किसी शक्स का ऐसा विवरण पढ़कर तो भैया किसी का भी चोला दहल जाये। बात करने की हिम्मत न हो। जहां आपने बतियाना शुरू किया उधर उनकी चुटकी बजी और आपकी डील पूरी।
हमने अनीताजी को सबसे पहले जब कभी पढ़ा था तब उन्होंने शेयर से जानकारी देने वाले लेख लिखे थे। इसके बाद शेयर बिजनेस बैठ गया। उनका सबसे अच्छा लेख ये है बोम्बे मेरी जां
अरविंदजी का अनीताजी के बारे में लेख पढ़कर लगा मुझे लगा कि ई कौन सी अनीताजी हैं जिनके यहां दिमाग के अलावा और कुछ हईऐ नहीं।
मेरी अपनी समझ में अनीताजी दिमागदार, मनोवैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक संवेदनशील इंसान हैं। आजकल बहुरिया की खोज में परेशान हैं। छठवें वेतन आयोग के पैसे हाथ में न मिलने से हलकान हैं। गाने उनको बहुत आते हैं लेकिन अपने ब्लाग डालना भी चाहिये इस जरूरत से अनजान हैं! :)
जैसा रचनाजी ने कहा -यह उचित नहीं है कि वे लिखना बंद रखें और इसी बात में साला मैं तो साहब बन गया कहते हुये खुश हो जायें कि लोग उनको याद रखते हैं।
सुरेशचिपलूनकर जी ने अपनी माइक्रो पोस्ट में ब्लागरों से कुछ सवाल किये हैं। पोस्ट पढ़ें तो लोगों के जबाब भी दिख जायेंगे।
निखिल आनंद गिरि बताते हैं:
रिश्तों की एक पुड़िया मेरे पास है
चाहो तो चख लो,रख लो या फेंको तुम
तुमको कैसा स्वाद लगा, बतलाओ तो
चोखेरबाली की पहली वर्षगांठ की फ़ोटो कल सुजाता ने लगाईं थी। पाठकों ने एतराज की -हमको विवरण मांगता। रिपोर्टिंग चाहिये। फ़ुल डिटेल में। और फोटॊ मांगता। इत्ते में नई चलेगा।
एक अनाम ने टिपियाया- अरे वाह आपलोग देखने में बिल्कुल आम महिलाओं जैसी ही हैं|!!
जनता की बेहद मांग पर विनीत कुमार ने चोखेरबाली की वर्षगांठ की रिपोर्ट पेश करनी शुरू की! पहली किस्त पेश करते हुये वे लिखते भये:
प्रणव प्रियदर्शी ने अपना परिचय देते हुए कहा- वो नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से जुड़े हुए हैं औऱ ब्लॉगर के रुप में रिजेक्टमाल से। उनका मानना रहा कि ब्लॉगरों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है,आए दिन पचास-साठ हिन्दी के ब्लॉग बन रहे हैं लेकिऩ इसके वाबजूद भी यहां मुद्दों और कंटेट को लेकर रिपिटेशन बहुत है। एक ही सवाल बार-बार उठाए जाते हैं,उनके जबाब भी उसी तरह से दिए जाते हैं, नयी चीजें उतनी नहीं आ पाती जितनी कि ब्लॉग के स्तर पर अपेक्षा की जाती है।
गीतकार नीरज जी के जन्मदिन के मौके पर तमाम लोगों ने लेख लिखे। मयंक ने नीरज जी की कुछ कवितायें पेश कीं:
मौसम कैसा भी रहे कैसी चले बयार
बड़ा कठिन है भूलना पहला-पहला प्यार
और ये खुशखबरी कि जाट भाई नौकरी पा गये और दिल्लीवासी हो लिये। उनको शुभकामनायें।
योगेश समदर्शी लिखते हैं:
पढीं लिखीं बहुंओं को अम्मा, बस अब तो इतना कहती है.
औरत बडे दिल की होवे है, इस खातिर वह सब सहती है.
पेड भला क्या पा जाता है, अपने सारे फल को खोकर.
गांव वाले घर में अम्मा, सब कुछ थी कुछ भी न होकर.
लतिकेश समझाइश देते हुये कहते हैं- बेरोजगार हो, तो दोस्तों को फ़ोन मत करना
आजकल संसद में सदस्य गैरहाजिर बहुत रहते हैं। यही गिरीश बिल्लौरे की संसद में भी हुआ। उन्हॊंने अपनी संसद में निम्न पद प्रस्तावित किये:
- ब्लागाध्यक्ष: एक पद
- प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
- अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
- कायदा-मंत्री
- टिप्पणी-मंत्री
- प्रति-टिप्पणी मंत्री
- गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
- बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
- नारी-ब्लॉग मंत्री
- राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
अभी आगे की कार्यवाही ठहरी हुई है। ठहरी क्या है क्रिया-प्रतिक्रिया हो रही है। 20-25 जबलपुरिया में से अभी तक किसी ने इस संसद में रुचि नहीं दिखाई। जय हर-हर नर्मदे!
पाबलाजी मुंबई गये और ममताजी से मिलने से इंकार कर दिया। अब कर दिया तो कर दिया लेकिन आप सोच रहे होंगे कि क्यों किया? तो उसके लिये तो भैया आपको पाबलाजी के ब्लाग पर ही जाना होगा।
इस बीच ताऊ पत्रिका का आठवां अंक ब्लाग बाजार में आ चुका है। आप इसका आनंद उठायें। पढ़ें-टिपियायें, खुश हो जायें।
एक लाईना
- जूते के बूते:ब्लागकिंग बने
- आम के पहले बौरों की नैसर्गिक गंध और सौंदर्य का अहसास :इत्ते लोग थे आसपास
रिश्तों की एक पुड़िया मेरे पास है :कुछ मसाला-उसाला है इसमें की छंछी है ये !- बेरोजगार हो, तो दोस्तों को फ़ोन मत करना : पैसा बचाना, मिस्ड काल से काम चलाना
- ब्लॉग-पार्लियामेन्ट : में ससुर कोरमै नहीं पूरा हो रहा
- है मंजूर तो बोलो 'हां' ! : कमेंट में बोला कैसे जाता है जी!
- जमाई, दामाद क्यों… दूल्हा, दुर्लभ क्यों:क्योंकि समाज ने मान लिया है इसलिये
- कितने घरो मे माँ को ये अधिकार होता हैं की वो "सोच " सके । :बताइये भाई अपने यहां से शुरू करके
- मन बहुत पगला रहा है....!! :सबर करो भाई आगरा आ रहा है
- चार लाइने: शीर्षक और नाम मिला के छह हो गयीं जी
- शब्दों के शत्रु :बढ़ते जा रहे हैं
और अंत में
आज शनीचरी चर्चाकार निठल्ले तरुण का जन्मदिन है। तरुण और मैंने लगभग एक साथ ही ब्लागिंग शुरू की। न जाने कित्ती पोस्टें यादगार हैं। तरुण कई कामों में उलझे रहते हैं इसलिये आजकल ब्लागिंग के लिये समय कम निकाल पाते हैं। लेकिन चर्चा नियमित करते हैं। शनिवारी चर्चा करते हुये तरुण ने नये-नये अंदाज में चर्चायें पेश कीं और चिट्ठाचर्चा में नये आयाम जोड़े। आजकल फ़िल्म वाला विवरण कम आता है जी!
तरुण का मिजाज उनकी पसंदीदा कविताओं से जाना जा सकता है। उनके आरकुट प्रोफ़ाइल पर ये लाइने उनके व्यक्तित्व के बारे में बताती हैं:
मैं तो सपने खुद बुनता हूँ, तुम भी सपने बुनो ना
दिल की बातें दिल ही जाने, तुम भी दिल से सुनो ना।किसी की मुस्कुराहटों पे हो फिदा,
किसी का दर्द मिल सके तो ले उठा
जीना इसी का नाम हैठंडो रे ठंडो, मेरो पहाडे की हव्वा ठंडी पानी ठंडो एक प्यारा सा गाँव, जिसमें पीपल की छाँव,
छोड़ कर गाँव को, उस हरी छाँव को,
शहर में आ गये हम, भीड़ में खो गये हम।मुकर जाने का कातिल ने, निराला ढंग निकाला है,
हर किसी से पूछता है, इसको किस ने मार डाला है।रगों में दौड़ने के हम नही कायल,
जो आँख से ना टपका तो वो लहू क्या है।
आजकल अमेरिका में नौकरी बचाते हुये चिट्ठाकारी करते रहना बड़े जिगर का काम है! :) मेहनत बहुत करनी पड़ रही है सुना है बहादुरों को अपनी नौकरी और अस्तित्व बचाने के लिये।
आज का दिन खास है तरुण के लिये और हमारे लिये भी।
तरुण को उनके जन्मदिन की बधाई देते उनको और उनके परिवार के लिये शुभकामनायें देता हूं। तरूण बतायें कि जन्मदिन कैसे मनाया गया!
आज की चर्चा का दिन कविताजी का होता है। वे संभवत: अगले सप्ताह से फ़िर चर्चा में सक्रिय हों। अपनी चर्चा में अभिलेखागार के अंतर्गत चिट्ठाचर्चा की कोई पुरानी पोस्ट पेश करती हैं। उनका अनुसरण करते हुये अपनी पसंदीदा रचनाकार निधि की एक पोस्ट आपको पढ़वाता हूं:
शाम को बहन अपने नये दोस्तों के साथ खेल में लग जाती और हमारी नायिका जी मसोस के भौतिकी की ‘कुमार-मित्तल’ में सर दिये बैठे रहती ।...आगे की कथा आप उनकी पोस्ट में बांच लीजिये।
कल की चर्चा का दिन विवेक सिंह का है। आशा है बजरंगबली भक्त विवेक अपने अंदाज में चर्चा करेंगे। आपको पता ही है कि विवेक ने अभी ब्लाग लिखने से आराम करने की बात कही है। उनके न लिखने के कारण क्या हैं यह हमको तो पता हैं लेकिन अगर आप कयास लगाना चाहें कि ब्लाग किन कारणों से नहीं लिखा जा सकता तो जीतेंन्द्र चौधरी कुवैत वाले आपकी सहायता के लिये बता रहे हैं- ब्लॉग ना लिखने के बहाने । बताते चलें कि बहानेबाजी में जीतेन्द्र चौधरी को ब्लैकबेल्ट मिली है। बहानेबाजी के वे रुस्तमें जहां हैं।
ऊपर के कार्टून क्रमश: काजल और अभिषेक तिवारी से साभार| आप सभी को शुभकामनायें!
तरुण जी को बहुत बहुत बधाई... उनकी चर्चा की तरह उनका जन्मदिवस भी चकाचक हो यही हमारी कामना है...
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बढ़िया रही.. दिन किसी का भी हो अनूप जी संभाल लेते है.. और अंत में याद भी दिला देते है की भईया तुम्हारा भी नंबर लगेगा.. आज नही तो कल..
सुकुल जी
जवाब देंहटाएंमुकुल की जय गंगा-गोमती ओ' नर्मदे हर पहुंचे
गुरु बाबा , संसद को ख़याल हमाए मन में
आओ की नरबदा मैया से जो नैया निकली है बा नैया
गंगा,गोदावरी,कावेरी,ब्रह्मपुत्रा,सोन,सतलज,रावी,मानें सबै नदियन से होत भाई
हिन्दी-ब्लागिंग के अन्तिम इरादे:-"पूर्ण मिदं पूर्ण मिदा पूर्णात पूर्ण मुदच्यते "
लौ {तक} पहुँच जावै
गुरु बाबा .संसद की सोच आगे कर दई धुआँधार आभार
बधाई
हर-हर नर्मदे! नर्मदे हर-हर !
"एक प्यारा सा गाँव, जिसमें पीपल की छाँव,
जवाब देंहटाएंछोड़ कर गाँव को, उस हरी छाँव को,
शहर में आ गये हम, भीड़ में खो गये हम।
दिल को छु कई ये कुछ पंक्तियाँ....
"तरुण जी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई... अनीताजी के बारे मे पढ़ कर बहुत अच्छा लगा उन्हें हमारा सादर प्रणाम ."
Regards
तरुण जी को जन्म दिवस की ढेर सारी बधाइयां।
जवाब देंहटाएं>अब ब्लागरों में भी राजनीति नज़र आने लगी है। उनका एक पार्लियमेंट भी बनने जा रहा है! अर्थात गुटबाज़ी की शुरुआत....
खुदा खैर करे.....
>विवेकजी को ध्यान रहे कि जो बहाने चौधरी जी ने गिनाए हैं वो ब्लाग न लिखने वालों के लिए है; चिट्ठाचर्चा करने वाले इसमें एक्ज़ेम्प्ट हैं, इसलिए उनपर मंगलिया चर्चा करना अनिवार्य हो गया है। तो फिर.......कल तक इंतेज़ार:)
तरूण जी जन्म दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपका चिट्ठाचर्चा रहे आबाद,लेखन जिंदाबाद...
जवाब देंहटाएंतरुणजी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई....
जवाब देंहटाएंदृष्टि क्यों जा ठहरती एक अविवेकी बिन्दू पर
कारण पता है.. भी तो अकारण नहीं न पता होगा जी ?
अब' हम फटे में टाँग अड़ाना सीखें.. ' तो कुछ और आगे लिखेंगे, न जी ?
लेकिन संतोष है कि, टँकीरूढ़ विवेक से आपका सम्पर्क बना हुआ है..
वह सुरक्षित हैं, और चिन्ता की कोई बात तो नहीं न है, जी ?
कृपया स्पष्ट करें कि,
तरूण जी को बुज़ुर्ग की हैसियत से..
या सखा की हैसियत से बधाई देना उचित रहेगा..
यह जानकारी, आज चर्चा-कार्यालय बन्द होने पहले दी जाये ।
ताकि समुचित बधाई प्रदान करने की व्यवस्था की जावे ।
नाम से बड़ा धोखा है न, जी ?
तरूण जी, अपने जीवन का कौन सा बसंत झेल रहे हैं ?
देखते नहीं हैं कि, 'बवाल 'होकर भी बवाल नहीं हैं,
और छोड़िये, यह तो आप भी जानते हैं, कि
अपने 'लाल ' किसी आँख के अँधे के लिये भी लाल नहीं हैं न , जी !
तरूण जी, लीजिये आप एक अंतरिम स्माईली ग्रहण करें' :)'
तरुण जी को जन्मदिन की बधाई बहुत बहुत .
जवाब देंहटाएंअरे हां, हम तो मुसाफिरजी को दिल्लीवाले बनने पर बधाई देना तो भूल ही गए थे। भई, मुसाफिर आदमी का क्या भरोसा - आज हरिद्वार तो कल दिल्ली। बधाई- हर हर गंगे।:)
जवाब देंहटाएंदिल्लीवासी[साहित्यकारों] के लिए हैदराबाद के प्रसिद्ध कवि स्व. वेणुगोपालजी ने कहा था:
ऐसा क्यों होता है-
ऐसा क्यों होता है-
कि हिंदी कवि
बहता तो डूबता तो
अपनी कविता में है
लेकिन उसकी लाश
अक्सर
दिल्ली में मिलती है॥
तरुण को जन्मदिन की बधाईयां. उम्मीद है कि इस साल "निठल्ला" चिंतन विप्लवात्मक चिंतन में बदल जायगा.
जवाब देंहटाएंअनिता जी से एक बार और मुलाकात करवा ने के लिये अनूप को शुक्रिया!!
सस्नेह -- शास्त्री
तरुण जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां.
जवाब देंहटाएंबेहद लाजवाब और खूबसुरत चर्चा. मजा आ गया.
रामराम.
तरूण जी जन्म दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा रही।
"जिनके यहां दिमाग के अलावा और कुछ हईऐ नहीं। " :-)
जवाब देंहटाएंतरुणजी को जन्मदिन की शुभकामनायें !
चर्चा का शीर्षक सच बोलता है.
जवाब देंहटाएंतरुण जी को हमारी तरफ़ से भी जन्मदिन की बधाई।
जवाब देंहटाएंअनूप जी क्या बात है हमारी टांग खिचाई का पूरा प्रोग्राम है।
'उन्होंने शेयर से जानकारी देने वाले लेख लिखे थे। इसके बाद शेयर बिजनेस बैठ गया।'
हाय राम, शेयर बिजिनेस को बैठाने में राजू ने इत्ती मेहनत की और आप ने सेहरा मेरे सर बांध दिया।
'आजकल बहुरिया की खोज में परेशान हैं। छठवें वेतन आयोग के पैसे हाथ में न मिलने से हलकान हैं। '
हा हा ! चलिए अब आप ने जग जाहिर कर ही दिया तो मुझे पूरा विश्वास है कि ब्लोगजगत से मुझे एक प्यारी सी बहुरिया मिल ही जायेगी और रहा छ्ठे वेतन आयोग का सवाल तो आप के सामने तो उसके बारे में कुछ कह ही नहीं सकते न जी। हमें याद है प्राइमरी के मास्टर को आप ने क्या फ़टकार लगायी थी।
तरुणजी को जन्मदिन की बधाई
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा भी अच्छी रही !
जवाब देंहटाएंतरुण जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाईय
चिटठा चर्चा में अनीता जी के बारे में जानकर अच्छा लगा !
तरुण को बधाई -यह शुभ दिन बार बार आए ! और आप पर तो बसंत की खुमारी तारी होने लगी है -साफ़ दिखे है -पोस्ट की शीर्षक से ही शुरू !
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा तो गज़ब रही ..... तरुण जी को बधाई ...
जवाब देंहटाएंतरुण को जन्म दिन की बहुत बधाई. चर्चा बढ़िया रही.
जवाब देंहटाएंअभी जबलपुर से बाहर हैं..पहुँचते ही संसद बहाल की जायेगी. :)
तरुण जी को बधाई शेष तो पहले जैसा ही है..
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद चिट्ठे और चिट्ठा चर्चा पढ़ी है। बहुत रोचक है। तरुण जी को जन्मदिन की बधाई!
जवाब देंहटाएंतरुण जी को बधाई !!!!
जवाब देंहटाएंचर्चा तो गज़ब रही .....!!!!
चिट्ठाचर्चा रोचक है. हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंअनीता दीदी का आतंक छाया है!!!! कहाँ? किसके ऊपर?
तरुण जी को जन्मदिन की बधाई.
रोचक चिट्ठाचर्चा!
जवाब देंहटाएंतरुण जी को जन्म दिवस की ढेर सारी बधाइयां।
तरुण जी को जन्म दिन की बधाई। लेट हो गये हम!
जवाब देंहटाएं@अनुप जी, सबसे पहले आपको और भाभीजी दोनों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं@सभी साथियों को बहुत बहुत धन्यवाद :), अनिताजी के बारे में जानकर अच्छा लगा।
"देखते नहीं हैं कि, 'बवाल 'होकर भी बवाल नहीं हैं"
जवाब देंहटाएंडा॓. अमर जी की यह पंक्ति हमारे लिए जीवन भर का आशीर्वाद हैं। आपकी चिट्ठाचर्चा से यह मान हमें हासिल हुआ अनूप जी इसके लिए आपके बहुत आभारी रहेंगे। बहुत बहतरीन चिट्ठा चर्चा रही आज भी आपकी।
शुक्ल जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चाही , आप सब को लपेट कर चलते हो , इसीलिये अच्छे लगते हो.
आपका आभार.
तरुण जी के जन्म दिवस पर उन्हें शुभ कामनाएं
जन्म दिवस शुभ रहे तरुण का,
नित मैं यही दुआएँ करता
दूर रहें उनसे दुःख संकट,
प्रभु जी तुम हो संकट हरता
-विजय