "नीरज" ग़ज़ल
बात जो दिल की जबां पे लायेगी
नीरज गोस्वामी
और अंत में
कल रात को कुश का एस.एम.एस. आया।
कल मेरा जन्मदिवस है। कल चर्चा की छुट्टी मिल सकती है क्या?
असल में कुश की चर्चा का सामान्य दिन वुधबार होता है। आज के लिये छुट्टी की बात कहना ऐसा ही था कि कोई इतवार की छुट्टी के कहे।
बहरहाल हमने तुरंत कुश को फ़ोनियाया। उनकॊ जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनायें दीं। आप भी चाहें तो उनको शुभकामना दे सकते हैं। कोई हर्जा न होगा।
कुश ने कम समय में ही अपने लेखन और नये-नये अंदाज में अपनी बात कहने के तरीके से चिट्ठा जगत में अपनी पहचान कराई है। वे लोकप्रिय ब्लागर हैं। जिन दिन से चर्चा उन्होंने शुरू की थी यहां पाठक संख्या और टिप्पणी संख्या में काफ़ी बढोत्तरी हुई थी। काफ़ी विद कुश और नेस्बी पर जब भी कोई पोस्ट आई है , बहुत पसंद की गई। पिछले दिनों उन्होंने मारीचिका से प्रभावित होकर जो कुछ लेख लिखे उनको पढ़कर तो जनता मस्त हो गयी।
मैं कुश के जन्मदिन के अवसर पर उनको मन हार्दिक बधाई देता हूं। उनके तमाम पाठकों, दोस्तों और ब्लागजगत के अंकलों- आंटियों का स्नेह उनको मिलता रहे।
कल की नियमित चर्चा कुश पेश करेंगे। फ़िलहाल इत्ता ही। आपका दिन चकाचक बीते।
पोस्ट की पहली फोटॊ लावण्याजी के ब्लाग से है। दूसरी फोटो कुश की है। कुश पहली फोटॊ जैसे बनकर दिखायें आज के दिन।
कुश को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें। अनुपजी, Sarah Palin को सुनने और चिट्ठा चर्चा पढ़ने में एक सा ही मजा है, आप सुनकर तो देखिये।
जवाब देंहटाएंकुश भाई को जन्म दिन की बहुत बधाइयाँ। आज भी चर्चा में आनंद रहा।
जवाब देंहटाएंकुश को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई .चर्चा बहुत पसंद आई ..
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा खूब रही, दो अलग महाद्वीपों से आयी दोनों तस्वीरें भी. कुश को हमारी तरफ़ से भी जन्मदिन की शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने। बिगबी अपने कबीले के हैं। हिन्दी में लिखने लगे हैं। पर आदत छुट गयी थी, सो टाइपिंग में थोडी मोडी गल्ती है, वैसे जल्दी ही सीख जाएंगे।
जवाब देंहटाएंकुश को जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां. ईश्वर आपको शतायु बनायें!!
जवाब देंहटाएं"अर्धसत्य की दुखद असलियत !: शास्त्री जी के कब्जे में"
नहीं, अनूप के कब्जे में!!!
आपका दिन भी चकाचक बीते (जिससे अगली चकाचक चर्चा बिन बाधा प्रस्तुत कर सकें!!).
सस्नेह शास्त्री
वन लाइनर चकाचक हैं अनूप जी !साधुवाद !
जवाब देंहटाएंएक लाइना में .जामिया .......देह....दीपावली.....झकास है ओर कुश को हमने एस एम् सिया दिया था सवेरे सवेरे.....
जवाब देंहटाएंकुश जी को जन्मदिन की बधाई।
जवाब देंहटाएंकुश को जन्म दिन की बधाई... नंबर जुगाड़ता हूँ मैं भी.
जवाब देंहटाएंभाई कुश जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई ! शतायु हो ! मस्त रहे ! यही शुभकामना देते हैं !
जवाब देंहटाएंभाई कुश जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई ! शतायु हो ! मस्त रहे ! यही शुभकामना देते हैं !
जवाब देंहटाएंकुश जी को जन्म दिवस की बधाई . इतवार को आपकी छुट्टी होती है सबकी तो नहीं .जन्म दिन वाले की खिचाई तो कम से कम पब्लिकली नहीं होनी चाहिए . वैसे कभी कभी शाम को सोकर जागने पर सुबह का भ्रम हो जाता है .अब अगर कविता जी इतवार की छुट्टी माँग लें तो ? सोचेंगे इसको पूरी चर्चा में यही दिखा टिप्पणी करने योग्य . सोचें तो सोचें मुझे क्या मैं तो ठहरा छिद्रान्वेषी . गुरु जी ने कहा है कि असहमत दिखो और आपका मन्त्र तो है ही हर फटे में टाँग अडाने का . वैसे भी आपकी की चर्चा की तारीफ करना भी क्या अच्छाइयाँ तो इसमें कूट कूट कर भर दी जाती हैं . इसमें बुराइयाँ ढूँढने में अलग मजा है .
जवाब देंहटाएंमुझे कुश भाई को बधाई कहना है !
जवाब देंहटाएंबधाई आपको चोखी चर्चा के लिये और कुश जी को जन्मदिन के लिये।
जवाब देंहटाएंशायद आज की आख़िरी टिप्पणी
जवाब देंहटाएंफ़ुरसतिया चर्चा ही इतनी टिप्पणोपरि हुआ करती हैं,
मुद्दई लाख टिप्पणी करे तो क्या होता है
हम वही पढ़ेंगे, जो मंज़ूर ए फ़ुरसतिया होता है,
यह्न न सुधरेंगे, अस्तु..
भाई कुश, पीछे छोड़ आये सकुशल दिनों के लिये बधाइयाँ लें
आगे के जीवन के लिये मेरी शुभकामनायें लें लें
मेरी हार्दिक हैवी ड्यूटी गुड्डविशेज़ हैं कि
यह आपके कुँवारेपन का अंतिम जन्मदिन हो,
मित्रों आप सब जनसमर्थन दें, कि..
अगले वर्ष उनकी मोमबत्ती जलाने वाली उनके संग हो.. आमीन
चिट्ठा के नामकरण पर इतना क्यों हंगामा बरपा है,
डाक्टर कविता जी के कल की चर्चा पर इस निट्ठल्ले की मूरख-टिप्पणी पढ़ लें
यकीन करें, वह मेरी खांटी-डाइसी नहीं बल्कि सूडो-डाइसी आब्ज़र्वेशन्स हैं
सतीशजी पंचम स्वर में बिलबिला रहे हैं, क्यों भाई ?
थोड़ा पिटना भी ज़रूरी है, ज़िन्दगी के लुत्फ़ के लिये..
ताऊ पर तो भरोसा करियो मति, यह तो ऎन मौके पर झपकी ले लेवें हैं
सतीश-पंचम जी ने आपने एक बार मुझे टीप मारी कि क्या वाहियात टेम्पलेट है,
ठीक मौके पर हैंग हो जाती है, मैने सुधार लिया ..
PD बोले तिरछे मत रहो.. सीधे हो जा रे, सीधे हो जा रे
तो सीधा हो लिया, विवेक बोले..यह कोई भाषा है,
सो भाषा को कुछ शुद्ध करने की सोच रहा हूँ
अब अच्छी हिन्दी दिखेगी आपको मेरे ब्लाग पर..
बस कविता जी द्वारा उसके रूपांतरण करने की सहमति की प्रतीक्षा है
तो पंचम जी, यहाँ लण्ठ और लठैत ब्लागर भी हैं,
जयकारा लगा लगा कर हमलोगों ने ही उनको बिगाड़ा है...
परसाई सा ज़िगर रखना बड़ा दुरूह है, मित्र !
बिग-बी को अपने कबीले का मानने में मुझे ऎतराज़ है..
वह अपने स्टार इमेज़ की आभा को ब्लाग से अलग नहीं कर सकते, इसीलिये..
वह अब तक हिन्दी में बोले, हिन्दी ही गाये, और हिन्दी में नाचे व नचाया
सो, हिन्दी में लिख कर वह कोई उपकार नहीं कर रहे
अभी भी वह अंग्रेज़ी की बैसाखी हटाने का साहस नहीं संज़ो पाये हैं
उनकी भाषा-प्रतिभा का मैं भक्त हूँ,
किन्तु वह केवल केवल हिन्दी में लिखने की ठान कर,
महज़ दो दर्जन गैरहिन्दी वालों को हिन्दी सीखने पर मज़बूर कर सकें
तो उनका हिन्दी गाया-बजाया सार्थक हो जाये
ब्लागिंग में उनका कलेज़ा इतना मज़बूत है,
दुखते पेट पर लैपटाप रख कर ब्लाग लिखने का एक नया रिकार्ड बनाया है, उन्होंने
अस्पताल से पोस्ट ठेलने का ज्ञानदत्त जी का रिकार्ड तो उन्होंने तोड़ ही दिया
गुरुवर माफ़ करना, वह क्या है कि..
मेरे दिमाग में बसी मुर्गी.. निम्न स्तरीय छोटे अंडे भले देती है..
पर कुड़कुड़ाती बहुत है, चुपचाप हिन्दी चुगते रहने से परहेज़ है, इसको..
हे हे हे..
पूरे हिन्दी ब्लौग का झरोखा...चिट्ठा-चर्चा की जय
जवाब देंहटाएंलगता है अन्तिम हूँ आज चर्चा पर टिप्पणी लिखने वालों में, चाहती हूँ पढ़ने वालों में अनन्तिम रहा जाए। खुशामदीद!
जवाब देंहटाएंकुश भाई को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें। :)
जवाब देंहटाएंचर्चा बढ़िया...बिग बी के सदाशयता पर कभी शुक्रगुजारी तो कभी सवाल उठाये जाते हैं ....हमें भी समझ नहीं आता...ऊंचाई पर पहुँचने के बाद न केवल नीचे से आदमी....बल्कि ऊपर से भी आदमी को आदमी छोटा ही दिखता है....बहरहाल "कुश जी" को जन्मदिन की बधाई के साथ छुट्टी के लिए भी बधाई.
जवाब देंहटाएंअबोध का बोध पाठ: मुस्कराने में पैसा नहीं लगता
जवाब देंहटाएंहमारे नोआ की मुस्कुराती तस्वीर आपको भी भा गई ये देख बहुत खुशी हुई - सही फरमाया अनूप भाई आपने - हँसो और मुस्कुराओ !!
और कुश भाई को जन्मदिवस की अनेकोँ शुभकामनाएँ !!
कुश को जन्मदिन की बहुत शुभकामनायें.चर्चा बहुत पसंद आई !! :)
जवाब देंहटाएंअच्छी चिठ्ठा चर्चा ,कुछ जी को जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएं" ha ha ha ah ah ah read it today, amezing analysis anup jee"
जवाब देंहटाएंregards
Belated Happy Birthday Kush
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