कल मसिजीवी ने बड़ी धांसू चर्चा करी। शीर्षक था- बिलाग लिख लिख यूपी-बिहार बदलिहैं । अब कौनौ सर्वे करने वाला होय त बतावै कि कित्ता बदल गया यूपी कित्ता बदल गया बिहार।
रंजना भाटिया के ब्लाग की चर्चा कल हिंदी दैनिक हिन्दुस्तान में हुई। चित्र ऊपर दिया है। इसका जिक्र नारी ब्लाग पर हुआ है। सबको बधाई!
कल सरदार पटेल का जन्मदिन था। इस मौके पर धीरू सिंह ने लिखा:
सिर्फ आज कुछ लोग पटेल की मूर्ति पर माला पहना कर उनेह याद कर लेते है ,यदि सरदार की नीतियाँ अपना कर आतंक से लड़ा जाए जैसे उन्होंने रजवाडो को खत्म किया वैसे ही हम आतंक को खत्म कर सकते है । यही सच्ची श्र्ध्न्जली होगी सरदार पटेल को ।
सुमीत झा ने भी सरदार पटेल को इस मौके पर याद किया।
कल इंदिराजी के शहादत दिवस पर मनोज मिश्र ने उनको याद किया।
हर मुसीबत तथा जीवन के प्रत्येक कठिन दौर में इंदिरा जी और मजबूत होकर उभरीं .बचपन से ही जो हौसला उन्हें विरासत में उन्हें मिला वह महाप्रयाण तक उनके साथ गया ,इंदिरा जी ने जो भी निर्णय जीवन में लिया उसे पूरी दृढ़ता के साथ निभाया भी .दबाव की राजनीति उन्हें कभी रास न आयी .उन्होंने देश को कई अग्नि परिक्छाओ के कठिन दौर से उबारा था . जैसा कि आप में से कई एक लोग जानते है कि उन्होंने नए इतिहास के साथ ही एक नए भूगोल को भी जन्म दिया था .
देवानंद की नजर से इंदिराजी को देखिये बमार्फ़त विनीत उत्पल!
आज दुनिया चांद पर जाने के लिये बेताब है। खुदा ने बच्चों को बताया कि लोग चांद पर जाने के बाद लोग क्या गदर काटेंगे!
# लालू प्रसाद ने उम्मीद से कहा - पहली किस्त मे हम जाएंगे चांद पर और दूसरी ही किस्त मे अपनी भैंसों को भी उतारलेंगे।
# बालठाकरे ने कहा - चाहे हम चांद पर भी बैठ जाएं मगर बंग्लदेशीयों पर विशेष नज़र रखेंगे।
# अफ़ग़ान पठानों ने कहा - हम बहुत पहले ही सपनों मे चांद पर उतरचुके हैं।
# ओबामा ने विचार ज़ाहिर किया - अपनी जीत का जशन चांद पर मनाएंगे।
# सऊदी अरब के शेख़ ने बताया - पेट्रोल, डीजल केलिए शर्त ये है कि चांद पर भी हमारी पत्नीयों का इंतेज़ाम होना चाहिए।
गत मंगलवार (दीवाली) की रात मुंबई की एक लोकल ट्रेन में मराठी भाषी युवकों की पिटाई से 25 वर्षीय धर्मदेव राय की जान चली गई थी। महाराष्ट्र सरकार के दो लाख रुपये के मुवावजे को लेने से इंकार करते हुये धर्मदेव के पिता ने कहा:
महाराष्ट्र सरकार मुझसे 20 लाख रुपये ले ले और राज ठाकरे को मुझे सौंप दे।
नवभारत टाइम्स में छपे आतंकवादियों के नाम एक खुले खत को दर्पण में पेश किया गया है:
आश्चर्य नहीं कि आप हमारे बारे में इतनी सारी बातें इतने अच्छे से जानते हैं। लेकिन, मैं आपको एक जरूरी बात बताना चाहता हूं। आप गलत लोगों को निशाना बना रहे हैं। हम लोग नाचीज़ हैं। हमारे खून का कोई रंग नहीं। हमारी जिंदगी का भी कोई मोल नहीं है। जिस दिन हम अपना प्रतिनिधि चुन लेते हैं, बस उसी दिन से हम जीना छोड़ देते हैं।
आपने लोगों को आपस में लड़ते देखा होगा लेकिन अगर कार्टून लड़ें तो कैसा लगेगा ये देखिये सुरेशजी के ब्लाग पर।
प्रत्यक्षा कहती हैं:
तुम्हारी ज़िम्मेदारी , सुनो ध्यान से , वफादारी नहीं ज़िम्मेदारी , सिर्फ अमूर्त भावों के प्रति हैं ..उन्हें जिन्हें तुम छू न सको , तुम्हारी सरहद ..ये शब्द पंगु हैं भावों को सम्प्रेषित करने के लिये ..हमें नये शब्द ढूँढने होंगे , नये नियम गढ़ने होंगे ..उसकी अवाज़ यांत्रिक होती जा रही है , और जब तुम्हारे मन का विस्तार इतना हो कि छोर खत्म हो जाये तब ये शब्द इतना फैल जायेंगे कि तुम कहोगी तो एक अक्षर को कहा जाना एक सदी जैसा होगा ..
मैं चिढ़कर कहती हूँ , तब तक दुनिया खत्म हो जायेगी ।
ज्ञानजी ज्ञानियों के बारे में खुलासा करते हैंइण्टेलेक्चुअल्स बड़े “डाइसी” पाठक होते हैं।
पहल एक जरूरी पत्रिका मानी जाती रही है। ३५ वर्ष निकलने के बाद अब इसका अंतिम अंक प्रेस में है। शिरीष लिखते हैं:
ज्ञान जी ने लिखा है पहल ने 35 रचनात्मक वर्ष बिताये और उसे कई जनों का साथ मिला, लेकिन अब उसका पटाक्षेप होने जा रहा है ! पहल का अन्तिम अंक प्रेस में है। ज्ञान जी ने स्पष्ट किया कि पहल के बंद होने के पीछे कोई आर्थिक या रचनात्मक अभाव नहीं है। ज्ञान जी के अनुसार उनके सक्रिय रहने की एक सीमा है और अब वे विवश हैं।
कवितायें हमेशा से प्रेरक का काम करती रही हैं। नीरज गोस्वामी की गजल मुश्किलों में मुस्कराने की बात करती है:
मुश्किलों में मुस्कुराना सीखिये
फूल बन्जर में उगाना सीखिये
इस शानदार गजल से तथाकथित प्रेरणा लेकर फ़ुरसतिया लिखते हैं:
मुश्किलों में मुस्कराना सीखिये,
हर फ़टे में टांग अड़ाना सीखिये।
न जाने कब बेचारा बुश उधार मांग बैठे,
कभी तो दो-चार पैसे बचाना सीखिये।
अपने पैसे से ऐश किये तो क्या किये,
गैर के पैसे को हिल्ले से लगाना सीखिये।
डा.सुभाष भदौरिया इससे प्रेरित होकर सीख देते हैं:
नक्ल में भी अक्ल लाजिम है जनाब
यूं ही मत भोंपू बजाना सीखिये।
शायरी का भी इल्म आ जायेगा
पहले अपने दर पे आना सीखिये।
आर अनुराधा कैंसर से जुड़ी एक जानकारी दे रही हैं।
मीनाक्षी अपने भारत के अनुभव बता रही हैं, आशा का दीप जला रही हैं।
शिवकुमार मिश्र ने पूजा का समय बढ़ा दिया है।
द्विवेदीजी फ़िर से कचहरी जाने लगे हैं समझ लो।
प्रेमलता जी का मन यमुना के साथ बहा जा रहा है।
एक लाइना
- मुझ पर धन क्यों नहीं रुकता? पत्नी मेरे खिलाफ क्यों हो जाती है? : वकीलों की संगत का असर है।
- हर फ़टे में टांग अड़ाना सीखिये : कर्ज लेकर भूल जाना सीखिये
- इण्टेलेक्चुअल्स बड़े “डाइसी” पाठक होते हैं :एक इण्टेलुक्चुअल की सहज स्वीकारिक्ति
- तब तो अच्छा है, हम रोज सबेरे पूजा के लिए समय बढ़ा दें. : प्रार्थना तो वही रहेगी बस घंटा देर तक बजा दें
- मन बहौ जाए वा यमुना के संग: कोऊ तो बचाय डूबने से
- एक चुप्पी क्रास पर चढ़ी:पांचवी बार
- आई दिवाली, गयी दिवाली : खुशीयां भी भर गयी दिवाली
- वो जिसकी दीद में: सुन तो लीजिये
- दिल: तो कर्ज में डूबा है
- सब कुछ ढह गया: लेकिन भविष्य तो बचा है
- जिन पर था विश्वास मियां : उनके उड़े होशो और हवास मियां
- जब फिसलने लगती है जिंदगी की शाम: तो लगता है रात आकर रहेगी
- स्त्री के लिए एक नया क्षेत्र :पूजा गिरी
- अहसास : आज कुछ बड़ा है न!
- फ़ौरी तौर पर :एक पोस्ट ही सही।
- इंक ब्लॉगिंग एक लफ़ड़ा….. : अब समझ में आया?
- ईश्वर ने अल्लाह से कहा: हाऊ डू यू डू!
- जब गूंजता हुआ एकांत था... : तब की बात ही कुछ और थी।
- मुशीरुल हसन की आवाज सुनो: भाषण में जामिया का दर्द बाहर निकल आया है
- तुमको जब भी क़रीब पाती हूं: फ़ौरन तुम्हारे ब्लाग पे आकर टिपियाती हूं
- अहसान फ़रामोशो क्या सरदार पटेल को भी भूल गये : च्यवनप्रास खाओ सब याद आ जायेगा
- पाठकों से एक विशेष अनुरोध !:हमारी बात को गम्भीरता से न लिया करें
- फ़ितूर: कैसे जायेगा भाई
और अंत में
आज की चर्चा का दिन तरुण का होता रहा है। आज उनकी अनुपस्थिति खल रही है।
कल की चर्चा कविता जी करेंगी।
फ़िलहाल इतना ही।
"मुझ पर धन क्यों नहीं रुकता? पत्नी मेरे खिलाफ क्यों हो जाती है? : वकीलों की संगत का असर है।"
जवाब देंहटाएंसब से सटीक टिप्पणी है। चर्चा मजेदार रही।
रंजनाजी को बधाई. चर्चा हमेशा की तरह अच्छी रही.
जवाब देंहटाएंमानते हैं नीरज भाई और डॉ सुभाष भदौरिया ग़ज़ल सिद्धहस्त ( ग़ज़ल पर शोध कार्य ) हैं मगर इसका मतलब यह नही अनूप भाई के हा हा ठी ठी.. पर रोक लगाने की चेष्टा करें ! "हर फटे में टांग अडाना सीखिए..." हर मामले में लाजबाब है, अगर ब्लाग जगत में वोटिंग कराओ तो अनूप भाई की ग़ज़लें ज्यादा नंबर ले जायेंगी ! नीरज गोस्वामी और डॉ सुभाष भदौरिया जैसे विद्वान् पानी भरते हैं, फटे में टांग अडाने वालों के सामने... :-)
जवाब देंहटाएंअनूप भाई उम्मीद है आप जैसा मस्तमौला हार नही मानने वाला, उम्मीद यह भी है कि आप बहुत गंभीर रहने वालों की ऐसी तैसी करते रहोगे जिससे हम लोग हंसना सीखते रहें !
ये ऊपर वाला कोलाज बनाने की क्या जुगत है? इस पर थोड़ी तकनीकी चर्चा भी कीजिये!
जवाब देंहटाएंचिठ्ठाचर्चाचार्य तो आप हइयइ हैं!
@अनूप शुक्ल
जवाब देंहटाएंगंभीर रहने वाले कुछ नाम जिन्हें हंसना कम आता है - ज्ञानदत्त,सुभाष भदौरिया, रचना, अजित वडनेरकर, पंगेवाज, दिनेश राय द्विवेदी, शास्त्री जी,अनीता, राकेश खंडेलवाल और डॉ अमर ज्योति
@gyandutt
जवाब देंहटाएंthe colage that you see in the picture above is the copy of the newspaper and not of blog
in print medium many things are possible and if you want to implement them on your blog then you would need to make a jpeg of all the you want and make it a colage then upload it on your blog
"हर फ़टे में टांग अड़ाना सीखिये : कर्ज लेकर भूल जाना सीखिये"
जवाब देंहटाएंएक लाईना न .२ की गाँठ बाँध ली है ! आप कुछ साल पहले कहाँ थे ! :) ऐसे ज्ञानी नुस्खो की हर काल में जरुरत रहती है ! बहुत धन्यवाद !
शुक्रिया अनूप जी ..एक लाइना हमेशा की तरह मजेदार हैं
जवाब देंहटाएंहंसने हंसाने वाले
जवाब देंहटाएंनामों की सूची
जिन्हें गंभीर रहना
नहीं भाता
में टांग अड़ाते
तो खूब मजे
उड़ उड़ आते।
पहल का बंद होना दुखद है।
जवाब देंहटाएं(अच्छी चर्चा )
आदरणीय अनूप जी आपके द्वारा अपने लेख की चर्चा से धन्य हुआ .
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा है। रंजना जी को बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनूप जी ..बहुत बढिया चर्चा है। हमेशा की तरह मजेदार हैं
जवाब देंहटाएंरंजना जी को बधाईयां. लेख के स्केन के लिये आभार!
जवाब देंहटाएंआपने लिखा:
"पाठकों से एक विशेष अनुरोध !:हमारी बात को गम्भीरता से न लिया करें"
अब यदि कोई मेरी बात को गंभीरता से ना लेकर सबकुछ गडबड कर दे तो उसे मैं परामर्श/हर्जाने के लिये आप के पास भेजना शुरू कर दूँगा.
-- शास्त्री
पुनश्च: आप ये एकलाईने लिखने के आईडिये कहां से कबाडते है. गुरुमंत्र दे दें तो मैं भी सशक्त लेखक बन जाऊँ.
बेहतरीन चर्चा...आपके तो क्या कहने!!!! रंजना जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंफुरसतिया लिख लिख कर भी आप कैसे इत्ता लिखने की फुरसत पा लेते हैं? कमाल है!
जवाब देंहटाएंअउर एक बात - कि आपकी चर्चा पर आई टिप्पणियाँ इसका परिशिष्ट नहीं इसकी पूरक होती हैं, टिप्पणियों के साथ इसे पढ़ने का मजा कुछ और ही होता है। वैसे टाईम...कार जी की टिप्पणी अभी आई नहीं है आज, फिर भी कई टिप्पणीकार चर्चाकार की बात को नया अर्थ देते वातावरण को जीवन्त बना देते हैं। उन सबको को भी मेरी बधाई!
गंभीर रहने वाले कुछ नाम जिन्हें हंसना कम आता है - ज्ञानदत्त,सुभाष भदौरिया, रचना, अजित वडनेरकर, पंगेवाज, दिनेश राय द्विवेदी, शास्त्री जी,अनीता, राकेश खंडेलवाल और डॉ अमर ज्योति
जवाब देंहटाएं@satish saxena
good you found out the bloggers who are really happy in their lifes . Only those who have some porblems in their life try to always laugh and show that they are "happy to go lucky type " . being humrous is one thing , being jovial is another and being a stand up comedian is third where as being a bafoon is fourth . you can now categorize other bloggers according to this classification . and mosr import how you categorize yourself i am very curious to know
@kavita thanks dear for bringing this in my notice i just overlooked it wehn i first read the post
रोचक चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा रही. चिट्ठों की भी और चिट्ठाकारों की भी.
जवाब देंहटाएंनहीं ऐसी बात नहीं, निश्चिंतता होगी....!! लेकिन एक बात नहीं होने देती वो है...ब्लॉग जगत की अनिश्चितता.....!
जवाब देंहटाएंजैसे ही यह आप जैसे गंभीर लोगों के अथक परिश्रम से स्थायित्व पायेगा...इसका लाभ सभी को मिलेगा. फ़िर भी कुछ अवश्यम्भावी परिवर्तन तो सदैव चलते रहेंगे...!
सतीश भाई,
जवाब देंहटाएंमेरे बारे में आपके जो भी खबरी हैं मैं उन्हें ग़लत नहीं ठहराना चाहता। सच क्या है ये भी बताना नहीं चाहता। अपने प्रोफाइल में एक ताज़ा तस्वीर लगाई है । उसमें मुस्कुराने की कोशिश की है :)
TARUN JI N AA SAKE
जवाब देंहटाएंKAL KAVITAA JI AAENGEE
IN SOOCHANAAON KE BEECH
AAPANE ATI SUNDAR CHARCHAA KEE HAI
AABHAAR
सबसे पहले रंजना जी को बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंअनूप जी चर्चा काफी अच्छी थी। वन लाईना हमेशा की तरह बहुत बढ़िया रही।
रंजनाजी को बधाई और अनुपजी आपने की एक और बेहतरीन चर्चा हमेशा की तरह, आपने कमी खलने का जिक्र किया, धन्यवाद, इसके लिये इतना ही कहूँगा कि मैं समय नही जो फिर से ना आ सकूँ। :)
जवाब देंहटाएंवाह वाह सतीश जी आप की जर्रानवाजी का शुक्रिया, हमें इतने बड़े बड़े दिग्गजों की जमात में ला कर खड़ा कर दिया, हम तो सकुचाहट के मारे धरती में धंसे जा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआप शायद ये कहने की कौशिश कर रहे हैं कि हंसने जैसी विध्या में परांगत होना चाहिए। बिल्कुल जी बिल्कुल, हम भी यही मानते हैं। मुझे नहीं मालूम आप को ऐसा क्युं लगा कि हम हंस नहीं सकते, अगर अजीत जी के ब्लोग पर मेरा बकलम पढ़ा होता तो जानते होते कि हम तो ब्लोग जगत में आये ही हंसते हंसते थे आलोक पुराणिक के व्यंग पढ़ते पढ़ते। और अब भी किसी और के ब्लोग पर जाएं या न जाएं फ़ुरसतिया जी के ब्लोग पर जरुर जाते हैं हंसी की गोली खाने।
रंजना जी को ढेर सारी बधाई।