परिवर्तन संसार का शास्वत नियम है, वक्त बदलता है वक्त के साथ लोग बदलते हैं, उनकी बातें बदलती है, कही गयी बातों का अर्थ बदलता है। आज से पहले एक बात को कुछ ऐसे कहा जाता था - "हर शरीफ इंसान के अंदर एक शैतान छुपा होता है" लेकिन अब से या आने वाले दिनों में हो सकता है इसे कुछ यूँ कहा जाय - "हर शरीफ इंसान के अंदर एक राज ठाकरे छुपा होता है" या फिर किसी और देश में इसे कहा जाय "हर शरीफ इंसान के अंदर एक बिन लादेन छुपा होता है"।
इसी परिवर्तन के नियम के तहत आज चिट्ठों की जगह टिप्पणियों को दे दी है। ये शुक्रिया है हमारी तरफ से उन लोगों के लिये जो ब्लोगरस के चिट्ठों को (जिनमें हमारे भी एक-दो चिट्ठे शामिल हैं) पढ़कर यदा-कदा टिप्पणियाँ करते रहते हैं।
1. बहुत अच्छे ! पर छोटी इ की मात्रा मिलेगी क्या ? या सब ख्त्म हो गयीं ? नहीं नहीं चाहिए नहीं ऐसे ही पूछ रहा था - विवेक सिंह
2. ये तो होना ही था, आज ट्रक वाले लिख रहे हैं, कल ट्रक के स्पेयर पार्ट बेचने वाले लिखेंगे परसों टायर पंचर वाले भी लिखेंगे,….. ये ससुरे नेता जो न करायें….:) अच्छी पोस्ट। - सतीश पंचम
3. बहुत सही! - समीर लाल
4. बड़ी ऐश हो रही है! - अनुप शुक्ल
5. लाला की चलन ने तो खून खौला दिया.......इसका कुछ कीजिये,ऐसी सीख दीजिये कि .......... ढंग से सीख जाए - रंजना
6. हमें तो समझ ही नही आया कि क्या कहना चाह रहे हो..मगर तुम कह रहे हो तो कुछ अच्छा ही होगा. आखिर, क्रेडिटिबिलिटी भी तो कोई चीज होती है..और उसमें तो तुम जमे जमाये हो. :grin: - समीर लाल
7. अच्छा है, काम चल रहा है। :smile: यहां तो इतना काम है कि कोई काम नहीं हो पा रहा! :sad: - ज्ञानदत्त पाण्डेय
8. सुन्दर लेखन के लिए आपको ढेरो बधाई.... - अर्श
9. सूरज को पकड़ने वाला फोटो बहुत बढ़िया है... अगर आप सर पर रुमाल नही बाँधते तो सूरज और चाँद को एक साथ देखना काफ़ी रोमांचक होता :) - कुश
10. खूबसूरत बात. बेहद आसान अल्फाजो के साथ . जमी रहिये . :-) - दिव्यांशु शर्मा
11. साधुवाद!! कितनी काम की उम्दा जानकारी दे रहे हैं. याहू आन्सर्स पर भी माहौल जमाये हैं आप. बधाई - समीर लाल
12. सही ही हुआ खुद ही खिसक लिए भगाये जाने के पहले - समीर लाल
13. ये तो बहुत गजब हुआ ! इसके अंत का सस्पेंस अंत तक बना कर आपने इसे बेहतरीन सस्पेंस कथा बनादी ! बहुत मजा आया पढने में ! धन्यवाद ! - भूतनाथ
14. झकास लेख है भाई....एक दम झकास ! - अनुराग
15. इस बार लिख दिया सो लिख्ा दिया । कृपया अगली बार मुझ पर ऐसी कविता न लिखें । मेरी निजता को सार्वजनिक न बनाएं । - विष्णु बैरागी
16. are वाह..कितनी सुंदर टोपी. हमको भी लगाने दो छोटे उस्ताद - पल्लवी
17. भैया हमें तो यह लाइन खरीदनी है - दीवारों पर उठती है नई धूप और अवसाद पर भी जम जाती है स्नेह की परत - ज्ञानदत्त पाण्डेय
18. अभिव्यक्ति के खतरे उठाने ही होंगे - वाली पंक्ति ही याद आई है अभी टिप्पणी करने में काम आने को। सोचा, चलो इसी से काम पूरा कर लें। - कविता वाचक्नवी
19. बड़ी खुशी हो रही है. मेरी दिली कामना है कि अमरीका भारतीय बौद्धिक क्षमता का दस बन जाए. आभार. - पी एन सुब्रमण्यन
20. अमेरिकी समाज की असलियत तो आपने सही लिखी है, लेकिन मैं इस बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखता कि सारे लोग अब हिंदुस्तानी जम्हूरियत को ग़लत ही ठहरा रहे हैं। ख़ैर... - सुप्रतिम बनर्जी
21. वाह! मेरे बेटी जब छोटी थी तो मेरे बालों से काल्पनिक जुयें निकाला करती थी। क्या सुख था! - ज्ञानदत्त पाण्डेय
22. सही बात है बिल्कुल सुख दुःख ही एकमात्र कसौटी है ज़िन्दगी की ये देखने के लिए की कौन अपना और कौन पराया कौन अपना समझता है या कौन अजनबी…….बहुत सरल और बहुत अच्छा उदहारण दिया है आपने ..शुभकामनाये…… - अक्षय मन
23. जरुरत है जी बिल्कुल जरुरत है ....नही सोचेगे तो ये देश गृहयुद्ध की आग में जल जायेगा ..वैसे इस शब्द ने आपको बड़ा परेशान किया है लगता है ...... - अनुराग
24. आत्ममंथन होना ही चाहिए, आखिर हिन्दुओं को हार कर गलत रास्ता क्यों अपनाना पड़ रहा है, समय रहते रोकना होगा. - संजय बेंगाणी
25. पढ़कर सहसा जिस कवि की ये पन्क्ति याद आ गयी -छाया मत छूना माह होगा दुःख दूना मन -सब भ्रम ही तो है छाया मात्र ! - अरविंद मिश्रा
26. अच्छा लगा आपके शहर का गौरवशाली इतिहास जानकर. यह याद्कर्के भी शर्म आती है की इंसान इंसान को जानवरों की तरह खरीद-बेच सकता है. - स्मार्ट इंडियन
27. आपने ब्लॉग की बात प्रिंट मीडिया में उठा कर अच्छा काम किया है.
एक खेमा ऐसा भी है जिन्हे हिन्दुत्ववादी माना जाता है मगर उन्होने हिन्दु आतंकवादीओं (अगर कहीं है तो ) को माफ न करने के लिए लिखा है. देश से बड़ा कोई नहीं, धर्म भी नहीं - संजय बेंगाणी
28. खुशी की बात तो है पर भारत नीति के बारे में सुना है कश्मीर में भी खूब मिठाई बांटी गई है :( - अभिषेक ओझा
29. आपके अगले इंस्पेक्शन के अनुभव का इंतजार है... :) - रवि रतलामी
30. ये तलवा चाटू प्रवृति ने उसे इतना प्यारा बना दिया कि थानेदार की कुर्सी नसीब हुई. :)
बहुत करारा कटाक्ष है..वाह वाह!!!
परफेक्ट जीरो साइज़ फिगर सुनकर तो आनन्द आ गया. :) - समीर लाल
हमारी तरफ से दो सेंटः टिप्पणी को उठाकर यहाँ चेपने का कोई लॉजिक नही है फिर भी कविताओं के ब्लोग से टिप्पणी उठाने में मुश्किल आयी क्योंकि लगभग सभी में कविता की पंक्तियां टिप्पणी में थी जिससे आसानी से पता चल जाता, दूसरा ताऊ के ब्लोग में कमाल की बात है कि बगैर ताऊ का ईस्तेमाल किये कोई टिप्पणी ही नही करता। तीसरा समीरजी और अनुपजी का प्रताप (या प्रेम) जोरदार है, ज्यादातर जगहों पर उनकी छुटकी छुटकी टिप्पणियां थीं बावजूद इसके उनकी पोस्टस में हमेशा बड़की बड़की टिप्पणियाँ देखने को मिलती हैं।
और अंत में चलते चलतेः तो क्या होगा?
चांद की आवारगी है बढ़ रही प्रतिदिन
किसी दिन पकड़ा गया तो क्या होगा?
हर गोरी के मुखड़े पे तम्बू तान देता है
कोई मजनू थपड़िया देगा तो क्या होगा?
लहरों को उठाता है, वापस पटकता है
सागर कहीं तऊआ गया तो क्या होगा?
उधर की रोशनी पर चमकता, ऐठता है,
सूरज समर्थन खैंच लेगा तो क्या होगा?
अभी तक गोरे मुखड़ों पे विराजते रहे बबुआ
ओबामा सावले चेहरे पे बईठा दिहिस तो क्या होगा?
हम अपनी टिप्पणियाँ पहचान लें -
जवाब देंहटाएंनम्बर 7, 17, 21.
ओहो, पर अपनी तो इकलौती ही है - नम्बर १८.
जवाब देंहटाएंअसल में ज्ञान भाई का १ पर्सेंट टिप्पणी भी हमें मिलती नहीं, सो टिप्पणी जाती ही जाती है बस। उसमें से एक ! काफ़ी है, काफ़ी है।
इसे (केने-केने)का स्थानपन्न कहना हो तो कह लें। जब तक वह न लिखी जाए।
१.कुन्नू सिंग
जवाब देंहटाएं२.आलोक पुराणिक
३. समीर लाल द्वार लिखी// काहे से कई पर है/
४.??
५.ताऊ रामपुरिया
६.अमित गुप्ता
७.??
८.समीर लाल द्वारा..कई जगह
९.??
१०. स्किप
११.डॉ प्रवीण के यहाँ
१२.समीर लाल द्वारा.. :)
१३.समीर लाल पर
१४.??
१५. कौन खुस्सडू है भाई ये!!
१६.आदि के ब्लॉग से
१७.??
१८.अनूप शुक्ल फुरसतिया पर
१९.??
२०.??
२१. ??
२२.??
२३.??
२४. ??
२५.??
२६. ??
२७.??
२८. ??
२९. ??
३०. पल्लवी त्रिवेदी के ब्लॉग से. समीर लाल द्वारा!!
समीर लाल की छुटकी ..है तो पूरी..इत्ती जगह की सब मिला कर साईज देखो न भाई.
कविता:
अनूप फुरसतिया के ब्लॉग से....
---देख लिया कितने ध्यान से पढ़ते हैं..सब जबाब दे दिये. अब पुरुस्कार दो!!!
यह प्रयोग कुछ अलग सा है....अच्छा लग रहा है। इसमे एक बात यह भी है कि लोग अपनी अपनी टिप्पणीयां समझने के चक्कर में पोस्ट से और ज्यादा जुडाव महसूस करते है।
जवाब देंहटाएंवाह ! तरुण जी
जवाब देंहटाएंचिटठा चर्चा के उद्देश्य को देखते हुए आपका यह बदलाव बहुत अच्छा लगा ! विविधिता में ही मज़ा है !
5. लाला की चलन ने तो खून खौला दिया.......इसका कुछ कीजिये,ऐसी सीख दीजिये कि .......... ढंग से सीख जाए
जवाब देंहटाएंयह मेरी पोस्ट पर रंजना जी की टिपणी है ! तरुण भाई आपका आज का ये स्टाईल बहुत पसंद आया ! बहुत शुभकामनाएं आपको इस प्रयोग के लिए !
फुरसतिया जी की कल की कविता बहुत गजब की और कमाल की है ! नीचे की दो लाइनों में दूसरी लाइन में - सागर के बाद कोमा , फ़िर तऊआ में त और उ के बीच आ की मात्रा करने पर बनेगा ताऊ-आ ! देखिये क्या होता है ?
ओरिजिनल :
"लहरों को उठाता है, वापस पटकता है
सागर कहीं तऊआ गया तो क्या होगा?"
चेंज के बाद :-
"लहरों को उठाता है, वापस पटकता है
सागर, कहीं ताऊ आ गया तो क्या होगा?"
होगा क्या ? ताऊ लट्ठ और भैंस सहित सागर में डूबेगा और क्या ?
(इस तोड़ मरोड़ के लिए , आ.अनुपजी से क्षमायाचना सहित )
तीन दिन कुछ भी कहने से अवकाश है, ससुराल में शादी की मौज के कारण। वैसे कभी कभी टिप्पणी चर्चा होनी चाहिए यह भी चिट्ठा चर्चा का ही एक महत्वपूर्ण अंग है।
जवाब देंहटाएंन. १३ , मेरे द्वारा "समीर जी " की पोस्ट पर की गई टिपणी ! पसंद आया आपका अंदाज ! शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंअजी 9 नंबर वाली टिप्पणी हमारी है.. खैर आपका ये अंदाज़ पसंद आया..
जवाब देंहटाएं27 नं वाली हमारी ही दीक्क्खे है !
जवाब देंहटाएंअद्भुत पोस्ट था ये....मैं इस चक्कर में सारी टिप्पणियों को ढूढता फिरता रहा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
बढ़िया लगा यह अंदाज भी ...
जवाब देंहटाएंरूप रंग में बढ़िया, प्यारा, दिलचस्प परिवर्तन.
जवाब देंहटाएंप्रयोग मजेदार है भई. बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत के महाराजा .....टिपण्णी किंग भी ...और याददाश्त में भी किंग हैं....यह बता दिया...आपने और उड़न तश्तरी महोदय ने. वैसे 14 वें नंबर पर की गई टीप ...डॉ अनुराग, ने हमारे...." मनोरथ " पर पधार कर नेताजी का मोबाइल-२ पर की है.. शेष तो जो याद है...नहीं था....समीर लालजी पर्चा आउट कर दिया....तो ज्यादा नंबर लेकर क्या करेंगे...!! . हाँ चिठ्ठा चर्चा को इस तरह के अभिनव प्रयोग से आपने और लोकप्रिय एवम पठनीय बना दिया..है.
जवाब देंहटाएंachcha lagaa aaj yahaa aakar
जवाब देंहटाएंnaya style achchha laga.. ham to kayi comments pahchaan gaye.. jo mere par kiye gaye the vo bhi aur jo dusaron par kiye gaye the vo bhi.. :)
जवाब देंहटाएंbadhiya raha yah bhi..
झकास चर्चा है बीडू !
जवाब देंहटाएंनया अंदाज..और सुंदर भी.कुश जी की टिप्पणी उन्होंने प्रशांत भइया की मरीना बिच वाली हालिया पोस्ट पर की थी..और मैंने उनका समर्थन किया था, इसलिए वो याद रही ..बाकि एक दो और भी पहचान में आई.
जवाब देंहटाएंहाय अल्ला अब तो टिप्पणी करते हुए भी देख लेवें . भैया गुनाह कुबूल १ नम्बर वाली टिप्पणी हमसे हो गई कुन्नू सिंह के ब्लॉग पर . हुआ यूँ कि हमें गुस्सा तो उन पर पहले से ही आरहा था . अभी दो दिन पहले कह कर गए थे कि नैनीताल जा रहे हैं . हमने सोचा चलो जाते जाते टिपिया देते हैं अब पता नहीं कितने दिनों में लौटेगें . देखा तो अगले दिन फिर हाज़िर अब हम तो ठगे गए न इनके टिप्पणी पाने के स्टण्ट में . ऊपर से पूरी पोस्ट में छोटी इ की मात्रा की जगह बडी ई की मात्रा लगी थी . अब बताइए हमने कुछ गलत किया . ऐसी ही शिकायत कई और लोगों से भी है उनका नाम लेना उचित न होगा . एक साहब ने लिखा चुनाव ड्यूटी पर जा रहे हैं . हमने टिप्पणी कर दी जल्दी लौटिएगा . क्या बताएं दूसरे ही दिन पोस्ट हाज़िर कर दी . आज्ञाकारी कहीं के .
जवाब देंहटाएंवैसे ऊपर का जो लिखा उसको लाइटली लें तो चलेगा . पर नीचे मैं सीरियस हूँ . यह वाकई हर दृष्टि से बढिया प्रयोग किया गया है आपके द्वारा . इससे दो फायदे होंगे एक तो अब लोग टिप्पणी को पहले से ज्यादा सीरियसली लेंगे, इंट्रेस्टिंग टिप्पणियाँ भी देखने को मिलेंगी . ब्लॉग में रोचकता बढेगी और चिट्ठा चर्चा से लोगों का जुडाव भी बढेगा .इसे चिट्ठाग्राम की चौपाल के रूप में मान्यता मिलेगी .अभी तक हम कहाँ थे कि सारी दुनिया में ग्राहक की पूजा हो रही है और हम पहचान ही नहीं पाए ग्राहक देवता को . आखिर ग्राहक तो टिप्पणीकार ही है लेखक तो दुकानदार है चिट्ठा लेकर बैठ जाता है आओ पढो टिप्पणियाँ दो . अब लोगों की फ्री मे पढने की आदत में कमी देखने को मिलेगी . अब टिप्पणी देकर पढने वाले ज्यादा मिलेंगे . हो सकता है मैं कुछ ज्यादा बडा सपना देख रहा हूँ . तो क्या हुआ आखिर स्वप्नलोक में रहता हूँ .
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जवाब देंहटाएंआप सभी को ये अंदाज पसंद आया इसके लिये शुक्रिया, दरअसल शुक्रिया हमेशा हमें कहना चाहिये टिप्पणीकारों को लेकर कई बार कह नही पाते सो सोचा इस तरह से थैंक्सगिविं मना लें।
शुभ सूचना :आज हमारे गुरु जी चर्चा करेंगे . उनका स्वागत है . गुरु जी की चर्चा पीछे आ रही है .
जवाब देंहटाएंअरे वाह, चर्चा आज तो नये अंदाज की रही। और ये पंक्तियॉं खूबसूरत-
जवाब देंहटाएंउधर की रोशनी पर चमकता, ऐठता है,
सूरज समर्थन खैंच लेगा तो क्या होगा?
एक दम मतलब की बात एक बार में ही बता दी आपने ;.
जवाब देंहटाएंकौन कौन से ब्लॉगर हैं जो इधर उधर ताका झांकी ज्यादा करते हैं .
और कौन कौन लोग हैं जो चर्चा में टिप्पणी बांकी ज्यादा करते हैं .
शानदार। बेहतरीन अन्दाज। ताऊ ने जो हमारी खुराफ़ात में अपना अंदाज ठेला है वह तो और शानदार च जानदार है।
जवाब देंहटाएंmeri to ek hi hai aur wo maine mera sagar me tippani diya tha...
जवाब देंहटाएंaaj ka topic bhi to mere ghazal se hi hai ..........
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