साधक कवि कहते हैं:
ओबामा की जीत का,इतना क्यॊ है शोर.
रंग-भेद के पार भी, बात अवश्य है और.
बात है कोई और,सूक्ष्म हलचल दुनियाँ में.
जीने की कोई नई राह, पनपे दुनियाँ में.
कह साधक कवि,यह संदेश है परिवर्तन का.
इसीलिये है शोर, ओबामा की जीत का.
मुट्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं यह मानना है माननीया पूर्णिमा वर्मन का। उनका साक्षात्कार आप साहित्यशिल्पी पर देख सकते हैं।
एक लाइना
- शुक्र है, उनके हाथ में पिस्तौल नहीं था!! : वर्ना उनके सौ-सवा सौ ठुक जाते गोली के
- क्या अब खत्म हो जाएगी अमेरिकी दादागीरी? :देखते जाओ क्या गुल खिलते हैं
- प्रेम आदि के फायदे :फ़ायदे हैं, एक बार करके तो देखें
- अमिताभजी और मेरे सेलेब्रिटी स्टेटस के साईड इफ़्फ़ेक्ट्स! : में वैराइटी है
- अमेरिका सुधरे तो सुधरे, हम नहीं सुधरेंगे... : सौ बात की एक बात! बोल दिया तो बोल दिया बस्स!
- फिर वही कुंज-ओ-कफस,फिर वही सय्याद का घर !: वहीं है तन्हाई के राजदार
- सरकार! तुम्हारे हाथों में :धर दिये हैं अब चाहे बचाओ या लुटाओ
- जाने जिगर: हाऊ आर यू डियर, फ़ौरन कम हियर
- 21 22 23 और ये 24... पूरी 24: बताओ 24 का हो गया गिनती भी पूरी नहीं आती
- अनुग्रह: बना रहे बस!
- अमेरिका की जनता, तुझे सलाम ! : एक चुनाव तो निपटाया बिना हमले के
- अश्वेत एक फटीचर शब्द है : और एक अश्वेत अमेरिका का राष्ट्रपति बन गया। अब समझ लो कि अमेरिका की हालत क्या होगी!
- मुबारकबाद लीजिये....गंगा राष्ट्रीय नदी हो जायेगी. : अब उसे मैली होने के लिये राजकपूर की फ़िलिम का मोहताज न होना पड़ेगा।
- क्या डर-डर का जीना सुखी जीवन है? : क्या कहें? कुछ कहते हुये डर लगता है!
- मायावती और बराक ओबामा में कॉमन क्या है?: सत्ता!
- बहुत सारी मीठी-मीठी यादों के साथ भारत यात्रा से वापसी: वापसी में पता चला कि आईं थी!
- उसका चढ़ा सांस पर कर्ज़ चुकाऊँ :फ़िर ब्याज का हिसाब देखा जाये।
- मस्का नहीं, मसकारा कैसे लगायें और मस्का पायें :विधि उन्मुक्त जी बतायें
- मैं और अमरीका !: अक्सर बातें करते हैं
- स्वागत करें इनका... मैने तो आहुति बनकर देखा है इन्हें : बहुत जलन महसूस हुई होगी न आहुति बनने में!
और अंत में
कवि के साथ यही दिक्कत होती है कि वह अपनी हर पीड़ा का इलाज कविता में खोजता है। करेला ऊपर से नीम चढ़ा ये कि वो दोस्तों को भी यही इलाज बताता है।
आज समीरलाल का चर्चा का नम्बर था। हमने कहा चर्चा किधर। वे बोले इधर। जो किये वो देखिये आप नीचे:
हाथ हमारे जुड़े हुए हैं
और आँखों में पानी...
भारत आने की तैयारी,
याद आती है नानी...
चिट्ठों की चर्चा का वादा
फिर से वादा बना हुआ है...
जीत के जैसे खद्दरधारी..
अपनी धुन में तना हुआ है.
अब बताओ जब ऐसी कवितागिरी होगी तो देश कैसे आगे जायेगा? आपको ऐसी ही हड़बड़िया चर्चा झेलनी पड़ेगी।
कल रात हमारे दोस्त प्रवीन महाजन आये। रात देर तक बतियाते रहे। उनका ब्लाग बनाया। देखिये क्या गुल खिलाते हैं। बातचीत में राजठाकरे को कोई लिफ़्ट नहीं दी हमने।
हड़बड़्हिया चर्चा में फ़िलहाल इत्ता ही। आप अपना काम-धाम निपटाइये। शुभकामनायें।
कल की चर्चा देखें:
मेरी नज़र में कुछ ब्लोगर.. और उनकी पोस्ट की चर्चा
अच्छी और अद्यतन रही चर्चा !
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ha ha ha , jvaab nahee aapka ...
जवाब देंहटाएंRegards
हमारा कहना वही है जो आप का है। ओबामा के आने से अमरीका नहीं बदलेगा। बस नया मेकप करेगा। अमरीका के बदलने से भारत नहीं बदलेगा। भारत को हम अंदर से ही बदल सकते हैं। समझ नहीं आता हम अपने बदलाव के लिए बार बार बाहर क्यों झाँकते है?
जवाब देंहटाएंभई वाह्।
जवाब देंहटाएंअब हडबडी में तो हड़बड़िया चर्चा ही होगी ! :) पर मजा आया इसमे भी !
जवाब देंहटाएंअगर अमिताभ बच्चन का हिन्दी मे ब्लॉग लिख देना एक "महत्वपूर्ण , चर्चा और ब्लोगिंग का विषय " हो सकता हैं तो ओबामा की जीत पर हिन्दी ब्लोगिंग मे "इतना क्यों हैं शोर " क्यों पूछना जरुरी हैं !. अब किसी को अमिताभ का obsession हैं तो किसी को ओबामा का . मन अपना , ब्लॉग अपना , पूछ कर तो नहीं लिखेगे की चर्चा किस पर होनी हैं !विषय वस्तु बता दे
जवाब देंहटाएंजो भी चक्रवर्ती राजा होगा, उसका प्रभाव दूसरों पर पड़ेगा ही, कभी हम थे, आज वे हैं। योरोप अमेरिका में सब सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं और हमारे यहाँ दिन पर दिन अधिक खाइयाँ!
जवाब देंहटाएंवैसे शोर इसलिए भी कि उस देश में सच्चा लोकतन्त्र प्रमाणित हुआ है, चमड़- दमड़ी सब भुला कर। हमारा झूठा लोकतंत्र नाटकबाज छद्मधर्मनिरपेक्षों की मुठ्ठी का कैदी।
मुस्लीमो पर मरहम लगाने का काम करेंगें ओबामा। पता नही भारत को क्या क्या सहना और भोगना पडेगा ?
जवाब देंहटाएंदेखते हैं की ओबामा महाशय और कितने दिन हिन्दी चिट्ठों के शीर्षक में रह पाते हैं.
जवाब देंहटाएंबढ़िया ओबामा चर्चा :)
जवाब देंहटाएंकविता जी का कहना सौलह आने सही है। प्रवीन महाजन! कहीं ये प्रमोद महाजन के वो भाई तो नहीं जिन्हों ने प्रमोद महाजन को गोली मारी थी। वो प्रवीन महाजन तो जेल में है आप के घर कैसे पहुंच गये या……?…:)
जवाब देंहटाएंकाम की बात सिर्फ़ यही है जो कविता जी ने कही है ........उस देश में सच्चा लोकतन्त्र प्रमाणित हुआ है, चमड़ी - दमड़ी सब भुला कर। .....हमारे तो हर हिन्दुस्तानी वोट बेंक तक जाते जाते सिर्फ़ अपनी जात का हो जाता है
जवाब देंहटाएंअच्छी रही आपकी हड़बडि़या चर्चा भी।...और भैय्या प्रवीण महाजन वाला मामला भी स्पष्ट कर दीजिए!
जवाब देंहटाएंकविता जी ने बिल्कुल ठीक कहा... जागो जागो... लोग चाय पीला के जगा रहे है..
जवाब देंहटाएंदेखते हैं कितना कुछ बदलता है... सुना है कश्मीर में भी बड़ी मिठाइयां बंटी हैं.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइत्ती जल्दी ओबामा चर्चा कैसे खतम होगी? अभी तो तय होना है कि वो लाला हैं कि सुकुल या पांड़े! उनके पुरखा पुरनिया खुर्जा के थे या माण्डा के! :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा. आभार आपका.
जवाब देंहटाएंआज आलोक जी की टिप्पणी तो आई नहीं इसलिए उनका ट्रेडमार्क चोरी किए लेते हैं कोई बताना मत . " क्या केने क्या केने "
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा...। शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त मगर अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंताऊ से सहमत हूँ !
जवाब देंहटाएंबराक हुसैन ओबामा बने बिन लादे ओसामा - तो शोर होगा ही।
जवाब देंहटाएंदेखिये शोर.....तो होगा..स्वयंभू अगुआ अमेरिका का राष्ट्रपति एक ध्रुवीय विश्व में सामान्य स्थिति में ही बड़ी अहम् भूमिका निभाता है...फ़िर तो अभी दशकों बाद अमेरिका मंदी की चपेट में है...तो उसकी आतंरिक और बाह्य नीति में जो कुछ उनके फायदे के अनुसार परिवर्तन होगा, उसका असर तो सभी विकासशील....और उसके सोपान में खड़े देश भोगेंगे. तब जिसके भाग्य में जो आएगा....उसे लेकर तो चीखेगा ही....सो अभी से चिल्लाकर चीखने के अभ्यास में क्या बुराई. ओबामा कोई भारत के लिए देवदूत नहीं....?? यह तो सभी को दो टूक समझना होगा.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा अनूप जी.
प्रवीन महाजन
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम
बेहतरीन चर्चा के लिए शुक्रिया
lagta hai Obama ka yehan itna shor nahi hai jitna wahan hai. India ki sabse bari news ko bhi yehan kahin kisi kone me 1 line ki jegah milti hai aur wahan to sabhi ki deewaren Obama se pati lagti hai......Aisa Desh hai mera
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